पत्रकारों की खरीद फरोख्त और फिर बिक्री .........


जी हाँ दोस्तों भाजपा जो भ्रष्टाचार के खिलाफ खुद को साबित करना चाहती है जो भ्रष्टाचार और लोकपाल मामले में अन्ना का समर्थन करती है वही भाजपा अपने मंत्री और सांसदों के सामने कथित भावी प्रधानमन्त्री की रथयात्रा के पक्ष में खबरें छापने के लियें पत्रकारों को रिश्वत देती हुई रंगे हाथों पकड़ी जा रही हैं ...............भाजपा और नेता सभी पत्रकारों के माजने जानते हैं और यही वजह हे के देश में राजनितिक तोर पर किये गये बढ़े बढ़े अपराध अख़बार ढक कर रखते हैं और नेता जनता का खून चूसते रहते हैं अफसरों का भी यही हाल है अख़बारों को टुकडा डालो और देश को लूट लो ...............लेकिन इस बार सतना में रूपये बाँट रही भाजपा के नेताओं के इस कारनामे को कुछ आदर्शवादी पत्रकारों ने गम्भीरता से लिया और हालात यह रहे के बात निकल कर बाहर आ गयी ..दोस्तों में भी कई वर्षों से पत्रकारिता से जुडा रहा हूँ पत्रकारिता की उंच नीच और खरीद फरोख्त से खूब वाकिफ हूँ ..कोई भी अधिकारी कोई भी नेता केसे पत्रकारों को प्रभावित करता है या पत्रकार ऐसे लोगों को केसे प्रभावित करने के लियें मजबूर कर देते है मेने नजदीक से देखा है में हर दम प्रेस कोंफ्रेंस में शराब पार्टियों और फिर गिफ्ट संस्क्रती के खिलाफ रहा हूँ बड़े नेता तो हर साल होली दीपावली पर विशिष्ठ पत्रकारों के घरों पर लाखों के गिफ्ट बांटते हैं ताकि उनके कच्चे चिट्ठे छुपे रहे...नेता चुनाव लड़ता है तो करोड़ों का बजट केवल अख़बार के लियें अलग निकाल कर रख देता है व्यवसाय करने वाला कोई भी व्यक्ति चालीस फीसदी बजट पत्रकारों के लियें इसीलियें अलग से निकालता है के बाद में शहर में वोह अगर जनता को लूटे तो उसके खिलाफ कोई खबर नहीं छपे कोचिंग हो अस्पताल हों चाहे जो भी हों अगर इन लोगों के यहाँ छापे भी पढ़ते हैं तो अख़बार इन संस्थानों का नाम नहीं देकर केवल एक संस्था लिखकर एक लाइन की खबर बना कर खुद को निष्पक्ष पत्रकार कहने का सोभाग्य प्राप्त करते हैं ..अभी हाल ही में यह गंदगी ब्लोगिंग की दुनिया में भी आने लगी है विज्ञापन और निजी प्रचार के लियें ब्लोगिग्न शुरू कर दी गयी है और लाभ के लियें प्रभावित हो रही है ...........प्रेस कोंसिल के नये अध्यक्ष मार्कड काटजू ने तो साफ़ तोर पर पत्रकारों में से कई पत्रकारों पर रूपये लेकर खबरे छपने नेताओं से पैकेज लेकर उनका चुनावी महिमा मंडन करने के सुबूत सहित रिपोर्ट पेश की है ..हाल ही में प्रेस कोंसिल और चुनाव आयोग की एक रिपोर्ट में साफ़ कहा गया है के पत्रकार काफी हद तक पेड न्यूज़ छाप कर चुनाव को प्रभावित करते हैं और इसीलियें उत्तर प्रदेश के उप चुनाव में पहले से ही पत्रकारिता और नेतागिरी की इस सांठ गाँठ पर अंकुश लगाने के बारे में रणनीति तय्यार की है यह सर्वविदित है के पत्रकार थोड़े से लालच में नेताओं की वोह छवि जनता के सामने पेश करते हैं जो वोह नहीं होते हैं और जो उनके काले कच्चे चिट्ठे होते हैं उन्हें थोड़े लालच के चक्कर में ढक देते हैं नतीजन जनता भ्रमित होती है और सही नेता का चयन नहीं हो पाता बाद में जनता पांच साल रोती है यही हाल देश में सरकारी दफ्तरों उनकी योजनाओं की क्रियान्विति को लेकर गोस्पिंग पत्रकारिता पर विज्ञापित पत्रकारिता के कारण हो रहा है एक टी वी चेनल तो नेता अगर बुखार में हो ..नये कपड़े सिलवाये ..ज़ुकाम हो जाए या फिर कहीं गलती से कोई अच्छा काम हो जाए तो उसे प्रमुखता से टेलीकास्ट करता है और में शर्मसार से यह सब देखता हूँ भला हो उन चुनिन्दा पत्रकारों का जिनकी वजह से खरीद फरोख्त के खिलाफ आवाज़ उठी है और जल्द इस गंदगी को साफ़ करने की दिशा में प्रेस कोंसिल कोई ना कोई तो कदम उठाएगी लेकिन इसके लियें पत्रकारिता से जुड़े लोगों के जमीर को भी राष्ट्रहित में जगाने की जरूरत है ............काश ऐसा हो जाए के पत्रकारिता देश की निष्पक्ष और तेज़ तर्रार निर्भीक तीसरी आँख हो जाए तो देश सुधार जाए .........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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दोस्ती को बदनाम करती लड़कियों से सावधान रहे.

