कादम्बिनी ने तारकेश्वरी को ब्लोगर बना दिया

जी हाँ दोस्तों एक बहतरीन ब्लोगर तारकेश्वरी गिरी को बादाम की गिरी की तरह मजबूत और ताकतवर ब्लोगर केवल एक पत्रिका कादम्बिनी की प्रेरणा ने बनाया हे और जल वायु प्रदूषण क्षेत्र में बचाव कार्यों के लियें आप आन्दोलन की तरह जूनून के साथ लगे हें .
आजम गढ़ के एक छोटे से गाँव में जन्मे तारकेश्वरी गिरी ने ग्रामीण परिप्रेक्ष से बाहर निकल कर शिबली नेशनल कोलेज से बी ऐ किया और फिर रोज़गार के लियें दिल्ली आ गये वोह इन दिनों बेंकिंग इन्वेस्टमेंट के काम में लगे हें कहते हें जिसका मन बचपन से कवि हो जिसके विचार किसी से बंधे ना हो जिसका मन सागर हो और जहां सेकड़ों नदियाँ एक साथ आकर मिलती हें इस समुन्द्र में कई विचार विचरण करते हें जो उबल की तरह से बाहर आने के लियें आतुर रहते हें . हमारे तारकेश्वर गिरी ने ११ अक्तूबर को एक पत्रिका कादम्बिनी पत्रिका उठाई और तब जल और वायु प्रदूषण मामले में लोगों को इस प्रदूषण से बचाने के लियें तारकेश्वर जी ने एक लेखन आदोलन की ठानी और पहली पोस्ट ११ अक्तूबर को अंग्रेजी में लिखी जिस पोस्ट में उन्होंने जल एवं वायु प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई में सभी को आमंत्रित किया हे और कादम्बिनी पत्रिका को इस प्रेरणा के लियें धन्यवाद दिया हे . 
तारकेश्वर जी का नारा हे बहुत कुछ सोचा बहुत कुछ समझा अब करने का समय आ ही गया हे लेट ही सही वोह कहना चाहते हें के अब सोचना नहीं समझना नहीं सिर्फ करके दिखाना हे और अपनी रोज़गार की व्यस्तता और दिल्ली की दुनिया की भागमभाग के बाद भी तारकेश्वर जी ने अब तक १९२ ब्लॉग लिख डाले हें अपने १९२ ब्लॉग पर तारकेश्वर जी ने जापान के सुनामी से हुई तबाही पर अपनी संवेदनाएं जारी की हे ब्लोगर की दुनिया में तारकेश्वर जी सभी से लगभग जुड़े हें और इस दुनिया में प्यार अपनापन बाँट रहे हें . अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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कौन है,हसरतें जिसकी सारी पूरी होती


कौन है
हसरतें जिसकी सारी
पूरी होती
सब की कुछ ना कुछ
अधूरी रहती
कोई फिर भी निरंतर
हंसता रहता
कोई ज़िन्दगी भर
रोता रहता
निरंतर नयी हसरतें
पालता
दिन रात चिंता में
घुलता
ना ठीक से सोता
ना खुश हो जागता
ज़िन्दगी भर असंतुष्ट
रहता
असंतुष्ट दुनिया से
चले जाता
12—03-2011
डा.राजेंद्र तेला"निरंतर",अजमेर

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yeh insaanon ki paathshala he

