tag:blogger.com,1999:blog-4921957767931460670.post3358728168312771895..comments2024-03-23T23:09:02.255+05:30Comments on Hindi Bloggers Forum International: हिमाचल प्रदेश के बैजनाथ में कभी नहीं जलता रावण का पुतलाDR. ANWER JAMALhttp://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-4921957767931460670.post-7123864524082161062011-10-07T11:58:39.294+05:302011-10-07T11:58:39.294+05:30हमें धर्म के सच्चे बोध की जरूरत है .
@ डा. श्याम...<b>हमें धर्म के सच्चे बोध की जरूरत है . </b><br /><br />@ डा. श्याम गुप्ता जी ! हिंदुओं, ईसाईयों और मुसलमानों के प्रदर्शनों का आपने जिक्र किया है और कहा है कि इनमें धन का अनावश्यक नाश होता है। <br />आपका कहना सही है और हमें याद रखना चाहिए कि इन तीनों ही धर्म-मतों के बुजुर्गों ने हमेशा सादा जीवन, उच्च विचार और परोपकार पर बल दिया है।<br />आज इस देश में ऐसे लोग भी हैं जो भूख और कुपोषण के शिकार हो कर मर रहे हैं और ऐसे लोग भी हैं जिनके पास दवा और इलाज तक के लिए भी पैसे नहीं हैं। इस देश में ऐसे लोग भी हैं जो कर्ज के जाल में ऐसे फंस गए हैं कि आत्महत्या के सिवाय उससे निकलने का रास्ता उन्हें नजर ही नहीं आता।<br />इन सब जरूरतमंदों के बीच में ऐसे प्रदर्शनों में अरबों-खरबों रूपया उडा देना सिर्फ यह बताना है कि हम कितने संवेदनहीन हैं और खासकर तब, जबकि इन्हें आयोजित करने के लिए इन धर्मों के ऋषियों और बडे बुजुर्गों ने कभी नहीं कहा . इस तरह के आयोजनों से पब्लिक आम तौर पर परेशान होती है और जगह जगह दंगे भी होते हैं और विभिन्न समुदायों के लोग हर साल मारे जाते हैं, जिससे राष्ट्रीय एकता ही खतरे में पड जाती है और वेद-गीता, कुरआन और बाइबिल में कहीं भी नहीं लिखा है कि हमें ये आयोजन अवश्य ही करने चाहिएं।<br />ये आयोजन बताते हैं कि हम धर्म के मार्ग पर नहीं हैं, हम अपने महापुरूषों के मार्ग पर भी नहीं हैं बल्कि हम केवल अपनी इच्छा और अपनी वासना का पालन मात्र कर रहे हैं और उसी का नाम हमने धर्म रख लिया है।<br />धर्म परिवर्तन का और पतन का यह वह रूप है जिसे हम कभी धर्म परिवर्तन या पतन के रूप में नहीं पहचान पाते और इसी दशा में हम मर जाते हैं।<br /><br /><b>हमें धर्म के सच्चे बोध की जरूरत है, इस ओर चिंतन के बाद ही कल्याण संभव है।</b>DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4921957767931460670.post-52050293624027876662011-10-07T10:33:34.976+05:302011-10-07T10:33:34.976+05:30----बिलकुल सही है... तो फिर सारे प्रदर्शन ही बंद ह...----बिलकुल सही है... तो फिर सारे प्रदर्शन ही बंद हो जाने चाहिए....ताजिये निकालना भी.... गोआ फेस्टीवल में अनावश्यक धन -नाश, क्रिशमस ट्री सजावट में धन वर्वादी ,दुर्गा देवी के बड़े बड़े पंडाल व उनका जल विसर्जन ..गणपति का प्रतिवर्ष करोड़ों फूंक कर जल विसर्जन आदि ..... shyam guptahttps://www.blogger.com/profile/11911265893162938566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4921957767931460670.post-15377973370135301632011-10-07T09:12:41.786+05:302011-10-07T09:12:41.786+05:30raavan jaise vidwaan vykti ke ek badi bhool ne unk...raavan jaise vidwaan vykti ke ek badi bhool ne unke vyaktitwa ko tahas nahas kar diya anythaa waha wastav me pujniy hi hai....khaas kar aaj ke halat pariprekshy me to waha devtuly haiAnamikaghatakhttps://www.blogger.com/profile/00539086587587341568noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4921957767931460670.post-18969362390622963422011-10-06T21:55:54.988+05:302011-10-06T21:55:54.988+05:30रावण एक बहुत बडे विद्वान जानी ब्राह्मण थे। उन्होंन...रावण एक बहुत बडे विद्वान जानी ब्राह्मण थे। उन्होंने एक गलती की तो उन्हें इतनी बडी सज़ा मिली कि हर वर्ष जलना पडता है। जबकि आज के रावण तो न जाने कितने कितने पाप करते है और जनता को रोज़ जला रहे है॥चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4921957767931460670.post-83458199052945055952011-10-06T20:45:30.407+05:302011-10-06T20:45:30.407+05:30...तो फिर अब १२ लाख ९६ हजार साल बाद रावण कुछ भी नह......तो फिर अब १२ लाख ९६ हजार साल बाद रावण कुछ भी नहीं है, न नेक और न ही बद। अपने पाप पुण्य का फल खुद ही भोग रहा होगा .<br />अब यहां लोग क्यों उसके नकली पुतले जलाकर पर्यावरण दूषित कर रहे हैं जबकि अपनी बुराईयां छोडने के लिए तैयार ही नहीं हैं।<br />राजा रावण की मौत हमें यह याद दिलाती कि मौत सभी को आएगी और साथ केवल इंसान का किया धरा ही जाएगा।<br />रावण जैसा बडा राजा न बच पाया और पाप का बोझ लेकर मर गया। न तो उसका ब्राहमण होना उसे बचा पाया और न ही उसकी शिवभक्ति उसे बचा पाई क्योंकि वह अहंकारी और अन्यायी था। आज भी जो आदमी जालिम है वह भी एक रावण ही है, उसकी पूजा पाठ और उसका नमाज रोजा लोक परलोक में उसका पूरा कल्याण न कर पाएगा। <br />आदमी को चाहिए कि सत्य को झुठलाने की आदत छोड दे और अहंकार का त्याग करके धर्म को उसके शुद्ध स्रोत से ग्रहण करे, कल्याण इसी में निहित है।DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4921957767931460670.post-19084000589600826522011-10-06T20:17:15.892+05:302011-10-06T20:17:15.892+05:30जमाल जी----आप भ्रम में हैं उस समय रावण शिव भक्त वि...जमाल जी----आप भ्रम में हैं उस समय रावण शिव भक्त विद्वान था ....अतातायी नहीं ...सीताहरण काफी बाद की बात है ....यही तो इस संस्कृति/ धर्म की खासियत है ...ज्ञान का आदर करने वाली....पर अनाचारी का नहीं ...विचारों में लोकतांत्रिक व्यवस्था.... <br />----वैसे भी पुतला जलाना बहुत बाद की प्रथा है , आज की ...राम के समय की नहीं ...शिव के मूल आदि क्षेत्रों में प्रचलित नहीं है .... shyam guptahttps://www.blogger.com/profile/11911265893162938566noreply@blogger.com