tag:blogger.com,1999:blog-4921957767931460670.post346019444146640535..comments2024-03-23T23:09:02.255+05:30Comments on Hindi Bloggers Forum International: आंदोलन या आराजकता....DR. ANWER JAMALhttp://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-4921957767931460670.post-70273330076489147772011-08-20T14:13:16.344+05:302011-08-20T14:13:16.344+05:30अन्ना खुद को गांधी कहे जाने पर गर्व जरूर महसूस करे...<b>अन्ना खुद को गांधी कहे जाने पर गर्व जरूर महसूस करें, लेकिन मैं उन्हें गांधीवादी तो कह सकता हूं, पर दूसरा गांधी नहीं। जो लोग उन्हें दूसरा गांधी बोल रहे हैं, वो पहले गांधी को गाली दे रहे हैं। मुझे लगता है कि ये जिम्मेदारी अन्ना की है कि लोगों उन्हें दूसरा गांधी कहने से रोकें। बहरहाल मैं तो इस आंदोलन को आंदोलन कम आराजकता ज्यादा मानता हूं।</b><br /><br />पूर्णतः सहमत!<br /><br />सादरYashwant R. B. Mathurhttps://www.blogger.com/profile/06997216769306922306noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4921957767931460670.post-52588404784551841302011-08-20T13:39:13.186+05:302011-08-20T13:39:13.186+05:30This comment has been removed by the author.महेन्द्र श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/09549481835805681387noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4921957767931460670.post-37547812649888995932011-08-20T13:39:11.000+05:302011-08-20T13:39:11.000+05:30वीरुभाई जी.. आप मेरी समीक्षा से सहमत है, बहुत बहुत...वीरुभाई जी.. आप मेरी समीक्षा से सहमत है, बहुत बहुत शुक्रिया।<br />पहले तो मैं साफ कर दूं कि ये मुद्दा लोगों की भावनाओं से जुड गया है, और मै किसी की भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचाना चाहता। <br />हां जहां तक बात गांधी की है.. गांधी ने तो कभी अंग्रेजों को भी फांसी पर चढाने की मांग नहीं की। अन्ना जी भ्रष्टाचारियों को फांसी देने की बात कर रहे हैं। क्या आपको लगता है कि इस देश में भ्रष्टाचारियों को फासी दी जा सकती है। आतंकी को तो दे नहीं पा रहे हैं, भ्रष्टाचारियों को क्या देगें।<br />अन्ना को गांधीवादी कहिए, मुझे कोई एतराज नहीं है। लेकिन दूसरा गांधी कहना कत्तई स्वीकार्य नहीं है।महेन्द्र श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/09549481835805681387noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4921957767931460670.post-56027384227825951932011-08-20T12:11:42.671+05:302011-08-20T12:11:42.671+05:30महेंद्र श्रीवास्तव जी ,आपकी समीक्षा सटीक है लेकिन ...महेंद्र श्रीवास्तव जी ,आपकी समीक्षा सटीक है लेकिन निष्कर्ष स्वीकार्य नहीं हैं .गांधी सिर्फ पूजा का पात्र नहीं है लोग अगर अन्ना में गांधी देख रहें हैं तो यह स्वत :स्फूर्त अनुभूति है ,ये लोग लाल किले का भाषण सुनने के लिए औपचारिकता वश नहीं लाये गएँ हैं राम लीला मैदान में ,आज पूरा देश एक विचार से गूंथा हुआ है यदि कुछ लोग उसे नहीं देख पा रहें हैं ,तो यह उनकी बीनाई का मामला है ,मायोपिक विजन हैं . ... .जय अन्ना !जय श्री अन्ना !आभार बेहतरीन पोस्ट के लिए आपकी ब्लोगियाई आवाजाही के लिए;<br />बृहस्पतिवार, १८ अगस्त २०११<br />उनके एहंकार के गुब्बारे जनता के आकाश में ऊंचाई पकड़ते ही फट गए ...<br />http://veerubhai1947.blogspot.com/<br />Friday, August 19, 2011<br />संसद में चेहरा बनके आओ माइक बनके नहीं . <br />http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.com