"सच" का साथ मेरा कर्म व "इंसानियत" मेरा धर्म

प्रिंट व इलेक्ट्रोनिक्स मीडिया को आईना दिखाती एक पोस्ट  
मेरे दोस्तों/ शुभचिंतकों/आलोचकों - मुझे इस ब्लॉग "ब्लॉग की खबरें" के संचालक कहूँ या कर्त्ताधर्त्ता भाई डॉ अनवर जमाल खान साहब ने मुझ नाचीज़ "सिरफिरा" को मान-सम्मान दिया हैं. उसका मैं तहे दिल से शुक्र गुजार हूँ. मेरे लिये यहाँ# ब्लॉग जगत में न कोई हिंदू है, न कोई मुस्लिम है, न कोई सिख और न कोई ईसाई है. मेरे लिये "सच" लिखना और "सच" का साथ देना मेरा कर्म है और "इंसानियत" मेरा धर्म है. चांदी से बने कागज के चंद टुकड़े मेरे लिये बेमानी है या कहूँ कि-भोजन के लिए जीवन नहीं किन्तु जीवन के लिए भोजन है. धन के लिए जीवन नहीं किन्तु जीवन के लिए धन है. तब कोई अतिसोक्ति नहीं होगी.
#नोट:-यह पोस्ट "ब्लॉग की खबरें" के लिए लिखी गई थी,जो पहले प्रकाशित हो चुकी है.

     भाई डॉ अनवर जमाल खान साहब ने मुझे सारी शर्तों व नियमों से पहले अवगत कराके मुझे आप लोगों की सेवा करने का मौका दिया है. मैं अपने कुछ निजी कारणों से आपकी फ़िलहाल ज्यादा सेवा नहीं पाऊं. लेकिन जब-जब आपकी सेवा करूँगा. पूरे तन और मन से करूँगा. किसी ब्लॉग की या मंच की नियम व शर्तों में पारदशिता(खुलापन) बहुत जरुरी है. अगर आप यह नहीं कर सकते तब आप ब्लॉग या मंच के पाठकों से और उसके सहयोगियों से धोखा कर रहे हो. भाई खान साहब ने मेरी निजी समस्याओं पर चिंता व्यक्त करते हुए और उन्हें हल करने में मेरी व्यवस्ताओं को देखते हुए कहा कि -आपकी शैली मुझे पसंद है। आप ब्लॉग जगत की सूचना और पत्रकारिता के लिए आमंत्रित किए गए हैं ‘ब्लॉग की ख़बरें‘ की ओर से। आप ब्लॉग जगत से जुड़ी कोई भी तथ्यपरक बात कहने के लिए आज़ाद हैं। आइये और हिंदी ब्लॉग जगत को पाक साफ़ रखने में मदद कीजिए। ‘ब्लॉग की ख़बरें‘ का संपादक मैं ही हूं। आप इसके एक ज़िम्मेदार पत्रकार हैं। आप मुझे दिखाए बिना जब चाहे कुछ भी यहां छाप सकते हैं। यह मंच किसी के साथ नहीं है और न ही किसी के खि़लाफ़ है। यह केवल सत्य का पक्षधर है। हरेक विचारधारा का आदमी यहां ब्लॉग जगत में हो रही हलचल को प्रकाशित कर सकता है। आप अपनी समस्याओं के चलते एक भी पोस्ट न प्रकाशित करें. मगर आपकी नेक नियति का मैं कायल हूँ. इसलिए आप हमें यथा संभव योगदान दें. मुझे आपकी पोस्ट का बेसब्री से इन्तजार रहेगा.

    मेरे दोस्तों/ शुभचिंतकों/आलोचकों-जब किसी तुच्छ से "सिरफिरा" को इतना मान-सम्मान दें और अपने ब्लॉग या मंच के उद्देश्यों से अवगत कराने के साथ ही अपने ब्लॉग भाई की निजी समस्याओं का "निजी खबरे या बड़ा ब्लोग्गर" कहकर मजाक ना बनाये. बल्कि उन्हें हल करने के लिये अपनी तरफ से किसी प्रकार की मदद करने के लिये कदम बढ़ाता है. तब ऐसे ब्लॉग या मंच से "सिरफिरा" तन और मन से न जुडे. ऐसा कैसे हो सकता है.  

    मेरे दोस्तों/ शुभचिंतकों/आलोचकों- आज मेरी पोस्ट में कोई भी गलती हो गई हो तब पूरी निडरता से आलोचना करें. कृपया प्रशंसा नहीं. मेरी आलोचना करें. मैं यहाँ पर आलोचनाओं को प्राथमिकता दूँगा. मेरी प्रशंसा के लिए मेरे ब्लोगों की संख्या दस है. वहाँ अपनी पूर्ति करें. मैंने भाई खान साहब से जल्द ही एक पोस्ट डालने का वादा किया था. उस "कथनी" के लिए आपके सामने एक पोस्ट लेकर आया हूँ. किसी प्रकार की अनजाने में हुई गलती को "दूध पीता बच्चा" समझकर माफ कर देना. 