आधुनिक पाठशाला जहां इंसान तय्यार होते हें

गुजरात में सुरत एक व्यापारिक शहर जहां पुराने सूरत  में बोहरा समाज के आदरणीय गुरु डोक्टर सय्यदना बुरहानुद्दीन साहब ने एक ऐसा मदरसा महाद अल ज़ाहरा तय्यार करवाया हे जहां बच्चों को आधुनिक शिक्षा के साथ साथ मानवता का पाठ अनुशासीत तरीके से पढाया जाता हे . 
सूरत में पिछले एपिसोड में मेने लिखा था के कोटा के बोहरा समाज के प्रमुख जनाब अब्बास भाई, सफदर भाई , मंसूर भाई, अकबर भाई अब्बास अली के साथ में अख्तर खान अकेला , लियाकत अली ,शहर काजी अनवार अहमद , नायब काजी जुबेर भाई , खलील इंजिनीयर , शेख वकील मोहम्मद और समाज सेवक प्रमुख रक्त दाता जनाब जाकिर अहमद रिज़वी गुजरात में सूरत स्थित एक आधुनिक मदरसे के तोर तरीकों का अध्ययन करने गये और इस दोरान हम बस  इसी मदरसे के होकर रह गये , पहेल एपिसोड में मेने कुरान हिफ्ज़ की आधुनिक उपकरणों से सुसज्जित पाठशाला का विवरण दिया था हम इस जन्नत के नजारे से बाहर निकल कर दुनियावी शिक्षा केंद्र में गये जहां घुसते ही आधुनिक साज सज्जा और सुख सुविधाओं युक्त इस मदरसे को देख कर खुद बा खुद मुंह से निकल पढ़ा के अगर मदरसा ऐसा होता हे तो फिर विश्व यूनिवर्सिटी केसी होगी , हमें सबसे पहले दुनियावी शिक्षा के इस मकतब के गेस्ट रूम में बताया गया इस गेस्ट रूम की सजावट रख रखाव देखते बनता था फिर वहां मदरसे के प्रभारी प्रोफ़ेसर ने सभी आगंतुकों का शुक्रिया अदा किया थोड़ा सुस्ताने के बाद हम सभी को जन सम्पर्क अधिकारी के साथ मदरसे की इस आधुनिकता का नजारा देखने के लियें भेजा गया बढ़ी बढ़ी आलिशान किलासें , बच्चों को पढाने के लियें आधुनिक हाईटेक तकनीक कम्प्यूटर ,लेबटोब, कमरे , बढ़े स्क्रीन , सुविधायुक्त प्रयोगशालाएं , बच्चों के कार्यों की नुमाइश के लियें प्रदर्शन केंद्र , चार मंजिला लाइब्रेरी किताबों पर सेंसर क्गाये गये हें ताके कम्प्यूटर पर लगते ही किताब का नाम चढ़ जाएगा खुबसुरत लाइब्रेरी होल में इंग्लिश और अरबी की सभी महत्वपूर्ण पुस्तकें आर्ट,कोमर्स .विज्ञानं सहित सभी विषयों का यहाँ प्रमुख अध्ययन केंद्र बनाया गया हे तकनीकी शिक्षा सहित नेतिक और फिजिकल शिक्षा भी यहाँ देने का प्रावधान रखा गया मदरसे में मस्जिद हे जहां सभी एक साथ नमाज़ अदा करते हें जबकि पास में ही डाइनिंग होल हे जहां एक वक्त पर सभी छात्र बैठकर एक साथ बढ़े ख्वान लगा कर मनचाहा बहतरीन खाना खाते हें खाने की रसोई में सभी आधुनिक उपकरण लगे हें खाना सर्व करने के लियें ट्रोलियाँ और दूसरी व्यवस्थाएं हें , मदरसे में एक परीक्षा होल हे जहां परीक्षार्थी की परीक्षा कभी खुद सय्यादना साहब लेते हें उन्हें हिम्मत दिलाते हें इस होल में खाना इ काबा का गिलाफ का एक चोकोर टुकडा फ्रेम कर अदब से लगाया गया हे जो सय्यादना साहब को भेंट में दिया गया था पास ही एक खुबसुरत पत्थर सजाकर क्ल्गाया गया हे यह पत्थर हुसेन अलेह अस्सलाम के मजार का पाक पत्थर बताया गया हे जिसका लोग बोसा लेकर इज्जत बख्शते हें इसी होल में फोटो प्रदर्शनी हे और बहुमंजिली इस इमारत में ८५० बच्चों में ३५० के लगभग छात्राए और बाक़ी छात्र हें जिनमे १५० से भी अधिक विदेशी हे मदरसे में पढने वालों को १२ वर्ष के इस सफर में केसे पढ़ें पढाई का उपयोग केसे करें क्या अच्छा हे क्या बुरा हे बढ़े छोटे का अदब किया होता हे खेल कूद , खाना प्रबन्धन ,जनरल नोलेज क्या होती हे कुल मिलाकर एक अच्छे इंसान की सभी खुबिया इन बाराह साल में हर बच्चे में कूट कूट कर भर दी जाती हे इन १२ साल में  हर बच्चे को दुनिया की हकीकत समझ में आ जाती हे और वोह नोकरी नहीं करने के संकल्प के साथ या तो समाज के इदारों में लग जाता हे या फिर व्यवसाय में लग जाता हे . इस मदरसे में छात्राओं के लियें बेठने पढने रहने की अलग व्यवस्था हें यहाँ उन्हें पर्देदारी और शर्मसारी के सारे आदाब सिखाये जाते हें इन छात्राओं को होम साइंस के नाम पर खाने के सभी व्यंजन बनाना सिखाये जाते हें , इंसानियत की इस पाठशाला में सभी काम बच्चों से करवाया जाता हे उन्हें होस्टल में रहने के लियें नाम नहीं नम्बर दिया आजाता हे और इसी नम्बर से उन्हें पुकारा जाता हे यहाँ स्वीमिंग पुल, कसरत के लियें जिम, खेलकूद के लियें इनडोर आउट डोर खेल के मैदान हें बच्चों को फ़िज़ूल खर्ची से रोकने के लियें एक माह में २०० रूपये से अतिरिक्त खर्च करने की अनुमति नहीं हे इन बच्चों को मदरसे में एक वर्ष पलंग पर एक वर्ष फर्श पर सुलाया जाता हे प्रेस खुद को करना सिखाते हें नाश्ता लडके खुद बनाते हें ताके वोह थोडा बहुत ओपचारिक नाश्ता बनाना सिख लें होस्टल में लाइब्रेरी , स्टडी रूम , डिस्पेंसरी बनी हे जहां अपने सुविधानुसार बच्चे अपना काम करते हें . 
मदरसे में हमें जब इस आलिशान बहुमंजिली इमारत में घुमाया जा रहा था तो हमारे दिमाग में इस सात सितारा व्यवस्था के आगे सब फीके नजर आ रहे थे हमें वहीं बोहरा समाज के अंदाज़ में विभिन्न व्यंजन खिलाये गये मस्जिद में सबने अपनी अपनी नमाज़ अदा की , मदरसे में एक ऑडिटोरियम जो अति आधुनिक स्टाइल में बना हे इस ऑडिटोरियम में पार्टिशन लगे हें जो इसे क्लासों में तब्दील कर देते हें और जब आवश्यकता होती हे तो रिमोट और चकरी चाबी से पार्टीशन पल भर में गायब  कर इस क्लास रूम को एक विशाल ऑडिटोरियम का रूप दे दिया जाता हे , इस मदरसे में ८५० बच्चों को पढ़ने और रख रखाव के लियें १७० लोगों का स्टाफ हे और एक वर्ष में यहाँ ८ से १० करोड़ का बजट स्वीक्रत किया जाता हे .
बीएस जनाब इस मदरसे इस मकतब इस आधुनिक पाठशाला को देख कर यही कहा जा सकता हे के आओ एक ऐसा मदरसा बनाये हें जहां कमाई की मशीन नहीं केवल और केवल इंसान बनाये इस मदरसे को देख कर हमारी स्थिति यह थी के सबक ऐसा पढ़ा दिया तुने जिसे पढकर सब कुछ भुला दिया तूने,  अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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होली आई रे होली आई रे .......

