आज हाई प्रोफाइल मामलों को छोड़ दें तो किसी अपराध की प्रथम सूचना रिपोर्ट
(FIR) दर्ज करा लेना ही एक "जंग" जीत लेने के बराबर है. आज के
सम.......पूरा लेख यहाँ रमेश कुमार सिरफिरा: जब प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) दर्ज न हो पर क्लिक करके पढ़...
फिर खुल जाएगी एक खुली हुई हक़ीक़त
अरविन्द केजरीवाल की अक्ल बड़ी है और उस से
भी कई गुना बड़ा है उनका फैसला . उनकी लड़ाई का फायदा लेने के लिए जो अब तक
उनके हक में चिल्ला रहे थे , वे अब अन्ना टीम के राजनीति में आने के फैसले
को गलत बता रहे हैं . अगर अन्ना टीम हारती है तो इसका मतलब यही होगा कि अन्ना जिस जनता के लिए लड़ रहे हैं उसे भ्रष्टाचार के बजाय जातिगत और सांप्रदायिक हितों की चिंता है.
अन्ना टीम की हार जीत भारतीय जनता के मिज़ाज की हक़ीक़त भी सामने ले आने वाली ...
ग़ज़लगंगा.dg: हमने दुनिया देखी है
भूल-भुलैया देखी है.हमने दुनिया देखी है.
उतने की ही बात करोजितनी दुनिया देखी है.
हमने झिलमिल पानी मेंअपनी काया देखी है.
तुमने मन के उपवन मेंसोनचिरईया देखी है?
उसको देख नहीं पायाउसकी माया देखी है.
इक मुद्दत के बाद यहांइक गोरैया देखी है.
लहरों में हिचकोलें खातीडगमग नैया देखी है.
--देवेंद्र गौतम
ग़ज़लगंगा.dg: हमने दुनिया देखी है:
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रक्षा बंधन की सभी को मंगल कामनाएं

आज रक्षा बंधन के पर्व की सभी को मंगल कामनाएं ।
इस मौक़े पर जनाब शहीद मिर्ज़ा साहब ने यह प्यारा सा कलाम कहा है-
Source : http://shahidmirza.blogspot.in/2012/08/blog-post.h...
बिटिया
बाँहे फैलाए तुझे , बिटिया रही पुकारतुम जालिम बनना नहीं , मांगे हमसे प्यार |
निश्छल , मोहक , पाक है , बेटी की मुस्कान भूलें हमको गम सभी , जाएं जीत जहान |
क्यों मारो तुम गर्भ में , बिटिया घर की शान ये चिड़िया-सी चहककर , करती दूर थकान |
बिटिया कोहेनूर है , फैला रही प्रकाश धरती है जन्नत बनी , पुलकित है आकाश...
अल्लाह के नूर का महीना है रमजान मौलाना -डॉ. मुफ्ती मुकर्रम अहमद (शाही इमाम, फतेहपुरी मस्जिद)
रमजान इस्लामी कैलेंडर का एक महीना है। रमजान में पूरे महीने रोजे रखे
जाते हैं। रोजे का वक्त रहता है, सुबह सादिक से लेकर सूरज के डूबने तक।
रोजे में जब हम खाने-पीने से रुकते हैं, तो इससे हमारे अंदर रूहानी ताकत
बढ़ जाती है और तकवा हासिल हो जाता है। अल्लाह की इबादत के लिए खाने-पीने
और अपनी ख्वाहिशों को छोड़ने का जो जज्बा पैदा होता है, उससे एक तरह से
रूहानी ट्रेनिंग हो जाती है। यह जज्बा सारी जिंदगी काम आता है।
रमजान में दिन...
कवि व्यभिचारी चोर -सुधीश पचौरी, हिंदी साहित्यकार

एक दिन एक कवि ने शिकायत की कि आप हिंदी के लेखकों को ही क्यों ठोकते हैं? अन्य भाषाओं वाले पढ़ते होंगे, तो क्या सोचते होंगे?’
‘न ठोकता, तो तुम क्या यह सवाल करते? इस पर भी न हंसूं, तो क्या करूं? मैं तो हर बार अपने ऊपर ही हंसता हूं।’
‘जो हास्यास्पद हैं, उन पर हंसें। बाकी पर क्यों? इतने बड़े और महान लेखक हैं और आप उनकी महानता में सुई चुभाते...
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