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एक बार हो गये विफल तो,
अगली बार सफल होंगे।
यदि होंगे मजबूत इरादे,
कभी नहीं असफल होंगे।।
दोस्तो ! प्रेरणा अर्गल जी कुछ दिनों के लिए टूर पर हैं। आज आप सभी का इस्तक़बाल हम अकेले ही करेंगे। हमारे सद्र जनाब रूपचंद शास्त्री मयंक जी का और आप सभी हिंदी ब्लॉगर्स का हम तहे दिल से इस्तक़बाल करते हैं और पेश हैं कुछ दरयाफ़्त जो ख़ास आपके लिए जमा की गई हैं।
मेरे सारे ब्लोगर्स साथियों को दीवाली की बहुत शुभकामनायें
कुछ दिनों के लिए बाहर जा रही हूँ वापस आ कर आप सबसे फिर मुखातिब हूँगी \
प्रणाम
झीलों का शहर
अपने समाज के अच्छे लोगों को परेशान मत करो
Dr. Ayaz Ahmad
किरण बेदी जी बिज़नेस क्लास का टिकट लेकर इकॉनॉमी क्लास में सफ़र कर रही हैं तो इससे देश की अर्थव्यवस्था पर क्या बुरा असर पड़ा ?
6 लाख आत्महत्याएं ?
By DR. ANWER JAMAL
क्या शहरी खुदकुशी मुद्दा नहीं? जीवन में बहुत उतार-चढ़ाव आते हैं। आशा-निराशा के साथ जीवन की राहों पर चलना होता है। ऐसे में आशा-निराशा का अनुपात ही तय करता है कि कोई व्यक्ति कितना सुखी या दुखी होता है।
सबसे पहले हमें जानना होगा कि चरित्र कहते किसे हैं !... शरीर से जुड़ा है चरित्र या आत्मा से !.... चरित्र एक बहुत बड़ा अंश है भीतर का . एक मामूली सी बात पर हम किसी को चरित्रहीन ठहरा देते हैं ,जो सही नहीं है ! ....चोरी , झूठ , ह्त्या , शारीरिक संबंध ...... अवश्य ही इनसे चरित्र का निर्माण होता है ..... पर भूख के लिए की गई चोरी ? मुख्य चोर से...
DR. ANWER JAMAL
इक्का दुक्का लोगों की खुदकुशी को अब लोग ज़्यादा तवज्जो नहीं देते। कह देते हैं कि भावना में बहकर उन्होंने ऐसा क़दम उठा लिया लेकिन जब पूरा परिवार ही खुदकुशी कर ले तो आज भी लोग सिहर उठते हैं।
Sadhana Vaid
इक्कीसवीं सदी के इस मुकाम पर पहुँच कर हम गर्व से मस्तक ऊँचा कर खुद के पूरी तरह विकसित होने का ढिंढोरा पीटते तो दिखाई देते हैं लेकिन सच में हमें आत्म चिंतन की बहुत ज़रूरत है कि...
DR. ANWER JAMAL
.fullpost{display:inline;} सर्च इंजन में सामग्री ढूंढ़ते समय कुछ छोटी-छोटी टिप्स वक्त भी बचा सकती हैं और मेहनत भी...
DR. ANWER JAMAL
लोग कहते है कि समस्याओं का समाधान है शिक्षा , तब समस्याएँ लगातार क्यों बढती जा रही हैं जबकि शिक्षा लगातार बढ़ रही है और उसका स्टार भी बढ़ता ही जा रहा है ?आप देखिये यह रिपोर्ट :गर्लफ्रेंड के इनकार पर आईआईटियन ने दी जानवस॥
रमेश कुमार जैन उर्फ़ "सिरफिरा"
नवभारत टाइम्स पर पत्रकार रमेश कुमार जैन का ब्लॉग क्लिक करके देखें "सिरफिरा-आजाद पंछी" (प्रचार सामग्री)क्या पत्रकार केवल समाचार बेचने वाला है?
DR. ANWER JAMAL
हमने एक पोस्ट लिखी थी ‘इस्लाम पर सवाल क्यों आते हैं ?‘ इस पर हमारे एक ब्लॉगर भाई की टिप्पणी हमें प्राप्त हुई है और आप देखेंगे कि इसमें बड़े सादा और स्पष्ट से अंदाज़ में एक बात कह दी गई है। आदरणीय रविकर जी ने हमारी पोस्ट पर कहा कि...
HAKEEM YUNUS KHAN
Chandi Dutt Shuklaराम की तो राम जानें / खग-मृग से उन्होंने क्या पूछा, क्या सुना जवाब पर व्याकुल, एकाकी मैं... तलाशता रहा तमाम ठीहे,जहां, कोई खग दिखे, चोंच में तिनका या चिट्ठियां दबाए...
PRERNA ARGAL
ब्लॉगर्स मीट वीकली (13)----------------------------- " घोटालों की बेल" ( डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")आज राम के देश में, फैला रावण राज।कैसे अब बच पाएगी, सीताओं की लाज।।
दिनाँक - 10 सितंबर 2011 ब्लॉग का नाम - हिन्दी ब्लौगर्स फोरम इंटरनेशनल विषय - हिन्दी ब्लॉगिंग गाइड कड़ी - 33 उप विषय - साझा ब्लॉग कैसे बनाएँ ? पोस्ट पाठक संख्या - 13 टिप्पणी या प्रतिक्रिया - 0 (शून्य) और लेखक - महेश बारमाटे "माही" जी...
