मनुष्य सुख और सफलता चाहता है। यह उसके अंदर की एक नेचुरल डिमांड है। इस डिमांड को पूरा करने का एकमात्र मार्ग यह है कि वह अनुशासन के साथ अपनी योग्यता और अपनी क्षमता के अनुसार अपने कर्तव्य को पूरा करे। इसी का नाम धर्म है। धर्म से ही कल्याण है।
धर्म एक है लेकिन एक धर्म के हरेक भाषा में अलग अलग नाम हैं। मनुष्य के लिए धर्म का निर्धारण वही कर...
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