एक चिडिया जो करती है पढाई



उसका नाम है रमली। वह कक्षा चार में पढती है। रोज सुबह स्‍कूल जाती है। पहले प्रार्थना के दौरान कतार में खडी होती है और फिर कक्षा में गिनती, पहाडा, अक्षर ज्ञान। इसके बाद मध्‍यान्‍ह भोजन बकायदा थाली में करती है। फिर और बच्‍चों के साथ मध्‍यांतर की मस्‍ती और फिर कक्षा में। स्‍कूल में वह किसी दिन नागा नहीं करती। रविवार या छुटटी के दिन स्‍कूल नहीं जाती, पता नहीं कैसे उसे स्‍कूल की छुटटी की जानकारी हो जाती है। रमली का मन पढाई में पूरी तरह लग गया है और अब उसने काफी कुछ सीख लिया है।

आप सोच रहे होंगे और बच्‍चे स्‍कूल जाते हैं, तो रमली भी जाती है। इसमें ऐसा क्‍या खास है कि यह पोस्‍ट रमली के स्‍कूल जाने, पढने पर लिखना पडा। दरअसल में रमली है ही खास। जानकर आश्‍चर्य होगा कि रमली कोई छात्रा नहीं एक चिडिया है। देखने में तो रमली पहाडी मैना जैसी है लेकिन वह वास्‍तव में किस प्रजाति की है इसे लेकर कौतूहल बना हुआ है। नक्‍सल उत्‍पात के नाम से प्रदेश और देश भर में चर्चित राजनांदगांव जिले के वनांचल मानपुर क्षेत्र के औंधी इलाके के घोडाझरी गांव में यह अदभुद नजारा रोज देखने में आता है।

इस गांव की प्राथमिक शाला में एक चिडिया की मौजूदगी, न सिर्फ मौजूदगी बल्कि शाला की हर गतिविधि में उसके शामिल होने ने इस गांव को चर्चा में ला दिया है। इस गांव के स्‍कूल में एक चिडिया न सिर्फ प्रार्थना में शामिल होती है बल्कि वह चौथी की कक्षा में जाकर बैठती है। अक्षर ज्ञान, अंक ज्ञान हासिल करती है और फिर जब मध्‍यान्‍ह भोजन का समय होता है तो बकायदा उसके लिए भी एक थाली लगाई जाती है। इसके बाद  बच्‍चों के साथ खेलना और फिर पढाई। यह चिडिया खुद तो पढाई करती ही है, कक्षा में शरारत करने वाले बच्‍चों को भी सजा देती है। मसलन, बच्‍चों को चोंच मारकर पढाई में ध्‍यान देने की हिदायद देती है। अब इस चिडिया की मौजूदगी ही मानें कि इस स्‍कूल के कक्षा चौथी में बच्‍चे अब पढाई में पूरी रूचि लेने लगे हैं और बच्‍चे स्‍कूल से गैर हाजिर नहीं रहते।
इस चिडिया का नाम स्‍कूल के हाजिरी रजिस्‍टर में  तो दर्ज नहीं है लेकिन इसे स्‍कूल के बच्‍चों ने नाम  दिया है, रमली। रमली हर दिन स्‍कूल पहुंचती है और पूरे समय कक्षा के भीतर और कक्षा के आसपास ही रहती है। स्‍कूल की छुटटी होने के बाद  रमली कहां जाती है किसी को नहीं पता लेकिन दूसरे दिन सुबह वह फिर स्‍कूल पहुंच जाती है। हां, रविवार या स्‍कूल की छुटटी के दिन वह स्‍कूल के आसपास भी नहीं नजर आती, मानो उसे मालूम हो कि आज छुटटी है।

इस स्‍कूल की कक्षा चौथी की  छात्रा सुखरी से रमली का सबसे ज्‍यादा लगाव है। सुखरी बताती है कि रमली प्रार्थना के दौरान उसके आसपास ही खडी होती है और कक्षा के भीतर भी उसी के कंधे में सवार होकर पहुंचती है। उसका कहना है कि उन्‍हें यह अहसास ही नहीं होता कि रमली कोई चिडिया है, ऐसा लगता है मानों रमली भी उनकी सहपाठी है। शिक्षक जितेन्‍द्र मंडावी का कहना है कि एक चिडिया का  कक्षा में आकर पढाई में दिलचस्‍पी लेना आश्‍चर्य का विषय तो है पर यह हकीकत है और अब उन्‍हें भी आदत हो गई है, अन्‍य बच्‍चों के साथ रमली को पढाने की। वे बताते हैं कि यदि  कभी रमली की ओर देखकर डांट दिया जाए तो रमली रोने लगती है। घोडाझरी के प्राथमिक स्‍कूल में  कुल दर्ज  संख्‍या 29 है जिसमें 13 बालक और 16 बालिकाएं हैं, लेकिन रमली के आने से कक्षा में पढने वालों की संख्‍या 30 हो गई है।

बहरहाल, रमली इन दिनों आश्‍चर्य का विषय बनी हुई है। जिला मुख्‍यालय तक उसके चर्चे हैं और इन चर्चाओं को सुनने के बाद जब हमने जिला मुख्‍यालय से करीब पौने दो सौ किलोमीटर दूर के इस स्‍कूल का दौरा किया तो हमें भी अचरज हुआ। पहाडी मैना जिसके बारे में कहा  जाता है कि वह इंसानों  की तरह बोल सकती है,  उसी की  तर्ज में रमली भी बोलने की कोशिश करती है, हालांकि उसके बोल स्‍पष्‍ट नहीं होते लेकिन ध्‍यान देकर सुना जाए तो  यह जरूर समझ आ जाता है कि रमली क्‍या बोलना चाह रही है। रमली के बारे में स्‍कूल में पढने वाली उसकी 'सहेलियां' बताती हैं कि पिछले करीब डेढ दो माह से रमली बराबर स्‍कूल पहुंच रही है और अब तक उसने गिनती, अक्षर ज्ञान और पहाडा सीख लिया है। वे बताती हैं  कि रमली जब 'मूड' में होती है तो वह गिनती भी बोलती है और पहाडा भी सुनाती है। उसकी सहेलियां दावा करती हैं कि रमली की बोली स्‍पष्‍ट होती है और वह वैसे ही बोलती है जैसे हम और आप बोलते हैं। हालांकि हमसे रमली ने खुलकर बात नहीं की, शायद अनजान चेहरा देखकर। फिर भी रमली है बडी कमाल  आप भी तस्‍वीरों में रमली को देखिए।  

छत्‍तीसगढ में पहाडी मैना बस्‍तर के कुछ इलाकों में ही मिलती है और अब उसकी संख्‍या भी कम होती जा रही है। राज्‍य के राजकीय पक्षी घोषित किए गए पहाडी मैना को संरक्षित करने के लिए राज्‍य सरकार की ओर से काफी प्रयास किए जा रहे हैं, ऐसे में राजनांदगांव जिले के वनांचल में  पहाडी मैना जैसी दिखाई देने वाली और उसी की तरह बोलने की कोशिश करने वाली इस चिडिया की प्रजाति को लेकर शोध की आवश्‍यकता है।  खैर यह हो प्रशासनिक काम हो गया लेकिन फिलहाल इस चिडिया ने वनांचल में पढने वाले बच्‍चों में शिक्षा को लेकर एक माहौल बनाने का काम कर दिया है।  http://atulshrivastavaa.blogspot.com
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पाकिस्तान सरकार अल्पसंख्यकों के खि़लाफ़ भेदभाव नहीं रखती

अमृतसर (एजेंसियाँ)। ‘हिन्दू और सिख परिवार निजि कारणों और हालात की वजह से पाकिस्तान से हिन्दुस्तान पलायन कर रहे हैं और यह कि जब कभी भी ऐसे वाक़यात पेश आते हैं तो फ़ौरन ही मीडिया उन को उजागर करता है। वैसे भी पाकिस्तान में हर एक के लिए एक हालात नहीं हैं। यहाँ तक कि मुसलमानों को भी अग़वा किया जाता है और वे भी आतंकवाद के साये में रह रहे हैं।‘
इन ख़यालात का इज़्हार 350 लोगों वाले एक हिन्दू जत्थे के सदस्यों ने किया है जो रायपुर शादानी दरबार के आयोजन के अवसर पर एक धार्मिक समारोह में शिरकत के लिए कल बुध के रोज़ हिन्दुस्तान पहुंचा था। पाकिस्तान राष्ट्रीय असेंबली के सदस्य हर्ष कुमार ने कहा कि हम हिन्दुस्तान के लिए जाने वाले पाकिस्तानी हिन्दुओं का हौसला तोड़ते हैं लेकिन उनमें से कुछ अपने निजि कारणों से पलायन करके हिन्दुस्तान आए हैं। उन्होंने कहा कि ख़ैबर पख्तवानवाह और बलूचिस्ताने जैसे युद्ध प्रभावित इलाक़े हैं जहाँ न केवल अल्पसंख्यक समुदायों को आतंकवाद का सामना करना पड़ रहा है बल्कि प्रतिष्ठित मुसलमान भी आतंवादी हमलों का शिकार हुए हैं। इन इलाक़ों में आतंकवाद अपने चरम पर है और बिना किसी धार्मिक भेदभाव के हरेक इससे परेशान है। उन्होंने कहा कि क्योंकि हिन्दू-सिख अल्पसंख्या में हैं इसलिए उनका आसानी से नोटिस ले लिया जाता है और मीडिया की उन पर तवज्जो होती है। उन्होंने कहा कि कुछ हिन्दू और सिख ख़ानदान खुद अपने आपको कमज़ोर और मुफ़लिस ख़याल करते हैं। इसलिए वे पाकिस्तान से पलायन करने की कोशिश करते हैं।
एक श्रृद्धालु प्रदीप कुमार ने कहा कि आतंकवाद के कई मामलों में अल्पसंख्यकों का अपहरण किया गया और उन्हें हलाक किया गया है जिससे कि वे पाकिस्तान में खुद को असुरक्षित समझते हैं। उन्होंने इस बात से सहमति जताई कि पाकिस्तान में कई हिन्दू और सिख ख़ानदानों ने पलायन करने के लिए मन बना लिया था लेकिन अपना इरादा उस समय बदल दिया जब उन्हें वीज़ा की समस्याएं पेश आईं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान सरकार अल्पसंख्यकों के खि़लाफ़ भेदभाव नहीं रखती लेकिन आतंकवादी गतिविधियों ने ख़ौफ़ और दहशत फैला दी है। एक और श्रृद्धालु प्रकाश बत्रा का कहना था कि ऐसा मालूम होता है कि पाकिस्तान सरकार अल्पसंख्यकों और साथ ही मुसलमानों को सुरक्षा देने में बेसहारा हो गई है। मुझे ताज्जुब है कि मुसलमानों के अपहरण के वाक़ेयात को मीडिया में उजागर क्यों नहीं किया जाता और जब कभी भी अल्पसंख्यक समुदाय के एक मेंबर के साथ कोई ग़लत काम होता तो उसकी ब्रेकिंग न्यूज़ बन जाती है।
 http://hiremoti.blogspot.com/2011/03/blog-post.html
राष्ट्रीय सहारा उर्दू दिनांक २५ मार्च २०११ प. से साभार
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वैदिक साहित्य में मानसिक स्वास्थ्य व रोग...डा श्याम गुप्त...



