tag:blogger.com,1999:blog-4921957767931460670.post3783288582680876949..comments2024-03-23T23:09:02.255+05:30Comments on Hindi Bloggers Forum International: संसद पर हमला है ये आंदोलन.....DR. ANWER JAMALhttp://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-4921957767931460670.post-22428551681327656282011-08-26T14:37:04.693+05:302011-08-26T14:37:04.693+05:30अनीता दी
मैं आपकी बातों से पूरी तरह सहमत हूं कि भ्...अनीता दी<br />मैं आपकी बातों से पूरी तरह सहमत हूं कि भ्रष्टाचार आज एक गंभीर समस्या बन गई है। इसका समाधान होना ही चाहिए। <br /><br />मैं बहुत ही विनम्रता से आपसे कहना चाहता हूं कि आधी आबादी का मामला है महिला आरक्षण बिल। लेकिन 45 साल से ज्यादा समय हो गया, इसे आज तक लोकसभा में नहीं पेश किया जा सका।<br /><br />पिछले साल राज्यसभा में इस पर चर्चा हुई तो हालत ये हो गई कि मार्शल का इस्तेमाल करना पडा।<br /><br />मेरा कहना सिर्फ इतना है कि हमें संसदीय मान्यताओं और परंपराओं का रिस्पेक्ट करना ही होगा।<br /><br />वरना भीड पर अगर जाएं तो गुर्जर आंदोलन जिस तरह से चला, कई जगहों पर रेल की पटरी उखाडदी गई, कई दिन राष्ट्रीय राजमार्ग जाम रहे। तो क्या हम उनकी मांग मान लेते।<br /><br />ऐसे ही अलग राज्य के मसले पर तेलांगाना में बहुत बडा आंदोलन साल भर से चल रहा है। लेकिन कुछ नीयम कायदों को हमें मानना ही होगा।<br /><br />मैं फिर कहता हूं कि अन्ना जी का मुद्दा सही है, तरीका गलत।महेन्द्र श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/09549481835805681387noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4921957767931460670.post-69347657342921413892011-08-26T13:16:38.090+05:302011-08-26T13:16:38.090+05:30सरकार पूरी तरह से भ्रष्टाचार में लिप्त है, कुछ मंत...सरकार पूरी तरह से भ्रष्टाचार में लिप्त है, कुछ मंत्री जेल में हैं कुछ जेल जाने के लायक हैं... सरकार कुछ सुनना नहीं चाहती देखना नहीं चाहती..जनता के पास कोई और चारा नहीं था अन्ना जी पिछले छह महीनों से कह रहे थे कि सरकार एक बिल लाए पर उसके कान पर जूँ भी नहीं रेंगी.Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4921957767931460670.post-28793835292828875042011-08-26T11:54:29.605+05:302011-08-26T11:54:29.605+05:30मेरे आलेख पर कई तरह के विचार आए हैं, सभी के अपने अ...मेरे आलेख पर कई तरह के विचार आए हैं, सभी के अपने अपने विचार है। अपने ज्ञान के अनुसार सभी को अपनी राय रखने का पूरा हक है।<br /><br />बहरहाल इस मामले में मैने जो लिखा है, उससे अभी भी 100 फीसदी सहमत हूं।<br /><br />वजह एक<br /><br />आतंकी सिर्फ कुछ लोगों को नुकसान पहुंचा सकते हैं, ये लोकतंत्र को हाईजैक कर रहे हैं। लोकतंत्र की हत्या करने का प्रयास है।<br /><br />वजह दो. <br />संसद कोई एक व्यक्ति नहीं होता, संसद की गरिमा को चोट पहुंचा रहे हैं।<br /><br />वजह तीन<br />शिक्षा की बात इसलिए मैने की कि आप को संसदीय कार्यप्रणाली की जानकारी होनी चाहिए।<br /><br />वजह चार<br />अन्ना की टीम फेस सेविंग के लिए चर्चा करा रही है, आपको पता नहीं ये बिल पर चर्चा नहीं हो रही है, ये चर्चा लोकपाल के मसौदे पर होगी, संसद की जो राय बनेगी, उसे फिर स्टैंडिग कमेटी में ही भेजा जाएगा। <br /><br />वजह पांच<br /><br />जब जनलोकपाल बिल को सरकारी बिल के साथ पहले ही सरकार स्टैंडिंग कमेटी को भेज चुकी है, फिर इस बहस का कोई खास मायने नहीं रह जाता।