आज हमने एक रचना पढ़ी जिसमें नजीर अकबराबादी जी बता रहे हैं कि इंसान की जिंदगी नापाएदार है और वह बड़े जतन से जो कुछ जमा कर रहा है, वह सब यही पड़ा रह जाएगा।
इसके बाद दूसरी रचना पढ़ी जिसमें कवि महोदय बता रहे हैं कि भूख में चांद भी रोटी जैसा लगता है। मुझे चांद रोटी जैसा कभी नहीं लगा क्योंकि कभी ऐसे हालात से सामना ही नहीं हुआ लेकिन इसके बावजूद यह बात सच है।
इसके बाद एक तीसरी रचना और पढ़ी जिसमें कवि यह बता रहे हैं कि खाने वाले लोग मेरे हिस्से का सूरज खा गए। इसी कविता में उन्होंने हिंदुस्तान की बहुत सी समस्याओं के साथ गरीबी और भ्रष्टाचार को प्रमुखता से उठाया है।
ये तीनों रचनाएं मैंने पढ़ीं और सोचा कि इसका हल क्या हो ?
तो हल भी पहली रचना में ही नजर आया कि हरेक इंसान यह याद रखे कि एक दिन उसे मौत जरूर आएगी। मौत की याद इंसान के दिल पर ऐसा असर करती है कि उसकी सारी सोच को बदल कर रख देती है। यही वजह है कि हरेक धर्म-मत-दर्शन में मौत का जिक्र जरूर किया गया है।
अब आप पढि ए तीनों रचनाएं, जो हमने आज पढ़ीं -
इसके बाद एक तीसरी रचना और पढ़ी जिसमें कवि यह बता रहे हैं कि खाने वाले लोग मेरे हिस्से का सूरज खा गए। इसी कविता में उन्होंने हिंदुस्तान की बहुत सी समस्याओं के साथ गरीबी और भ्रष्टाचार को प्रमुखता से उठाया है।
ये तीनों रचनाएं मैंने पढ़ीं और सोचा कि इसका हल क्या हो ?
तो हल भी पहली रचना में ही नजर आया कि हरेक इंसान यह याद रखे कि एक दिन उसे मौत जरूर आएगी। मौत की याद इंसान के दिल पर ऐसा असर करती है कि उसकी सारी सोच को बदल कर रख देती है। यही वजह है कि हरेक धर्म-मत-दर्शन में मौत का जिक्र जरूर किया गया है।
अब आप पढि ए तीनों रचनाएं, जो हमने आज पढ़ीं -
(1)
गर तू है लक्खी बंजारा और खेप भी तेरी भारी है
ऐ ग़ाफ़िल तुझसे भी चढ़ता इक और बड़ा ब्यौपारी है
क्या शक्कर मिसरी क़ंद गरी, क्या सांभर मीठा-खारी है
क्या दाख मुनक़्क़ा सोंठ मिरच, क्या केसर लौंग सुपारी है
सब ठाठ पड़ा रह जावेगा जब लाद चलेगा बंजारा।
------------------(2)
जाने क्यों हर गम बड़ा
और हर ख़ुशी छोटी लगे
खुद का दिल जब साफ़ न हो
हर नियत खोटी लगे
हो ज़हन में जो भी
दिखता है वही हर एक जगह
भूख जब हो जोर की
तो चाँद भी रोटी दिखे
जाने क्यों हर गम बड़ा
और हर ख़ुशी छोटी लगे
खुद का दिल जब साफ़ न हो
हर नियत खोटी लगे
हो ज़हन में जो भी
दिखता है वही हर एक जगह
भूख जब हो जोर की
तो चाँद भी रोटी दिखे
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(3)
ऐसा नहीं है कि मौत का जिक्र नहीं किया जाएगा तो मौत नहीं आएगी या देर से आएगी। मौत का जिक्र न करने से इंसान गाफिल रहेगा और मौत की याद से इंसान सजग रहेगा, अपने जीवन को सार्थक कामों में खर्च करेगा और किसी आंख से आंसू पोंछ देना, किसी भूखे के लिए रोटी का इंतेजाम कर देना या सर्दी में ठिठुरते हुए आदमी को कुछ कपड़े दे देना एक सार्थक काम है, जिसे करते ही आप अपने मन में खुशी का अहसास करेंगे।सुना है इन्सान के दुःख दर्द का इलाज मिला है
क्या बुरा है अगर ये अफ़वाह उड़ा दी जाए
किसी ने सच ही कहा है
वो भूख से मरा था
फ़ुटपाथ पे पड़ा था
चादर उठा के देखा तो पेट पे लिखा था
सारे जहां से अच्छा
सारे जहां से अच्छा
हिन्दुस्तां हमारा
हिन्दुस्तां हमारा
भूख लगे तो चाँद भी रोटी नज़र आता है
आगे है ज़माना फिर भी भूख पीछे पीछे
सारी दुनिया की बातें दो रोटियों के नीचे
किसी ने सच ही कहा ...