            मुन्डकोप निषद में शिष्य का प्रश्न है--"कस्मिन्नु विग्याते भगवो, सर्वमिदं विग्यातं भवति ।" और आचार्य उत्तर देते हैं--’प्राण वै’...। वह क्या है जिसे जानने से सब कुछ ग्यात हो जाता है? उत्तर है-प्राण । प्राण अर्थात,स्वयं,सेल्फ़,या आत्म; जोइच्छा-शक्ति (विल-पावर) एवम जीवनी-शक्ति (वाइटेलिटी) प्रदान करता है। यही आत्मा व शरीर का समन्वय कर्ता है। योग,दर्शन,ध्यान,मोक्ष,आत्मा-परमात्मा व प्रक्रति-पुरुष का मिलन, इसी प्रा्ण के ग्यान ,आत्म -ग्यान (सेल्फ़-रीअलाइज़ेसन ) पर आधारित है।समस्त प्रकार के देहिक व मानसिक रोग इसी प्राण के विचलित होने ,आत्म-अग्यानता से-कि हमें क्या करना ,सोचना,व खाना चाहिये और क्या नहीं;पर आधारित हैं ।
रोग उत्पत्ति और विस्तार प्रक्रिया ( पेथो-फ़िज़िओलोजी)--अथर्व वेद का मन्त्र,५/११३/१-कहता है--
"त्रिते देवा अम्रजतै तदेनस्त्रित एतन्मनुष्येषु मम्रजे।ततो यदि त्वा ग्राहिरानशे तां ते देवा ब्राह्मणा नाशयतु ॥"
मनसा, वाचा, कर्मणा,किये गये पापों (अनुचित कार्यों) को देव(इन्द्रियां), त्रित (मन,बुद्धि,अहंकार--अंतःकरण)
में रखतीं है। ये त्रित इन्हें मनुष्यों की काया में (बोडी-शरीर) आरोपित करते है( मन से शारीरिक रोग उत्पत्ति--साइकोसोमेटिक ) । विद्वान लोग ( विशेषग्य) मन्त्रों (उचित परामर्श व रोग नाशक उपायों) से तुम्हारी पीढा दूर करें। गर्भोपनिषद के अनुसार--"व्याकुल मनसो अन्धा,खंज़ा,कुब्जा वामना भवति च ।"---मानसिक रूप से व्याकुल,पीडित मां की संतान अन्धी,कुबडी,अर्ध-विकसित एवम गर्भपात भी हो सकता है। अथर्व वेद ५/११३/३ के अनुसार---
"द्वादशधा निहितं त्रितस्य पाप भ्रष्टं मनुष्येन सहि।ततो यदि त्वा ग्राहिरानशें तां ते देवा ब्राह्मणा नाशय्न्तु॥"......अर्थात...
               त्रि त के पाप (अनुचित कर्म) बारह स्थानों ( १० इन्द्रियों,चिन्तन व स्वभाव-संस्कार-जेनेटिक करेक्टर) में आरोपित होता है, वही मनुष्य की काया में आरोपित होजाते हैं; इसप्रकार शारीरिक-रोग से -->मानसिक रोगसे---> शारीरिक रोग व अस्वस्थता का एक वर्तुल (साइकोसोमेटिक विसिअस सर्किल) स्थापित होजाता है।
निदान---
१. रोक-थाम(प्रीवेन्शन)--प्राण व मन के संयम (सेल्फ़ कन्ट्रोल) ही इन रोगों की रोक थाम का मुख्य बिन्दु हैं। रिग्वेद में प्राण के उत्थान पर ही जोर दिया गया है। प्राणायाम,हठ योग, योग, ध्यान, धारणा, समाधि, कुन्डलिनी जागरण,पूजा,अर्चना, भक्ति,परमार्थ, षट चक्र-जागरण,आत्मा-परमात्मा,प्रक्रति-पुरुष,ग्यान,दर्शन,मोक्ष की अवधारणा एवम आजकल प्रचलित भज़न,अज़ान,चर्च में स्वीकारोक्ति, गीत-संगीत आदि इसी के रूप हैं। अब आधुनिक विग्यान भी इन उपचारों पर कार्य कर रहा है।रिग्वेद १०/५७/६ में कथन है---
--"वयं सोम व्रते तव मनस्तनूष विभ्रतः। प्रज़ावंत सचेमहि ॥"-- हे सोम देव! हम आपके व्रतों(प्राक्रतिक अनुशासनों) व कर्मों (प्राक्रतिक नियमों) में संलग्न रहकर,शरीर को इस भ्रमणशील मन से संलग्न रखते हैं। आज भी चन्द्रमा (मून, लेटिन -ल्यूना) के मन व शरीर पर प्रभाव के कारण मानसिक रोगियों को ’ल्यूनेटिककहा जाता है।--रिग्वेद के मंत्र-१०/५७/४ में कहा है--"आतु एतु मनःपुनःक्रत्वे दक्षाय जीवसे।ज्योक च सूर्यद्द्शे॥"
....अर्थात-श्रेष्ठ , सकर्म व दक्षता पूर्ण जीवन जीने के लिये हम श्रेष्ठ मन का आवाहन करते हैं।
२- उपचार--रिग्वेद-१०/५७/११ कहता है-"यत्ते परावतो मनो तत्त आ वर्तयामसीहक्षयामजीवसे॥"-आपका जो मन अति दूर चला गया है( शरीर के वश में नहीं है) उसे हम वापस लौटाते है। एवम रिग्वेद-१०/५७/१२ क कथन है-
"यत्ते भूतं च भवयंच मनो पराविता तत्त आ......।" , भूत काल की भूलों,आत्म-ग्लानि,भविष्य की अति चिन्ता आदि से जो आपका मन अनुशासन से भटक गया है, हम वापस बुलाते हैं । हिप्नोसिस,फ़ेथ हीलिन्ग,सजेशन-चिकित्सा,योग,संगीत-चिकित्सा आदि जो आधुनिक चिकित्सा के भाग बनते जारहे हैं, उस काल में भी प्रयोग होती थे।
३. औषधीय-उपचार--मानसिक रोग मुख्यतया दो वर्गों में जाना जाता था---(अ) मष्तिष्क जन्य रोग(ब्रेन --डिसीज़) -यथा,अपस्मार(एपीलेप्सी),व अन्य सभी दौरे(फ़िट्स) आदि--इसका उपचार था,यज़ुर्वेद के श्लोकानुसार--"अपस्मार विनाशः स्यादपामार्गस्य तण्डुलैः ॥"--अपामार्ग (चिडचिडा) के बीजों का हवन से अपस्मार का नाश होता है। ---(ब) उन्माद रोग ( मेनिया)--सभी प्रकार के मानसिक रोग( साइको-सोमेटिक)--
-अवसाद(डिप्प्रेसन),तनाव(टेन्शन),एल्जीमर्श( बुढापा का उन्माद),विभ्रम(साइज़ोफ़्रीनिया) आदि।इसके लिये यज़ुर्वेद का श्लोक है--"क्षौर समिद्धोमादुन्मादोदि विनश्यति ॥"-क्षौर व्रक्ष की समिधा के हवन से उन्माद रोग नष्ट होते है।
         क्योंकि मानसिक रोगी औषधियों का सेवन नहीं कर पाते ,अतः हवन रूप में सूक्ष्म-भाव औषधि( होम्योपेथिक डोज़ की भांति) दी जाती थी। आज कल आधुनिक चिकित्सा में भी दवाओं के प्रयोग न हो पाने की स्थिति में (जो बहुधा होता है) विद्युत-झटके दिये जाते हैं।
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पत्रकारिता से ब्लोगिंग की सफलता तक का ग्वालानी जी का सफ़र

राजकुमार ग्वालानी जी एक सहज ह्रदय के म्रदु भाषी संस्कारिक लेखक हें ग्वालानी जी पिछले १५ वर्षों से देशबन्धु समाचार पत्र में पत्रकार रहे हें और वर्तमान में भी रायपुर जो छत्तीसगढ़ की राजधानी हे वहां के एक प्रतिष्ठित समाचार पत्र के खोजी पत्रकार सम्पादक हे , पत्रकार होने के नाते निरंतर लेखन से जुड़े रहने के अकारण ग्वालानी जी के पास मुद्दों की कमी नहीं हे पत्रकारिता में कई लोग दुश्मन भी होते हें लेकिन ग्वालानी जी की पत्रकारिता एक ऐसी आदर्श पत्रकारिता हे के  उन्हें लोगों का प्यार ही प्यार मिला हे रायपुर में पत्रकारिता के अखाड़े में सभी को चित करने के बाद ग्वालानी जी ने फरवरी २००९ में ब्लोगिंग की राह पकड़ी और फिर उन्होंने पीछे मूढ़ कर नहीं देखा . ग्वालानी जी ने पत्रकारिता के कमाल और हुनरमंदी के खेल ब्लोगिंग में दिखाए ब्लोगिंग की दुनिया को एक करने का प्रयास किया अपने सुझावों अपनी पोस्टों से ग्वालानी जी ने ब्लोगर्स को एक नया सन्देश दिया अपनापन दिया .ग्वालानी जी ने फरवरी २००९ में ब्लोगिंग शुरू कर सबसे तेज़ बढ़ते अखबार की तरह केवल ११ माह में दिसम्बर २००९ तक ९०५ पोस्टें पूरी कर ली थी . राजतन्त्र के नाम से ब्लोगिंग की दुनिया में झंडे गाढ़ने वाले पहले ऐसे ब्लोगर हे जो भाईचारा और सद्भावना की ब्लोगिंग करते हें अपने ब्लॉग पर खुद के अलावा अपने साथियों के लिंक ब्लॉग भी शामिल हे चर्चा के नाम पर ग्वालानी जी की शख्सियत ब्लोगिंग की दुनिया में किसी के परिचय की मोहताज नहीं रही हे और इसीलियें इंडिया ब्लोगिंग रेंक  में भी यह आगे हें जबकि इनके २१ लिंक और खेल्गढ़,स्वप्निल,ललित.कॉम.अमीर धरती गरीब लोग , शरद कोकास , चर्चा पान की दुकान पर जेसे ब्लॉग भी उन्होंने राजतन्त्र का हिस्सा बना रखे हे इस वर्ष इनकी ७३१ प्रविष्टियों पर अब तक ५२११ टिप्पणियाँ इन्हें मिल चुकी हे लाखों लोग इनके ब्लॉग के पाठक हे और इतना सब होने पर भी ग्वालानी जी हे के बस ब्लोगिंग के झगड़ों तकरारों से अलग थलग अपने लेखन के माध्यम से ज्ञान और प्यार बाँट रहे हें ऐसे ब्लोगर को मेरी तरफ से सलाम ................. अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान  
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bloging ki tika atippni ki duniya bhi ajib he