<br /><br />वजह छह<br /><br />अनवर भाई कह कवीर तुलसी ना जाने क्या क्या कह रहे हैं। आपको बता दूं कि भगवान कृष्ण अपनी माता पिता के आठवें संतान थे, रवीन्द्र नाथ टैगोर 11 वें संतान थे और भाप की इंजन का आविष्कार करने वाले जेम्सवाट अपनी माता पिता के 16 वें संतान थे। जब ऐसे ऐसे नंबर पर महापुरुष पैदा हो रहे हैं तो क्या दो बच्चों के बाद बच्चों को पैदा होने से रोकना गलत नहीं है। इस उदाहरण पर आप कह सकते हैं कि गलत है। फिर तो आबादी बढाते रहिए कृष्ण के इंतजार में.<br /><br />वजह सात<br /><br />मैं सभी से क्षमा मांगते हुए पूरे विश्वास के साथ कह रहा हूं कि कम से कम 95 फीसदी ब्लागर्स को संसदीय कार्यप्रणाली की जानकारी नहीं है। उन्हें यह नहीं पता है कि संसद बिल पेश कैसे किया जाता है और उसे पास कराने और लागू कराने तक की क्या प्रक्रिया होती है। इसलिए अनाप शनाप कुछ भी राय रखते हैं।<br /><br />वजह आठ..<br /><br />लोगों की भीड में हुंकार भरने की आदत है, वो उसी धारा में बहना चाहते हैं, जिधर पानी का बहाव है। <br /><br /> आखिर में इतना ही अपनी करना चाहता हूं कि अन्ना को समर्थन वही लोग दें तो शपथ लें कि आगे से वो सार्वजनिक जीवन में कोई बेईमानी नहीं करेंगे। मुझे लगता है सब खामोश हो जाएंगे।<br /><br />अन्ना के पीछे खडे होकर अपनी कमीज सफेद दिखाने की मानसिकता छोडनी पडेगी।<br /><br />मैने बार बार एक बात कही है, वो आज फिर दुहरा रहा हूं कि अन्ना की मांगे सही हैं, उनका तरीका गलत है। अन्ना कुछ लोगों के हाथ कठपुतली बने हैं।महेन्द्र श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/09549481835805681387noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4921957767931460670.post-10115129509797969372011-08-26T05:41:30.553+05:302011-08-26T05:41:30.553+05:30विदेशी हमले से तुलना करना सरासर नाइंसाफ़ी है
‘प्रध...<b>विदेशी हमले से तुलना करना सरासर नाइंसाफ़ी है</b><br /><br />‘प्रधानमंत्री सच्चे आदमी हैं।‘<br />जो आदमी अपनी सत्ता बचाए रखने के लिए मंत्रियों को देश की पीठ में छुरा भोंकते हुए देखता रहे, वह सच्चा आदमी कैसे हो सकता है ?<br /><br />‘उनके पास भ्रष्टाचार ख़त्म करने के लिए कोई जादू की छड़ी नहीं है।‘<br />अर्थात उनके पास समस्या का कोई प्रभावी हल नहीं है। निकम्मा होना इसी को कहा जाता है। अगर आप निकम्मे हैं तो आपकी सच्चाई को चाटना है क्या ?<br />...तो भाई फिर यह कुर्सी क्यों घेरे बैठे हो ?<br />जिसके पास हल हो, उसके लिए छोड़कर एक तरफ़ हटिए न।<br /><br />‘जब कसाब को ही इस देश में फांसी नहीं दी जा रही है तो फिर भ्रष्टाचारियों को फांसी कैसे दी जा सकती है ?‘<br />जनाब जनता भी तो यही सोचकर हैरान है कि जब कसाब को ही सज़ा नहीं हो पा रही है तो हमें हमारे शहर के माफ़िया से कौन बचाएगा ?<br />इसीलिए तो वह भ्रष्टाचारियों को फांसी की मांग कर रही है। इसमें देशवासियों की क्या ग़लती है ?<br />आप फांसी नहीं देना चाहते तो उम्र क़ैद दीजिए, उम्र क़ैद नहीं देना चाहते तो 7 साल की सज़ा तो दीजिए लेकिन तुरंत दीजिए।<br /><br />नक्सलवादियों की लोकप्रियता का एक कारण यह भी है कि उनकी अदालतों में यह तमाशा नहीं होता। केवल न्याय होता है और तुरंत होता है। जहां-जहां नक्सलवादियों की अदालतें लगती हैं वहां की सरकारी अदालतें ख़ाली पड़ी हैं और वकील बैठे हुए क़िस्मत को रो रहे हैं कि किसी की ज़िंदगी से खेलने का कोई मौक़ा हाथ ही नहीं आ रहा है।