कल में जेसे ही वकालत के दफ्तर से घर पहुंचा गली नुक्कड़ की होली वाले बच्चे मेरे पास आये और होली का चंदा मांगने लगे मेने देखा के अब एक नई पीडी इस होली के चंदे के लियें तय्यार हो गयी हे .
हमने भी होली बनाई हे होली सजाई हे चंदे भी किये हें लेकिन लिमिटेड चंदा खुबसुरत सजावट और रुपयों की कम बर्बादी लेकिन इन दिनों महंगाई हे सही बात हे जो होली हम ५०० रूपये के चंदे में सजा लिया करते थे वोह होली आज दस हर में सजाई जाती हे और कई फालतू आकर्षक सजावट के चक्कर में यह खर्च कई लाख रूपये तक पहुंच जाता हे , में सोचने लगा के देश में सवा अर्ब लोगों की जनसंख्या के बीच छोटी बढ़ी होली करीब पन्द्रह लाख लोग मनाते हें और एक होली पर कमसे कम बीस हजार रूपये का एवरेज खर्च आता हे क्योंकि कुछ बढ़ी होलियाँ तो लाखों में सजती हे और कुछ होलियों का खर्च हजारों में सिमट जाता हे बस मेने हिसाब लगाया १५ लाख को १० हजार से गुणा करो तो कुल राशी १५ अरब रूपये बैठती हे इस तरह से केवल होली सजाने और जलाने में हम हर साल १५ अर्ब तो यूँ ही खर्च कर देते हें फिर हम रंग गुलाल और पानी मिष्ठान के अलग खर्च करते हें इन दिनों पेट्रोल और दुसरे खर्च अलग से होते हें खेर त्यौहार हे और त्यौहार भी सिख देने वाला भाईचारा सद्भावना अपनापन का पाठ पढ़ने वाला सभी को साथ लेकर चलने वाला अपने पन का पैगाम और इश्वर पर दृढ विशवास पैदा करने वाला त्यौहार हे रंगों का खुबसुरत इन्द्रधनुष से देश को सजाने वाला यह त्यौहार हे इसलियें यह खर्च कोई बढ़ी बात नहीं हे यहाँ कई बार होली के प्रबन्धन से गली मोहल्ले के बच्चे एक प्रबन्धन कार्यक्रम का संयोजन सीखते हें जो उनके जीवन में कई जगह काम भी आती हे .
लेकिन आजकल यह सब नहीं होता हे होली के नाम पर लडकियों से अभद्रता रंग के नाम पर गंदगी ग्रीस आयल लगा कर लोगों के चेहरे खराब करने कपड़े फाड़ना होली की नफासत होली का फलसफा ही खत्म हो गया हे ऐसे में हम देखते हे हर होली पर शराब के नशे में भांग के नशे में कई लोग जेल में बंद होते हें आपस में ही लढ कर  एक दुसरे का सर फाड़ देते हें यहाँ तक के कई इलाकों में तो अनावश्यक हत्या तक और गेंगवार तक बात पहुंच जाती हे जो सदियों की दुश्मनी बना देती हे बूंद बूंद पानी बचाने का नारा देने वाले यही लोग अरबों रूपये का बेशकीमती पानी यूँ ही बर्बाद कर देते हे तो दोस्तों त्यौहार भाई चारा सद्भावना बढाने के लियें और देश का विकास करने के लियें होते हें इस तरह से देश की बर्बादी के लियें नहीं इसलियें इस मामले को गम्भीरता से सोचना होगा और इस गम्भीर चिन्तन में खुले मन से विचार कर एक सुझाव और एक संकल्प जो खुद अपने परिवार पर लागू किया जाए और गीली होली से बचा जाए ऐसे रंग जिनमें तेज़ाब होता हे उससे बचा जाए फ़िज़ूल खर्ची के स्थान पर उस खर्च से अपने इलाके में होली की धार्मिक रस्म से पूजा अर्चना तो की जाए लेकिन साथ ही किसी गरीब की शादी किसी गरीब को खाना किसी गाँव मोहल्ले में हेंड पम्प डिस्पेंसरी या कोई भी रचनात्मक काम में इस राशी को खर्च कर त्यौहार ईद हो होली हो दीपावली हे इन्हें यादगार बनाया जाए . अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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हरेक इंसान को अपना भाई समझो और जितना हो सके उसे माफ़ करो ताकि तुम्हें शाँति मिले Bible