ब्लोगिंग में टीका टिप्पणी की दुनिया भी अजीब हे

दोस्तों यह ब्लोगिंग की दुनिया भी अजीब हे ब्लोगिंग की इस दुनिया में कभी ख़ुशी कभी गम तो कभी दोस्ती कभी दुश्मनी का माहोल गरम हे ब्लॉग की दुनिया में कई अच्छे अच्छे ऐसे लेखक हे जो स्थापित नहीं हो सके हें बहतरीन से बहतरीन लेखन बिना टिप्पणी का अनटच पढ़ा रहता हे जबकि एक सामान्य से भी  कम घर गृहस्ती का न समझ में आने वाला लेखन दर्जनों टिप्पणिया ले जाता हे . 
ब्लोगिंग की दुनिया यह पक्षपात या रोग हे जिसे अपनी अपनी ढपली अपना अपना राग भी कहा जा सकता हे मेरे एक दोस्त जो हाल ही के नये ब्लोगर हें उन्होंने बहतर से बहतर लेखन पर भी टिप्पणिया नहीं आने का राज़ जब मुझसे पूंछा तो में निरुत्तर था इन ब्लोगर जनाब की खुद की कम्पुटर की दूकान हे साइबर केफे हे सो इन्होने सभी ब्लोगर्स जो रोज़ अपने लेखन पर दर्जनों टिप्पणियाँ प्राप्त करते हें प्रिंट आउट निकलवाकर कई साहित्यकारों पत्रकारों से जंचवाया  सभी ने जो लेखन दर्जनों टिप्पणी प्राप्त कर चुके थे उन्हें स्तरहीन ,व्यक्तिगत और मनमाना लेखन माना लेकिन जो लेखन एक भी टिप्पणी प्राप्त नहीं कर सका था उसको बहतरीन लेखन बताया यह ब्लोगर जनाब मेरे पास सभी की राय और सेकड़ों प्रिंट आउट लेकर आये में खुद सकते में था में समझ नहीं पा रहा था के इन नये जनाब ब्लोगर भाई को बेहतरीन लेखन के बाद भी टिप्पणियाँ क्यों नहीं मिल पा रही हे में सोचता रहा ब्लोगिंग की दुनिया में फेले जिस रोग से में भी पीड़ित हूँ में भी गिव एंड टेक के एडजस्टमेंट का बीमार हूँ और मेरी जिन पोस्टों को अख़बार की दुनिया ने सराहा हे पाठकों ने सराहा हे उन्हें भी प्रारम्भ में ब्लोगिंग की दुनिया में किसी ने देखना भी मुनासिब नहीं समझा खेर में तो लिखने के जूनून में व्यस्त हूँ में पीछे मुड़कर देखना नहीं चाहता लेकिन मुझे इन नये काबिल पत्रकार ब्लोगर को तो जवाब देना था उनका  सवाल में एक बार फिर दोहरा दूँ आखिर बहतर लिखने वाला अगर पूल में शामिल नहीं हे तो उसे वाह और टिप्पणिया क्यूँ नहीं मिलती और जो स्तरहीन निजी लेखन हे उन पर भी पूल होने के बाद दर्जनों टिप्पणियाँ केसे मिल जाती हे तो जनाब इस सवाल का जवाब देने के लियें मेने एक तकनीक अपनाई और वोह नीचे अंकित हे. 
जनाब  हमारे कोटा में एक गुमानपुरा इलाका हे यहाँ एक मिठाई की और इसी नाम से नमकीन की मशहूर दूकान हे इस दूकान पर ब्रांड नेम बिकता हे दूकान के नाम से ही मिटाई बेशकीमती होती हे और लोग लाइन में लग कर इस दूकान से महंगी मिठाई खरीद कर ले जाते हें में इन ब्लोगर भाई को पहले इस दूकान पर मिठाई खिलाने ले गया वहन की दो तीन मिठाइयाँ टेस्ट की और भाव ताव किया एक कागज़ पर हर मिठाई का नाम और कीमत लिखी , फिर में इन जनाब को इंदिरा मार्केट ब्रिज्राज्पुरा एक दूकान नुमा कारखाने पर ले गया उनकी मिठाई की भी दूकान हे और मकबरा थाने के सामने एक ठेला भी लगता हे लेकिन सारी मिठाई इसी कारखाने में कारीगर बनाते हें मेने और इन जनाब ब्लोगर भाई ने इस दूकान पर वही महंगी दुकान वाली मिठाइयों के भाव पूंछे टेस्ट किया मिठाई वही थी लेकिन कीमत आधी थी जो मिठाई यहाँ दो सो से तीन सो रूपये किलो की थी वोह मिठाई इस गुमानपुरा की दूकान पर ६०० से एक हजार रूपये किलो थी मेने इन जनाब को बताया देखो मिठाई वही हे ब्रांड का फर्क हे जो मिठाई कम कीमत में भी कोई नहीं पूंछ रहा वही मिठाई महगी दुकान पर लोग लाइन लग कर ले रहे हें हम बाते कर ही रहे थे के इतनी देर में एक जनाब आये और वोह इस कारखाने का बना सारा माल एक टेम्पो में भर कर यहाँ से इसी सस्ते दामों में अपनी महंगी दूकान पर ले गये यानी इस कारखाने में जो मिठाई बन रही थी वही मिठाई कम कीमत देकर अपने ब्रांड से अपने डिब्बे में महंगे दामों में बेचीं जा रही थी मेरी इस तरकीब से नये ब्लोगर भाई को तुरंत बात समझ में आ गयी के ब्लोगर की दुनिया में भी अच्छा और बेहतर लेखन नहीं केवल और केवल ब्रांड ही चलता हे पूल बनता हे ग्रुप बनता हे और एक दुसरे को उठाने एक दुसरे को गिराने का सिलसिला चलता हे लेकिन मेने उनसे कहा के में आपकी बात से सहमत नहीं हूँ यहाँ कुछ बुरे हें तो बहुत सरे लोग इतने अच्छे हें जिनकी मदद से आप जर्रे से आफताब बन सकते हो और मेने उन्हें कुछ मेरे अनुभव मेरे अपने गुरु ब्लोगर भाईयों के किस्से मदद के कारनामे सुनाये तो यह जनाब थोड़े संतुष्ट हुए अब हो सकता हे के यह जनाब भी मेरे गुरु ब्लोगरों से सम्पर्क करे अगर ऐसा हुआ तो मुझे यकीन हे के मेरे गुरु ब्लोगर इन जनाब की मदद कर मेरे भरोसे को और मजबूत बनायेंगे और एक ऐसा वातावरण तय्यार करेंगे जिससे कोई अच्छा लिखें वाला छोटा ब्लोगर खुद को उपेक्षित और अकेला न समझे तभी इस ब्लोगिंग के कुछ दाग हट सकेंगे ............................. . अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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स्वागत

हिंदी जर्नलिस्ट एसोसिएशन ....

पत्रकारों की बात वक़्त के साथ


उत्तर प्रदेश के सभी जिलों के पत्रकार हजरात से पुर्खुलुश गुजारिश है कि आप अपने जिले में हिंदी जर्नलिस्ट
एसोसिएशन की कमेटी बनाकर अपनी बात वक़्त के साथ कहें


जुड़ने के लिए संपर्क करें...

एम अफसर खान सागर
संयोजक
उत्तर प्रदेश,
हिंदी जर्नलिस्ट एसोसिएशन

09889807838

email- hindijournalistassociation@gmail.com

ब्लॉग- hindijournalistassociation.blogspot.com
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अगज़ल ------ दिलबाग विर्क

                 
 सुलगती राख को कभी छुआ नहीं करते                   आग के शरारे किसी के हुआ नहीं करते .

 मुहब्बत में मैंने तो एक सबक पाया है 
 वक़्त और आदमी कभी वफा नहीं करते .

 ये बात और है कि खुदा को कबूल नहीं हैं
 वरना कौन कहता है कि हम दुआ नहीं करते .

 ज़ालिम किस्मत काट लेती है पंख जिनके  
 वो परिंदे परवाज़ के लिए उड़ा नहीं करते .

 दिल के साथ दिमाग की भी सुन लिया करो 
 जज्बातों  की  रौ  में  यूं  बहा  नहीं  करते . 

 तुम दर्द छुपाने की भले करो लाख कोशिश 
 मगर ये आंसू आँखों में छुपा नहीं करते .

 काट रहे हैं हम ' विर्क ' वक्त जैसे-तैसे 
 ये मत पूछो , क्या करते हैं , क्या नहीं करते .