<br />हमारी अजीब आफ़त है कि नक्सलवाद की तारीफ़ भी नहीं कर सकते और हिंदुस्तानी इंसाफ़ को दोष भी नहीं दे सकते लेकिन ज़ुबानों पर ताले लगा देने से सच बदल नहीं जाएगा।<br />मैं अदालतों से मायूस हो चुका हूं . जो भी एक बार अदालत का तजर्बा कर लेता है वह इंसाफ़ से हमेशा के लिए मायूस हो जाता है बिल्कुल मेरी तरह।<br />आप किसी भी अदालत में जाइये और अपनी बहन-बेटी के साथ इंसाफ़ की आस में भटक रहे लाखों लोगों में से किसी से भी पूछ लीजिए, मेरी बात की तस्दीक़ हो जाएगी।<br /><a href="http://ahsaskiparten.blogspot.com/2011/05/andha-qanoon.html" rel="nofollow"><b>हिंदुस्तानी इंसाफ़ का काला चेहरा Andha Qanoon </b></a><br /><br />‘आपको अन्ना की बात पर हंसी आती है।‘<br />आपको तो रोना आना चाहिए था अपने देश के नेताओं के शर्मनाक रवैये पर।<br /><br />‘अन्ना की पढ़ाई तीन दर्जा तक हुई है और उनके साथ जो लोग हैं उनके बारे में सबको पता है।‘<br />कबीर की पढ़ाई तो तीन दर्जा तक भी नहीं हुई थी लेकिन उनकी बातों की सच्चाई की क़ायल पूरी दुनिया है। यहां अन्ना की एकेडैमिक क्वालिफ़िकेशन को इज़्ज़त नहीं दी जा रही है बल्कि इस बात को सराहा जा रहा है कि जिन लोगों ने दर्जा 30 तक पढ़ाई कर रखी है वे जनता के मन की बात कहने के बजाय सुविधाजनक नौकरी के लिए अपना ज़मीर बेचकर बैठ गए हैं और अन्ना ने सारे गुंडे बदमाशों के आक़ा नेताओं से पंगा ले लिया और यक़ीनन यह बिना फ़ायदे वाला काम कोई पढ़ा लिखा तो कभी करेगा ही नहीं।<br />क्या उनके साथ में रेलवे ट्रैक उड़ाने वाले मुजरिम हैं ?<br />क्या पता है उनके साथ के लोगों के बारे में ?<br />बात साथियों के चरित्र और शिक्षा की नहीं है बल्कि बात यह है कि जो जितना बड़ा नेता है वह उतना ही बड़ा भ्रष्टाचार करता है। प्रधानमंत्री लोकपाल को मंज़ूर करायें और फिर सबसे पहले अपनी जांच करायें।<br />अगर वे सच्चे हैं तो जांच में सब सामने आ ही जाएगा, घबराते क्यों हैं ?<br />संसद में चोर न छिपे हों तो बाहर कोई हल्ला क्यों मचाएगा ?<br />विदेशी हमले से इस जायज़ मांग के प्रदर्शन की तुलना एक अतिवाद महज़ है। किसी मोह में इस तरह की अन्यायपूर्ण बात आदमी लिख बैठता है लेकिन उसे देखना चाहिए कि वास्तव में सत्य क्या है ?<br />...और सत्य यह है कि इस देश को जितना नेता लूट रहे हैं उतना कोई और नहीं लूट रहा है। उनके अलावा भी जो सरकारी अफ़सर जहां लूट रहा है, वह भी उनकी शह पर ही लूट रहा है।<br />अब जो अन्ना से ज़्यादा पढ़ा लिखा हो वह देश के लिए अन्ना से बेहतर करके दिखाए।<br /><br />धन्यवाद !DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4921957767931460670.post-12991207191788134152011-08-25T21:47:41.344+05:302011-08-25T21:47:41.344+05:30हम इस आलेख से सहमत नहीं है।
इंकलाब जिन्दाबाद।हम इस आलेख से सहमत नहीं है।<br />इंकलाब जिन्दाबाद।डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4921957767931460670.post-2960339456998260622011-08-25T18:30:09.036+05:302011-08-25T18:30:09.036+05:30This comment has been removed by the author.महेन्द्र श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/09549481835805681387noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4921957767931460670.post-66596758207667104482011-08-25T18:30:07.446+05:302011-08-25T18:30:07.446+05:30This comment has been removed by the author.