यह दोस्ती हम नहीं छोड़ेंगे...
प्रिय पाठकों, आज दोस्ती के मायने बदल चुके हैं. आप दोस्ती जैसे पवित्र नाम को बदनाम करती लड़कियों से सावधान रहे. आज मेरी फेसबुक पर एक लड़की से हुए वार्तालाप में मेरा अनुभव नीचे देखें और सच्ची दोस्ती की परिभाषा को व्यक्त करता मेरा ब्लॉग देखें (दोस्ती की बड़ी नाजुक होती है डोर http://sachchadost.blogspot.com/2010/11/blog-post.html)
लड़की :-namaskar sirfire j (नमस्कार सिरफिरे जी )
सिरफिरा:-आपको भी नमस्कार जी,
लड़की :-aap kin kin baton ka jawab dene me samarth hain­ ­ (आप किन-किन बातों का जवाब देने में समर्थ हैं)
सिरफिरा:- जैसे-जैसे मौत की घड़ियाँ नजदीक आती गई ! वैसे-वैसे अर्थी उठाने वालों की संख्या बढती गई !!
लड़की :- bekaar hai­ ­ ye wala­ ­(बेकार है ये वाला)
सिरफिरा:-इसको कहते है हिम्मत वाली लड़की, सच बोलने वाली
लड़की :-ji han­ ­,mujhe jo pasand nh aata saaf bol deti hun­ ­(जी हाँ, मुझे जो पसंद नहीं आता साफ़ बोल देती हूँ)
सिरफिरा:-इसी का नाम ईमानदारी और स्पष्टवादिता कहते हैं.
लड़की :-acha btao ab ki kin kin baton ka jawab de te ho aap­ ­(अच्छा बताओ अब कि किन-किन बातों का जवाब देते हो आप)
सिरफिरा:-जिसका जवाब मालूम नहीं होता उसका ईमानदारी और स्पष्टवादिता से मना कर देंगे.
लड़की :- thk hai­ ­ (ठीक है)
सिरफिरा:-किसी को बीच में नहीं लटकाते है.
लड़की :- mera cell recharge kra do ge plz­ ­ (मेरा सेल रिचार्ज करा दोगे प्लीज़)
सिरफिरा:-बिल्कुल नहीं ? यह कार्य कोई हुश्न के दीवाने करते हैं.
 लगभग आधे घंटे के बाद तक जवाब नहीं आने पर क्या हुआ यह जानने के लिये यहाँ पर किल्क करें और पढ़ें.
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साहित्य सुरभि: अग़ज़ल - 26 दिलबाग विर्क-

साहित्य सुरभि: अग़ज़ल - 26: कोई भी तो नहीं होता इतना करीब दोस्तो खुद ही उठानी पडती है अपनी सलीब दोस्तो. दोस्त बनाओ मगर दोस्ती पे न छोडो सब कुछ क्य...
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नैतिक समाज का निर्माण बाजार नहीं कर सकता

ऐसे ही घूमते हुए 'गोपाल सिंह चैहान' के लेख पर नज़र पद गयी ,
आप भी देखिये और बताइए कि कैसा है यह लेख ?
http://www.commutiny.in/mediafeatures/media

