देख तमाशा दुनिया का - 'एक लिंक्स चर्चा'

1- आज की चर्चा में आप सबका हार्दिक स्वागत है
एक प्रिंसिपल चतुर्थ श्रेणी का कर्मचारी नियुक्त नहीं कर सकता, लेकिन उसने राजपत्रित अधिकारियों ( प्रवक्ता ) की नियुक्ति की । हरियाणा सरकार बैकडोर इंट्री के रूप में हुई इस भर्ती को जायज ठहराने की हर संभव कोशिश कर रही थी , लेकिन हाई कोर्ट के बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा कि सरकार अतिथि अध्यापकों के दवाब में काम कर रही है , यह भर्ती न्यायसंगत नहीं है । यह फैसला झटका है गेस्ट टीचर्स को और ऊँगली उठाता है हरियाणा सरकार की कार्य प्रणाली पर ।

अतिथि कब जाओगे ? ( चर्चामंच - 798 )

2-

लंबे बच्चे चाहिए तो दूर की बीवी लाएं

BBCसुनने में यह बात अजीब-सी लग सकती है, लेकिन पोलैंड के वैज्ञानिकों का दावा है कि अगर पति और पत्नी एक ही शहर के हैं तो उनके बच्चे का कद नाटा रहेगा।





3-

सफ़ेद बाल काले कीजिए नीम से

नीम का तेल नाक के नथुनों में चंद क़तरे रोज़ाना टपकाएं आपके बाल अगर उम्र से पहले सफ़ेद हो गए हैं तो वे काले हो जाएंगे।


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होली आई रे

होली आई  रे  

फागुनी बयार चलने लगी है 
फागुन ऋतू आई है 
मोसम सुहाना होने लगा है 
डेसू के फूलों की लालिमा छाई है         
प्रेमियों के अरमान मचलने लगे हैं 
वैवाहिक जोड़े भी नए रंग में रंगने लगे हैं
सबपे प्रेम रंग छाने लगा है
भवंरा भी फूलों पर मंडराने लगा है
चारों तरफ मस्ती सी  छाई है
लगता है नजदीक ही होली आई है
रंग ,गुलाल उड़ने लगे हैं
ढोल नगाड़े बजने लगे हैं
ठंडाई,गुझिया ,मिठाई बनने लगीं हैं 

घर घर में खुशियाँ मनने लगी हैं
                           चारों और उल्लास ,उमंग छाया है            
                       क्योंकि होली जैसा प्यारा त्यौहार आया है 
                                सारे गम और परेशानियां भूल जाओ 
                             इस रंगों के त्यौहार में खो जाओ 
                              दुश्मन को भी दोस्त बनाओ
                           प्यार से रंग लगाकर गले लगाओ 
ये त्यौहार ही हमारी भारतीय संस्कृति के प्रतीक हैं
इसीलिए ये हमारे दिल के बहुत करीब हैं
जो प्यार और अपनापन की सीख सिखाते हैं 
दुश्मन को भी दोस्त और परायों को भी अपना बनाते हैं 
हमें इन्हें ख़त्म नहीं होने देना है 
गर्व से इसके बारे में नई पीढ़ी को बताना है     

Happy holi 


      
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यज्ञ में पशु बलि पर एक बहस निरामिष ब्लॉग पर

शाकाहारी भाइयों को यह गवारा नहीं है कि कोई यह कहे कि वैदिक यज्ञों में पशु बलि होती थी.
निरामिष ब्लॉग पर एक पोस्ट देखिये :

ऋषभ कंद - ऋषभक का परिचय ।। वेद विशेष ।।


इस पर यह कहा गया है:

पूछने वाले ने तो पहले यह पूछा था कि-
<b>वह कौन सी औषधि है जिसके पैर , आंखें और 26 पसलियां हों ?</b>
### क्या इस न मिलने वाले "ऋषभक" के पैर , आंखें और 26 पसलियां हैं ?
### अगर नहीं हैं तो फिर यह "ऋषभक" कहाँ हुआ ?
‘आपको यह जानकर हैरानी होगी कि प्राचीन कर्मकांड के मुताबिक़ वह अच्छा हिंदू नहीं जो गोमांस नहीं खाता. उसे कुछ निश्चित अवसरों पर बैल की बलि दे कर मांस अवश्य खाना चाहिए.‘
(देखें ‘द कंपलीट वकर््स आफ़ स्वामी विवेकानंद, जिल्द तीन, पृ. 536)
इसी पुस्तक में पृष्ठ संख्या 174 पर स्वामी विवेकानंद ने कहा है ,
‘भारत में एक ऐसा समय भी रहा है जब बिना गोमांस खाए कोई ब्राह्मण ब्राह्मण नहीं रह सकता था.‘

