चहुँ और लहर थी कि आज होली है |
रंग उडाती घूमे टोली, कि आज होली है |
रंग बिखराए थे सभी और फिजाओं ने,
फगुनाई पवन बोली कि आज होली है |
ढोलक की थाप पर थिरकते थे सभी लोग,
भीगे तन मन लगी रोली कि आज होली है |
उड़ता था हवाओं में अबीर-गुलाल का नशा,
सकुचाई महक ने पोल खोली कि आज होली है |
बौराई सी घूमे , वो नई-नवेली दुल्हन ,
घर भर को चढी ठिठोली कि आज होली है |
ख्यालों में उनके खोये थे हम तो इस कदर,
हम तक खबर न डोली कि आज होली है |
चुपके से बोले आज तो रंग लीजिये हुज़ूर,
मिश्री से कानों घोली कि आज होली है |
इतरा के उसने मल दिया मुख पर गुलाल,श्याम
तन मन खिली रंगोली कि आज होली है ||
2 comments:
lazvab
holi mubarik ho
धन्यवाद विर्क जी...
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