आलोक पुराणिक
सरकार खाद से लेकर डीजल तक पर सब्सिडी देती है। बेरोजगार नौजवानों को लैटर वगैरह, इंटरनेट पर मेसेज भेजने, मोबाइल पर मेसेज भेजने में काफी रकम खर्च करनी पड़ती है। सरकार को बेरोजगार नौजवानों को लव सब्सिडी देने का प्रावधान करना चाहिए। लव सब्सिडी प्रति लव के हिसाब से मिलनी चाहिए। चार तक लव अफेयरों के लिए सरकार से सब्सिडी मिलनी चाहिए। चालीस वर्ष की उम्र तक के नौजवानों को यह सब्सिडी मिलनी चाहिए।
पंडित जी... अब क्या नंगा करके भेजोगे?
ब्लॉग - हिमालय की गोद से
लेखक शरद गुप्ता"क्या करते हो", पंडित ने व्यक्ति के कंधे पर हाथ रखते हुए पूछा |
"मेरी दिल्ली में कपड़े की दुकान है", व्यक्ति दोनों हाथ जोड़ता हुआ बोला |
उसके इतना बोलने की देर थी कि पंडित ने फट से उसके और उसके परिवार के सभी सदस्यों के गले में हार डाल दिए | 4-5 रटे रटाये मंत्र पढ़े और 501 रुपये चढ़ाने को कहा | व्यापारी ने पैसे चढ़ाए और अपने आप को ठगा सा महसूस करता हुआ हमारे पास बैठ गया |
टॉन्सिल एवं एडिनॉइड सामान्यतः बच्चों में और कभी-कभी बड़ों में गले में खराश या तेज़ दर्द, बुखार, निगलने में तकलीफ होती है। जाँच में गले के अंदर स्थित दोनों ओर के टॉन्सिल फूले ... |
खाली-पीली
जब दिमाग तर हो गया तो बुजुर्ग बेईमान बोला, 'तुम लोग बेकार बौखला रहा है। दुनिया में बेईमानी उतना ईच पुराना है जितना इंसान का इतिहास। तुम लोग ने महाभारत तो पढ़ा ईच होएंगा। विद्वान उसको इतिहास बी बोलता है। महाभारत होने का मेन कारण क्या था- बेईमानी ! यानी, बेईमानी नहीं होता तो इतना महान सांस्कृतिक ग्रंथ नहीं लिखा जाता। इसलिए, हम लोग को बेईमानी का विषय से निराश नहीं होना चाहिए।'
भारत भूषण
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Red oil though righteous from Libyan angle. |
तानाशाह भारत से इतना प्रेम क्यों करते हैं? अपनी ख़ास नीयत के बारे में बताओ न मीडिया प्यारे.
फातिमा कुलसुम जोहर गोदाबरी
सउदी अरबिया की मलिका
क्षमा सहित, सादर
दिनेश गुप्ता 'रविकर' जी की शिकायत
और इस पर हमारी एक टिप्पणी चुभती हुई सी
चन्द्र मौलेश्वर प्रसाद भ्रष्टाचार का राष्ट्रीयकरण
[भ्रष्टाचार का मुद्दा दिनोदिन बढ़ता ही जा रहा है। इस मुद्दे पर मेरे कुछ विचार २ अक्टूबर २००० (गांधी जयंति) को ‘स्वतंत्र वार्ता’ में प्रकाशित हुए थे। शायद आज भी वे और अधिक प्रासंगिक हो गए हैं, इसलिए यहाँ उसे पुनः उद्धृत कर रहा हूँ]
बाहर निकलो, और दुनिया देखो
सब तरफ रिश्तों की भीड़ लगी हैं
अहसासों का बाजा़र सजा है
जो चाहो पा सकती हो……..
माहेश्वरी कनेरी
अब तुम्हीं से क्या छुपाएं, सब बता जाने के बाद।
हम कहाँ भूखे रहे, ग़म इतना खा जाने के बाद।।
नाटक साहित्यनुक्कड़ नाटकमनोज कुमारआज़ादी के बाद जनवादी मंच शिथिल पड़ने लगा। जन नाट्य मंच के रंग-निर्देशक उत्पल दत्त, बलराज साहनी आदि और रंगकर्मी एवं अभिनेता फ़िल्मों में चले ... |
किरण बेदी जी बिज़नेस क्लास का टिकट लेकर इकॉनॉमी क्लास में सफ़र कर रही हैं तो इससे देश की अर्थव्यवस्था पर क्या बुरा असर पड़ा ?अगर वह कुछ रक़म बचा कर इसे ज़रूरतमंदों को दे रही �... |
ज्योति-पर्व की ख़ूब बधाई सबको मुबारक़ हो मंहगाईआई फिर दीपावली, ले कर नव उल्लास उजियारे का हो रहा, भीतर तक आभास भीतर तक आभास, लगी सजने दूकानें धीरे धीरे ग्राहकगण, भी लगे हैं ... |
लेखक मार्कण्डेय राय अपनी मिटटी के लिए तड़प क्या होती है ? बिछड़ने के बाद जान पाए उन्हें सलाम, जो वही रहे हम तो भाई नकली हो गए उन हवाओं को सलाम जो उस मिटटी को छू कर आये इन हवाओं में वह खुशबू कहाँ ! ये तो दूषित और नकली... मियां बात ऐसी है कि आज अनवर जमाल साहब की पोस्ट "क्यों मर रहे हैं उच्च शिक्षित हिंदू युवा।" पढ़ते ही दिमाग झनझना गया। संघ का तो कोई आदमी जवाब क्या देता,...
डा. अनवर जमाल ख़ानपुस्तक 'इस्लाम आतंक? या आदर्श ' में कुरआन में लिखीं जिहादी 24 आयतों को विस्तार से समझाया है कि इनमें अच्छा ही अच्छा है बुरा कुछ भी नहीं, सोचा यह जानकारी हिन्दू-मुस्लिम प्यार बढाने वाली है . |
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