भाई साहब ब्राह्मणों पर हम कोई आक्षेप नहीं लगा रहे हैं बल्कि जो कुछ स्वामी विवेकानंद जी आदि बता रहे हैं उसी का उद्धरण हम यहां दे रहे हैं और आप ऐसा नहीं कह सकते कि उन्हें वैदिक संस्कृति का सही ज्ञान नहीं था।

यज्ञ में पशुओं के साथ व्यवहार

उदीचीनां अस्य पदो निधत्तात् सूर्यं चक्षुर्गमयताद् वातं प्राणमन्ववसृजताद्.
अंतरिक्षमसुं दिशः श्रोत्रं पृथिवीं शरीरमित्येष्वेवैनं तल्लोकेष्वादधाति.

एकषाऽस्य त्वचमाछ्य तात्पुरा नाभ्या अपि शसो वपामुत्खिदता दंतरेवोष्माणं
वारयध्वादिति पशुष्वेव तत् प्राणान् दधाति.

श्येनमस्य वक्षः कृणुतात् प्रशसा बाहू शला दोषणी कश्यपेवांसाच्छिद्रे श्रोणी
कवषोरूस्रेकपर्णाऽष्ठीवन्ता षड्विंशतिरस्य वड्. क्रयस्ता अनुष्ठ्योच्च्यावयताद्. गात्रं गात्रमस्यानूनं कृणुतादित्यंगान्येवास्य तद् गात्राणि प्रीणाति...ऊवध्यगोहं पार्थिवं खनताद् ...अस्ना रक्षः संसृजतादित्याह.
-ऐतरेय ब्राह्मण 6,7
अर्थात इस पशु के पैर उत्तर की ओर मोड़ो, इस की आंखें सूर्य को, इस के श्वास वायु को, इस का जीवन (प्राण) अंतरिक्ष को, इस की श्रवणशक्ति दिशाओं को और इस का शरीर पृथ्वी को सौंप दो. इस प्रकार होता (पुरोहित) इसे (पशु को) दूसरे लोकों से जोड़ देता है. सारी चमड़ी बिना काटे उतार लो. नाभि को काटने से पहले आंतों के ऊपर की झिल्ली की तह को चीर डालो. इस प्रकार का वह पुरोहित पशुओं में श्वास डालता है. इस की छाती का एक टुकड़ा बाज की शक्ल का, अगले बाज़ुओं के कुल्हाड़ी की शक्ल के दो टुकड़े, अगले पांव के धान की बालों की शक्ल के दो टुकड़े, कमर के नीचे का अटूट हिस्सा, ढाल की शक्ल के जांघ के दो टुकड़े और 26 पसलियां सब क्रमशः निकाल लिए जाएं. इसके प्रत्येक अंग को सुरक्षित रखा जाए, इस प्रकार वह उस के सारे अंगों को लाभ पहुंचाता है. इस का गोबर छिपाने के लिए जमीन में एक गड्ढा खोदें. प्रेतात्माओं को रक्त दें.

अब आप ख़ुद देख सकते हैं कि यह पशु का वर्णन है या किसी औषधि का ?
Link-
http://www.niraamish.blogspot.in/2011/11/mass-animal-sacrifice-on-eid.html

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चिरकुटानंद ब्लॉगर किसे कहते हैं ?, पुरस्कार वितरण विवाद

मनोज साहब ने ईनाम बांटने का काम शुरू किया। ईनाम उन्होंने कम को बांटा और ज़्यादातर को उन्होंने ‘चिरकुट‘ का खि़ताब दे दिया। कहते हैं कि जो ब्लॉगर प्रब्लेस शिखर पुरस्कार के लिए प्रविष्टि न भेजे या किसी के नाम का अनुमोदन न करें और हमारे पुरस्कार वितरण की समीक्षा करे तो वे ब्लॉगर ‘चिरकुटानंद‘ हैं। यह स्तर है प्रगतिशील ब्लॉग लेखक संघ के सर्वेसर्वा के सोचने का, और इसके बावजूद वह चाहते हैं कि विद्वान हिंदी ब्लॉगर उनसे पुरस्कार पाने के लिए लाइन लगाकर खड़े हो जाएं।
‘ब्लॉग की ख़बरें‘ की पोस्ट पर उनकी टिप्पणियों में उनकी सोच का लेवल आप ख़ुद देखिए इस लिंक पर जाकर

ब्लॉगर्स को प्रब्लेस शिखर सम्मान मुबारक हो ! Prize

Khushdeep Sehgal said...