                      *****
     http://sahityasurbhi.blogspot.com
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क्यों सोचते तुम हो अकेले

क्यों सोचते
तुम हो अकेले 
वो भी साथ तुम्हारे
जो नाम तुम्हारा
नफरत से लेते
दिन रात तुम्हें कोसते
चर्चे शहर में करते
चाहते नहीं तो क्या
निरंतर याद तो करते
जो भी  है दिल में
साफ़ साफ़ बताते 
बेहतर हैं उनसे
जो अपना तो कहते
दिल में जहर रखते 
भूले से याद ना करते
देख कर मुस्काराते
पीछे से मुंह चिडाते
इधर हाथ मिलाते
उधर खंजर मारते
24-03-03
डा.राजेंद्र तेला"निरंतर",अजमेर4
497—167-03-11
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एक फुल मोहम्मद जिसके जिस्म के टुकड़े बाद में उठाये

दोस्तों आपको सुन कर जरा अजीब सा लगेगा लेकिन यह सच हे के एक फुल मोहम्मद जो राजस्थान पुलिस में सवाई माधोपुरमान्ताउन थानाधिकारी थे उनको उनके इलाके के ही जालिमों ने ज़िंदा जला दिया जिस सरकार के नमक के लियें उन्होंने कुर्बानी दी उस सरकार ने उन्हें शाहादत का दर्जा तो दिया लेकिन आधा अधूरा ही दफना दिया . 
यह खोफ्नाक सच सरकार की पुलिस की जल्दबाजी और लापरवाही को उजागर करता हे पहले जिंदा जलाया जाना फिर मोत पर राजनीति बचकानी अभियुक्तों  को बरी करनी वाली एफ आई आर शहीद फुल्मोह्म्म्द के जले हुए विक्षिप्त शव को जीप में उनके गाँव केवल दो सिपाहियों के साथ भेजना उनके अंतिम संस्कार में सरकार का कोई प्रतिनिधि नहीं होना यह सब तो आम  लोगों को तो आक्रोशित किये हुए थी लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट में डोक्टर की रिपोर्ट जिसमें फुल्मोह्म्म्द का एक हाथ और एक पांव गुम होना अंकित किया गया पुलिस अधिकारी मुकदमा दर्ज होने के बाद तीन दिन तक मोके का मुआयना  नहीं  करने गये नक्शा मोका नहीं बनाया दंड प्रक्रिया संहिता के तहत घटना स्थल का सूक्ष्म निरिक्षण नहीं किया गया और तीन दिन बाद पत्थरों के नीचे फुल मोहम्मद का एक हाथ और एक पांव बरामद किया गया उसकी शायद कोई फर्द जब्ती भी नहीं बनी और फिर एक व्यक्ति जिसके शव को दफना दिया गया तीन दिन बाद उसके शव के कुछ टुकड़े सोचो उसके परिजनों पर क्या बीती होगी एक व्यक्ति का टुकड़ों में अंतिम संस्कार अफसोसनाक बात हे लेकिन पुलिस के अधिकारी हें के अब तक इस लापरवाही के लियें किसी को भी दोषी नही ठहरा रहे हें वेसे सरकार ने इस मामले में अब पुरे राजस्थान में एहतियाती कदम उठाये हें यहाँ कोटा में एक पुलिस कर्मी की चोकी पर हत्या और माधोपुर की यह जिंदा जला देने की घटना सरकार की सोच हे के पुलिस के प्रति जनता का आक्रोश भी कहीं ना कहीं हे जिसपर नजर रखने के लियें सरकार ने अब नई निगरानी व्यवस्था की हे सरकार अब अपने  स्त्रोतों के माध्यम से राज्य भर में जनता से बुरा व्यवहार रखने वाले पुलिसकर्मियों को चिन्हित कर रही हे , खेर सरकार थोड़ी देर से ही चेती चेती तो सही लेकिन अगर सरकार पुलिस अधिनियम के प्रावधानों के तहत अगर राज्य स्तर और जिला सम्भागीय स्तर की समितियों का गठन कर देती या अब भी कर दे तो सरकार का यह सर दर्द कम हो सकता हे और पुलिस और जनता के बीच एक सद्भावना का पुल बन सकता हे . अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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महापोर विदेशों की नसीहत से भी नहीं सुधरीं

महापोर विदेशों की नसीहत से भी नहीं सुधरीं  वोह पहले फ्रांस और अब अबुधाबी की यात्रा से वापस आई हे उन्होंने ओमान में सडकों पर कांच जेसी सफाई जानवरों से मुक्त सडक को देख कर खुद को कोटा की इस बदरंग व्यवस्था का ज़िम्मेदार नहीं माना हे उन्होंने बात जनता पर डाल दी हें उनका कहना हे के कोटा की जनता अगर कोटा को अपना शहर माने तो यहाँ ऐसी व्यवस्था हो सकती हे इधर कोटा के विधायक ओम बिरला य्हना की व्यवस्था पर जम कर बरसे हें .
जी हाँ दोस्तों कोटा की महापोर जिन्होंने कोटा में इंटरनेट पर जनता से जुड़ने के लियें माई कोटा के नाम से एक ब्लॉग जारी किया था जिससे जनता को जोड़ने की बात कही गयी थी लेकिन जब उपलब्धियों के नाम पर जीरो रिजल्ट रहा तो जनता की शिकायतों का सामना नहीं कर पाने के कारण महापोर डॉक्टर रत्ना जेन ने खुद ही अपने इस माई कोटा से मुंह मोड़ लिया और बीच में ही इस माई कोटा को लटका कर रख  दिया वोह इस शहर को सुधरने के नाम पर सूरत,फ्रांस और न जाने कहाँ कहाँ गयीं लेकिन नतीजे के नाम पर सिफर रहा हे महापोर रत्ना जेन ने विदेश यात्रा से वापस कोटा लोटते ही शहर की साफ़ सफाई के बारे में जानकारी नहीं ली उन्होंने तो सबसे पहले अपने एशो आराम के लियें आदमकद महंगी गाडी नगर निगम के खर्चे से कल खरीदी हे जबके निगम के पास पहले से ही कई गाड़ियाँ मोजूद हें और नई गाडी खरीदने का जनता और विपक्ष विरोध करते रहे हें निगम अभी कर्जदार हे फिर भी इस तरह की फ़िज़ूल खर्ची जनता पर बोझ ही कही जा सकती हे . खुद महापोर ने ओमान की सडकें देख कर हेरानी जताई हे के वहां की सफाई और जानवरों मुक्त छोड़ी सडकें आदर्श व्यवस्था हे फिर महापोर यह व्यवस्था कोटा में क्यूँ लागू नहीं कर पा रही हें शर्मनाक बात हे .
इधर कोटा की जगह जगह खुदी सडकों और आवारा मवेशी की दुर्घटनाओं से तंग जनता का दर्द जब महापोर और कोटा नगर निगम ने नहीं समझा तो कोटा के विधायक ओम बिरला ने इस मामले को दमदारी से राजस्थान विधानसभा में उठाया हे लेकिन कोटा के पास और सरकार के पास कोटा में इस व्यवस्था को सूधारने के लियें कोई भी योजना नहीं हे इसलियें महापोर का माई कोटा तो लुट रहा हे लोगों और माई कोटा का नारा देने वाली महापोर सरकार तमाशबीन बनी हे यारों ....... . अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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दूसरों के कंधों पर सिर्फ जनाज़े जाते हें

दोस्तों 
एक सच्चाई हे 
शहीद भगत सिंह 
का कहना था 
के जियो तो 
अपने बल पर जियो क्योंकि 
जिंदगी तो अपने ही
बल पर जी जाती हे 
ओरों के कंधों पर तो 
जनाज़े ही 
उठा करते हें 
तो दोस्तों 
शहीद भगत सिंह की 
शहादत को 
उनके इस डायलोग को 
जिंदगी में उतार कर 
आओ आप और हम 
अमर कर दें 
और इस देश को 
आत्म्स्वाभिमानी ,स्वावलम्बी बना डालें . 
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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गिले शिकवे मिटा देना ........

दोस्तों इन दिनों ब्लोगिंग की दुनिया का घमासान देख कर 
कुछ पंक्तिया मुझे याद आ रही हें जो आपकी खिदमत में 
पेश हें .....
गिले शिकवे 
ना दिल से 
लगा लेना 
कभी मान जाना 
तो कभी 
मना लेना 
कल का क्या पता 
हम हों ना हों 
इसलियें जब भी 
मोका मिले 
कभी नसीहत देना 
कभी पोस्ट अच्छी लगे 
तो टिप्पणी का 
मीठा शहद पिला देना . 
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान .
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सदन को मनमोहन,सुषमा,अडवानी ने तमाशा बनाया

 कल सदन को मनमोहन,सुषमा,अडवानी ने तमाशाबना दिया वहां आरोप र्त्यारोप और शेर शायरी का डोर सदन में जूते चलने से भी अधिक  गिरावट का दोर हे , सदन में बच्चों की तरह से  झगड़े और बेवजह विक्लिंक्स के आधार की बहस ने सदन की गरिमा को गिरा कर रख दिया हे . 
कल सदन में विश्व और देश के महत्वपूर्ण मुद्दों पर तो किसी ने बहस नहीं की भाजपा जो विपक्ष में बेठी हे उसकी सुषमा स्वराज और अडवाणी ने सो कोल्ड विक्लिंक्स विदेशी जासूसी एजेंसी द्वारा कथित रूप से गुजरात के नरेंद्र मोदी की तारीफ़ करने पर ख़ुशी ज़ाहिर कर डाली अब तक के खुलासों से इस एजेंसी से कहीं ना कहनी भाजपा का भी जुड़ाव लगा हे , सुषमा स्वराज ने कल संसद में बहस के स्थान पर शेर शायरी कर डाली उन्होंने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर फिकरा  कसते हुए कहा के ,, तू इधर उधर की बात ना कर 
                                                                                        यह बता  के काफ्ला क्यूँ लुटा 
                                                                                         हमें राह्जनों से गिला नहीं 
                                                                                         तेरी राह्बरी का सवाल हे ...............सुषमा सदन में कहना चाहती थीं के मनमोहन जी फ़ालतू बातों में क्या रखा हे हमें तो बस तुम नेता हो इस्लीयें शिकायत तुम ही से हें अब तुम इधर उधर की बात कर के खुद को बचाने की कोशिश मत करो लेकिन मनमोहन ने भी इधर उधर कुछ लोगों से पूंछ कर एक शेर दाग दिया उन्होंने कहा .
                                                                                          माना के तेरे दीद के 
                                                                                          काबिल नहीं हूँ में 
                                                                                          तू मेरा शोक को देख 
                                                                                          मेरा इन्तिज़ार देख ..................मनमोहन ने सुषमा से कहना चाहा के अभी थोड़ा सब्र करो और इन्तिज़ार करो .............. इधर अडवानी ने जब मनमोहन पर प्रहार किये तो मनमोहन ने फिर अडवानी पर पलटवार करते हुए कहा के अडवानी जी आपको तो प्रधानमन्त्री ही प्रधानमन्त्री की कुर्सी सपने में देखने को मिलती हे मुझे तो जनता आने चुना हे और आप कई सालों से इस कुर्सी का सपना देख रहे हो अभी आपको तीन साढे तीन साल और इन्तिज़ार करना होगा , अडवानी के लियें मनमोहन का यह कथन अपमान जनक तो हे ही और बचकाना भी हे लेकिन अपने जवाब में मनमोहन ने फिर सच को स्वीकार लिया हे उन्होंने अडवानी से तीन साल इन्तिज़ार की बात कह कर इस सच को स्वीकार कर लिया हे के मनमोहन सिंह की सरकार तीन साल की ही महमान हे और दुबारा यह सरकार नहीं आ रही हे सदन में निजी आक्षेप निजी शेर शायरी तमाशा ही बन कर रह गये हें जबकि संसद एक गम्भीर जगह होती हे जहां पक्ष और विपक्ष मिलकर देश को केसे आगे बढायें देश की समस्याओं से केसे निपटा जाए इस मामले में चिन्तन मंथन का स्थान होता हे . अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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सय्यदना साहब तुम जियो हज़ारों साल साल के दिन हो कई हजार

