ग़मों की धुंध जो छाई हुई है छंट जाये.
कुछ ऐसे ख्वाब दिखाओ कि रात कट जाये.
नज़र के सामने जो कुछ भी है सिमट जाये.
गर आसमान न टूटे, ज़मीं ही फट जाये.
मेरे वजूद का बखिया जरा संभल के उधेड़
हवा का क्या है भरोसा, कहीं पलट जाये.
मैं तय करूंगा हरेक लम्हा इक सदी का सफ़र
कि मेरी राह का पत्थर जरा सा हट जाये.
सफ़र तवील है कुछ सुनते-सुनाते चलिए
कि बात-बात में ये रास्ता भी कट जाये.
उसे पता है कि किस राह से गुज़रना है
वो कोई रूह नहीं है कि जो भटक जाये.
मैं अपनी आंख में सूरज के अक्स लाया हूं
अंधेरी रात से कह दो कि अब सिमट जाये.
3 comments:
उसे पता है कि किस राह से गुज़रना है
वो कोई रूह नहीं है कि जो भटक जाये.
मैं अपनी आंख में सूरज के अक्स लाया हूं
अंधेरी रात से कह दो कि अब सिमट जाये.
वाह क्या बात है :) सुर , लय और ताल का खूबसूरत ताना - बाना मज़ा आ गया |
बहुत सुंदर शब्द संयोजन |
सफ़र तवील है कुछ सुनते-सुनाते चलिए
कि बात-बात में ये रास्ता भी कट जाये.
बहुत खूब
मैं तय करूंगा हरेक लम्हा इक सदी का सफ़र
कि मेरी राह का पत्थर जरा सा हट जाये.
बेहतरीन शेर .... सदी का सफर एक लम्हे में करने का हौंसला ... कमाल की गज़ल है गौतम जी ...
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