दो दोस्तों ने फलों के कारोबार का फैसला किया...एक संतरे का टोकरा लेकर बैठ गया...एक केले का...दोनों ने फैसला किया सिर्फ कैश बिक्री करेंगे, उधार का कोई काम नहीं...थोड़ी देर बाद संतरे वाले को भूख लगी, उसने दो का सिक्का केले वाले को देकर केला लेकर खा लिया...केले वाले ने कहा, चलो बोहणी तो हुई...शाम तक दोनों के टोकरे खाली हो गए...पास ही संतरे और केले के छिलके के ढेर लग गए थे...दोनों ने कहा, चलो बिक्री तो बहुत बढ़िया हुई...अब कैश गिन लिया जाए...लेकिन ये क्या दोनों के पास कुल मिलाकर वो दो का सिक्का ही निकला...पूरा दिन वो एक दूसरे से कैश ले लेकर खुद ही सारे संतरे और केले चट कर गए थे....
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ब्लॉगर्स मीट वीकली (32) Gayatri Mantra





बलोगर्स मीट वीकली (32)
सबसे पहले मेरे सारे ब्लॉगर्स साथियों को प्रेरणा अर्गल का प्रणाम और सलाम /आप सभी का इस ब्लॉगर्स मीट में स्वागत है /आप सब जरुर पधारिये और अपने विचारों से हमें अवगत करिए /आप सभी इस मंच से जुड़े रहें यही कामना है /आभार /

अनवर जमालजी की रचनाएँ

गायत्री मंत्र रहस्य भाग 1 The mystery of Gayatri Mantra 1


ऊँ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो
देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्.

गायत्री मंत्र को वेदमाता कहा जाता है। जैसे बच्चे का आधार उसकी माता होती है वैसे सारे वेद का आधार गायत्री मंत्र है। जिसने गायत्री के रहस्य को समझ लिया। वास्तव में वही वेद के रहस्य को भी समझ सकता है...
...अब गायत्री मंत्र का एक शाब्दिक अनुवाद भी पहली बार प्रकट हुआ है। यह अनुवाद आप भी देखिए -

हम परमेश्वर के सूर्य के उस वरणीय प्रकाश का ध्यान करें जो हमारी बुद्धियों को प्रेरित करे।

अब मंच की पोस्ट्स

अयाज अहमदजी की रचना

कब्ज (कांस्टीपेशन) का इलाज.

अनियमित खान-पान के चलते लोगों में कब्ज एक आम बीमारी की तरह प्रचलित है। यह पाचन तन्त्र का प्रमुख विकार है।

प्रेरणा अर्गलजी की रचना

भविष्य का सपना


मन पखेरू उड़ने लगा है
नए नए सपने संजोने लगा है

मंच के बाहर की पोस्ट

"कुछ तराने नये मचलते हैं" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्रीजी 'मयंक')

बेक़रारी के खाद-पानी से,
कुछ तराने नये मचलते हैं।
सदाजी का सद्विचार

मनोज कुमारजी की रचना


सूफ़ी दर्शन-

अल्लाह अजन्मा और अनश्वर है। उसके अलावा जो कुछ है सब परिवर्तनशील और नश्वर है। वह रचयिता है और सभी जीव उसी की एक रचना है।
अमरेन्द्र शुक्ल " अमर" जी की रचना

मेरा शहर




मदमस्त हवाओ से भरा
ये मेरा शहर
आज मेरे लिए ही बेगाना क्यू है
हर तरफ
कैलाश सी.शर्माजी की रचना

जब ढाई आखर न जानो


आए हमको ज्ञान सिखाने,
ऊधो प्रेम मर्म क्या जानो.

पोथी पढ़ना व्यर्थ गया सब
जब ढाई आखर न जानो.
महेंद्र श्रीवास्तव जी की रचना

आसान नहीं है गुंडाराज की वापसी ...