मीडिया साक्षरता: एक नई उम्मीद

इस देश के बुद्धिजीवियों का एक बड़ा वर्ग यह मानता है कि आज के दौर में हम सभी 'नॉलेज सोसायटी' का हिस्सा हैं, जिसमें ज्ञान के एक बड़े हिस्से को समाज के सभी वर्गों तक पंहुचाने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मीडिया के कंधे पर है। लोकतंत्र के महत्वपूर्ण स्तंभ के रूप में भी मीडिया से इस तरह के योगदान की अपेक्षा पहले भी थी और आज भी है। किसी भी नैतिक समाज के निर्माण के लिए यह जरूरी है कि उसका आधार एक सही ज्ञान की जड़ों से जुड़ा हो। यूनेस्को की एक रिपोर्ट "The World Ahead: Our Future in the Making", में यह साफ रेखांकित किया गया है कि किसी भी नैतिक समाज का निर्माण बाजार नहीं कर सकता।
यह अलग बात है कि यदि आज हम पहले से अधिक एक असमान समाज की सच्चाई में जी रहे हैं तो इसकी जिम्मेदारी बाजार के अलावा मीडिया के ऊपर भी है। उदारीकरण की प्रेरणा से भारत में पिछले कुछ सालों से उपजी 'सूचना क्रांति' की सबसे सफल संतान 'मीडिया' ने सभी ज्ञान परंपराओं को पछाड़ते हुए समाज की शिक्षा की दिशाओं को एक नये ढर्रे में मोड़ दिया। समाचार, दृश्य और विश्लेषण की त्रिआयामी जकड़ आज हर आदमी को यह जानने के लिए मजबूर कर रही है कि देश और विश्व में इस समय क्या चल रहा है। घटनाएं व्यक्तियों से ज्यादा महत्वपूर्ण लगने लगी हैं। धीरे-धीरे पैसे की बेशुमार आवक से इसमें फैशन, ब्यूटी, अपराध, हत्याएं इस कदर शामिल होती गयीं जहां से सच्चाई और नैतिकता का विचार ही एक अपराध बोध की तरह लगता है। उसने ज्ञान का हिस्सा बनने से कहीं ज्यादा बाजार का हिस्सा बनना पसंद किया। यही कारण है कि आज स्कूली या अन्य औपचारिक, अनौपचारिक शिक्षा माध्यमों से जुड़े चितंक, लेखक, विश्लेषक या नीति निर्देशक 'मीडिया साक्षरता' को पाठ्यक्रम का आवश्यक अंग मानने लगे हैं। वो इस बात पर जोर दे रहे हैं कि इस देश में पढ़ने वाले छात्र यह समझें कि समाज और संस्कृति की चेतना में मीडिया आज क्या भूमिका निभा रहा है।
'मीडिया साक्षरता' इस देश के लिए एक नयी अवधारणा है। लेकिन विश्व के कई हिस्सों में विशेषकर विकसित राष्ट्रों में बहुत सालों से इसको लेकर प्रयोग किये जा रहे हैं। भारत में 'मीडिया साक्षरता' पर कितना काम हुआ है और इसके क्या परिणाम दिखाई दे रहे हैं, अभी इस पर कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। लेकिन यह जरूर देखा जा सकता है कि एनसीईआरटी (राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद) के अलावा अन्य संस्थाओं, स्कूलों के अलावा बड़ी संख्या में अध्यापकों और शिक्षा-शोध से जुड़े लोग इसको लेकर काफी गंभीर हैं।
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धोके बाजी 

