लिफ़्ट (कहानी)

Posted on
  • Thursday, December 5, 2013
  • by
  • DR. ANWER JAMAL
  • in
  • Labels:
  •         आलीशान होटल की लिफ़्ट ऊपर से नीचे आकर रूकी तो अंदर से एक एक करके सभी निकले और चले गए। मैं इत्मीनान से उसमें दाखि़ल हो गया। मेरे पीछे पीछे लम्बे क़द की एक ख़ूबसूरत लड़की भी लिफ़्ट में आ गई। वह उम्र में मेरी छोटी बेटी जैसी थी लेकिन उसका लिबास मेरी बेटियों जैसा न था। उसने मिनी स्कर्ट से भी छोटा कुछ पहन रखा था और टॉप के नाम पर जो था, वह स्किन कलर में भी था और स्किन टाइट भी। अलबत्ता उसका गला ढीला था, जो उसकी छातियों पर पड़ा दायें बायें झूल रहा था। मुख्तसर यह कि उसका अन्दाज़ पूरी तरह अमेरिकन था। एक औरत जो कुछ छिपाना चाहती है, वह सब यह दिखा रही थी।
           शायद उसने क़ानून के सम्मान के लिए ही कपड़े पहन रखे थे क्योंकि सार्वजनिक जगहों पर नंगा घूमना क़ानूनी तौर पर मना है। लिफ़्ट का बटन दबाने के लिए उसने अपना हाथ बढ़ाया तो मैंने घबरा कर अपना हाथ रोक लिया। उसने अपनी मंज़िल का बटन दबाकर अपना सनग्लास माथे पर अटका लिया और फिर मेरी तरफ़ देखा। वह मेरे घबराए हुए चेहरे का बग़ौर मुआयना कर रही थी। 
    उसके बाल, बदन और लिबास से जो मुरक्कब ख़ुश्बू (मिश्रित सुगंध) उड़कर मेरी नाक में आ रही थी। वही मेरे बूढ़े दिल की धड़कनें बढ़ा रही थीं। इस पर यह कि उसने अपने पर्स से एक छोटी सी बॉटल निकाल कर एक घूंट भी पी ली। अब उसके मुंह से व्हिस्की की गंध भी आ रही थी। शराबी नशे में किसी भी हद तक जा सकता है और इसकी हद तो बेहद लग रही थी। मुझ पर बदहवासी तारी हो गई। ए.सी. के बावुजूद मेरी पेशानी पर पसीने के क़तरे नुमूदार हो गए। मैंने जेब से रूमाल निकाल कर अपना माथा साफ़ किया तो उसके चेहरे पर हल्की सी मुस्कान तैरने लगी।
    उसकी मंज़िल आने में अभी कुछ वक्त और था। उसने वक्तगुज़ारी के लिए अपना पर्स खोलकर कुछ तलाश किया। इस तलाश में हर बार वह कोई न कोई चीज़ हाथ में लेकर बाहर निकालती। जिनकी बनावट देखकर और इस्तेमाल की कल्पना करके ही मेरी धड़कनें बेक़ाबू हो रही थीं। इस तलाश में उसने अपने काम की सारी चीज़ें एक एक करके मुझे दिखा दीं। शायद यही उसका मक़सद था। 
    उसका पर्सं भी इम्पोर्टेड था और उसकी चीज़ें भी। पर्स बंद करके उसने एक बार फिर मुझे मुस्कुरा कर देखा। मैं समझ गया कि वह मेरी हालत से लुत्फ़अन्दोज़ हो रही है। कभी कभी लम्हे कैसे सदियां बन जाते हैं, इसका अंदाज़ा मुझे आज हो रहा था।
    उसकी मंज़िल पर लिफ़्ट रूकी तो मैं भी उसके पीछे पीछे ही लिफ़्ट से निकल आया। इस जैसी क़ातिल हसीना किसी भी मंज़िल से लिफ़्ट में फिर से दाखि़ल हो सकती थी। मैं दोबारा रिस्क नहीं लेना चाहता था। मैं उसके बराबर से निकला तो उसने बड़ी अदा के साथ अपने बाल समेटे और खुलकर एक क़हक़हा लगाया। मुझे अभी 5 मंज़िल और ऊपर जाना था। मैं सीढ़ियों की तरफ़ बढ़ गया। होटल की सीढ़ियां लिफ़्ट के मुक़ाबले ज़्यादा सेफ़ होती हैं।  
    मैं बूढ़ा हूँ, दिल का मरीज़ हूँ। सीढ़िया चढ़ना मेरे लिए जानलेवा हो सकता है लेकिन फिर भी इज़्ज़त बचाने का यही एक तरीक़ा मुझे नज़र आया। वह मुझे सीढ़ियों पर चढ़ते देखकर और ज़्यादा ज़ोर से हंस रही है। उसकी नज़र के दायरे से निकलने के लिए मैं घबराकर तेज़ तेज़ क़दम उठा रहा हूँ। अचानक मुझे अपना दिल बैठता हुआ सा लग रहा है और मेरी चेतना डूबती जा रही है। पता नहीं अब कभी आंख खुलेगी या नहीं लेकिन मेरी इज़्ज़त बच गई है। मुझे ख़ुशी है कि मैं अपने दोस्तों, रिश्तेदारों और घरवालों की नज़र में शर्मिन्दा होने से बच गया हूँ।
    ...
    भारतीय नारी ब्लॉग पर हिन्दी ब्लॉगर शिखा कौशिक जी की लघुकथा ‘पुरूष हुए शर्मिन्दा’ पढ़कर हमें यह लघुकथा लिखने की प्रेरणा प्राप्त हुई है जो एक दूसरा पहलू भी सामने लाती है। इससे पता चलता है कि हमारे समाज में कितने रंग-बिरंगे व्यक्ति रहते हैं और यह कि न सभी पुरूष एक जैसे हैं और न ही सारी औरतें एक जैसी हो सकती हैं।

