'जब मैंने हिन्दी बोली' -एक क़हक़हेदार पोस्ट

महंगाई बढ़ने की खबरें हिन्दी बोलने वालों को भी डरा रही हैं लेकिन फिर भी लोग हिन्दी बोल रहे हैं और बहुत अच्छी बोल रहे हैं. आप भी अपने जीवन में हिन्दी बोलकर अपना और समाज का बहुत भला कर सकते हैं. आज भारी भरकम मुद्दों को उठाती हुई पोस्ट्स के दरम्यान एक क़हक़हेदार पोस्ट पढी तो उसे यहाँ देने की तबियत हुई.
फ़ेसबुक पर एक बहन ने लिखा है कि

मुझे भी आज हिंदी बोलने का शौक हुआ, होटल से निकली और एक ऑटो वाले से पूछा,
"त्री चक्रीय चालक पूरे जयपुर नगर के परिभ्रमण में कितनी मुद्रायें व्यय होंगी"?
ऑटो वाले ने कहा, "अरे हिंदी में बोलो न..."
मैंने कहा, "श्रीमान मै हिंदी में ही वार्तालाप कर रही हूँ ।"
ऑटो वाले ने कहा, "मोदी जी पागल करके ही मानेंगे ।" चलो बैठो कहाँ चलोगी ?
मैंने कहा, "परिसदन चलो ।"
ऑटो वाला फिर चकराया !!
"अब ये परिसदन क्या है.? बगल वाले श्रीमान ने कहा, "अरे सर्किट हाउस जाएगा ।।"
ऑटो वाले ने सर खुजाया बोला,
"बैठिये मैडम ।।"
रास्ते में मैंने पूछा, "इस नगर में कितने छवि गृह हैं.??"
ऑटो वाले ने कहा, "छवि गृह मतलब..??"
मैंने कहा, "चलचित्र मंदिर ।"
उसने कहा, "यहाँ बहुत मंदिर हैं राम मंदिर, हनुमान मंदिर, जग्गनाथ मंदिर, शिव मंदिर ।।"
मैंने कहा, "मै तो चलचित्र मंदिर की बात कर रही हूँ जिसमें
नायक तथा नायिका प्रेमालाप करते हैं ।।"
ऑटो वाला फिर चकराया, "ये चलचित्र मंदिर क्या होता है..??"
यही सोचते सोचते उसने सामने वाली गाडी में टक्कर मार दी ।
ऑटो का अगला चक्का टेढ़ा हो गया ।
मैंने कहा, "त्री चक्रीय चालक तुम्हारा अग्र चक्र तो वक्र हो गया ।।"
ऑटो वाले ने मुझे घूर कर देखा और कहा, "उतरो जल्दी उतरो !!
चलो भागो यहाँ से ।"
तब से यही सोच रही हूँ अब और हिंदी बोलूं या नहीं !!!

June 26,2014 at 06:48 PM IST
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प्रिय ब्लॉगर भाई डॉ अनवर जमाल जी, वाकई पोस्ट पढ़ते ही हंसी से लोटपोट हो गए. बहुत साल पहले का एक चुट्कुला याद आ गया. एक व्यक्ति ने ऑटो वाले से पूछा, " भाई, केंद्रीय सचिवालय चलोगे?'' ऑटो वाला बोला, "हमने तो इस जगह का नाम ही नहीं सुना!'' उस व्यक्ति ने कहा, "सैंट्रल सेक्रेटियेरेट चलोगे?'' व्यक्ति बोला, "मैं पहले भी तो यही कह रहा था.'' ऑटो वाला बोला, "अब के हिंदी में बोला तो, समझ में आ गया.''
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(leela tewani को जवाब )- डा. अनवर जमाल
June 26,2014 at 06:51 PM IST
जी हाँ, बहन लीला तिवानी जी ! सोचा डरे हुए लोगों को क़हक़हा लगाने का एक मौक़ा मिल जायेगा और उनका तनाव ज़रा सा कम हो जायेगा.
शुक्रिया अपना तजुर्बा शेयर करने के लिये.

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कुछ यात्राएँ निराशाजनक भी साबित होती है





दोस्तों, मैंने कल अपनी भतीजी चारू जैन के साथ एक छोटी सी रोहतक,
हरियाणा की यात्रा की. जो उम्मीदों के अनुरूप बहुत ही निराशाजनक रही. दरअसल
मेरी भतीजी एम.बी.बी.एस का कोर्स करना चाहती है. पिछले साल ही बारहवीं पास
कर ली थी और दाखिले से पहले होने वाली परीक्षा में भी पास हो गई थी. लेकिन
उसकी आयु कम होने के कारण दाखिला नहीं मिल पाया था.
पूरी पोस्ट नीचे क्लिक करके पढ़ें.
निर्भीक-आजाद पंछी: कुछ यात्राएँ निराशाजनक भी साबित होती है:
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