क्या धोका देना ,किसी को परेशान करना ,झूठ बोलना .किसी की सरलता का फायदा उठाकर अपने को चतुर और दूसरे को बेवकूफ समझना ये हम इंसानों की फितरत है /और इससे  हम किसका भला कर रहे हैं /कुछ लोग इस तरह की हरकतें करते हैं और इस कारण सही जरुरत मंद इंसान की मदद करने में भी लोग विस्वास नहीं करते/
कुछ लोग बीमारी का बहाना बनाते हैं और लोगों की सहानुभूति क फायदा उठाते है परन्तु जब उनकी असलियत  का पता चलता है तो लोगों का विस्वास खो देते हैं /और फिर जो ब्यक्ति सच में बीमार होता है परन्तु धोका खाने के बाद लोग उसकी भी मदद करने में हिचकिचाते हैं /किसी की मदद करके उसको घर में काम करने के लिए रखो की चलो गरीब आदमी का भला हो जाएगा /परन्तु जब वो ही गरीब आदमी घर से चोरी करके या घर के लोगों को शारीरिक नुक्सान पहुंचाकर फरार हो जाता है /तो और गरीब की मदद करने के लिए इंसान फिर विस्वास नहीं कर पाता है /इसी  प्रकार  साधु सन्यासी के भेष में आकर लोगों को बेबकूफ बनाकर लूटने की घटना आये दिन होती रहती है तो इस कारण अब साधु सन्यासीओं पर कोई विस्वास नहीं करता /   
सड़क पर कई बार लोग दुर्घटना का नाटक कर कर लेट जाते हैं और गाडी वाला कोई भला आदमी गाडी रोककर उसकी मदद करने के लिए रूकता है तो उसके गैंग  के आदमी आकर उसको लूट लेते हैं और वो भला आदमी अच्छे काम के चक्कर में अपने धन के साथ साथ कई बार शारीरिक नुकशान सहने के लिए भी मजबूर हो जाता है /इस कारण अब सच में हुई दुर्घटना के कारण पड़े हुए आदमी को देखकर भी लोग अपनी गाडी नहीं रोकते की पता नहीं सच है की झूठ /जिस कारण कई बार समय पर इलाज नहीं होने के कारण घायल इंसान की जान भी चली जाती है / हमारी कानून ब्यवस्था भी ऐसी है की मदद करने वाला चाह कर भी इन सब झमेलों के कारण मदद नहीं कर पाता /फिर लोग इंसानियत की दुहाई देते हैं की लोगों में इंसानियत नहीं बची //
बीमारी का बहाना करके लोग मदद मांगते हैं /परन्तु जब मदद करनेवाले को ये पता लगता है की वो झूठ बोल रहा है उसे कोई बीमारी नहीं हैं वो तो धोका दे गया है /तो जो सही में बीमार है उसकी मदद करने में भी लोग हिचकचाते हैं की पता नहीं ये सच कह भी रहा है या नहीं /
ऐसे कई उदहारण मिल जायेंगे की अपने स्वार्थ और लालची प्रवृति के कारण इंसान इंसान को धोका दे रहा है .बेईमानी कर रहा है/परन्तु कुछ लोगों के ऐसा करने के कारण इंसान का इंसान से विस्वास उठ रहा है /लोग किसी की मदद करने में .भलाई करने में डरने लगे हैं /अच्छे लोग भी बुरे बनने लगे हैं /इसीलिए दुनिया में अच्छाई कम होने लगी है और बुराई बढ़ने लगी है /    
हमे अपनी सोच बदलने की जरूरत है /बदमाशी ,बेईमानी की जगह मेहनत करके पैसे कमाने की इच्छा रखना चाहिए /   कुछ लोगों की ऐसी हरकतों के कारण आज इंसान अपनों पर भी विस्वास करने में हिचकचाने लगा है /अगर इंसान ये समझ जाए तो इस दुनिया से काफी बुराई कम हो जायेगी /
इंसान इंसान से डरने लगा है 
एक दूसरे पर विस्वास कम करने लगा है 
अपनी बुरी प्रवृतियो को हमने नहीं बदला 
तो इस दुनिया में रहना मुश्किल होने लगा है  
  
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"पेड़ लगाओ, देश बचाओ !!"




"पेड़ लगाओ, देश बचाओ !!"

बहुत पुराना है नारा ;

हकीकतन इससे सबने

पर कर लिया किनारा |



वो औद्योगीकरण के नाम पे,

जंगल के जंगल उड़ाते हैं;

पेड़ काट के नई इमारतों का,

अधिकार दिए जाते हैं |



नीति कुछ ऐसी है-

"जंगल हटाओ, विकास रचाओ !" 

पर कहते हैं जनता से,

"पेड़ लगाओ, देश बचाओ !!"
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मेरे जैसे बन जाओगे जब इश्क तुम्हें हो जायेगा

 मेरे जैसे बन जाओगे जब इश्क तुम्हें हो जायेगा 
दीवारों से सर टकराओगे जब इश्क तुम्हें हो जायेगा
हर बात गवारा कर लोगे मन्नत भी उतारा कर लोगे 
ताबीज़ें भी बंधवाओगे जब इश्क तुम्हें हो जायेगा
तन्हाई के झूले खूलेंगे हर बात पुरानी भूलेंगे 
आईने से तुम घबराओगे जब इश्क तुम्हें हो जायेगा
जब सूरज भी खो जायेगा और चाँद कहीं सो जायेगा 
तुम भी घर देर से आओगे जब इश्क तुम्हें हो जायेगा
बेचैनी बढ़ जायेगी और याद किसी की आएगी 
तुम मेरी गज़लें गाओगे जब इश्क तुम्हें हो जायेगा