    बस अपनी बात यहाँ ही खत्म करता हूँ. फिर शेष तब .......जब चार यार(दोस्त, शुभचिंतक, आलोचक और तुच्छ "सिरफिरा") बैठेंगे.
 
     अब आप इन्तजार करें मेरी यहाँ अगली पोस्ट का जिसका उपशीर्षक (मैं हिंदू हूँ , मैं मुस्लिम हूँ  और मैं सिख-ईसाई भी हूँ) और प्रमुख्य शीर्षक "मेरा कोई दिन-मान नहीं है" इस पोस्ट से संबंधित क़ानूनी और तकनीकी जानकारी प्राप्त होने पर ही प्रकाशित होगी. इस पर शोध कार्य चल रहे हैं. थोड़ा सब्र करें.

    आप उपरोक्त पोस्ट को पूरा पढने के लिए यहाँ पर क्लिक करें.
Read More...

जो हमारे देशभक्तों को राक्षस और दरिंदा कहे, वह कहीं खुद ही ग़ददार या दिमाग़ी दिवालिया तो नहीं है ?


यह सच है कि हैदर अली, टीपू सुल्तान, बहादुर शाह ज़फ़र, सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह, मौलाना आज़ाद, सरहदी गांधी खान अब्दुल ग़फ़्फ़ार ख़ान और कर्नल शाहनवाज़ जैसे बहुत से लोगों ने आज़ादी की लड़ाई लड़ी और ये सब मांसाहारी थे। आज़ादी की हिफ़ाज़त की ख़ातिर आज भी हमारे जो जांबांज़ लोग सरहदों पर
खड़े हैं, उनमें भी अधिकतर मांसाहारी ही हैं। 
देशवासियों में भी अधिकतर लोग मांसाहारी हैं और समुद्र किनारे जितने भी प्रदेश हैं, उनके निवासियों का मुख्य भोजन भी मछली आदि जलीय जीव हैं।
जो कोई मांसाहारियों को राक्षस और दरिंदा कहता है, वह वतन के शहीदों और रखवालों को और अधिकतर भारतीयों को राक्षस और दरिंदा कहता है और ऐसे आदमी के ग़ददार होने में कुछ शक नहीं है या फिर वह जाहिल और पागल है।
ऐसा कुछ नहीं है तो फिर मनोरोगी तो वह है ही।
इस विषय पर पूरी संतुष्टि देता हुआ एक ब्लॉग :
Read More...

साहित्य सुरभि: कुंडलिया छंद - 2

साहित्य सुरभि: कुंडलिया छंद - 2: दीवाली त्यौहार पर , जले दीप से दीप अन्धकार सब दूर हों , रौशनी हो समीप । रौशनी हो समीप, उमंग...
Read More...

शुभकामना, दीपावली के अवसर पर

दीपावली का पर्व हमारे हिंदू भाईयों का एक ऐसा पर्व है जिसे कि देश के हरेक क्षेत्र में मनाया जाता है।
यह रौशनियों का पर्व है और इस मौक़े पर वे अपनी ख़ुशियों में अकेले नहीं होते बल्कि भारत में रहने वाले सभी समुदायों के लोग उनकी ख़ुशी में शरीक होते हैं।
समय समय पर पड़ने वाले पर्व भारतीय समाज को आपस में जोड़ने में अपनी बहुत अहम भूमिका निभाते हैं।
‘हिंदी ब्लॉगर्स फ़ोरम इंटरनेशनल‘ की यह पहली दीपावली है,
इस मौक़े पर हम सभी के लिए अपनी शुभकामनाएं प्रेषित करते हैं और कामना करते हैं कि हम सबको वह ‘ज्ञान‘ वास्तव में प्राप्त हो जिसका प्रतीक प्रकाश है।
ज्ञान से ही मुक्ति है।
जो लोग त्यौहारों के अवसर पर मिलावट करते हैं वे देशवासियों की सेहत से खिलवाड़ करते हैं और यह खिलवाड़ हरेक त्यौहार पर किया जाता है। थोड़े से लालच में पड़कर ये व्यापारी लोगों की जान से खेलते रहते हैं और इसके बावजूद हमारे समाज के सम्मानित सदस्य बने रहते हैं।
जितने लोग इनकी मिलावट का शिकार होकर अपनी जान गंवाते हैं, उनकी तादाद विदेशी आतंकवादियों की गोलियों का शिकार होने वालों से कहीं ज़्यादा है। इसके बावजूद भी मिलावट आज तक कोई मुददा नहीं बन पाई और न ही यह रूक पाई है जबकि इसे रोकने के लिए पूरी व्यवस्था की गई है।
भारत को सशक्त बनाने के लिए यह ज़रूरी है कि हम बुराई पर अच्छाई की विजय को अपने समाज में घटित होते हुए भी देखें।
समय बदल रहा है और भारतीय समाज के ये खुदरा व्यापारी अगर अभी न सुधरे तो मल्टीनेशनल कंपनियां इसी मिलावट को बुनियाद बनाकर हमारा बाज़ार हथिया लेगी और तब वे सुरक्षित उत्पाद बेचने के नाम पर अपने उत्पाद यहां बेचेंगे और ªहम असहाय से होकर उनके उत्पाद बेचेंगे और जिसके कंट्रोल में बाज़ार होता है, देश भी उसी की नीतियों पर चलता है। यह भी एक सच है।
हमारा लालच हमें गुलामी की तरफ़ ले जा रहा है लेकिन इस तरफ़ ध्यान बहुत कम दिया जा रहा है।
दीपावली के मौक़े पर बाहर चाहे जितने दिए जलाएं लेकिन एक दिया अपने भीतर भी ज़रूर जलाएं और निष्पक्ष होकर तथ्यों पर ग़ौर करें और हरेक बुरा और घातक विचार अपने दिलो दिमाग़ से ऐसे ही निकाल फेंकिए जैसे कि इस अवसर पर घर से कूड़ा बाहर फेंका जाता है।
घर शुद्ध हो और उससे भी ज़्यादा ज़रूरी यह है कि मन शुद्ध हो।
मन चंगा तो कठौती में गंगा।
गंगा की शुद्धि पर भी ध्यान दें और हर उस चीज़ पर अपना ध्यान दें जिस पर कि ध्यान देना आपके लिए और समाज के लिए ज़रूरी है और ऐसा हम सब मिल कर करें जैसे कि दीपावली की खुशियां हम सब मिल कर मनाते हैं।
हमारा शुभ हो,
हमारा कल्याण हो,
यह फ़ोरम देशवासियों के लिए पहले और फिर पूरे विश्व के लिए यही कामना उस पालनहार प्रभु से करता है जो कि स्वयं ही प्रकाशस्वरूप है।
आमीन !
Read More...

