रेप और गैंगरेप के सिलसिले को कैसे रोकें ?


दिल्ली में एक 5 वर्षीय बच्ची के साथ रेप हुआ। उसे 4 दिनों से बंधक बनाकर रखा गया। उसके साथ रेप किया गया। उसके पेट से तेल की शीशी और मोमबत्ती निकली है। उसकी हालत गंभीर है। दिल्ली के बाहर के लोग दुखी हैं और दिल्ली के रहने वाले पुलिस से भिड़ रहे हैं। 3 अधिकारी निलंबित कर दिए गए हैं।
क्या इस बार लोग फिर सख्त क़ानून बनाने की मांग करेंगे ?
...लेकिन क़ानून तो पहले ही सख्त बनाया जा चुका है !
...तो फिर लोग अब क्या करेंगे ?
इस बच्ची से पहले भी एक नेपाली युवती के साथ गैंगरेप किया गया था। उससे पहले और भी हुए थे। उससे पहले दामिनी के साथ दरिंदगी का खेल खेला गया था। दामिनी कांड के हैवान जेल भी भेज दिए गए थे।
सख्त क़ानून के बाद भी रेप और गैंगरेप का सिलसिला थम नहीं रहा है। इससे यह बात तो सामने आ गई है कि महज़ सख्त सज़ाएं हैवानियत के इस नंगे नाच को नहीं रोक पाई हैं।
दिल्ली में बद्धिजीवी रहते हैं और दिल्ली से बाहर भी बुद्धिजीवी रहते हैं। सबकी अक्ल चकराई हुई है। जब सबकी अक्ल फ़ेल हो जाती है तभी उन्हें अपनी औक़ात का अहसास होता है कि हमारी भलाई हमारे अपने हाथ में नहीं है। अगर होती तो हम सब अपना भला कर चुके होते।
हमारा कल्याण वास्तव में परमेश्वर के हाथ में है और वह तब होता है जबकि इंसान ईश्वर के बताए अच्छे रास्ते पर चले और बुरे कामों से बचे।
ईश्वर, अल्लाह, गॉड और ख़ुदा यानि एक मालिक का ज़िक्र हरेक धर्म के मानने वाले करते हैं लेकिन उसके बताए रास्ते पर नहीं चलते। यही बिगाड़ की असल वजह है।
आज एक इंसान अपने आप को हिन्दू बताएगा और दूसरा मुसलिम और तीसरा ईसाई और चौथा पारसी लेकिन इनमें से अक्सर इंसान अपने मन की मर्ज़ी पर चलते हैं। इसे वे आज़ादी का नाम देते हैं। जब आदमी मन-मर्ज़ी पर चलने लगे तो मौज मस्ती उसकी ज़िंदगी का मक़सद होता है और उसके लिए वह ज़्यादा से ज़्यादा पैसा कमाने में जुट जाता है। 
हमारे शिक्षण संस्थान हमारे बच्चों को ज़्यादा ज़्याादा पैसा कमाने वाली मशीन में तब्दील कर चुके हैं। वे अपने मज़े के बारे में सोचते हैं। उन्हें दूसरों के जज़्बात से कोई वास्ता अब कम ही बचा है। जो अच्छा कमा रहे हैं वे मौज मस्ती में अपनी ज़िंदगी बिता रहे हैं। उनके हाथ में व्हिस्की और रम की बोतलें हैं। उनकी महफ़िलों में नाच रंग है और जेसिका लाल का मर्डर भी। जो लोग कमाने में पीछे रह गए हैं वे किसी का अपहरण कर लेते हैं। हर कोई मज़े ले लेना चाहता है।
ईश्वर अल्लाह को काल्पनिक ठहरा दिया गया है क्योंकि वह इन सब मज़ों से रोकता है। वह चरित्र निर्माण के लिए कहता है। वह बुरे कामों की सज़ा देने के लिए कहता है। 
इंसान के दिल से ईश्वर अल्लाह का डर जिसने निकाला वह दरअसल शैतान ही है। शैतान नेकी के बजाय शैतानी कामों को फलते फूलते देखना चाहता है और आज हर तरफ़ शैतानियत फल फूल रही है। लोग अलग अलग धर्मों का नाम लेते हैं लेकिन दरअसल वे शैतान के तरीक़े पर चल रहे हैं।
लोग परेशान आकर हल तलाश करना चाहते हैं तो उन्हें राह दिखाने के नाम पर फिर कोई शैतान सामने आ जाता है। वह समस्या का समाधान देने के बजाय उसे बढ़ाने के तरीक़े पर चलने के लिए कहता है।
रेप और गैंगरेप के पीछे मौज मस्ती की चाहत एक बड़ी वजह है। मन की अनियंत्रित भावनाएं आदमी से ग़लत काम करवाती हैं। ईश्वर से ईनाम पाने का लालच या उससे सज़ा पाने का डर इंसान को बुरे कामों से रोकता है। हर धर्म में ये बातें हैं। इनसे चरित्र निर्माण में सहायता मिलती है।
आधुनिक बुद्धिजीवियों ने चरित्र निर्माण में सहायता देने वाली हर चीज़ को बेकार क़रार दिया है और जब दुनिया बर्बाद हो चुकी है तो वे लोगों की भीड़ को लेकर पुलिस और नेताओं से भिड़ रहे हैं। 
पुलिस और नेता क्या करें ?
भुगतो अपने आधुनिक चिंतन का दुष्परिणाम !
हरेक रेप और गैंगरेप के पीछे हर वह आदमी अपराधी है, जिसने इंसान से उसकी ज़िंदगी का असली मक़सद छीना है और उसकी ज़िंदगी का मक़सद मौज मस्ती और धन संपत्ति में तरक्क़ी बना दिया है।
हर इंसान अपनी ज़िंदगी के मक़सद को पहचाने और जिस धर्म को वह ईश्वरीय मानता है उसके विधान का पालन करे तो यह समाज आज भी सुरक्षित हो सकता है। इस तरह जुर्म पहले से कम हो जाएंगे और उन मुजरिमों को सज़ा देकर समाज को बुरे तत्वों से पाक करना भी संभव हो जाएगा।
यह बड़ा काम है। इसमें हरे का सहयोग अपेक्षित है।
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निरामिष तड़पे ‘हलाल मीट‘ की लोकप्रियता देखकर