सईद राही

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आबो हवा


नहीं रहा अब

दुनिया पे यकीन,
भरोसे जैसी कोई
अब चीज कम है ;
बदल गये लोग
बदल गई मानसिकता,
बदल गई सोच
खतम हुई नैतिकता ;
हमने ही सब बदला
और कहते हैं आज
कि अच्छी नहीं रही
अब आबो हवा |
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हिंदी फ़ॉन्ट्स यूनीकोड में बदलना Hindi Blogging Guide (36)

हिन्दी ब्लॉगर को जानना चाहिए कि अगर उसने अपने कम्प्यूटर पर हिंदी में कुछ टाइप किया है और वह उसे अपने ब्लॉग पर डालना चाहता है या  उस मैटर को किसी ब्लॉग पर टिप्पणी के रूप में पेश करना चाहता है तो उस लिखित सामग्री को पहले यूनीकोड में बदलना ज़रूरी है .
उदहारण के तौर पर अगर आपने कृतिदेव 10 के फॉण्ट में लिखा है तो आप को जाना होगा इस लिंक पर 

आपके सामने एक साइट खुलेगी , ऊपर वाले बॉक्स में आप अपना लिखा मैटर डाल दें और फिर कन्वर्ट करने के लिए बीच में बने हुए बटन पर क्लिक कर दीजिये. नीचे के बॉक्स में सारा मैटर यूनीकोड में बदल कर हाज़िर हो जायेगा. आप उसे कॉपी करके जहाँ चाहें वहाँ इस्तेमाल करें ,
नीचे एक लिंक दिया गया है , इस पर आप जायेंगे तो आपको बहुत से हिंदी फ़ॉन्ट्स के कन्वर्टर मिल जायेंगे .
यह जानकारी हमारे उस्ताद जनाब मुहम्मद उमर कैरानवी साहब के तुफ़ैल पेश की जा रही है.
एक लिंक और भी देखिएगा आज़माकर
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ब्लॉगर्स मीट वीकली (12) Tajmahal


ब्लॉगर्स मीट वीकली (12)





1. Taj Mahal
2. Garden
3. Great Gate
4. Jilaukhana (Forecourt)
5. Jama Masjid
6. Agra India
7. - Screen
8. How to reach Agra
9. Riverfront Terrace
10. Mosque & Mihman Khana


Good Morning! Welcome to TAJ MAHAL !
The Taj Mahal is the epitome of Mughal art and one of the most famous buildings in the world. Yet there have been few serious studies of it and no full analysis of its architecture and meaning. Ebba Koch, an important scholar,  has been permitted to take measurements of the complex and has been working on the palaces and gardens of Shah Jahan for thirty years and on the Taj Mahal itself—the tomb of the emperor's wife, Mumtaz Mahal—for a decade.

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" इतना नहीं ख़फा होते" ( डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")


ज़रा सी बात पे इतना नहीं ख़फा होते
हमेशा बात से मसले रफा-दफा होते

आदरणीय श्री रूपचंद शास्त्री मंयक जी का इस 11वीं महफ़िल में  अपने सभापति  के रूप  में स्वागत करते हैं और आप सभी हिंदी ब्लॉगर्स का भी  दिल से स्वागत है .
और सभी  ब्लॉगर्स  को  प्रेरणा अर्गल का प्रणाम और सलाम .

आज सबसे पहले मंच की पोस्ट्स 

 अनवर जमालजी की रचनाएँ 


हिमाचल प्रदेश के बैजनाथ में कभी नहीं जलता रावण का पुतलाअगले पांच साल में ढह जाएगा ताजमहल !
तीर्थ यात्रियों पर बस चढ़ा कर 7 को मार डाला ड्राइवर ने किराए के विवाद में News यहां मुसलमान करते हैं रामलीला का आयोजन  गाँधीजी, कुरान और मुसलमान
कैसे दूर करें शिकायतें ?काश नफरतें और फासले खत्म हो जायेंब्लॉगर्स मीट वीकली (11) 2 October

  अख्तर  खान  "अकेलाजी "   की रचनाएँ

कहते हैं कल रावण वध है ...
महेंद्र  श्रीवास्तवजी की रचना 
मैं छह महीने पुराना हो गया...डॉ. अयाज अहमद जी की रचना लोग आलोचनात्मक टिप्पणियों को पचा नहीं पाते 

मंच से बाहर की पोस्ट    

 पप्पू  परिहारजी की रचना 
तेजवानी गिरधर जी   की रचना 
साधना वैद जी की रचना 
.
नीलकमल वैष्णव जी की रचना 
दुआ..