यूपी चुनाव की सरगरमी बढ़ती जा रही है,
सभी लोग अपनी अपनी तरह से चुनाव
नतीजों को लेकर कयास लगा रहे हैं।
चन्द्र मोलेश्वर प्रशादजी की रचना

बैकुंठ नाथ पेशे से वास्तुविद भले ही हों, पर हृदय से
एक रचनाकार हैं जिनकी अब तक सात पुस्तकें
प्रकाशित हो चुकी हैं जिनमें उनके गीतों, कविताओं
और कहानियों की अभिव्यक्ति हुई है।
साधना वैदजी की माँ जी श्रीमती ज्ञानवती सक्सेनाजी "किरण"की रचना

मंथर गति से मलय पवन आ सौरभ से नहला जाता , कुहू-कुहू करके कोकिल जब मंगल गान सुना जाता !
साधना वैदजी कीरचना

चलो चलें माँ .... ( एक लघु कथा )



नन्हा लंगूर डिम्पी अपने कान में उंगली डाले ज़ोर ज़ोर से चीख रहा था ! जिस पेड़ पर उसका घर था उसके नीचे बहुत सारे बच्चे होली के रंगों से रंगे पुते ढोल बजा बजा कर हुड़दंग मचा रहे थे !

राजेश कुमारीजी की रचना
बीत गए बरस तिरसठ
हुआ देश स्वतंत्र
तन से नंगा हाथ में तिरंगा
कैसा ये गणतंत्र
शहरयार जी की रचना

है राम के वुजूद पे हिन्दोस्तां को नाज़


लबरेज़ है शराबे हक़ीक़त से जामे हिन्द
सब फ़लसफ़ी हैं खि़त्ता ए मग़रिब के राम ए हिन्द
ब्लॉग की ख़बरें पर

सूफ़ी दर्शन - Manoj कुमार



सूफ़ी दर्शन-2 वाजिबुल वुजूद अल्लाह अजन्मा और अनश्वर है। उसके अलावा जो कुछ है सब परिवर्तनशील और नश्वर है। वह रचयिता है और सभी जीव उसी...

लम्बे बच्चे कैसे पैदा करें ? Height





1- लंबे बच्चे चाहिए तो दूर की बीवी लाएं BBCसुनने में यह बात अजीब-सी लग सकती है, लेकिन पोलैंड के वैज्ञानिकों का दावा है कि अगर पति...

क्या मैथुन के लिए हमें जानवर हो जान चाहिए ? -राम बंधु तिवारी





मानव प्राणी द्वारा विचार कर मैथुन करना ही, सभी प्राणियों में श्रेष्ठता प्रदान करती हैं|आख़िर मनुष्य और जान...

धन्यवाद !

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धन्यवाद ! धन्यवाद ! धन्यवाद ! धन्यवाद ! धन्यवाद ! धन्यवाद ! आपके प्यार की बदौलत हमने हिन्दी ब्लॉगिंग ...
रोजाना सिर्फ ये दो काम कर लेंगे तो बीमार नहीं पड़ेगे - आजकल बदलते मौसम के साथ तबीयत बिगड़ जाना एक आम समस्या है। सर्दी, खांसी, पेट व बुखार जैसी समस्याएं कमजोर इम्युनिटी पॉवर के कारण बदलते मौसम के साथ शरीर पर त...
WAQT KI AHMIYAT - By NISAAR NADIADWALA watch full Peace TV urdu talk - Nisar NadiadwalaNisar Nadiadwala has been a regular and familiar speaker at Islamic Research Foundation (IRF) auditoriums since the p...

कल्कि अवतार का मत करो इन्तजार

मदन मोहन बाहेती घोटू



नैतिकता का सर्वोच्च शिखर...

लेखक नकीबुल हक
नैतिकता को सर्वोच्च शिखर पर पहुचाने के लिए आया हूं आज से 1400 सौ वर्ष पहले आलमें इंसानियत पर जुल्मों सितम का राज चलता था। लोग बेटियों को पैदा होते ही जिंदा दफन कर देते थे। बात बात पर तलवारें निकल आया करती थीं तथा औरतों को पैर की जूती समझा जाता...
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गर्मियों की छुट्टियां

अनवर भाई आपकी गर्मियों की छुट्टियों की दास्तान पढ़ कर हमें आपकी किस्मत से रश्क हो रहा है...ऐसे बचपन का सपना तो हर बच्चा देखता है लेकिन उसके सच होने का नसीब आप जैसे किसी किसी को ही होता है...बहुत दिलचस्प वाकये बयां किये हैं आपने...मजा आ गया. - नीरज गोस्वामी

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    11 years ago

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