पुस्तक विमोचन

कविता के लिए भावना और हृदय की पूंजी जरूरी


नागरी प्रचारिणी सभा वारणसी के पं0 सुधाकर पांडेय स्मृति कक्ष में आयोजित संगोष्ठि में ’दर्द की है गीत सीता’ काव्यपुस्तक का लोकार्पण करते हुए काशी हिन्दु विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के आचार्य एवं अध्यक्ष प्रो0 राधेश्याम दुबे ने कहा कि प्रसंग बदल जाने से षब्दों के अर्थ बदल जाते हैं। इसलिए जब पौराणिक प्रसंग काव्य रचना के लिए उठाये जाते हैं तो रचनाकार से बड़ी सावधानी की अपेक्षा की जाती है। मां सीता आधुनिक नारी विमर्श के संदर्भ में उद्धृत तो की जा सकती हैं किन्तु उसका माध्यम नहीं बन सकती।
संगोष्ठि के अध्यक्ष डा0 कमलाकान्त त्रिपाठी ने कहा कि कविता का जन्म वेदना से होता है। पुस्तक का रचनाकार जिन संघर्षों से होकर गुजरा है उनके आलोक में ही कृति का समुचित मुल्यांकन किया जा सकता है। कला पक्ष की दृष्टि से भी काव्य महत्वपूर्ण है।


विशिष्ठ
अतिथि गीतकार श्रीकृष्ण तिवारी ने कहा कि रचनाकार का लोक जितना बड़ा होगा उसी अनुपात में वह लोकमान्यता का अधिकारी होता है। लोक की संवेदना को अनुभूति के धरातल पर जीने की क्षमता ’दर्द की है गीत सीता’ के रचनाकर के भीतर दिखलाई पड़ती है।
डा0 रामअवतार पांडेय ने कहा कि कविता के लिए भावना और हृदय की पूंजी जरूरी है और वह पेशे से इंजिनीयर विजय कुमार मिश्र के भीतर दिखलाई पड़ती है। विष्व के महानतम नारी चरित्र सीता की वेदना को आधार बना कर उन्होने नारी विमर्श के विचारणीय सूत्रों को अपनी इस कृति के माध्यम से प्रस्तुत किया है।
लोकार्पण गोष्ठी में सर्वश्री शिवप्रसाद द्विवेदी, एल0 उमाशंकर सिंह, रामकृष्ण सहस्रबुद्धे, एम. अफसर खां सागर, विनय वर्मा, डा0 संजय पांडे, रूद्र प्रताप रूद्र, राम प्रकाश शाह, श्रीमती वत्सला और डा0 पवन कुमार शास्त्री ने भी विचार व्यक्त करते हुए रचनाकार को बधाई दी।
प्रारम्भ में आगंतुकों का स्वागत करते हुए रचनाकार विजय कुमार मिश्र ’बुद्धिहीन’ ने कहा कि इंजिनीयरिंग क्षेत्र में कार्य करते हुए अतिषय सुख-दुःख और रागात्मक संवेदना के क्षण जब प्राप्त हुए तब अपने भीतर जो अनुभूतियां व्यक्त हुईं उन्होनें अनायास कविता का रूप ले लिया।
धनयवाद प्रकाश समजीत शुक्लने, संयोजन ब्रजेश पांडेय ने तथा संचालन डा0 जितेन्द्र नाथ मिश्र ने किया।

एम अफसर खान सागर

Read More...