माँ पत्थर उबालती रही कड़ाही में रात भर
बच्चे फ़रेब खा कर चटाई पर सो गए
चमड़े की झोपड़िया में आग लगी भैया
बरखा न बुझाए बुझाए रुपैया
किसी ने सच ही कहा ...
वो आदमी नहीं मुक़म्मल बयां है
माथे पे उसके चोट का गहरा निशां है
इक दिन मिला था मुझको चिथड़ों में वो
मैने जो पूछा नाम कहा हिन्दुस्तान है हिन्दुस्तान है
चंद लोग दुनिया में नसीब लेके आते हैं
बाकी बस आते हैं और यूं ही चले जाते हैं
जाने कब आते हैं और जाने कब जाते हैं
किसी ने सच ही कहा ...
ये बस्ती उन लोगों की बस्ती है
जहां हर गरीब की हस्ती एक एक साँस लेने को तरसती है
इन ऊँची इमारतों में घिर गया आशियाना मेरा
ये अमीर मेरे हिस्से का सूरज भी खा गए
भूख लगे तो चाँद ...
आपके घर में ऐसे कपड़ों का ढेर लगा हुआ है जो आपके इस्तेमाल में नहीं आते, इन्हें निकालिए और किसी जरूरतमंद को दे दीजिए, उसके वुजूद के अंदर से आपके लिए दुआ निकलेगी, आपको उस दुआ की सखत जरूरत है।
ऐसे काम कीजिए, जिससे आपको दुआ मिले।
इसी पोस्ट को देखिये 'बुनियाद' पर
http://readerblogs.navbharattimes.indiatimes.com/BUNIYAD/entry/%E0%A4%90%E0%A4%B8-%E0%A4%95-%E0%A4%AE-%E0%A4%95-%E0%A4%9C-%E0%A4%8F-%E0%A4%9C-%E0%A4%B8%E0%A4%B8-%E0%A4%86%E0%A4%AA%E0%A4%95-%E0%A4%A6-%E0%A4%86-%E0%A4%AE-%E0%A4%B2http://readerblogs.navbharattimes.indiatimes.com/BUNIYAD/entry/%E0%A4%90%E0%A4%B8-%E0%A4%95-%E0%A4%AE-%E0%A4%95-%E0%A4%9C-%E0%A4%8F-%E0%A4%9C-%E0%A4%B8%E0%A4%B8-%E0%A4%86%E0%A4%AA%E0%A4%95-%E0%A4%A6-%E0%A4%86-%E0%A4%AE-%E0%A4%B2
5 comments:
बहुत बढ़िया!
जहाँ काम न आये दवा।
वहाँ असर दिखाती है दुआ!
bahut khoob....jamal ji...aabhar
बढ़िया प्रस्तुति ||बधाई ||
+Baat bilkul sahi hai...dhardar lekhni...umda post.
बढिया प्रस्तुति....
आभार आपका........
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