tag:blogger.com,1999:blog-4921957767931460670.post5732521512249756892..comments2024-03-23T23:09:02.255+05:30Comments on Hindi Bloggers Forum International: सामाजिक रुढिवाद की देन है हिन्दू-मुस्लिम विद्वेष-Jagadishwar ChaturvediDR. ANWER JAMALhttp://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-4921957767931460670.post-36699392895475307582014-05-12T12:15:31.897+05:302014-05-12T12:15:31.897+05:30@ प्रेम बहादुर जी ! मुसलमानों की क्या कहें कि उनकी...@ प्रेम बहादुर जी ! मुसलमानों की क्या कहें कि उनकी समानता किससे ज़्यादा है और वे कहाँ ज़्यादा अमन से हैं ?<br />भारत के बिहारी मुम्बई में ख़ुद यही सोचते रहते हैं कि हमारी जानो माल को यहाँ क्यों निशाना बनाया जाता है जबकि यही बिहारी ब्रुनेई आदि देशों में ज़्यादा सुरक्षित देखे जा सकते हैं जबकि इनकी समानता उन लोगों से कम है और मराठियों से ज़्यादा है. सुरक्षा का ताल्लुक़ समानता से कम और इंसानियत से ज़्यादा है जिसे आज राजनीति में बहुत कम जगह दी जाती है.<br />इसीलिये लेखक ने अंत में निराला के शब्दों में कहा है कि ''हिन्दू-मुसलमानों में एकता पैदा करने के लिए इन समुदायों को ‘वर्तमान वैज्ञानिकों की तरह विचारों की ऊँची भूमि’ पर ले जाने की जरूरत है।''DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4921957767931460670.post-32839265694973654102014-05-05T19:52:53.810+05:302014-05-05T19:52:53.810+05:30जगदीश्वर जी के इस पोस्ट में शुरूआत तो बड़ी अच्छी ह...जगदीश्वर जी के इस पोस्ट में शुरूआत तो बड़ी अच्छी है। पर बाद की पंक्तियाँ हिन्दू-मुसलमानों को अलग करती हैं। हिन्दुस्तान में रहने वाले 90% मुसलमान तो हिन्दु ही हैं, जिन्होंने किसी कारणवश मुस्लिम धर्म को अपनाया होगा। धर्म अपना लेने से उनके संस्कार में युगों-युगों से रचे-बसे संस्कार में परिवर्तन इतना सरल नहीं है जितना लोग समझते हैं। इसलिए हिन्दुस्तान के मुस्लिम और गैरहिन्दुस्तानी मुस्लिम की कोई समानता नहीं है। भारत छोड़कर दूसरे देशों में बसने वाले मुस्लिमों को पता होगा कि वे ज्यादा अमन चैन से हैं या हिन्दुस्तान के मुस्लिम ज्यादा अमन चैन से हैं। यहाँ के मुसलमानों, निम्नजातियों, दलितों की समस्याओं को बढ़ाने वाले यहाँ की पारंपरिक व्यवस्था में कमी नही, वरन छुद्र स्वार्थ के लिए राजनीति करने वाले नेतागण हैं। यह मेरा मत है।prembahadursndhttps://www.blogger.com/profile/14662931348828722903noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4921957767931460670.post-20480078903798255472014-03-26T19:24:38.986+05:302014-03-26T19:24:38.986+05:30@ श्याम गुप्ता जी ! किसी वर्ण को निम्न बताना और फि...@ श्याम गुप्ता जी ! किसी वर्ण को निम्न बताना और फिर उस वर्ण के लोगों को राक्षस बताना आपकी घृणित मानसिकता का परिचायक है.<br />उदाहरण के लिये क्षत्रिय वर्ण के लोग ब्राह्मण वर्ण से निम्न हैं और क्षत्रिय वर्ण के लोग रामायण काल से ही शिकार खेलते और मांस खाते आये हैं. आपकी मान्यता के अनुसार हम इन्हें राक्षस मानने के लिये हर्गिज़ तैयार नहीं हैं. आप इन्हें राक्षस क्यों मानते हैं ?<br />आप इसका कोई सही और तर्कपूर्ण जवाब दीजिये.DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4921957767931460670.post-91791106909211691852014-03-22T17:52:32.351+05:302014-03-22T17:52:32.351+05:30" भारत में मुसलमान विरोध का सामाजिक और वैचारि... " भारत में मुसलमान विरोध का सामाजिक और वैचारिक आधार है जातिप्रथा,वर्णाश्रम व्यवस्था। इसी के गर्भ से खोखली भारतीयता का जन्म हुआ है जिसे अनेक हिन्दुत्ववादी संगठन प्रचारित करते रहते हैं। जातिप्रथा के बने रहने के कारण धार्मिक रूढ़ियां और धार्मिक विद्वेष भी बना हुआ है।"<br /><br />----यह मूर्खतापूर्ण सोच ही सब विवाद की जड़ है ....भारतीयता कोइ खोखली बात नहीं है वह विशुद्ध वैज्ञानिक- मानवता है ... हाथ का छुआ पानी तो निम्न वर्ण (राक्षसी प्रवृत्ति का) हिन्दुओं का भी नहीं पीया जाता न इनसे रोटी-बेटी का सम्बन्ध मान्य किया जाता ....ये सामाजिक-विज्ञान एवं विज्ञान के तथ्य हैं....<br />--- क्या यह सच नहीं है कि मुसलमान मांस व गौमांस खाते हैं .... योरोपीय भी खाते हैं तो हिन्दू कौन से योरोपीयों से रोटी-बेटी के सम्बन्ध को मान्यता देते हैं ..उनके लिए सभी अधर्मी .अधर्मी ही है ....जो हिन्दू भी मांस खाते हैं उन्हें भी कौन सा अच्छा माना जाता है ....उन्हें भी राक्षसी प्रवृत्ति का माना जाता है ....उनसे भी अधिकाँश सामान्य हिन्दू रोटी-बेटी के सम्बन्ध से परहेज़ करते हैं.....<br /><br />---- क्यों कुछ लोग आज भी पाकिस्तान के जीतने पर भारत में जश्न मनाते हैं......एवं कोइ दंड नही मिलता ...क्या ये दोयम दर्जे का व्यवहार है उनके साथ....या अत्यंत सहनशीलता का ....<br /><br />----- यदि भारतीय मुस्लिम सामान्य मानवीय प्रवृत्ति, भारत भक्ति , विचारों की ऊँची भूमि, भारतीय सन्स्कृति का अनुगमन करें तो निश्चय ही हिन्दू भी आगे बढ़ेंगे .... shyam guptahttps://www.blogger.com/profile/11911265893162938566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4921957767931460670.post-29945956003489534392014-03-21T13:35:12.026+05:302014-03-21T13:35:12.026+05:30भारत में रहने वाले सभी पहले भारतीय हैं ..सभी भाई भ...भारत में रहने वाले सभी पहले भारतीय हैं ..सभी भाई भाई हैं..चाहे वे किसी भी मजहब को मानने वाले क्यों न हों Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.com