तब पतरस ने पास आकर, उससे कहा, हे प्रभु, यदि मेरा भाई अपराध करता रहे, तो मैं कितनी बार उसे क्षमा करूँ ?, क्या सात बार तक ?
यीशु ने उससे कहा, मैं तुझसे यह नहीं कहता कि सात बार, वरन सात बार के सत्तर गुने तक।
- बाइबिल, मत्ती, 21-23
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किशोरावस्था में अपनी नवीन और तीव्र कामेच्छा पर नियंत्रण न पाने के कारण ही लोग समलिंगी दुराचारों का शिकार हो जाते हैं.


खाने और कपड़े की तरह काम वासना भी मनुष्य की मौलिक आवश्यकता है, जिसकी पूर्ति मनुष्य की स्वाभाविक मांग है । ईश्वर ने मनुष्य के लिए जो जीवन व्यवस्था निर्धारित की है उसमें उसकी इस स्वाभाविक मांग की पूर्ति की भी विशेष व्यवस्था की है । ईश्वर ने अपनी अन्तिम पुस्तक में मनुष्य को कई स्थानों पर निकाह करने के आदेश दिये हैं । ईश्वरीय मार्गदर्शन को मनुष्यों तक पहुंचाने वाले अल्लाह के आख़िरी रसूल हज़रत मुहम्मद (सल्ल॰) ने भी निकाह को अपना तरीक़ा बताया है और कहा है कि जो ऐसा नहीं करता है वह हम में से नहीं । इतना ही नहीं ईश्वरीय जीवन व्यवस्था में इसका भी ध्यान रखा गया है कि कुछ लोगों की कामवासना की तृप्ति एक निकाह से नहीं हो सकती है, तो उनके लिए कुछ शर्तों के साथ एक से अधिक (अधिकतम चार) निकाह करने के द्वारा भी खुले रखे गये हैं । इतना कुछ करने के बाद दूसरे सभी यौनाचारों को अवैध और अक्षम्य अपराध ठहराया गया है ।

सम्पूर्ण मानवता के लिए सर्वाधिक अनुकूल ईश्वरीय विधन में अनुचित हस्तक्षेप करते हुए यौन दुराचार के कई रूपों को पश्चिमी देशों ने अपने यहां वैध ठहरा लिया है, जिनमें से समलैंगिक व्यवहार विशेष रूप से उल्लेखनीय है । पश्चिम के अंधनुकरण की परम्परा को बनाए रखते हुए हमारे देश में भी समलैंगिकता को वैध ठहराये जाने की दिशा में पहला क़दम उठाया जा चुका है। दिल्ली हाईकोर्ट का फै़सला आते ही देश में कोई दर्जन भर समलिंगी विवाह हो चुके हैं, जिससे यहां का सामाजिक, नैतिक एवं सांस्कृतिक  ढांचे के चरमरा जाने का भय उत्पन्न हो गया है और प्रबुद्ध समाज स्वाभाविक रूप से बहुत चिंतित हो गया है

समलैंगिकता को एक घिनौना और आपत्तिजनक कृत्य बताते हुए ईश्वर ने मानवता को इससे बचने के आदेश दिये हैं—
‘‘क्या तुम संसार वालों में से पुरुषों के पास जाते हो और तुम्हारी पत्नियों में तुम्हारे रब ने तुम्हारे लिए जो कुछ बनाया है उसे छोड़ देते हो । तुम लोग तो सीमा से आगे बढ़ गये हो ।’’ (क़ुरआन, 26:165-166)

क्या तुम आंखों देखते अश्लील कर्म करते हो? तुम्हारा यही चलन है कि स्त्रियों को छोड़कर पुरुषों के पास काम वासना की पूर्ति के लिए जाते हो? वास्तविकता यह है कि तुम लोग घोर अज्ञानता का कर्म करते हो । (क़ुरआन, 27:54-55)


इस संबंध में क़ुरआन में और भी स्पष्ट आदेश मौजूद हैं—
‘‘क्या तुम ऐसे निर्लज्ज हो गए हो कि वह प्रत्यक्ष अश्लील कर्म करते हो जिसे दुनिया में तुम से पहले किसी ने नहीं किया? तुम स्त्रियों को छोड़कर मर्दों से कामेच्छा पूरी करते हो, वास्तव में तुम नितांत मर्यादाहीन लोग हो।’’ 
(क़ुरआन, 7:80-81)