पटाखे और पर्यावरण

इस दिवाली भी यह सवाल खड़ा होगा कि क्या पटाखे चलाए जाएं या पर्यावरण का खयाल करके सिर्फ दीये जलाकर दिवाली मनाई जाए। पिछले कई बरसों से यह एक आंदोलन-सा खड़ा हो गया है कि पटाखों से तौबा की जाए और हवा को प्रदूषित होने से बचाया जाए। कई लोगों ने इस अभियान के असर में पटाखे चलाना कम भी कर दिया है, दूसरी ओर ऐसे लोग भी हैं, जो एक दिवाली में दस-दस हजार या इससे भी ज्यादा की एक लड़ी फूंक देते हैं। यह विवाद पटाखे चलाने वालों और पटाखे विरोधी लोगों के बीच ही नहीं है, दुनिया में तमाम वैज्ञानिक और नीति निर्माता भी इस बहस में उलझे हैं कि क्या इंसान ने वातावरण को सचमुच इतना बदल डाला है। कुछ लोग ग्लोबल वार्मिग को ही मानने को तैयार नहीं हैं, कुछ लोग हैं, जो ग्लोबल वार्मिग को तो स्वीकार करते हैं, लेकिन यह मानते हैं कि इसके पीछे ग्रीनहाउस गैसों की कोई भूमिका नहीं है, पृथ्वी पर गरम और सर्द मौसम के चक्र पहले भी आते रहे हैं। अभी अमेरिका में वैज्ञानिकों की एक टीम ने यह साबित कर दिया है कि ग्लोबल वार्मिग एक सच्चाई है, धरती का औसत तापमान बढ़ा है। इन वैज्ञानिकों में इस वर्ष के भौतिकी के नोबेल पुरस्कार विजेता सॉल पेरीमटर भी शामिल हैं। इन वैज्ञानिकों ने दुनिया के 15 ठिकानों से लगभग 200 बरस के एक अरब से भी ज्यादा तापमान के रिकॉर्ड जुटाए और उनका विश्लेषण किया। यह अब तक का सबसे बड़ा विश्लेषण था, उन्होंने पाया कि पिछले तकरीबन 60 बरस में धरती का तापमान औसतन एक डिग्री सेल्शियस बढ़ गया है। संभवत: इसके बाद यह मान लिया जाना चाहिए कि ग्लोबल वार्मिग एक यथार्थ है। शायद इसका अर्थ यह    भी है कि पटाखे चलाने से यथासंभव परहेज करना अच्छा होगा।
लेकिन अब भी इस बात में भरोसा न करने वालों ने हार नहीं मानी है। उन लोगों का कहना है कि ग्लोबल वार्मिग अपने आप में सच हो सकती है, लेकिन यह कैसे मान लिया जाए कि इसके पीछे इंसानों का हाथ है। उनका कहना है कि जब औद्योगिकीकरण नहीं हुआ था, तब भी गरम और सर्द मौसम के चक्र आते ही थे। कई हिमयुगों के बारे में हम जानते हैं, वैसे ही गरम मौसम के दौर भी आए हैं। कई ऐसी जगहें अब बर्फ से ढकी हैं, जो कभी हरी-भरी थीं, जैसे ग्रीनलैंड का नाम ही बताता है कि वहां कभी हरियाली होती थी। ध्रुवों पर जमीन के नीचे तेल का होना इस बात का सुबूत है कि वहां कभी जीव और वनस्पति होते थे, तभी तो वहां फॉसिल ईंधन बना। वे लोग यह भी तर्क देते हैं कि जीवों के सांस लेने से जितनी कार्बन डाईऑक्साइड हवा में जाती है, ईंधन जलाने से उसके मुकाबले काफी कम कार्बन डाईऑक्साइड बनती है, इसलिए कोयला और पेट्रोल जलाने में कोई हर्ज नहीं है। लेकिन यह भी सच है कि दावे के साथ हम यह नहीं कह सकते कि ग्रीनहाउस गैसों का ग्लोबल वार्मिग में कोई योगदान नहीं है। पटाखे जलाने से ग्लोबल वार्मिग अगर न भी होती हो, तब भी हमारे आसपास जो सांस के या दिल के मरीज होते हैं, उन्हें तो तकलीफ होती ही है। बीमार और बूढ़े लोगों को दिक्कत होती है। पशु और खासकर पक्षी उससे तकलीफ पाते हैं। पहले पटाखे कम चलते थे, तब पटाखे चलाने का अर्थ खुशी मनाना होता था, पैसे का प्रदर्शन नहीं। हमारी हवा साफ रहे, शोर कम हो और पटाखों से होने वाली दुर्घटनाएं भी न हों तो अच्छा है। जैसे फॉसिल ईंधन का इस्तेमाल बंद नहीं हो सकता, लेकिन कम किया जाए तो उसके कई फायदे हैं, वैसे ही पटाखे अगर चलाने ही हों तो कम चलाए जाएं, इसी में समझदारी है।
Source : http://www.livehindustan.com/news/editorial/subeditorial/article1-story-57-116-197407.हटमल
साभार : दैनिक हिंदुस्तान २४ अक्टूबर २०११ 
Read More...

