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एक प्राचीन प्रेत का देशी उपदेश
यह तब की बात है जब आकाश को भी धरती वालों ने बाँट लिया था। आकाश शून्य है परंतु जब सब बाँटा जा चुका तो शून्य को कैसे बख्श दिया जाता। शून्य आकाश का यह खण्ड काले चोरों के देश के ऊपर पड़ता था। रात घुप्प अंधेरी थी। चमगादड़ों का शासन काल चल रहा था। उनका समूह उड़ता तो...