.
रवीन्द्र प्रभात जी की रचना 

मरासिम....

 अनुपमा त्रिपाठी..जी की रचना 


सूरज साथ है मेरे .....!!





विशाल जी की रचना 


मैं तो बस रेत हूँ

कासमी जी  की रचना  
सनातन सन्देश
My Photo
रविकर जी की रचना 
दस सिर सहमत नहीं रहे थे |
[2.jpg]
आनंद द्विवेदी जी की रचना 

मौसम सुहाना आ गया ...










सुनील कुमार जी की रचना 


इसे मैं क्या कहूँ ?......

मदन शर्मा जी की रचना 

अपने रावण को मारो

.

कैलाश सी.शर्माजी की रचना 

सूना आकाश


http://sharmakailashc.blogspot.com/2011/10/blog-post_08.html


प्रदीप तिवारी जी की रचना 

मै और तुम =मै


कविता रावतजी की रचना 

बदलती परिस्थितियों के अनुरूप अवतार प्रयोजन : विजयादशमी



बब्लीजी की रचना 
 ख़्वाबों में मत तराश 



'लंबे बच्चे चाहिए तो बीवी लाएं दूर की'


BBC सुनने में यह बात अजीब-सी लग सकती है, लेकिन पोलैंड के वैज्ञानिकों का दावा है कि अगर पति और पत्नी एक ही शहर के हैं तो उनके बच्चे का कद...

चुंबन पर रोक की मांग


जर्मनी में ऑफिसों में चुंबन पर रोक की मांग पश्चिमी देशों के समाज में एक दूसरे से मिलने पर चुंबन की प्रथा को तिरछी निगाहों से नहीं देखा जात...

गाज़ियाबाद के मुशायरे में...


ज़ुबां  से कहूं तो है तौहीन उनकीवो ख़ुद जानते हैं मैं क्या चाहता हूं -अफ़ज़ल मंगलौरी जब से छुआ है तुझको महकने लगा बदन फ़ुरक़त ने...

नास्तिकता का ढोंग रचाते हैं कुछ बुद्धिजीवी

Afganistan में सोम बूटी आज भी मिलती है लेकिन 'होम' (Haoma) के नाम से

कामनाएं और प्रार्थनाएं कब फलीभूत होती हैं ? Vedic Hymns

राम को इल्ज़ाम न दो Part 1

इस्लाम सारी मानव जाति के लिए संपूर्ण मार्गदर्शन है

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जिंदगी से संतुष्ट थे, इसलिए कपल ने कर ली आत्महत्या