‘‘वह अल्लाह ही है, जिसने तुम्हें एक जान से पैदा किया और उसी की जाति से उसका जोड़ा पैदा किया ताकि उसकी ओर प्रवृत होकर शान्ति और चैन प्राप्त करे।’’ (क़ुरआन, 7:189)
‘‘तुम तो वह अश्लील कर्म करते हो जो तुम से पहले दुनिया वालों में से किसी ने नहीं किया। तुम्हारा हाल यह है कि तुम मर्दों के पास जाते हो और बटमारी करते हो। (अर्थात् प्रकृति के मार्ग को छोड़ रहो हो।)’’ (क़ुरआन, 29:28-29)

‘‘और यह भी उसकी निशानियों में से है कि उसने तुम्हारी ही सहजाति से तुम्हारे लिए जोड़े पैदा किए ताकि तुम उनके पास शान्ति प्राप्त करो और उसने तुम्हारे बीच प्रेम और दयालुता पैदा की। निश्चय ही इसमें बहुत-सी निशानियां हैं उन लोगों के लिए जो सोच-विचार करते हैं।’’ (क़ुरआन, 30:21) 


इसके अलावा अल्लाह के रसूल (सल्ल॰) ने भी समलैंगिकता को एक अनैतिक और आपराधिक कार्य बताते हुए इससे बचने के आदेश दिये हैं। अल्लाह के रसूल (सल्ल॰) ने कहा है कि—‘‘एक व्यक्ति को दूसरे व्यक्ति के गुप्तांग नहीं देखने चाहिए और एक महिला को दूसरी महिला के गुप्तांग नहीं देखने चाहिए । किसी व्यक्ति को बिना वस्त्र के दूसरे व्यक्ति के साथ एक चादर में नहीं लेटना चाहिए और इस प्रकार एक महिला को बिना वस्त्र के दूसरी महिला के साथ एक चादर में नहीं लेटना चाहिए ।’’ (अबू दाऊद)

अल्लाह के रसूल (सल्ल॰) ने कहा कि उस पर अल्लाह की लानत हो जो वह काम करे जो हज़रत लूत (अलैहि॰) की क़ौम किया करती थी, अर्थात समलैंगिकता (हदीस: इब्ने हिब्बान) दूसरे स्थान पर आप (सल्ल॰) ने फ़रमाया—समलैंगिकता में लिप्त दोनों पक्षों को जान से मार दो। (तिरमिज़ी) यह आदेश सरकार के लिए है किसी व्यक्ति के लिए नहीं । इसके अलावा समलैंगिकता में लिप्त महिलाओं के बारे में अल्लाह के रसूल (सल्ल॰) का कथन है कि यह औरतों का ज़िना (बलात्कार) है । (तबरानी)

इस्लामी शरीअत में समलैंगिकता को एक ऐसा अपराध माना गया है, जिसकी सज़ा मौत है, यदि यह लिवात (दो पुरुषों के बीच समलिंगी संबंध) हो । सिहाक़ (दो महिलाओं के बीच समलिंगी संबंध) को चूंकि ज़िना (बलात्कार) माना गया है, इसलिए इसकी सज़ा वही है, जो ज़िना की है अर्थात इसमें लिप्त महिला यदि विवाहित है तो उसे मौत की सज़ा दी जाए और यदि अविवाहित है तो उसे कोड़े लगाए जाएं । ये सज़ाएं व्यक्ति के लिए हैं यानी व्यक्तिगत रूप से जब कोई इस अपराध में लिप्त पाया जाए, लेकिन यदि सम्पूर्ण समाज इस कुकृत्य में लिप्त हो तो उसकी सज़ा ख़ुद क़ुरआन ने निर्धारित कर दी है—
‘‘और लूत को हमने पैग़म्बर बनाकर भेजा, फिर याद करो जब उसने अपनी क़ौम से कहा क्या तुम ऐसे निर्लज्ज हो गये हो...तुम स्त्रियों को छोड़ कर पुरुषों से काम वासना पूरी करते हो । वास्तव में तुम नितांत मर्यादाहीन लोग हो । किन्तु उसकी क़ौम का उत्तर इसके सिवा कुछ नहीं था कि निकालो इन लोगों को अपनी बस्तियों से ये बड़े पवित्रचारी बनते हैं । अंततः हमने लूत और उसके घर वालों को (और उसके साथ ईमान लाने वालों को) सिवाय उसकी पत्नी के जो पीछे रह जाने वालों में थी, बचाकर निकाल दिया और उस क़ौम पर बरसायी (पत्थरों की) एक वर्षा। फिर देखो उन अपराधियों का क्या परिणाम हुआ ।’’ (क़ुरआन, 7:80-84)


हज़रत लूत (अलैहिस्सलाम) की क़ौम पर अज़ाब की इस घटना को क़ुरआन दो अन्य स्थानों पर इस शब्दों में प्रस्तुत करता है :
‘‘फिर जब हमारा आदेश आ पहुंचा तो हमने उसको (बस्ती को) तलपट कर दिया और उस पर कंकरीले पत्थर ताबड़-तोड़ बरसाए।’’ (क़ुरआन, 11:82)
‘‘अंततः पौ फटते-फटते एक भयंकर आवाज़ ने उन्हें आ लिया और हमने उस बस्ती को तलपट कर दिया और उस पर कंकरीले पत्थर बरसाए।’’ 
(क़ुरआन, 15:73-74)