सय्यदना  साहब तुम जियो हज़ारों साल साल के दिन हो कई हजार  यही दुआ आज विश्व का बोहरा समाज दाउदी बोहरा धर्म गुरु आदरणीय डॉक्टर मोहम्मद बुरहानुद्दीन सय्यादना साहब के सोवें जन्म दिवस की पूर्व संध्या  पर आज कर रहा हे कल २५ मार्च को सय्यादना साहब का शताब्दी जन्मोत्सव हे . 
सय्यादना साहब को दाउदी बोहरा समाज के पचासवें धर्म गुरु हें और विश्वभर में इनके अनुयायी इस जन्मोत्सव को पर्व के रूप में मना रहे हें हालत यह हें के विश्व भर में झा इस समाज के लोग रहते हें वहा वहा घरों , चोराहों ,मस्जिदों,अंजुमनों को दुल्हन की तरह से सजाया हे सभी जिलों में समाज सेवा कार्यों के केम्प, चिकित्सा सेवा केम्प लगाये गये हें इतना ही नहीं सय्य्दना साहब के निर्देशों पर विश्व भर में स्पेरो  दिवस के पूर्व हजारों हजार परिंडे चिड़ियों को दाना खिलाने और पानी पिलाने के बर्तन बांटे  गये हे  इस मामले में बोहरा समाज का नाम गिनीज़ रिकोर्ड में दर्ज किया गया हे , इस अवसर पर सय्यदना साहब कल मुंबई में विश्व स्तर के दूरदराज़ से आये लोगों से मिलेंगे और अपना सन्देश देंगे उनकी एक झलक और उनके संदेश को सुनने के लियें बोहरा समाज आतुर हे इस लिए इस संदेश को इंटरनेट पर लाइव टेलीकास्ट किया जा रहा हे . 
कोटा में दाउदी बोहरा समाज के आमिल और समाज सेवक मेहदी हसन , अब्बास भाई , अकबर भाई, असगर भाई, मंसूर भाई , सबदर भाई सहित कई समाज से जुड़े लोगों ने भव्य कार्यक्रम आयोजन किये हें और कल भी कोटा में कई कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हें . सय्यादना साहब को सोवें जन्म दिवस के अवसर पर सभी भाइयों की तरफ से मुबारकबाद ................... अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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लोकतंत्र के काले कानून के खिलाफ वकीलों की राष्ट्रव्यापी हडताल

लोकतंत्र के काले कानून के खिलाफ वकीलों की राष्ट्रव्यापी हडताल कल २४ मार्च को होगी ,सरकार ने वकीलों की लोकतान्त्रिक प्रणाली का गला घोंटने के लियें काला कानून बनाकर उनकी आज़ादी और स्वायत्ता खत्म करने के प्रयास किये हें जो देश के वकीलों को कतई मंजूर नहीं हे . 
देश में एडवोकेट एक्ट बना हुआ हे वकीलों को नियंत्रित करने,अनुशासित करने के लियें बार कोंसिल नियम बने हें और इस कानून के तहत स्वायत संस्था बार कोंसिल ऑफ़ इण्डिया बनाई गयी हे जो वकीलों द्वारा निर्वाचित होती हे वकील इस काम के लियें सरकार से कोई मदद नहीं लेते हें कुल मिलाकर यह सारा मामला स्वायत्ता वाला हे खुद वकीलों का कानून हे जो संसद ने पारित किया हुआ हे और वकील खुद अपने चंदे से इस संस्था को चला रहे हें फिर भी सरकार एक कानून में दी गयी स्वायत्त को खत्म करने के लियें वकीलों के मामले में उनके विधि नियमों की पालना उनके तोर तरीके शिकवे शिकायत तय करने के लियें पूर्व में चल रहे कानून के तहत निर्वाचित बार कोंसिलों और बार कोंसिल ऑफ़ इंडिया के हाथों में हथकड़ी और पेरों में बेड़ियाँ डालने के लियें एक न्य कानून लागु किया हे जिसका अध्यक्ष वकील नहीं सरकारी कर्मचारी होगा जिसकी नियुक्ति सरकार अपने प्रतिनिधि के रूप में करेगी और फिर वकीलों की इस संस्था को वकीलों और वकीलों की बार कोंसिल से ज़्यादा अधिकार दिए गए हें सरकार इस कानून के माध्यम से वकीलों की नाक में नकेल डालना चाहती थी इसलियें सत्ता पक्ष से जुड़े वकीलों ने इस जानकारी के होते हुए भी इसे रोकना मुनासिब नहीं समझा खुद सरकार में और सरकार के प्रतिपक्ष में जो नेता हे वोह अधिकतम वकील हे पार्टियों के प्रवक्ता हे लेकिन इस काले कानून के खिलाफ उनके गले में सरकारी या राजनितिक परियों का पत्ता पढ़ जाने के बाद वोह चुप हें और यह चुप्पी शर्मनाक हे .............. अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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राईट टू रिकोल या मजाक हे जनता के साथ

राईट टू रिकोल या मजाक हे जनता के साथ मजाक बन गया हे राजस्थान में संविधान के अनुच्छेद २४३ के तहत नगरपालिका कानून में वर्ष २००९ में संशोधन किया था लेकिन धारा ५३ में सभी अध्यक्षों को दो तिहाई पार्षदों द्वारा अविश्वास जताने पर एक वर्ष बाद अध्यक्षों को हटाने का प्रावधान था जिसे सरकार ने बदला लेकिन हाईकोर्ट ने ख़ारिज कर दिया अब फिर नया विधेयक पेश  किया गया हे .
राजस्थान में नगरपालिका अध्यक्षों को सीधे जनता द्वारा चुनने का पहली बार कानून बनाया गया था और इसीलियें सभी जगह सीधे चुनाव हुए जयपुर सहित कई पालिकाओं और नगर निगमों में हालत यह रहे के महापोर और अध्यक्ष तो कोंग्रेस के थे लेकिन   पार्षदों का बहुमत भाजपा के पास था निर्धारीं कानून के प्रावधान के तहत जयपुर सहित दूसरी पालिकाओं में निगम महापोर के खिलाफ एक साल बीतते ही सरकार ने धारा ५३ के प्रावधान को हटा दिया इस निर्देश आदेश के खिलाफ भाजपा के एक पदाधिकारी और चेयरमेन हाईकोर्ट गये हाईकोर्ट ने इसे हठधर्मिता और तानाशाही कानून माना और ख़ारिज कर दिया अब कोंग्रेस को कई निकायों में अविश्वास मत का दर सता रहा था बस इसीलियें कोंग्रेस ने कल एक विधेयक पारित कर नगरपालिका कानून की धारा ५३ में हाईकोर्ट के निर्देशों को ध्यान में रखते हुए एक नई पहल की हे जो हास्यास्पद सी स्थिति हे नये पारित विधेयक में कहा गया हे के तीन चोथाई पार्षद दो वर्ष बाद अगर चाहेंगे तो कलेक्टर को अविश्वास देंगे और फिर उसकी कलेक्टर जांच करवा कर बैठक बुलाएगा जिसमें अगर यह अविश्वास मत दो तिहाई मतों से पारित हो जाता हे तो फिर यह कार्यवाही रेंडम होगी और छ माह में इस प्रतिनिधि को रिकोल किया जाए या नहीं इस मामले में चुनाव आयोग चुनाव करवाएगा अगर दो तिहाई वोह उसके खिलाफ हे तो फिर उस प्रतिनिधि को हटा दिया जाएगा कहने को यह कानून कोंग्रेस के वर्तमान निगम और बोर्डों को बचाने के लियें तो काफी हे लेकिन इतनी जटिल प्रक्रिया संविधान के प्रावधानों के खिलाफ होने से लोकतंत्र का मुंह चिडाता यह कानून हे . अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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मेरी खुशी में शामिल हो जाओ,आज दिल की दीवाली है

मेरी खुशी में 
शामिल हो जाओ
आज दिल की दीवाली है
चिट्ठी उनकी आयी ,
आज बात मतवाली है
पैमाना सब्र का भर 
गया था
छलकने से पहले ही
याद उनको आयी है
बहुत ज़ख्म दिए उन्होंने
अब मलहम लगाने की 
ख्वाइश है 
बहुत रो लिए थे हम
अब आंसू पोंछने की बारी है
निरंतर इंतज़ार करते थे हम
अब मिलने की बारी है
मेरी खुशी में 
शामिल हो जाओ
आज दिल की दीवाली है
23-03-03
डा.राजेंद्र तेला"निरंतर",अजमेर
482—152-03-11
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वित्तमंत्री प्रणव ने फिर महंगाई राग अलापा

वित्तमंत्री प्रणव मुखर्जी ने एक बार फिर काला बाजारियों और सटोरियों को  लाभ पहुँचाने के लियें महंगाई राग अलापा हे और अब महंगाई की माह  महंगाई का दोर शुरू हो गया हे .
कल संसद में प्रणव मुखर्जी ने कहा के विश्व की अराजकता को देखते हुए देश में भविष्य में महंगाई की सम्भावनाएं फिर बढ़ गयी हें ध्यान रहे पिछले दिनों शरद पंवार ने बयानबाज़ी करके महंगाई बढा दी थी और पेर्नव जी ने कहा था के मेरे पास कोई अलादीन का चिराग नहीं हे जबकि प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह ने कहा था के में लाचार मजबूर और बेबस हूँ लेकिन एक बात उस वक्त तय हो गयी थी के ऐसे नादानी भरे बयाँ जिससे काला बाजारियों और जमाखोरों के होसले बुलंद हों और वोह क्रत्रिम महगाई स्थापित करें कोई भी नेता बयानबाज़ी नहीं करेगा इस मामले में शरद पंवार ने जब दुबारा ब्यान दे दिया था तो उनसे इस्तीफे तक की मांग उठ गयी थी लेकिन यह क्या प्रणव मुखर्जी स्थिति को सम्भालने स्थिति से निपटने के बदले बस महंगाई बढाने का ब्यान दे रहे हें शायद वोह सठिया गये हें और साथ के बाद तो फिर जब सरकार ही रिटायर कर देती हे तो फिर इन लोगों को देश की कमान सम्भालने की ज़िम्मेदारी केसे दी जाना चाहिए .............. अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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डोक्टर अब मरीजों की चमड़ी ज़्यादा उधेढ़ सकेंगे