हमने तो पहले ही कहा था ........सच बोले तो तुम भी निकाले जाओगे ......


हमने तो पहले ही कहा था ........सच बोले तो तुम भी निकाले जाओगे ...... जी हाँ जनाब में बात कर रहा हूँ उस पागल की जिसे भ्रस्टाचार के समर्थकों के साथ दलाली करने वाले स्वामी अग्निवेश ने भ्रष्टाचार के खिलाफ इस पागल को मिल रहे समर्थन से बोखला कर इन्हें पागल हाथी कहा था ..जी हाँ समझ गये शायद आप में अन्ना हजारे की बात कर रहा हूँ जिनके खिलाफ पहले दिन से भ्रष्टाचार के समर्थक लोग लामबंद हैं और अन्ना उनके समर्थकों की मांग किया जनता का हित क्या है उसे ताक में रख कर यह समूह अपराधिक षड्यंत्र रच कर अपनी पूरी ताकत अन्ना और उनकी टीम को भ्रष्ट और बेईमान साबित करने में लगा है ............... आप खुद ही समझिये अगर अन्ना और उनके समर्थक एक नम्बर के चोर और बेईमान भी है तो क्या इन हालातों में अगर वोह बेईमान और भ्रष्ट लोगों के खिलाफ अआवाज़ उठा रहे हैं तो उन्हें इसका हक नहीं है .जनाब मेने तो पहले ही कहा था के अन्ना जी वापस खामोश हो जाओ देश जेसे चल रहा है चलने दो यहाँ लोगों को भ्रष्टाचार करने और सहने की आदत हो गये है इस युग में अगर आप भ्रष्टाचार के खिलाफ बोलोगे तो आपके खिलाफ सारे सफ़ेद पोश लोग एक जुट होकर आपके खिलाफ अभियान छेड़ देंगे और हुआ भी यही हो भी यही रहा है अन्ना के टीम के लोगों को एक एक कर खरीदा जा रहा है जो बिक नहीं रहे हैं उन्हें आरोप लगा कर डराया जा रहा है मारा जा रहा है पीटा जा रहा है और मिडिया मेनेजमेंट कर उन खबरों को उछाला जा रहा है जिनमे कोई दम है ही नहीं ..में जनता हूँ अन्ना इस आन्द्लोलन को दबाने की इस तरह की कोशिशों से आह्त हैं उनसे मेने कहा था ...................यह झुन्ठों और मक्कारों की महफ़िल है सच बोले तो तुम भी निकाले जाओगे ..लेकिन अन्ना तो अन्ना ठहरे माने ही नहीं भ्रष्टाचार की मिसाल कायम करने वाले लोगों के समर्थक और भविष्य में भी वोह और उनके समर्थक भ्रष्टाचार करते रहे कर सकें इसके लियें कोई कानून ना बने और अगर कानून बने तो केवल फोर्मलिटी वाला दिखावा कानून बन कर रह जाए के अभियान की वकालत करने वाले लोग हर जगह हर मोके पर करारी मात कहा रहे है लेकिन वोह इस देश के खातिर भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई पुख्ता कानून बनाना नहीं चाहते हैं अगर यह लोग जितनी ताकत अन्ना और उनके समर्थकों को डराने धमकाने और बदनाम करने में लगा रहे हैं उससे आधी ताकत भी अगर यह लोग अन्ना के विचारों को कानून बनाने के प्रयासों में लगते तो आज देश भ्रष्टाचार मुक्त भारत का सपना लेकर गर्व से विश्व में सर उठा कर खड़ा होता लेकिन चोर और बेईमानों से उन्हीं के खिलाफ अगर कानून बनाने की मांग करने लगे तो फिर तो जनाब हमे पागल और महा पागल और पागल हाथी ही कहा जायेगा इसमें सरकार और स्वामी अग्निवेश की बातों का बुरा क्या मानना देश और मीडिया और निष्पक्ष लोग अगर आज भी नहीं जगे तो समझो देश हमेशा के लियें सो जाएगा और दुश्मन इसे रोंदते चले जायेंगे तो उठो जागो जनाब मुकाबला करो और भ्रष्टाचार मुक्त भारत के सपने को साकार करो जो लोग केवल बातों से भ्रष्टाचार मिटाना चाहते हैं जो लोग केवल जनता को लुभावनी बातें कर धोखा देना चाहते हैं जो लोग चालीस साल से भ्रष्टाचार के खिलाफ कानून बनाने के प्रयास की बात कर आज तक भी कानून नहीं बना सके हैं उनके साथ देश और देश के भक्तजनों को क्या सुलूक करना चाहिए मुझे कहने की जरूरत नहीं है जनाब जय हिंद जय भारत ....अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
Read More...