समलैंगिकता एक नैतिक असंतुलन है, एक अपराध और दुराचार है । इसमें संदेह नहीं कि यह बुराई मानव समाज में सदियों से मौजूद है, वैसे ही जैसे, चोरी, झूठ, हत्या आदि दूसरे अपराध समाज में सदियों से मौजूद हैं । इनके उन्मूलन के प्रयास किये जाने चाहिएं न कि इन्हें सामाजिक स्वीकृति प्रदान की जानी चाहिए । कोई भी व्यक्ति जन्म से ही समलैंगिक नहीं होता है, जैसे कोई भी जन्म से चोर या हत्यारा नहीं होता, बल्कि लोग उचित मार्गदर्शन के अभाव में ये बुराइयां सीखते हैं । किशोरावस्था में अपनी नवीन और तीव्र कामेच्छा पर नियंत्रण न पाने के कारण ही लोग समलिंगी दुराचारों का शिकार हो जाते हैं ।

समलैंगिकता को एक जन्मजात शारीरिक दोष और मानसिक रोग भी बताया जाता है। जो लोग इसमें लिप्त हैं या इसे सही समझते हैं वे ये कुतर्क देते हैं कि हमें ईश्वर ने ऐसा ही बनाकर पैदा किया है अर्थात् यह हमारा स्वभाव है जिससे हम छुटकारा नहीं पा सकते हैं। लेकिन वे अपने विचार के पक्ष में कोई तर्क देने में असमर्थ हैं। दूसरी ओर इसका विरोध करने वाले लोगों का एक वर्ग इसे एक मानसिक रोग बताता है, लेकिन उसका यह सिद्धांत भी निराधार है, तर्कविहीन है। सच्चाई यह है कि समलैंगिकता सामान्य व्यक्तियों का असामान्य व्यवहार है और कुछ नहीं

क़ुरआन ने जिस प्रकार लूत की क़ौम की घटना प्रस्तुत की है उससे भी स्पष्ट होता है कि यह न तो शारीरिक दोष है और न मानसिक रोग, क्योंकि शारीरिक दोष या मानसिक रोग का एक-दो लोग शिकार हो सकते हैं, एक साथ सारी की सारी क़ौम नहीं। यह भी कि ईश्वर अपने दूत लोगों के शारीरिक या मानसिक रोगों के उपचार के लिए नहीं भेजता और न ही उपदेश या मार्गदर्शन देने या अपने अच्छे आचरण का व्यावहारिक नमूना प्रस्तुत करने से ऐसे रोग दूर हो सकते हैं। यह मात्र एक दुराचार है, जिस प्रकार नशे की लत, गाली-गलौज, और झगड़े-लड़ाई की प्रवृत्ति और अन्य दुराचार।

समलैंगिकता व्यक्ति और समाज दोनों के लिए ख़तरनाक है। यह एक घातक रोग (एड्स) का मुख्य कारण है। इसके अलावा यह महिला और पुरुष दोनों के लिए अपमानजनक भी है। इस्लाम एक पुरुष को पुरुष और एक महिला को महिला बने रहने की शिक्षा देता है, जबकि समलैंगिकता एक पुरुष से उसका पुरुषत्व और एक महिला से उसका स्त्रीत्व छीन लेता है। यह अत्यंत अस्वाभाविक जीवनशैली है। समलैंगिकता पारिवारिक जीवन को विघटन की ओर ले जाता है

इन्हीं कारणों से इस्लाम समलैंगिकता को एक अक्षम्य अपराध मानते हुए समाज में इसके लिए कोई स्थान नहीं छोड़ता है। और यदि समाज में यह अपना कोई स्थान बनाने लगे तो उसे रोकने के लिए या अगर कोई स्थान बना ले तो उसके उन्मूलन के लिए पूरी निष्ठा और गंभीरता के साथ आवश्यक और कड़े क़दम भी उठाता है।

चलते-चलते::: 
रास्ते में पड़ी कष्टदायक चीज़ें (कांटा, पत्थर, केले का छिलका आदि) हटा देना (ताकि राहगीरों को तकलीफ़ से बचाया जाए) इबादत है!
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कुदरत का कहर

कल जापान
जहां खुशियाँ बस्ती थी
विश्व में
जहां के लोगों को
लोग इज्जत से देखा करते थे
वोह जापान जहां की तकनीक
विश्व में सबसे बहतर होने से
लोग इस देश को तकते थे
वाही जापान
जहां हिरोशिमा नागासाकी का दर्द था
फिर भी यह जापान
विश्व के सभी हिस्सों से अलग था
यहाँ प्यार था , मानवता थी
लेकिन यह क्या पल भर में
जहां बस्ती थी खुशियाँ
मातम हे आज वहा
यह सच
आप और में जी हाँ सभी
यानी
हम सब ब्लोगर भाई जानते हें
यह सच हम जानते हें
आज हम हे कल नहीं रहेंगे
कल क्या हो सकता हे अभी ही नहीं रहेंगे
तो फिर भाइयों क्यूँ एक दुसरे को नफरत बांटते हो
क्यूँ एक दुसरे के लियें दिल दिमागों में
जहर रखते हो
ना जाने कब किस ब्लोगर की
किस गली में शाम हो जाए
उसके किस्से ना जाने कब आम हो जाएँ
तो फिर इस बुद्धिजीवी ब्लोगिंग की दुनिया में
कसी नफरत , केसी कडवाहट ,केसा उतार चढाव
सब बेकार बेमाने हें
आओ सभी संकल्प लें
इससे पहले के कुदरत का कहर हमें घेरे
हमारी खुशनुमा सुबह की शाम हो
हम सब मिल जुलकर एक ऐसी
ब्लोगिंग की दुनिया बनाएं
जहां प्यार हो अपनापन हो खुशियाँ हो
स्वर्ग सा खुशनुमा माहोल हे
खुदा करे
मेरी यह दुआ आज से
अरे नहीं आज से नहीं
अभी से ही पूरी हो जाए
क्या आप भी मेरी
इस दुआ को पूरा करने की
तमन्ना रखोगे
अगर हाँ तो उठो
और बना डालों प्यार की एक ऐसी नई दुनिया ,,,,,,.. अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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नारी की लाचारी