आम तौर पर लोग आत्महत्या तब करते हैं जब वे किसी समस्या से परेशान हो जाते हैं और उन्हें लगता है कि उनके लिए अब मरने के सिवा कोई और रास्ता नहीं है उस समस्या से बचने का . लेकिन हक़ीक़त यह है कि ऐसे लोग भी आत्महत्या करते हैं जो कि अपने जीवन से संतुष्ट होते हैं . गोवा में ऐसा ही वाकया पेश आया . 
उन्होंने कहा अपने सुसाइड नोट में लिखा है कि उनकी 'फिलॉसफी' यह है कि जीवन उनकी मिलकियत है और उसे जब चाहें वे समाप्त कर सकते हैं.
इसमें कोई शक नहीं है कि यह एक बिलकुल ग़लत सोच है . 
जितने भी लोग आत्महत्या करते हैं उसके पीछे हमेशा ग़लत सोच मौजूद मिलेगी.
सही सोच यह है कि अपने आप को पैदा करने वाले हम ख़ुद नहीं हैं और न ही हम अपने तन मन धन के मालिक हैं . हमारा और हमारे पास जो कुछ है, उस सब का मालिक वास्तव में वह है जिसने हमें पैदा किया है.हम तो उसके बन्दे और ग़ुलाम हैं , हमें उसकी योजना को फ़ॉलो करना है और तब तक जीना है जब तक कि वह ख़ुद हमें मौत नहीं दे देता और केवल वही काम करने हैं , जिन्हें करने का हुक्म उसने हमें दिया है.
इस्लाम की शिक्षा यही है .
किसी की जान लेना या अपनी जान देना या किसी भी जान को नाहक़ तकलीफ़ देना इस्लाम में सख्त हराम है.
किसी और फिलोसफी में ऐसा नहीं है . इस्लाम की जानकारी और इस्लाम में आस्था लोगों को आत्महत्या से रोक सकती है और यही वजह है कि दुनिया में जितने भी लोग आत्महत्या करते हैं  उनमें सबसे कम संख्या मुसलमानों के होती है और उन मरने वाले मुसलामानों में भी देनदार मुसलमान एक भी नहीं होता. 
दीं की सही समझ न सिर्फ आत्महत्या से रोकती बल्कि वह हत्या से भी रोकती है. ह्त्या हो या आत्महत्या , आदमी करता ही तब है जबकि उसकी सोच गलत हो जाती है और गलती कभी धर्म नहीं होती. 
गलती से बचो , धर्म पर चलो ताकि उद्धार पाओ.
देखिये गोवा में हुए हादसे की तफ़्सील :    
suicide.jpg
पणजी।। अब तक आपने जिंदगी से निराश लोगों द्वारा की गई खुदकुशी के बारे में सुना होगा, लेकिन गोवा में एक कपल ने इसलिए आत्महत्या कर ली कि वह जिंदगी से संतुष्ट हो चुका था। इस कपल को जिंदगी ने वह सब कुछ दिया था, जो उसे चाहिए था। 

गोवा के पणजी शहर के मर्सेस इलाके में एक यंग कपल आनंद (39) और दीपा रंथीदेवन (36) ने पंखे से लटककर आत्महत्या कर ली। पुलिस को इस घटना के बारे में तब पता चला, जब पड़ोसियों ने पुलिस में इसकी शिकायत की। पुलिस का कहना है कि इनके पास से जो सूइसाइड नोट मिला है, उसमें किसी को भी इसके लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया गया है। 
एक पन्ने के सूइसाइड नोट में इस कपल ने लिखा है, 'हम दोनों ने एक साथ बहुत ही शानदार जीवन बिताया है। जीवन से हमें वे सारी खुशियां मिलीं, जिसकी लोग तम्मना रखते हैं। हमने पूरी दुनिया की यात्रा की और हम विश्व के कई शहरों में रहे। हमने इतना पैसा कमाया जितना कि हमने कभी सोचा भी नहीं था। हमने जिंदगी को खूब इंजॉय किया और हम अपने जीवन से संतुष्ट हो चुके हैं। हम इस फिलॉसफी में विश्वास रखते हैं कि हमारा जीवन सिर्फ हमारा है और इसे जीने या खत्म का अधिकार भी सिर्फ हमारा है।' 
इसमें आगे लिखा है कि कपल पर कोई देनदारी या लोन नहीं है। इसमें उनकी पूरी प्रॉपर्टी के बारे में जानकारी दी गई है। उन्होंने अपने अंतिम संस्कार के लिए 10 हजार रुपए भी छोड़ रखे हैं। सूइसाइड नोट में कपल ने लिखा है कि जो शख्स इस नोट को पाएगा वह हमारी अंतिम क्रिया करवा देगा। हमारी इच्छा है कि हमारा अंतिम संस्कार सरकारी श्मशान घाट पर किया जाए। पुलिस ने इस कपल के घर वालों और रिश्तेदारों को इस घटना की जानकारी दे दी है। 


पुलिस का मानना है कि कपल ने तीन दिन पहले आत्महत्या की होगी क्योंकि वह 3 अक्टूबर तक शहर के मशहूर फाइव स्टार रिजॉर्ट में रह रहे थे। वह वहां पर 2 महीने तक रहे।

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गर्मियों की छुट्टियां

अनवर भाई आपकी गर्मियों की छुट्टियों की दास्तान पढ़ कर हमें आपकी किस्मत से रश्क हो रहा है...ऐसे बचपन का सपना तो हर बच्चा देखता है लेकिन उसके सच होने का नसीब आप जैसे किसी किसी को ही होता है...बहुत दिलचस्प वाकये बयां किये हैं आपने...मजा आ गया. - नीरज गोस्वामी

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