Bloggers' Meet Weekly (14) The Character

   
http://sahityasurbhi.blogspot.com/2011/10/27.html
-Dilbag Virk 
ब्लॉगर्स मीट वीकली (14)
 ----------------------------

"मकड़ी-मकड़े" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")

एक बार हो गये विफल तो,
अगली बार सफल होंगे।
यदि होंगे मजबूत इरादे,
कभी नहीं असफल होंगे।।
दोस्तो ! प्रेरणा अर्गल जी कुछ दिनों के लिए टूर पर हैं। आज आप सभी का इस्तक़बाल हम अकेले ही करेंगे। हमारे सद्र जनाब रूपचंद शास्त्री मयंक जी का और आप सभी हिंदी ब्लॉगर्स का हम तहे दिल से इस्तक़बाल करते हैं और पेश हैं कुछ दरयाफ़्त जो ख़ास आपके लिए जमा की गई हैं।
मेरे  सारे ब्लोगर्स साथियों को दीवाली की बहुत शुभकामनायें 
कुछ दिनों  के  लिए बाहर जा रही हूँ वापस आ कर आप सबसे फिर मुखातिब हूँगी \
प्रणाम     

झीलों का शहर 
भोपाल 
 


अपने समाज के अच्छे लोगों को परेशान मत करो





Dr. Ayaz Ahmad
किरण बेदी जी बिज़नेस क्लास का टिकट लेकर इकॉनॉमी क्लास में सफ़र कर रही हैं तो इससे देश की अर्थव्यवस्था पर क्या बुरा असर पड़ा ?
6 लाख आत्महत्याएं ? 
By DR. ANWER JAMAL

क्या शहरी खुदकुशी मुद्दा नहीं? जीवन में बहुत उतार-चढ़ाव आते हैं। आशा-निराशा के साथ जीवन की राहों पर चलना होता है। ऐसे में आशा-निराशा का अनुपात ही तय करता है कि कोई व्यक्ति कितना सुखी या दुखी होता है।

 


सबसे पहले हमें जानना होगा कि चरित्र कहते किसे हैं !... शरीर से जुड़ा है चरित्र या आत्मा से !.... चरित्र एक बहुत बड़ा अंश है भीतर का . एक मामूली सी बात पर हम किसी को चरित्रहीन ठहरा देते हैं ,जो सही नहीं है ! ....चोरी , झूठ , ह्त्या , शारीरिक संबंध ...... अवश्य ही इनसे चरित्र का निर्माण होता है ..... पर भूख के लिए की गई चोरी ? मुख्य चोर से...

परिवार सहित आत्महत्या क्यों ? 

DR. ANWER JAMAL

इक्का दुक्का लोगों की खुदकुशी को अब लोग ज़्यादा तवज्जो नहीं देते। कह देते हैं कि भावना में बहकर उन्होंने ऐसा क़दम उठा लिया लेकिन जब पूरा परिवार ही खुदकुशी कर ले तो आज भी लोग सिहर उठते हैं।

 

यह कैसा विकास ! 

Sadhana Vaid 

इक्कीसवीं सदी के इस मुकाम पर पहुँच कर हम गर्व से मस्तक ऊँचा कर खुद के पूरी तरह विकसित होने का ढिंढोरा पीटते तो दिखाई देते हैं लेकिन सच में हमें आत्म चिंतन की बहुत ज़रूरत है कि...

रिफाइन सर्च के चंद फॉर्मूले Hindi Blogging Guide (37) 

DR. ANWER JAMAL

.fullpost{display:inline;} सर्च इंजन में सामग्री ढूंढ़ते समय कुछ छोटी-छोटी टिप्स वक्त भी बचा सकती हैं और मेहनत भी...



क्यों मर रहे हैं उच्च शिक्षित हिन्दू युवा ?

DR. ANWER JAMAL

लोग कहते है कि समस्याओं का समाधान है शिक्षा , तब समस्याएँ लगातार क्यों बढती जा रही हैं जबकि शिक्षा लगातार बढ़ रही है और उसका स्टार भी बढ़ता ही जा रहा है  ?आप देखिये यह रिपोर्ट :गर्लफ्रेंड के इनकार पर आईआईटियन ने दी जानवस॥

नवभारत टाइम्स पर भी "सिरफिरा-आजाद पंछी" 

रमेश कुमार जैन उर्फ़ "सिरफिरा"

नवभारत टाइम्स पर पत्रकार रमेश कुमार जैन का ब्लॉग क्लिक करके देखें "सिरफिरा-आजाद पंछी" (प्रचार सामग्री)क्या पत्रकार केवल समाचार बेचने वाला है?