मैँने अखबार मेँ पढ़ा कि एक महिला से उसके शराबी पति ने शराब के लिए पैसे माँगे जो कि उसके पास नहीँ थे तो उसने मना कर दिया। फिर पति ने मंगलसूञ माँगा बेचकर शराब लाने के लिए तो उसने कहा ये मेरा सुहाग है इसे मैँ नहीँ दुँगी ।इतने पर पति ने महिला के मुँह पर तेजाब फेँक दिया और मँगलसूञ तोड़कर भाग गया। मैँने इस घटना को इन शव्दोँ मेँ ब्यान किया हैँ ।.....................


पढ़कर रह गया हैरान,
    मैँ इस समाचार को।
       सुहाग ने माँगा अबला से,
            जब उसके सुहाग को।।

देने से कर दिया मना,
    जब उसने अपने सुहाग को,
       झोँक दिया उस हैवान ने,
           उसकी आँखोँ मेँ तेजाब को।।

पहले था इंसान देवता,
     क्यूँ बना दिया हैवान
        अब इस इंसान को,

 कर्म यही रहा इंसान अगर तेरा,
 तरस जायेगा तू नाज्मी के दीदार को।।
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ब्लॉग दुनिया के माई लोर्ड भाई दिनेश द्विवेदी

ब्लॉग दुनिया के माई लोर्ड भाई दिनेश द्विवेदी ,
जी हाँ  दोस्तों बारा जिले में एक पंडित परिवार में जन्मे दिनेश राय द्विवेदी का बचपने से ही पढने और लिखने का शोक रहा हे और इसीलियें विचारों की इनकी स्वतन्त्रता ,भूख और गरीबी के प्रति इनके इस दर्द ने द्विवेदी भाई को पंडित से कोमरेड बना दिया , प्रारम्भ की शिक्षा बरान में पूरी करने के बाद भाई द्विवेदी जी ने कोटा से वकालत की परीक्षा पास की और फिर पहले पत्रकारिता शुरू की फिर कवि बने फिर लेखक बने और फिर मजदूर नेता के रूप में कोमरेड की पहचान बनाई और अब वकालत कर रहे हें , अरे हाँ एक बात तो में भूल ही गया इस बीच भाई द्विवेदी जी पुत्र से पति और फिर एक पुत्र एक पुत्री के पिता बन गये .विचारों से हमेशा स्वतंत्र रहने वाले खुद की सोच स्थापित रखने वाले भाई द्विवेदी जी अपनी बात बेबाकी से कहने के लियें मशहूर हे . 
वेसे तो मेरा भाई द्विवेदी जी से कई वर्षों का सम्पर्क हे पत्रकारिता के कार्यकाल से में इन से वाकिफ हूँ लेकिन बस एक मजदूर नेता एक वकील एक पत्रकार एक कवि और एक जनवादी लेखक के रूप में ही मेरा इन जनाब से मेरा परिचय था लेकिन में नोसिखिया था और जब ब्लोगिंग की दुनिया में आया तो मेने ब्लॉग पर भाई द्विवेदी जी का जब काम देखा तो मेरी आँखें फटी की फटी रह गयीं एक वकील और पत्रकार होने के नाते में खूब जानता था के वकील की कितने व्यस्तताएं  होती हे उनकी कितनी मर्यादाएं होती हे और फिर इन सब के बावजूद भी  द्विवेदी भाई ने ब्लॉग की दुनिया में चमत्कार कर रखा था हर ब्लॉग पर द्विवेदी जी की जय जय कार थी और अदालत से अदालत तक के ब्लॉग के सफर के बाद देश भर के कानूनों को इन भाई द्विवेदी जी ने ब्लॉग की दुनिया में लिख डाला इनके ब्लॉग पर कानून की सभी तरह की जानकारी और हर विभाग से लिंक बनाया गया . 
फिर तीसरा खम्बा ऐसा बनाया जिसपर ब्लॉग की दुनिया को द्विवेदी जी खड़ा करते गये और फिर पीछे मुद कर इन्होने नहीं देखा , ब्लॉग की दुनिया मने इंटरनेट के जरिये लोगों के विधिक सवालों के जवाब देने वाले भाई द्विवेदी पहले इंटरनेट ब्लोगर बने और आज काई विधिक सवाल इनके पास लोग अपनी जिज्ञासा या परेशानियां दूर करने के लियें भेज कर उनका समाधान खोजते हें ,द्विवेदी जी ने अनवरत शुरू किया और फिर अनवरत जारी इस ब्लॉग में बहतरीन लेख सुझाव जब लिखे गये तो यह ब्लोगिंग की दुनिया के हर दिल अज़ीज़ हो गये भाई दिनेश जी ब्लॉग की दुनिया में खुशदीप जी , शाहनवाज़ जी , सतीश सक्सेना, ललित शर्मा जी सहित कई ब्लोगरों से बहुत प्रभावित हें इनका ब्लॉग मायद हाडोती हाडोती की संस्क्रती की याद दिलाता हे आब तक हजारों ब्लॉग लिखने वाले भाई द्विवेदी जी का मकान का काम बारा रोड कोटा में चल रहा हे इस काम की व्यस्तता के बाद भी यह जनाब हमारी सादा जीवन उच्च विचार वाली भाभी जी के साथ  मिलकर ब्लोगिंग करते हें और अब यह सभी विधा में पारंगत हो जाने के बाद ब्लॉग गुरु भी बन गये हें भाई द्विवेदी के लेखों में जितनी गम्भीरता जितना ज्ञान हे जाहिरा तोर पर द्विवेदी जी इतने ही खुश मिजाज़ एकड़ दुरे के मदद गार हें वोह हर किसी के सुख दुःख में साथ रहते हें और उनकी ब्लोगिंग कला की वजह से ही द्विवेदी जी को पिछले  दिनों ब्लोग्वानी का सलाहकार बनाया गया हे ब्लॉग की दुनिया को द्विवेदी जी से  बहुत उम्म्मिदें हें और वोह ब्लोगर्स और प्रशंसकों की हर कसोटी पर खरा उतर रहे हें उनकी एक ख़ास बात वोह बहुत  कम प्रबावित होते हें और जब पूरी तरह से संतुष्ट हो जाते हे तो फिर वोह उसी के हो जाते हें यानी हर काम वोह ठोक बजा कर करना चाहते हें और इसीलियें वोह बुलंदियों पर हें अपनी बात वोह दमदारी  से कहने के लियें विख्यात हें फिर चाहे कोई उनकी बात से सहमत हो या नहीं उनकी इस साफ़ गोई की वजह से कई बार उनसे कुछ लोगों का अनावश्यक टकराव भी हो जाता हे , उनकी इन खूबियों ने उन्हें ब्लॉग दुनिया में एक केंची देकर माई लोर्ड बना दिया हे . अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान  
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क्यों लेखन को ब्लॉग कहते,ब्लॉग शब्द को निरंतर ढोते




