इस बयान को नवभारत टाइम्स की वेबसाइट पर ‘अभी अभी’ काॅलम के तहत प्रकाशित किया गया है। देखिए पूरी ख़बर-
शिव थे मुस्लिमों के पहले पैगंबर: जमीयत उलेमा
मनोज पांडेय, फैजाबाद
जमीयत उलेमा के मुफ्ती मोहम्मद इलियास ने अयोध्या में चौंकाने वाला बयान देते हुए कहा कि भगवान शंकर मुस्लिमों के पहले पैगंबर हैं। उन्होंने कहा कि इस बात को मानने में मुसलमानों को कोई गुरेज नहीं है।
जमीयत उलेमा के मुफ्ती मोहम्मद इलियास ने अयोध्या में चौंकाने वाला बयान देते हुए कहा कि भगवान शंकर मुस्लिमों के पहले पैगंबर हैं। उन्होंने कहा कि इस बात को मानने में मुसलमानों को कोई गुरेज नहीं है।
जमीयत उलेमा का एक डेलिगेशन बुधवार को अयोध्या आया था। जमीयत उलेमा 27 फरवरी को बलरामपुर में कौमी एकता का कार्यक्रम करने जा रहा है। इसी सिलसिले में वह अयोध्या के साधु-संतों को कार्यक्रम में हिस्सा लेने की अपील करने आए थे। मौलाना ने कहा कि मुसलमान भी सनातन धर्मी है और हिंदुओं के देवता शंकर और पार्वती हमारे भी मां-बाप है। उन्होंने आरएसएस के हिंदू राष्ट्र वाली बात पर कहा कि मुस्लिम हिंदू राष्ट्र के विरोधी नहीं हैं।
मुफ्ती मोहम्मद इलियास ने कहा कि जिस तरह से चीन में रहने वाला चीनी, अमेरिका में रहने वाला अमेरिकी है, उसी तरह से हिंदुस्तान में रहने वाला हर शख्स हिंदू है। यह तो हमारा मुल्की नाम है। उन्होंने कहा कि जब हमारे मां-बाप, खून और मुल्क एक है तो इस लिहाज से हमारा धर्म भी एक है। इस दौरान मुस्लिम डेलिगेशन ने राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी सतेंद्र दास और शनि धाम के महंत हरदयाल शास्त्री के साथ मिलकर आतंकवाद का पुतला फूंका।
मुफ्ती मोहम्मद इलियास ने कहा कि जिस तरह से चीन में रहने वाला चीनी, अमेरिका में रहने वाला अमेरिकी है, उसी तरह से हिंदुस्तान में रहने वाला हर शख्स हिंदू है। यह तो हमारा मुल्की नाम है। उन्होंने कहा कि जब हमारे मां-बाप, खून और मुल्क एक है तो इस लिहाज से हमारा धर्म भी एक है। इस दौरान मुस्लिम डेलिगेशन ने राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी सतेंद्र दास और शनि धाम के महंत हरदयाल शास्त्री के साथ मिलकर आतंकवाद का पुतला फूंका।
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इस बयान में मुफ़्ती इलियास साहब ने जो कहा है, उसका अर्थ यह है कि कुछ ऐसे महापुरूष हुए हैं जिन्हें हिन्दू और मुस्लिम दोनों ही मानते हैं। हिन्दू भाई-बहन उन्हें अपनी भाषा में अलग नाम से याद रखे हुए हैं और उन्हीं महापुरूषों को मुस्लिम अलग भाषा में अलग नाम से जानते हैं। इस बयान के देने वााले मुफ़्ती साहब ने बरसों के तुलनात्मक अध्ययन किया है।
उनके इस बयान पर एक दूसरी जगह यह रद्दे-अमल ज़ाहिर किया गया है-
Mufti Mukarram Ahmed, Imam of Fatehpuri Masjid, rejected Ilyas’s statements.
“We don’t accept what he said, it’s completely wrong. It’s no where written in Quran. This could be his political statement,” Mukarram said.
फ़तेहपुरी मस्जिद के इमाम मुफ़्ती मुकर्रम साहब के द्वारा इस बयान को नकारे जाने का कारण यह है कि उन्होंने हिन्दू भाईयों के धर्मग्रन्थों को नहीं पढ़ा है। पहले पैग़म्बर का नाम क़ुरआन में आदम आया है जो कि आदिम् का बदला हुआ रूप है और यह शब्द संस्कृत की धातु ‘आद्य’ से बना है। आदम अ. की कथा भविष्य पुराण में आई है, जिसे सभी मुफ़्ती-मौलवियों को पढ़ना चाहिए। इससे दूरियां कम होंगी और एक मां-बाप की सारी औलाद ख़ुद को एक परिवार के रूप में देखने लगेगी।
विद्वानों ने माना है कि पुराण कथाओं में समय समय पर वृद्धि और क्षेपक हुए हैं लेकिन आज भी उनमें सच्चाई को तलाश किया जाता है तो वह मिल जाती है। सभी धर्मों विद्वानों को मिलकर यह कोशिश करनी चाहिए कि समान बातों को सामने लाया जाए।
हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम को ईसाई लोग क्राइस्ट के नाम से और अय्यूब को जाॅब के नाम से मानते हैं जबकि क़ुरआन में क्राइस्ट और जाॅब नाम नहीं आए है। इसके बावजूद मुस्लिम आलिम समझ लेते हैं कि ईसाई क्राइस्ट और जाॅब किसे कह रहे हैं क्योंकि उनकी किताबों सैकड़ों साल तक पढा है। हिन्दू धर्मग्रन्थों को भी जानने समझने की कोशिश की गई होती तो दोनों समुदायों को ऐसे कई महापुरूष मिल जाते, जिन्हें दोनों ही आदर देते हैं। इस विषय पर हम दिनांक 22 मार्च 2010 को एक लेख लिख चुके हैं-
क्या काबा सनातन शिव मंदिर है ? Is kaba an ancient sacred hindu temple?
अच्छी ख़बर यह है कि आचार्य मौलाना शम्स नवेद उस्मानी साहब की कोशश से इस तरफ़ पहल की जा चुकी है। मुफ़्ती इलियास साहब का बयान उसी की एक बानमी है।