अच्छे सवाल की मिसाल


DR. ANWER JAMAL


हमने एक पोस्ट लिखी थी ‘इस्लाम पर सवाल क्यों आते हैं ?‘ इस पर हमारे एक ब्लॉगर भाई की टिप्पणी हमें प्राप्त हुई है और आप देखेंगे कि इसमें बड़े सादा और स्पष्ट से अंदाज़ में एक बात कह दी गई है। आदरणीय रविकर जी ने हमारी पोस्ट पर कहा कि...

वक्त की दीमक तुम्हें खा लेगी

HAKEEM YUNUS KHAN

Chandi Dutt Shuklaराम की तो राम जानें / खग-मृग से उन्होंने क्या पूछा, क्या सुना जवाब पर व्याकुल, एकाकी मैं... तलाशता रहा तमाम ठीहे,जहां, कोई खग दिखे, चोंच में तिनका या चिट्ठियां दबाए...



ब्लॉगर्स मीट वीकली (13) 'माँ' The mother

PRERNA ARGAL
ब्लॉगर्स मीट वीकली (13)----------------------------- " घोटालों की बेल" ( डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")आज राम के देश में, फैला रावण राज।कैसे अब बच पाएगी, सीताओं की लाज।।


 कुछ सवाल : आप दीजिये जवाब (Some Questions for All Bloggers)


दिनाँक - 10 सितंबर 2011 ब्लॉग का नाम - हिन्दी ब्लौगर्स फोरम इंटरनेशनल  विषय - हिन्दी ब्लॉगिंग गाइड  कड़ी - 33 उप विषय - साझा ब्लॉग कैसे बनाएँ ? पोस्ट पाठक संख्या - 13  टिप्पणी या प्रतिक्रिया - 0 (शून्य)               और लेखक - महेश बारमाटे "माही" जी...

कुछ प्रेम सुधारों की जरूरत

आलोक पुराणिक

सरकार खाद से लेकर डीजल तक पर सब्सिडी देती है। बेरोजगार नौजवानों को लैटर वगैरह, इंटरनेट पर मेसेज भेजने, मोबाइल पर मेसेज भेजने में काफी रकम खर्च करनी पड़ती है। सरकार को बेरोजगार नौजवानों को लव सब्सिडी देने का प्रावधान करना चाहिए। लव सब्सिडी प्रति लव के हिसाब से मिलनी चाहिए। चार तक लव अफेयरों के लिए सरकार से सब्सिडी मिलनी चाहिए। चालीस वर्ष की उम्र तक के नौजवानों को यह सब्सिडी मिलनी चाहिए।



पंडित जी... अब क्या नंगा करके भेजोगे?

ब्लॉग - हिमालय की गोद से

लेखक शरद गुप्ता
"क्या करते हो", पंडित ने व्यक्ति के कंधे पर हाथ रखते हुए पूछा |

       "मेरी दिल्ली में कपड़े की दुकान है", व्यक्ति दोनों हाथ जोड़ता हुआ बोला |

       उसके इतना बोलने की देर थी कि पंडित ने फट से उसके और उसके परिवार के सभी सदस्यों के गले में हार डाल दिए | 4-5 रटे रटाये मंत्र पढ़े और 501 रुपये चढ़ाने को कहा | व्यापारी ने पैसे चढ़ाए और अपने आप को ठगा सा महसूस करता हुआ हमारे पास बैठ गया |
टॉन्सिल एवं एडिनॉइड सामान्यतः बच्चों में और कभी-कभी बड़ों में गले में खराश या तेज़ दर्द, बुखार, निगलने में तकलीफ होती है। जाँच में गले के अंदर स्थित दोनों ओर के टॉन्सिल फूले ...




ब्लॉग - 

खाली-पीली

जब दिमाग तर हो गया तो बुजुर्ग बेईमान बोला, 'तुम लोग बेकार बौखला रहा है। दुनिया में बेईमानी उतना ईच पुराना है जितना इंसान का इतिहास। तुम लोग ने महाभारत तो पढ़ा ईच होएंगा। विद्वान उसको इतिहास बी बोलता है। महाभारत होने का मेन कारण क्या था- बेईमानी ! यानी, बेईमानी नहीं होता तो इतना महान सांस्कृतिक ग्रंथ नहीं लिखा जाता। इसलिए, हम लोग को बेईमानी का विषय से निराश नहीं होना चाहिए।'

भारत भूषण

Red oil though righteous from Libyan angle.

तानाशाह भारत से इतना प्रेम क्यों करते हैं? अपनी ख़ास नीयत के बारे में बताओ न मीडिया प्यारे.