महेन्द्र श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/09549481835805681387noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4921957767931460670.post-53088498529222156902011-08-25T18:30:03.844+05:302011-08-25T18:30:03.844+05:30दरअसल अन्ना के मामले में शायद आप पहली बार मेरे किस...दरअसल अन्ना के मामले में शायद आप पहली बार मेरे किसी लेख को पढ रहे हैं। इसलिए आप इस तरह की प्रतिक्रिया दे रहे हैं। <br />सबसे बडी मुश्किल ही आज ये है कि लोग कुछ भी पढते हुए विषय पर कम, लिखने वाली की नीयत पर चले जाते हैं। <br />राजनीति से यहां ज्यादा लेना देना नहीं है, यहां संसदीय प्रणाली में कोई काम कैसे होता है, वो महत्वपूर्ण है। बिल कैसे संसद में पेश किया जाता है और कैसे पास होता है, जब तक आप ये नहीं समझेगे, तब तक आपको मेरे में ही खामिया नजर आएंगी।<br />प्रधानमंत्री के बारे में मेरी राय पिछले लेखों में स्पष्ट है और मैं ये बाते दुहराना नहीं चाहता।<br />खैर आपने वक्त निकाल कर पूरा लेख पढा, उसके लिए आपका आभार। जरूरी नहीं कि आप उससे सहमत हो, या मैंने जो लिखा वही अंतिम सत्य है। <br />अच्छा लगा कि अपनी बेबाक टिप्पणी दी। मेरा सुझाव है कि जब कभी भी आपको समय मिले तो अन्ना के आंदोलन के साथ भ्रष्टाचार पर मेरे विचार आप मेरे ब्लाग पर पढ सकते हैं।<br />आपको बताना जरूरी है कि पांच महीने पहले मेरे ब्लाग की शुरुआत ही भ्रष्टाचार पर लिखे लेख से शुरु हुई है।<br />http://aadhasachonline.blogspot.comमहेन्द्र श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/09549481835805681387noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4921957767931460670.post-11631557801907886232011-08-25T18:10:26.784+05:302011-08-25T18:10:26.784+05:30मैंने आपका पूरा लेख पढ़ा और समझने की कोशिश भी की |...मैंने आपका पूरा लेख पढ़ा और समझने की कोशिश भी की | अंत में मैं इस निष्कर्ष पर पंहुचा की आपकी कही हुई कुछ बातें तो सही है पर इस आन्दोलन को संसद पर हमला कहना समेत कुछ और बातो से मैं पूरी तरह असहमत हूँ |मैं अन्ना का कोई अंध भक्त नहीं पर आपकी बैटन से प्रधान मंत्री के तरफ आपका झुकाव साफ झलकता है | उनका ये कहना की भ्रष्टाचार मिटने के लिए कोई जादू की छड़ी नहीं है, आपको उनका बड़प्पन लग रहा है | बल्कि ये तो शर्म की बात है की देश का मुखिया इस तरह की बात बार बार कह कर अपना पिंड छुड़ाना चाह रहा है | अरे भाई, जादू की छड़ी नाम की कोई चीज़ नहीं होती | पर जितना आप कर सकते हो वो भी कहा कर रहे हो ? ऐ.राजा को बर्खाश्त करने में आपको महीनों लगा गए | अब वही ऐ.राजा आपको गवाह बनाने जा रहे हैं |<br />आज अगर वो भ्रष्टाचार उन्मूलन के लिए सही कदम उठा रहे होते तो क्यों इस आन्दोलन की जरूरत पड़ती | अन्ना के आन्दोलन में साथ देने वाले सिर्फ भाव में बहने वाले या उत्साही युवा ही नहीं हैं बल्कि बहुत सारे बुद्धिजीवी भी हैं | आपकी ये सोच की बाकि सब मुर्ख हैं और एक आप ही बुद्धि मान हो पता नहीं क्या दर्शाती है |<br />मीडिया या राजनीति से मेरा कोई दूर दूर तक का भी सम्बन्ध नहीं है और न ही मैं आप लोगों की तरह समझदार हूँ, पर थोड़ी बहुत समझ है जिसके आधार पर ये सब बातें मैं कह रहा हूँ |Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/12634209491911135236noreply@blogger.com