अन्ना के आन्दोलन को हिन्दू मुस्लिम साप्रदायिकता में बांटने की सरकारी साज़िश नाकाम

Posted on
  • Monday, August 22, 2011
  • by
  • आपका अख्तर खान अकेला
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  • अन्ना के आन्दोलन को हिन्दू मुस्लिम साप्रदायिकता में बांटने की सरकारी साज़िश नाकाम हो गयी है .सरकार ने मुसलमानों को भडकाने के लियें अन्ना के आन्दोलन को आर एस एस का समर्थन बताया कई मुस्लिम भाइयों ने जब कोंग्रेस के इस विचार को प्रचारित करने वालों से कहा के आर एस एस अगर कोई अच्छा काम करे तो क्या राष्ट्र हित में उसे समर्थन नहीं देना चाहिए .मुसलमान और देश अन्ना के इस आन्दोलन से जुड़ता गया और सरकार की सारी कोशिशें नाकाम होती गयी ..सरकार ने जब देखा के अन्ना समर्थक जो लोग अन्ना के आन्दोलन के खिलाफ बयान दे रहे हैं उनका घेराव करने लगे है तो फिर सरकार ने एक और शेतानी साज़िश रची .सरकार और सरकार की समर्थित पार्टी की गुलामी करने वाले कथित इमाम बुखारी से एक विवादास्पद बयान अन्ना के आन्दोलन के खिलाफ दिलवा दिया खुद देश का मुसलमान इस मोके पर इस बेतुके बयान से चकित है और इस बयान के पीछे की सियासत को भी समझता है .सरकार की स्टेजिदी थी के अन्ना के आन्दोलन के खिलाफ इस बयान से अन्ना समर्थक भड़केंगे और फिर वोह इमाम बुखारी का अभी घेराव करेंगे हो सकता है अन्ना समर्थकों के भेस में सरकार खुद अपने चमचों को भेज दे और फिर हिन्दुवाद और मुस्लिम वाद का ज़हर इस आन्दोलन में घुल जाये जिससे अन्ना का मुख्य मुद्दा भ्रष्टाचार गोण हो जाए और साम्प्रदायिकता के मुद्दा प्रमुख हो जाए .सरकार ने हिंदूवादी सरकारी चमचों को भी इस मामले में भड़काकर बयानबाज़ी और इमाम की आलोचना के लियें उकसाया है लेकिन अभी तक शुक्र है खुदा का के सरकार की चाल अन्ना समर्थकों की समझदारी के आगे असफल हो रही है .......सारा देश जनता है के सरकार ने बाबा रामदेव के आन्दोलनकारियों पर आधी रात को लाठियां यह कहकर बरसायीं थी की इस आन्दोलन से देश में साम्प्रदायिक हिंसा भड़क सकती थी अन्ना के आन्दोलन के मामले में भी सरकार यही कहती रही है लेकिन भारी उमड़े जन सेलाब के मामले में सरकार की बोलती बंद हैं और सारी चालें मीडिया मेनेजमेंट असफल हो रहा है लेकिन सरकार तो सरकार है अपने मिशन को प्राप्त करने और अन्ना के आन्दोलन को फेल करने के लियें किसी भी हद तक नीचे गिर सकती है इसलियें अन्ना समर्थक चाहे वोह हिन्दू हो चाहे वोह मुसलमान हो उसे फूंक फूंक कर कदम रखना होगा .देखते है आगे क्या होता है अन्ना से बार बार मिलकर अन्ना को परेशान करने वाले सरकारी दलाल क्या गुल खिलाते है ..सच तो यह है के सरकार ने अन्ना के आन्दोलन को असफल करने के लियें जितनी ताकत झोंक रखी है अगर सरकार उससे एक चोथाई भी भ्रष्टाचार के खिलाफ बिल पारित करने के मामले में अपनी ताकत लगाती तो अब तक मामला ही सुलझ गया होता लेकिन सरकार तो सरकार है वोह तो भ्रष्टाचारियों को केसे बचाएं इस पर काम करना चाहती है .....अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

    4 comments:

    Asha Lata Saxena said...

    बहुत सार्थक लेख |
    बधाई
    आशा

    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

    बहुत सार्थक प्रस्तुति।
    श्री कृष्ण जन्माष्टमी की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ।

    DR. ANWER JAMAL said...

    बुख़ारी साहब का बयान इस्लाम के खि़लाफ़ है
    दिल्ली का बुख़ारी ख़ानदान जामा मस्जिद में नमाज़ पढ़ाता है। नमाज़ अदा करना अच्छी बात है लेकिन नमाज़ सिखाती है ख़ुदा के सामने झुक जाना और लोगों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े होना।
    पहले सीनियर बुख़ारी और अब उनके सुपुत्र जी ऐसी बातें कहते हैं जिनसे लोग अगर पहले से भी कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हों तो वे आपस में ही सिर टकराने लगें। इस्लाम के मर्कज़ मस्जिद से जुड़े होने के बाद लोग उनकी बात को भी इस्लामी ही समझने लगते हैं जबकि उनकी बात इस्लाम की शिक्षा के सरासर खि़लाफ़ है और ऐसा वह निजी हित के लिए करते हैं। यह पहले से ही हरेक उस आदमी को पता है जो इस्लाम को जानता है।
    लोगों को इस्लाम का पता हो तो इस तरह के भटके हुए लोग क़ौम और बिरादराने वतन को गुमराह नहीं कर पाएंगे।
    अन्ना एक अच्छी मुहिम लेकर चल रहे हैं और हम उनके साथ हैं। हम चाहते हैं कि परिवर्तन चाहे कितना ही छोटा क्यों न हो लेकिन होना चाहिए।
    हम कितनी ही कम देर के लिए क्यों न सही लेकिन मिलकर साथ चलना चाहिए।
    हम सबका भला इसी में है और जो लोग इसे होते नहीं देखना चाहते वे न हिंदुओं का भला चाहते हैं और न ही मुसलमानों का।
    इस तरह के मौक़ों पर ही यह बात पता चलती है कि धर्म की गद्दी पर वे लोग विराजमान हैं जो हमारे सांसदों की ही तरह भ्रष्ट हैं। आश्रमों के साथ मस्जिद और मदरसों में भी भ्रष्टाचार फैलाकर ये लोग बहुत बड़ा पाप कर रहे हैं।
    ये सारे भ्रष्टाचारी एक दूसरे के सगे हैं और एक दूसरे को मदद भी देते हैं।
    अहमद बुख़ारी साहब के बयान से यही बात ज़ाहिर होती है।
    ब्लॉगर्स मीट वीकली 5 में देखिए आपसी स्नेह और प्यार का माहौल।

    एक स्वतन्त्र नागरिक said...

    एकदम खरी बात.जरा एक और मुद्दे पर पढ़ें और कृपया अपनी राय अवश्य दें. सचिन को भारत रत्न क्यों?
    http://sachin-why-bharat-ratna.blogspot.com

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