डोक्टर अब मरीजों की चमड़ी ज़्यादा उधेढ़ सकेंगे  सरकार ने इस मामले में एक आदेश जरी कर सभी डॉक्टरों को घर देखने की फ़ीस बढाने की छुट दे दी हे . सरकार के नये आदेशों के तहत डोक्टर अब घर पर मरीजों को देखें के लियें ४० से ६० रूपये के बदले १०० से २०० रूपये तक प्रति मरीज़ ले सकेंगे . 
चिकित्सक पिछले कई दिनों से हडताल और प्रदर्शन कर रहे थे लेकिन सरकार इनकी सुनवाई नहीं कर रही थी अब सरकार ने चिकित्सकों की सुनी भी तो उसका भर जनता पर डाल दिया हे घर पर दिखने वाले मरीजों से वेसे तो पहले ही फ़ीस निर्धारित थी लेकिन सब जानते हें के घरों पर मरीजों से मनमानी फ़ीस वसूली जा रही थी कोई भी चिकित्सक किसी भी मरीज़ को कभी भी रसीद नहीं देता हे चिकित्सा परिचालन नियमों के तहत २००२ में केंद्र सरकार ने चिकित्सकों के लियें जो मर्यादित आचरण बनाये हें उसके तहत हर चिकित्सक जो घर पर मरीज़ देख रहा हे एक तो अपना रजिस्ट्रेशन नम्बर बाहर लिखेगा खुद के पर्चे पर यह नम्बर छपवाएगा दुसरे जो भी फ़ीस लेगा उस फ़ीस की रसीद देगा रजिस्टर में एंट्री करेगा और अनावश्यक दवाये नहीं लिखेगा केवल साल्ट ही लिखेगा ताकि मरीज़ कमिशन की महंगी दवाओं के नाम पर दोहरी और जांचों के नाम पर तीहरी लुट का शिकार नहीं हो डॉक्टरों के लियें यह भी नियम हे के वोह सभी मरीजों के इलाज के पर्चे और दवाएं  जो लिखी गयी हें उसका रिकोर्ड संधारित करेंगे ताकि जब भी आवश्यकता हो उसकी नकल रख सकेंग और एक निर्धारित समयावधि तक इस रिकोर्ड को चिकित्सकों के लियें रखना अनिवार्य हे कानून में लिखा हे के अगर चिकित्सकों द्वारा इन नियमों का उलंग्घन  किया जाता हे तो ऐसे चिकित्सकों की प्रेक्टिस करने का लाइसेंस मेडिकल कोंसिल ऑफ़ इंडिया छीन सकती हे , ताज्जुब हे के सरकारों ने इस मामले में आज तक कोई सख्ती नहीं की हे ना ही इस व्यवस्था को लागू करवाने के लियें कोई नियम बनाये हें इससे लगता हे के सरकार जनता को चिकित्सकों के सामने कसाई बनाकर बकरे की तरह से डाल रही हे ................ अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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लीबिया में अमेरिकी गुंडागर्दी

विश्व के तेल के देशों पर अपना कब्जा जमाने की मुहीम में अमेरिका ने भारत और पाकिस्तान जेसे परमाणु शक्ति देशों को बेबस और लाचार करके अपना विश्वव्यापी अभियान तेज़ कर दिया हे दूसरों के घरों में झाँक कर वहां बहाने ढूंढ़  कर हमले करना और डरा धमका कर कब्जे करना उसने अपना व्यवसाय बना लिया हे लीबिया में भी यही कार्यवाही चल रही हे . 
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सब जानते हें पेंटागन हमले के बाद अमेरिका में मानवता का क्या हाल हुआ था उस वक्त वहां जनता से लीबिया से भी खराब सुलूक किये जाने का वातावरण था उस वातावरण को शाहरुख खान ने अपनी फिल्म माई नेम इज खान में भंडाफोड़ की तरह खुलासा किया हे उस वक्त नाटो सेनायें कहाँ गयी थी मानवता और विश्व शान्ति कहाँ गयी थी अफगानिस्तान,कुवेत,इराक और फिर पाकिस्तान के सीमावर्ती इलाकों में बम मारी सेकड़ों निर्दोष लोगों की रोज़ मोतें क्या नाटो सेना या संयुक्त राष्ट्र संघ को नहीं दिखी कहते हें के जहां संघ जुड़ जाता हे वहां हटधर्मिता और सो कोल्ड राष्ट्रीयता,मानवता और इमानदारी का जन्म होता हे और फिर ज़ुल्म का दोर शुरू होता हे संयुक्त राष्ट्र संघ भी ऐसा ही कर रहा हे ब्रिटेन ,फ्रांस की गुडागर्दी अपनी जगह अलग से चल रही हे विश्व खामोश बेठा हे भारत और अमेरिका डरपोक और कायर बन कर खामोश हें चीन और रूस बहुत ज़्यादा मुकाबला करने की स्थिति में नहीं हे . 
आज हमारे देश में हालत जिस तरह के चल रहे हें जेसे सवाई माधोपुर में थानेदार को जिंदा जलाया , कहीं  दंगा हुआ गोलीबारी की और कर्फ्यू   लगाया तो अमेरिका आएगा ब्रिटेन और फ्रांस आयेगा और कहेगा मनमोहन गद्दी छोडो जाओ यह जनता पर हमले हम बर्दाश्त नहीं करेंगे और फिर हमले होंगे जनता मारेगी इसलियें दोस्तों अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा हे हमारे भारत देश के नेताओं से कहो हमारे भारत देश के परमाणु बम कंट्रोलर से कहो सच को सच और गलत को गलत कहना सीखो न डरो ना डराओ अगर कहीं विश्व स्तर पर मानवता का हनन हो रहा हे तो वहां बोलना सीखो लेकिन विक्लिंक्स के खुलासे के हिसाब से तो अमेरिका का भारत तो नहीं लेकिन भारत के नेता उसके पूरी तरह से गुलाम हो गए हें ...................... . अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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हिंदी साहित्य को जाने पहेली से

हिंदी साहित्य को जाने पहेली से और इसकी प्रतियोगिता में भाग लेकर विजेता बनें.पहेली में भाग लेने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें-
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उनकी किसी चीज़ को नहीं छेड़ता


वो अब
नहीं दुनिया में
फिर भी हैं पास मेरे
कमरे में जिस्म से नहीं
मगर अहसास से साथ मेरे
पर्दों से लेकर दीवारों में 
बसतीं 
बिस्तर की सलवटें,
तकिये पर कुछ बाल उनके
अब भी साथ मेरे
पहने अनपहने कपडे,
सौन्दर्य प्रसाधन
उन्हें मुझ से दूर ना 
होने देते
उनका चश्मा,पसंदीदा 

किताबें
अब भी उनकी चाहत 

दर्शाती
लगता कोई पसंद 

की पंक्ति
अब सुनाने वाली
चाबियों का झुमका,
बड़ा सा पर्स,सुन्दर 
चप्पलें
बाहर चलने का आमंत्रण 

देती
उनकी बातें कानों में 

गूंजती
हर चीज़ उनकी खुशबू से
महकती
कभी प्यार जताना
कभी प्यार से झिडकना
कहाँ भूलता
कमरे में रहना मुझे 

अच्छा लगता
हर तरफ उन्हें पाता
जिस्म से तो दूर हुयीं
रूह से दूर ना जाएँ
निरंतर कामना करता
जो चीज़ जैसी रख कर गयीं
 वैसे ही रहने देता
डरता हूँ, छेड़ने पर 
नाराज़ हो
कमरे से ना चले जाएँ
इस लिए उनकी
किसी चीज़ को नहीं
छेड़ता
23-03-03
डा.राजेंद्र तेला"निरंतर",अजमेर
476—146-03-11
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अगज़ल ----- दिलबाग विर्क

   शाम हो चुकी है , डूब रहा है आफ़ताब यारो 
  मुझे भी पिला दो अब तुम घूँट दो घूँट शराब यारो .

 दिन तो उलझनों में बीता , रात को ख्वाबों का डर है 
 या बेहोश कर दो या फिर कर दो नींद खराब यारो .

 बुरी चीजों को क्योंकर गले लगा लेते हैं सब लोग 
 तुम खुद ही समझो , नहीं है मेरे पास जवाब यारो .

 जश्न मनाओ , आसानी से नहीं मिला मुझे ये मुकाम 
 खूने-जिगर दे पाया है , बेवफाई का ख़िताब यारो .

 एक छोटा-सा दिल टूटा और उम्र भर के गम मिल गए 
 नफे में ही रहे होंगे , लगाओ थोडा हिसाब यारो .

 किसे सजाकर रखें किसे न , बस 'विर्क' यही उलझन है
 मुहब्बत में मिला हर जख्म निकला है लाजवाब यारो .
                         * * * * * 
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एक इमाम,एक निजाम तभी ख़ुशी का हे पैगाम ..................