‘हलाल मीट‘   जर्मनी वालों को ख़ूब पसंद आया या यूं कहें कि बड़े शहरों में रहने वाले उनके एंकर  को ख़ूब भा गया। तभी उन्होंने आलू-केले के ब्लॉग को छोड़कर इसे चुन लिया।
‘हलाल मीट‘ जर्मनी के डायचे वेले ईनाम के लिए नामज़द किए गए ब्लॉगों में से एक है। यह अच्छा है। इसकी अच्छाई की एक वजह यह है कि इसके मजमूए में एक लेख मेरा भी है।
शाकाहार को बढ़ावा देने में नाकाम रहने वाले एक साहब को ‘हलाल मीट‘ शुरू से ही अखर रहा है। वह जगह जगह ऐसे तड़प कर बोल रहे हैं जैसे कि उनके गले में मछली का कांटा फंस गया हो, हालांकि वह मछली नहीं खाते. वह ‘निरामिष‘ हैं।
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नेपाली युवती के साथ गैंगरेप किया गया


क़ानून सख्त बन गया मगर औरत है आज भी नर्म निवाला :

नई दिल्ली।। आज सुबह साउथ दिल्ली के नानकपुरा गुरुद्वारे के पास फुटओवर ब्रिज के नीचे एक नेपाली युवती बदहवास हालत में पड़ी मिली। जिस्म पर अस्त-व्यस्त और थोड़े कपड़े। कई जगह चोट के निशान। करीब 20 साल की इस युवती को यूं पड़ा देख वहां राहगीरों का मजमा इकठ्ठा हो गया। लोगों ने पूछा तो युवती ने एक ईंट का टुकड़ा उठा कर सड़क पर लिखकर बताया कि उसके साथ 3 लोगों ने रेप किया है।
किसी ने पुलिस को कॉल करके इस सनसनीखेज मामले की सूचना दी। फौरन साउथ दिल्ली के कई सीनियर अफसर समेत लोकल पुलिस पहुंची। युवती ने बताया कि किडनैप करके उसके साथ गैंगरेप किया गया है। तुरंत युवती को अस्पताल ले जाया गया।

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दूसरे ब्लोगों को बकवास कहना हिन्दी ब्लोगिंग को नुकसान पहुँचाना है


 मिल-जुल कर किसी ढंग के ब्लोगर को जर्मनी भेजने पर इत्तेफ़ाक़ कर ले। अच्छा तो यही है.
ब्लोगिंग का माज़ी (इतिहास) लिखने वाले उसका वर्तमान ख़राब कर रहे हैं. यह देखना अच्छा नहीं लगता. 
शोहरत के लिए या किसी और मकसद के लिए आदमी वह सब कर गुज़रता है जो कि नहीं करना चाहिए.
रविन्द्र परभात जी किसी ब्लॉग को अच्छा कहें तो सही है लेकिन वे या उनके हमनवा दूसरे ब्लोगों को बकवास कहने का हक नहीं रखते. उन्हें भी बहुत लोग पसंद करते हैं। दूसरे ब्लोगों को बकवास कहना हिन्दी ब्लोगिंग को नुकसान पहुँचाना है .
ईनाम के लिए  नामित एक महिला ब्लोगर कि ईमेल ने तो उनके बारे में बहुत कुछ बिना कहे कह दिया है.
यह चर्चा हो रही है इस पोस्ट की-

Ravindra Prabhat के प्रचार के पीछे ख़ुद रवीन्द्र प्रभात ही निकले ?

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अनवर भाई आपकी गर्मियों की छुट्टियों की दास्तान पढ़ कर हमें आपकी किस्मत से रश्क हो रहा है...ऐसे बचपन का सपना तो हर बच्चा देखता है लेकिन उसके सच होने का नसीब आप जैसे किसी किसी को ही होता है...बहुत दिलचस्प वाकये बयां किये हैं आपने...मजा आ गया. - नीरज गोस्वामी

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