    2 comments:

    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

    बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज शुक्रवार (06-12-2013) को "विचारों की श्रंखला" (चर्चा मंचःअंक-1453)
    पर भी है!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    kavita verma said...

    aaj ki samajik tasveer me avishvas ko darshati ek sundar katha ...

    Read Qur'an in Hindi

    Read Qur'an in Hindi
    Translation

    Followers

    Wievers

    join india

    गर्मियों की छुट्टियां

    अनवर भाई आपकी गर्मियों की छुट्टियों की दास्तान पढ़ कर हमें आपकी किस्मत से रश्क हो रहा है...ऐसे बचपन का सपना तो हर बच्चा देखता है लेकिन उसके सच होने का नसीब आप जैसे किसी किसी को ही होता है...बहुत दिलचस्प वाकये बयां किये हैं आपने...मजा आ गया. - नीरज गोस्वामी

    Check Page Rank of your blog

    This page rank checking tool is powered by Page Rank Checker service

    Promote Your Blog

    Hindu Rituals and Practices

    Technical Help

    • - कहीं भी अपनी भाषा में टंकण (Typing) करें - Google Input Toolsप्रयोगकर्ता को मात्र अंग्रेजी वर्णों में लिखना है जिसप्रकार से वह शब्द बोला जाता है और गूगल इन...
      12 years ago

    हिन्दी लिखने के लिए

    Transliteration by Microsoft

    Host

    Host
    Prerna Argal, Host : Bloggers' Meet Weekly, प्रत्येक सोमवार
    Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

    Popular Posts Weekly

    Popular Posts

    हिंदी ब्लॉगिंग गाइड Hindi Blogging Guide

    हिंदी ब्लॉगिंग गाइड Hindi Blogging Guide
    नए ब्लॉगर मैदान में आएंगे तो हिंदी ब्लॉगिंग को एक नई ऊर्जा मिलेगी।
    Powered by Blogger.
     
    Copyright (c) 2010 प्यारी माँ. All rights reserved.