दोस्तों कुरान ,गीता बाइबिल सभी धर्मग्रंथों में लिखा हे के अगर आपका एक इमाम ,एक निजाम ,एक प्रबंधन होगा  और उसके बनाये गये कानून पर सभी चलेंगे तो बस समाज में खुशियाँ ही खुशियाँ होंगी और जो भी इस निजाम के खिलाफ अपने कई इमाम कई निजाम बनाएगा वोह बर्बादी की तरफ डूबता जाएगा और आज यही सब कुछ हो रहा हे . 
आगामी २६ मार्च को बोहरा समाज के सय्याद्ना साहब का सोवां जन्म दिन हे इस अवसर पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बोहरा समाज की खुशहाली , अपनापन , सद्चरित्रता और व्यापारिक कामयाबी देख कर इस समाज की एकता अखंडता और खुशहाली पर रिसर्च करने को मन करा सोचा कुछ मुट्ठीभर लोग जहां हे वहां खुशहाल सुखी और समर्द्ध हे पढाई  में अव्वल हे तो व्यापर में अव्वल मेहनत में अव्वल और अपने खुदा के प्रति समर्पित हें इस समाज में अपराध और बेकारी दो चीजें ला पता हे सभी लोग बेकारी और अपराध से दूर हे समाजवाद का सिद्धांत ऐसा के एक दुसरा एक दुसरे को समाज में स्थापित करने के लियें मदद गार हे  ,  इसकी तह में जाने पर बस एक ही सच सामने आया और वोह था एक इमाम एक निजाम एक प्रबन्धन मेने देखा समझा के बोहरा समाज ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर केवल एक धर्मगुरु सय्य्दना साहब को मान्यता दी हे और विश्व स्तर पर जो स्यय्द्ना साहब ने कह दिया सभी समाज के लोगों के लियें वोह कानून हे अतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रदेश स्तर से लेकर जिला और ताल्लुक्का स्तर तक केवल स्य्य्दना साहब का हुक्म उनका कानून जो उन्होंने कुरान में  से निकाला हे  वही चलता  हे और हर समाज का व्यक्ति इस कानून इस आदेश को मानने के लियें बाध्य हे दुसरे इमाम के प्रति समाज का समर्पण ही उनके बनाये गये हर कानून हर आदेश को स्वत्त ही मान्यता दे देता हे और आज फितरा  जकात के अलावा वार्षिक मदद से यह निजाम विश्व स्तर पर नम्बर वन पर चल रहा हे बोहरा समाज के लोगों को सीख़ दी गयी हें  के वोह नोजवानी से लेकर बुढ़ापे तक फ़ालतू बेठ कर  में वक्त न गवाएं केवल इबादत सेवा और व्यापार अपनी दुनिया बस यहीं तक सिमित रखने की सीख़ इन्हें दी जाती हे और इसीलियें  सभी समाजों में एकता अखंडता और एक इमाम के आदेश निर्देशों की पालना में यह एक पहला विकसित और एक खुशहाल समाज हे . इसी तर्ज़ पर मामूली सा चलने वाला सिक्ख समाज हे जो थोड़ा बहुत मुकाबले में खुशहाल हे .
दूसरी तरफ हम मुस्लिम समाज को देखें हिन्दू समाज को देखें इन दोनों समाज में एक तो इमाम ही इमाम हे मुसलमानों में ७३ फ़िर्के और इन फिरकों के हजारों इमाम फ़ालतू बेठ कर एक दुसरे की बुराइयां करने  में वक्त बर्बाद करना जाति उपजाति का इस्लाम के खिलाफ भेदभाव अमीरी गरीबी का भेदभाव शराब जुआं  ब्याज चंदा खोरी  और इमामों में राजनितिक पद पाने की पद लोलुपता ने इस समाज को विखंडित कर के रख दिया हे आज कानून एक हे इमाम एक होना चाहिए ऐसा संदेश हे उसके प्रति समर्पण का आदेश हे लेकिन इस कानून के विखंडित हो जाने से देश भर में और विश्व भर में मुस्लिम समाज किस दोर से गुजर रहा हे सब देखने की बात हे , इसी तरह से इस देश में हिन्दू भाइयों को ही लो वहां भी वही जाती उपजाति का भेदभाव विभिन्न पन्थ विभिन्न धर्मगुरु चंदे की दुकाने और धर्म और धर्म गुरु के निर्देशों के प्रति समर्पण का अभाव धर्मगुरुओं में राजनितिक पद लोलुपता बस इसीलियें इतने बढ़े समाज का हाल हम देख रहे हे तो दोस्तों कोई आये ऐसा बदलाव जिसमें इन दो बढ़े समाजों में भी धर्म और आस्था के कानून के तहत एक इमाम एक निजाम एक प्रबन्धन का सिद्धांत लागू हो और यह समाज खुशहाल होकर विकास एकता अखंडता की राह पर चलें ताके हमारा यह देश भी एक बार फिर सोने की चिड़िया बन सके ..................................... . अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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मुस्लिम प्रेमी राजस्थान की कोंग्रेस सरकार

दोस्तों  कोंग्रेस सरकार जिस की नीव में सिर्फ और सिर्फ मुस्लिम मतदाता होते हें और सरकार बनने के बाद कोंग्रेस कंगुरा दूसरों को बना कर मजे करवाती हे राजस्थान में कोंग्रेस सरकार किस तरह से मुसलमानों की हमदर्द हे इसकी बानगी जरा देखिये और हाँ अगर ऐसी कल्याणकारी सरकार हे तो हम कहेंगे क्या यही सरकार हे .
राज्स्र्थान में सरकार और कोंग्रेस पार्टी मुस्लिमों की हमदर्द बनने के विज्ञापन दे रही हे दिखावे के तोर पर राजस्थान में अल्पसंख्यक कल्याणकारी विभाग बनाया गया हे लेकिन मुस्लिम जज्बात के आयने में कोंग्रेस और सरकार राजस्थान में क्या हे इसकी बानगी आपके सामने पेश हे , दोस्तों करीब ढाई साल पहले राजस्थान में चुनाव हुए कोंग्रेस सरकार स्थापित हुई दो सो एम एल ऐ बने और कोंग्रेस ने उसमें से दो मुसलमान एम एल ऐ दुर्रु मिया को केबिनेट और अमीन खान  को राज्य मंत्री  बनाया जिन्हें हटा दिया गया आहे वर्तमान  में राजस्थान में केवल  एक एक मुसलमान मंत्री हे यहाँ इन  ढाई सालों  में हज कमेटी में  मुसलमान प्रतिनिधि नियुक्त नहीं  क्या मेवात बोर्ड गठित नहीं हुआ मदरसा बोर्ड जहां  से मुस्लिम प्राथमिक शिक्षा  की बुनियाद बनती  हे वहन अध्यक्ष  की नियुक्ति नहीं  की गयी अल्प संख्यक वित्त विकास निगम जहां  मुसलमानों को कारोबार  के लियें लोन दिए जाते हें हें वहां भी अध्यक्ष नियुक्त नहीं किया गया  राजस्थान वक्फ बोर्ड पुरे आठ माह बाद घटित किया गया   लेकिन आज तक यहाँ जिला वक्फ कमेटिया भाजपा  की ही चल  रही हें जहां बंदर बाँट चल रही हे  रही हे कुल मिलाकर  मुसलमान प्रेमी इस सर्कार ने  मुसलमानों  को अंगूठा दिखाने  के आलावा और कुछ नहीं किया हे  हाँ मुसलमानों के कल्याण  की समीक्षा  के लियें पन्द्राह सूत्रीय कार्यक्रम   की क्रियान्विति की  जो समीक्षा समितियां गठित होती हें उन समितियों का अभी आज तक प्रदेश और जिला स्टार पर गठन नहीं किया गया हे  तो जनाब ऐसी हेहमारी  मुस्लिम प्रेमी सरकार इसलियें  कोंग्रेस सरकारजिंदाबाद जिंदाबाद अब तो मुस्लमान मतदाताओं को कोंग्रेस के पाँव धोकर पीना चाहिए क्योंकि वक्फ सम्प[त्तियों पर कब्जे हें उनको मुसलमान होने के प्रमाण पत्र बनाकर देने तक में तकलीफें हें और वेसे भी सभी के नेता जो कोंग्रेस में बेठे हें इन तकलीफों को देखते हें जब उन्हें कोंग्रेस दरकिनार कर देती हे वरना वोह कोंरेस के गुलाम होते हें और फिर जब कोंग्रेस उन्हें डंडा मार कर भगा देती हे तो फिर वोह मुसलमान नेता बनने के नाम पर मुसलमानों को बरगला देने की कोशिशों में जुट जाते हें जेसे सरकारी कर्मचारी सारी जिंदगी मुसलमानों के कम करने से बचता रहेगा और फिर रिटायर होने के बाद मुसलमानों में ही बेठ कर उनकी सियासत में हिस्सेदार बनने की कोशिश करेगा वोह किसी मस्जिद में हिसाब किताब वाला सदर तो बनेगा लेकिन अगर उससे कहें के आप पेंशन भोगी हो इस मस्जिद की इमामत थोड़ा सीखकर सम्भाल लो तो वोह ऐसा नहीं करेंगे तो दोस्तों मेरी कोम का यही हाल हे आजकल जितने भी नेता और मोलाना हें वोह कोफ़ी पीते  हें  हुक्काम और अधिकारीयों के साथ बैठकर .......................... .अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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मैं कनफ्यूज्ड हूं, आपकी मदद की दरकार है

यह ब्लॉग दलित और मुस्लिम जीवन-मानसिकता आदि को लेकर है लेकिन इस बार इससे थोड़ा हटने की इजाजत चाहता हूं। दरअसल, मैं कनफ्यूज हो गया हूं और आपकी मदद चाहता हूं। मसला ही ऐसा है। गुस्सा भी है, संतोष भी लेकिन सबसे ज्यादा है तो भ्रम। मेरा छोटा बेटा पुणे में सिम्बायसिस का छात्र है। मैं उत्तर भारतीय हूं इसलिए वह भी यही है। उसकी मराठियों ने इसी कारण पिटाई कर दी। उसने रोते हुए फोन किया, ‘पापा, आज तक मुझे किसी ने एक थप्पड़ भी नहीं मारा था। आपने भी नहीं। लेकिन इन लोगों ने मुझे बहुत पीटा है।’ इस कारण मुझे गुस्सा बहुत है। एक पिता के तौर पर मुझे जो करना था, वह मैं कर रहा हूं। उसमें अपने जानते कोई कमी नहीं कर रहा। इस कारण संतोष है। लेकिन असमंजस इस कारण है कि आगे मुझे क्या करना चाहिए। वह फाइनल इयर में है और बस तीन महीने बचे हैं इसलिए उसे वापस जाने से रोकना मुमकिन नहीं है। कॅरियर का सवाल है। उसकी सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं है। मैं अदना-सा आदमी। उसके लिए सुरक्षा-चक्र की व्यवस्था नहीं कर सकता। उसे कह भी नहीं सकता कि आगे ऐसी घटना नहीं होगी क्योंकि ऐसी घटनाएं रोज हो रही हैं। मैं जिस पीड़ा से गुजर रहा हूं, उससे संभव है, आपमें से कुछ लोग भी गुजर रहे हों। फिर भी, यह सवाल इसलिए है कि इसका इलाज क्या है। ‘पूरा देश एक है’- जैसी बातें उस आदमी के लिए महत्वपूर्ण नहीं हैं जो ऐसी पीड़ा से गुजर रहे हों। उन्हें ऐसा होता नहीं दिखता।

