नेपाल से चले भूकम्प में बहुत इन्सान मरे हैं। वे सभी हमारे भाई-बहन थे और उनके पीछे जितने लोग जि़न्दा बचे हैं, वे भी हमारे भाई-बहन ही हैं। हमारी मान्यताएं और हमारी परम्पराएं अलग हो सकते हैं लेकिन हमारे दुख-दर्द अलग नहीं होते। ऐसे समय में भी एक साहब मुसलमानों को बुरा भला कह रहे हैं और दूसरे बहुत से उनसे सहमत हो रहे हैं। ऐसी शिक्षा हिन्दू धर्म नहीं देता। इन्सानियत को साम्प्रदायिकता के चश्मे से देखना इन्सानियत से गिरना है।
कहीं पानी का सैलाब आता है या जंगल में आग लगती है तब भेडि़ए और बकरे भी एक साथ जान बचाने की कोशिश करते हैं। ऐसे समय में वह भी शिकार नहीं करते। हम सबकी भलाई और तरक़्क़ी की दुआ करते हैं। हमारी चेतना पवित्र और कल्याणमयी होगी तो हम सब ज़लज़ले जैसी प्राकृतिक आफ़तों को निमन्त्रित नहीं करेंगे। ये सब हमारे सूक्ष्म चिन्तन और कर्मों के असन्तुलन का भौतिक रूप है। हम सभी ईश्वर की इन चेतावनियों पर ध्यान देकर अपने चिन्तन और कर्मों को शुद्ध और कल्याणकारी बनाएं। यही हमारा मक़सद होना चाहिए।
हम सबका दुख-दर्द और उसका अहसास एक है। हम सब एक हैं। हमारा कल्याण भी एक ही बात से, सत्य से होता आया है और इसी से अब होगा।
कहीं पानी का सैलाब आता है या जंगल में आग लगती है तब भेडि़ए और बकरे भी एक साथ जान बचाने की कोशिश करते हैं। ऐसे समय में वह भी शिकार नहीं करते। हम सबकी भलाई और तरक़्क़ी की दुआ करते हैं। हमारी चेतना पवित्र और कल्याणमयी होगी तो हम सब ज़लज़ले जैसी प्राकृतिक आफ़तों को निमन्त्रित नहीं करेंगे। ये सब हमारे सूक्ष्म चिन्तन और कर्मों के असन्तुलन का भौतिक रूप है। हम सभी ईश्वर की इन चेतावनियों पर ध्यान देकर अपने चिन्तन और कर्मों को शुद्ध और कल्याणकारी बनाएं। यही हमारा मक़सद होना चाहिए।
हम सबका दुख-दर्द और उसका अहसास एक है। हम सब एक हैं। हमारा कल्याण भी एक ही बात से, सत्य से होता आया है और इसी से अब होगा।