तुकबन्दियाँ करने लगा, होवे जरा नजरे-इनायत

 फातिमा  कुलसुम  जोहर  गोदाबरी 

सउदी  अरबिया की मलिका 

Most Beautiful Woman In THe World
क्षमा सहित, सादर 
दिनेश गुप्ता 'रविकर' जी की शिकायत 
और इस पर हमारी एक टिप्पणी चुभती हुई सी 
 चन्द्र मौलेश्वर प्रसाद

घूस का लेन-देन

भ्रष्टाचार का राष्ट्रीयकरण

[भ्रष्टाचार का मुद्दा दिनोदिन बढ़ता ही जा रहा है।  इस मुद्दे पर मेरे  कुछ विचार २ अक्टूबर २००० (गांधी जयंति) को ‘स्वतंत्र वार्ता’ में प्रकाशित हुए थे।  शायद आज भी वे और अधिक प्रासंगिक हो गए हैं, इसलिए यहाँ उसे पुनः उद्धृत कर रहा हूँ]
बाहर निकलो, और दुनिया देखो
सब तरफ रिश्तों की भीड़ लगी हैं
अहसासों का बाजा़र सजा है
जो चाहो  पा सकती हो……..
माहेश्वरी कनेरी

मेरी बात

मेरा फोटो
बभनान, गोण्डा, उत्तर प्रदेश, India

अम्नो-सुकूँ जाता रहा

अब तुम्हीं से क्या छुपाएं, सब बता जाने के बाद।
हम कहाँ भूखे रहे, ग़म इतना खा जाने के बाद।।

 नुक्कड़ नाटक 

मनोज कुमार

नाटक साहित्यनुक्कड़ नाटकमनोज कुमारआज़ादी के बाद जनवादी मंच शिथिल पड़ने लगा। जन नाट्य मंच के रंग-निर्देशक उत्पल दत्त, बलराज साहनी आदि और रंगकर्मी एवं अभिनेता फ़िल्मों में चले ...
My Image
किरण बेदी जी बिज़नेस क्लास का टिकट लेकर इकॉनॉमी क्लास में सफ़र कर रही हैं तो इससे देश की अर्थव्यवस्था पर क्या बुरा असर पड़ा ?अगर वह कुछ रक़म बचा कर इसे ज़रूरतमंदों को दे रही �...


My Image
ज्योति-पर्व की  ख़ूब बधाई सबको  मुबारक़ हो मंहगाईआई फिर दीपावली, ले कर नव उल्लास उजियारे का हो रहा, भीतर तक आभास भीतर तक आभास, लगी सजने दूकानें धीरे धीरे ग्राहकगण,  भी  लगे हैं  ...

मार्क राय लेखक मार्कण्डेय राय

मिट्टी की सुगंध

अपनी मिटटी के लिए तड़प  क्या होती है ? बिछड़ने के बाद जान पाए उन्हें सलाम, जो वही रहे  हम तो भाई नकली हो गए उन हवाओं को सलाम  जो उस मिटटी को छू कर आये  इन हवाओं में वह खुशबू कहाँ ! ये तो दूषित और नकली...

मुस्लिम युवा आत्मह्त्या नही करते ~~~~हिंदू युवा ही क्यों करते है

मियां बात ऐसी है कि आज अनवर जमाल साहब की पोस्ट "क्यों मर रहे हैं उच्च शिक्षित हिंदू युवा।"  पढ़ते ही दिमाग झनझना गया। संघ का तो कोई आदमी जवाब क्या देता,...

पाइये ग़लत धारणाओं से मुक्ति

डा. अनवर जमाल ख़ान
पुस्‍तक 'इस्लाम आतंक? या आदर्श ' में कुरआन में लिखीं जिहादी 24 आयतों को विस्‍तार से समझाया है कि इनमें अच्‍छा ही अच्‍छा है बुरा कुछ भी नहीं, सोचा यह जानकारी हिन्‍दू-मुस्लिम प्‍यार बढाने वाली है .
Read More...

Read Qur'an in Hindi

Read Qur'an in Hindi
Translation

Followers

Wievers

join india

गर्मियों की छुट्टियां

अनवर भाई आपकी गर्मियों की छुट्टियों की दास्तान पढ़ कर हमें आपकी किस्मत से रश्क हो रहा है...ऐसे बचपन का सपना तो हर बच्चा देखता है लेकिन उसके सच होने का नसीब आप जैसे किसी किसी को ही होता है...बहुत दिलचस्प वाकये बयां किये हैं आपने...मजा आ गया. - नीरज गोस्वामी

Check Page Rank of your blog

This page rank checking tool is powered by Page Rank Checker service

Promote Your Blog

Hindu Rituals and Practices

Technical Help

  • - कहीं भी अपनी भाषा में टंकण (Typing) करें - Google Input Toolsप्रयोगकर्ता को मात्र अंग्रेजी वर्णों में लिखना है जिसप्रकार से वह शब्द बोला जाता है और गूगल इन...
    11 years ago

हिन्दी लिखने के लिए

Transliteration by Microsoft

Host

Host
Prerna Argal, Host : Bloggers' Meet Weekly, प्रत्येक सोमवार
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

Popular Posts Weekly

Popular Posts

हिंदी ब्लॉगिंग गाइड Hindi Blogging Guide

हिंदी ब्लॉगिंग गाइड Hindi Blogging Guide
नए ब्लॉगर मैदान में आएंगे तो हिंदी ब्लॉगिंग को एक नई ऊर्जा मिलेगी।
Powered by Blogger.
 
Copyright (c) 2010 प्यारी माँ. All rights reserved.