जिन लोगों ने मेरे बेटे की पिटाई की है, उनका नेता एनसीपी का था। इसलिए यह मानने में हर्ज नहीं है कि एनसीपी में कम-से-कम बिल्कुल निचले स्तर तक के कार्यकर्ताओं की मानसिकता भी वही है जो शिवसेना और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) की है। वे मराठियों की अस्मिता के लिए लड़ रहे हैं। ऐसे में बयानबाजियों से काम नहीं चलने वाला। कांग्रेस-भाजपा जैसी कथित राष्ट्रीय पार्टियों के नेताओं के जबानी तीर अपनी जगह हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने एक और काम किया है। उसने कहा है कि संघ के कार्यकर्ता शिवसेना-मनसे के कहर से उत्तर भारतीयों को बचाएंगे। बहुत अच्छा है। जिस दिन यह बयान आया, उसी दिन मेरे बेटे की पिटाई हुई। तब से पांच दिन तो हो ही गए हैं, अब तक तो किसी को बचाए जाने की खबर नहीं आई है। इसलिए यह मानने में हर्ज नहीं है कि यह भी जबानी जमाखर्च ही है। लेकिन यह दो कारणों से ज्यादा खतरनाक है: 1/ संघ का वजूद खुद संकट में है। अपनी पकड़ बनाए रखने से ज्यादा, संघ अपनी वकत बनाने की कोशिश में है। उसे लगता है कि इस तरह के बयानों से उसके आनुषंगिक संगठन भाजपा को मदद मिलेगी जो उत्तर प्रदेश और बिहार में अपनी राजनीतिक जमीन लगातार खो रही है। उसे यह अंदाजा भी नहीं होगा कि महाराष्ट्र में उत्तर भारतीयों की जैसे-जैसे पिटाई होगी, उत्तर भारत में भाजपा की जमीन कमजोर ही होती जाएगी। यह संघ के आश्वासन टूटने का असर होगा और भुगतेगी भाजपा। 2/ डर यह है कि संघ की इस तरह की बयानबाजी से स्थिति बिगड़ सकती है। बाल ठाकरे परिवार की धारा के समर्थक कह रहे हैं कि उन्हें संघ की सलाह की जरूरत नहीं है। हिन्दुत्व के नाम पर समाज में विभेद पैदा करने वाले तत्वों की इस सिरफुटौव्वल में भी आम आदमी को ही मारा जाना है। ठाकरे परिवार समर्थक अब यह कहते हुए किसी की पिटाई कर सकते हैं कि देखें, तुम्हें कौन बचाने आता है। संघ ने काम करने की जगह उत्पाती तत्वों को और मौका दे दिया है। कमजोर अपनी महत्ता साबित करने के लिए इसी तरह की बातें करता है। लेकिन सचमुच बचाने वालों की मुश्किल इस दृष्टि से बढ़ने वाली है।
दिक्कतें एक-दो नहीं हैं। राष्ट्र-राज्य शक्ति में यकीन करने वालों के लिए इन कथित हिन्दुत्ववादी शक्तियों ने संकट पैदा करने में कभी कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। यहां तक कि आजादी की लड़ाई के दौरान कांग्रेस में भी निचले स्तर तक कई ऐसे लोग थे जो इन शक्तियों के प्रभाव में थे। हाल के वर्षों में भी कांग्रेस में यह सोच दिखती रही है जिसे राजनीतिक विश्लेषकों ने ‘सॉफ्ट हिन्दुत्व’ का नाम दिया हुआ है। यह दरअसल वोटों की लड़ाई है और दोनों ही पक्ष आमने-सामने हैं। मुश्किल यह है कि अपनी तमाम राष्ट्रीय सोच के बावजूद कोई भी पार्टी इससे रास्ता निकालने में रुचि नहीं रख रही क्योंकि उसे यहां या वहां वोटों की फसल दिख रही। राहुल गांधी, ठाकरे परिवार के खिलाफ बयान दे रहे हैं लेकिन महाराष्ट्र में तो कांग्रेस-एनसीपी सरकार है। अगर इसी तरह की वारदात बिहार-यूपी में अभी हो तो कांग्रेसी कैसे-कैसे क्या-क्या करेंगे, यह देखने लायक हो सकता है। लेकिन महाराष्ट्र में हिंसक घटनाएं और जहरीली बयानबाजी होगी तो उसका फायदा भी क्यों न उठाया जाए!
यह अजीब बात है कि दुनिया जब ग्लोबल विलेज का शक्ल अख्तियार कर चुकी हो, इस तरह की बातें हो रही है। आस्ट्रेलिया और यहां-वहां भारतीयों पर होने वाले हमलों पर चीख-पुकार मचाने का ऐसे में कोई मायने नहीं। निहित स्वार्थ के चलते घर में खुद ही आग लगाने वाले लोगों को दुनिया के बारे में कहने का अधिकार नहीं है। ऐसा भी नहीं है कि हम-आप इसे नहीं समझते।
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इस ब्लॉग की शुरुआत दिल्ली से लखनऊ आते वक्त शताब्दी एक्सप्रेस में किया था। बगल में बैठे सज्जन ने दो-तीन वाक्य पढ़ लिए और पूछा, ‘यह सब किसे लिख रहे हैं?’ अपना परिचय देने से कतरा गया और कहा, ‘बस, ऐसे ही’ तो उन्होंने अखबार में छपी कुछ तस्वीरें दिखाते हुए कहा, ‘असली आतंकवादी यही हैं।’ पीछे बैठे दो युवा भी पूरी यात्रा के दौरान नेताओं की बातों का माखौल उड़ाते रहे। राजनीति इतनी बुरी चीज तो नहीं। अपना देश पूरी दुनिया में इसलिए भी सिर उठाए हुए है कि हमने इसी राजनीति के बल पर लोकतंत्र को हर हालत में जिंदा और जीवंत रखा है।
ऐसे में यह सब..। मैं और कनफ्यूज हो गया हूं।
साभार 
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मोबाइल सेवादाताओं की खुली लूट जारी हे

मोबाइल सेवादाताओं  की खुली लूट जारी हे उनका नारा हे राम नाम की लूट मची हे लूट सके तो लूट और इस लूट में सरकार और सरकार की सभी एजेंसियों की मों सहमती बनी हुई हे . 
सरकार ने एक तरफ मोबाइल कम्पनियों से मिलकर अरबों रूपये का टू जी स्पेक्ट्रम घोटाला किया और फिर कम्पनियों को उपभोक्ताओं से लूट की छुट दे दी हे  देश में इन दिनों मोबाइल कंपनियों की लूट पर ट्राई और दूसरी एजेंसियों ने इस लूट को रोकने के लियें कोई कार्यवाही नहीं की हे टाटा हो चाहे बी एस ऍन एल हो चाहे दूसरी कम्पनियां हो सभी लोग अनचाहे कोल अनचाहे मेसेजों से जनता को दुखी किये हुए हें इतना हो तो ठीक हे लेकिन अब खुद मनमानी बिलिंग और पोस्ट पेड़ ग्राहकों से अनावश्यक मनमानी कटोती का काम तेज़ी से चल रहा हे कोई भी कम्पनी ग्राहक के रूपये डलवाते ही बिना कोल करे खत्म कर देती हे अव्वल तो इसका कोई शिकायत केंद्र नहीं हे और अगर कम्पनी तक कोई पहुंच भी जाए तो वोह कहते हें के हेड ऑफिस से बात करों हमारा कोई लेना देना नहीं हे फिर भी महीनों इस कटोती को रोकने में लग जाते हे और ग्राहक जो सेवा नहीं चाहता हे वोह सेवा उसे देकर जबरन कटोती की जाती हे शिकायत पर कहते हें के आप से गलती से कोई बटन दब गया होगा और लूट का यह सिलसिला टाटा इंडिकोम से लेकर बी एस ऍन एल सहित सभी मोबाइल कम्पनियों में तेज़ी से चल रही हे और एक दिन में विभिन्न ग्राहकों से करोड़ों रूपये इस बेईमानी से लूट कर कम्पनियां अपना घर भर रही हें और सरकार सरकार की एजेंसी ट्राई संचार  विभाग इस मामले में हमजोली बना हे और कम्पनियों से फिल गुड लेकर इसके अधिकारी मूकदर्शक बन गये हें ऐसी कम्पनियों के खिलाफ लोकल स्तर पर कार्यवाही का मंच बनना चाहिए ताकि कम्पनी के दोषी लोगों के खिलाफ कार्यवाही हो सके ............. अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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राजस्थान में अब मोतों पर सियासत

राजस्थान में अब मोतों पर सियासत का सिलसिला चल गया हे हाल ही में पिछले दिनों सवाईमाधोपुर मान्टा उन इलाके में थानाधिकारी फुल मोहम्मद को आत्मदाह करने वाले राजेश मीणा को जिंदा बचाने का प्रयास करते वक्त कुछ लोगों ने ज़िंदा जला दिया था लेकिन इन दो मोतों के बाद सियासत तेज़ हो गयी हे .
इन मोतों के बाद पहले त्योहारों की सियासत हुई मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रित्प्क्ष नेता वसुंधरा सिंधिया ने त्यौहार नहीं बनाये और इधर सीकर में लोगों में नाराज़गी हे वहां फुल मोहम्मद के शव को जिस तरह से जीप से भेजा गया केवल दो सिपाही साथ थे अंतिम संस्कार में कोई मंत्री शामिल नहीं था और मुकदमा हत्यारों के खिलाफ जिस लापरवाही से दर्ज किया गया किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया उससे सभी लोग सरकार को सीधा दोषी करार दे रहे हें इधर स्थानीय विधायक अलाउद्दीन आज़ाद जो कोंग्रेस के विधायक हे वोह भी इस मोंत पर सियासत करने से नहीं चुक रहे हें वोह अपनी बेबसी बताते हुए कहते हें के मेने तो छ माह पहले ही गृहमंत्री शान्ति धारीवाल और मुख्यमंत्री से कह दिया था के फुल मोहम्मद थानेदार को यहाँ से हटाओ वरना इसे लोग मार देंगे और फिर एक सुनियोजित साज़िश के तहत उसकी हत्या भी कर दी गयी अब जो लोग अपराधी बनाये गये हें वोह पकड़े नहीं गये इन विधायक जी के इलाके के वोटर हे इसलियें एक हफ्ते बाद कोंग्रेस सत्ता पक्ष के विधायक ने खुद की सरकार की जाँच पर नाराज़गी और अविश्वास जताते हुए इस पुरे मामले की जांच सी बी ई से करवाने की मांग कर डाली हे .
इधर एक नोजवान मृतक राजेश मीणा का शव आज तक उसके परिजनों ने नहीं लिया हे और उसका पोस्ट मार्टम तक नहीं हो सका हे माधोपुर में शव  को रखने का इन्तिज़ाम नहीं हे इसलियें राजेश मीणा के शव को कोटा भेजा गया हे जहां अस्पताल में यह शव सुरक्षित तरीके से कड़े पहरे में रखा गया हे राजेश मीणा के परिजनों और समाज से जुड़े लोगों की मांग हे के राजेश को भी शहादत का दर्जा दिया जाए और जो सहायता घोषणा शहीद पुलिस अधिकारी फुल मोहम्मद के लियें की गयी हे व्ही सहायता इस म्र्तक के परिजनों को भी दी जाए कुल मिलाकर अब इन मोतों पर राजस्थान में सियासत तेज़ हो गयी हे और गहलोत विरोधी कोंग्रेसी अब सर उठाने लगे हें भाजपा को चाहे कोंग्रेस ने इस मामले में एडजस्ट  कर लिया हो लेकिन जाती समाज के नाम पर तो इस दर्दनाक हादसे और क्रूरतम हत्या के मामले में यहाँ सियासत तो तेज़ हो ही गयी हे . अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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गर्मियों की छुट्टियां

अनवर भाई आपकी गर्मियों की छुट्टियों की दास्तान पढ़ कर हमें आपकी किस्मत से रश्क हो रहा है...ऐसे बचपन का सपना तो हर बच्चा देखता है लेकिन उसके सच होने का नसीब आप जैसे किसी किसी को ही होता है...बहुत दिलचस्प वाकये बयां किये हैं आपने...मजा आ गया. - नीरज गोस्वामी

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