क्यों
लेखन को ब्लॉग
कहते
ब्लॉग शब्द को
 निरंतर ढोते
अंग्रेज़ी शब्दों को
हिंदी लेखन में
प्रोत्साहन देते
क्यों ना चर्चा
इस पर करते
क्यों ना
नया नाम ढूंढते
ब्लॉग को
कुछ और कहते
आओ मिलकर ये
कार्य करें
हिन्दी का उत्थान
करें 
11—03-2011
डा.राजेंद्र तेला"निरंतर",अजमेर

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अदालत के आदेश के बाद भी मुकदमा दर्ज नही करने पर आई पी एस विशाल बंसल के खिलाफ कार्यवाही के आदेश

 कोटा की अदालत पांच उत्तर ने  अदालत के आदेश के बाद भी मुकदमा दर्ज नही करने पर आई पी एस विशाल बंसल के खिलाफ कार्यवाही के आदेश देते हुए इस मामले में कार्यवाही करने के लियें राजस्थान के पुलिस महानिदेशक और मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कोटा को तहरीर जारी की हे .  
कोटा में वर्ष २००८ नोव्म्बर में भीमगंज मंडी  पुलिस ने एक वारंटी खालिक उर्फ़ पपू को गिरफ्तार किया था और उसे जेल भेजते ही तबियत बिगड़ने के बाद उसकी म्रत्यु हो गयी थी बस खालिक के परिजनों ने मारपीट कर हत्या कर देने का मामला थाने में दर्ज कराना चाहा लेकिन दर्ज नहीं किया गया यह लोग मेरे पास आये मेने मरने वाले के भिया शोकत की तरफ से न्यायालय पांच उत्तर कोटा में भीम गंज मंडी थाना धिकारी और दुसरे सम्बन्धित लोगों के खिलाफ परिवाद पेश किया अदालत ने मामले की गंभीरता देखते हुए प्रथम द्रष्टया माना और २३ नवम्बर २००८ को मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए लेकिन पुईस ने अदालत के आदेश के बाद भी मुकदमा दर्ज नहीं किया और इस्तिगासा वापस अदालत भेज दिया कहा गया के इस मामले में मर्ग दर्ज कर लिया गया हे बस फिर क्या था मेने एक दरख्वास्त अदालत में पुलिस कर्मियों के खिलाफ न्यायालय के आदेश की अवमानना मामले में लगाई अदालत ने मामले की गम्भीरता को माना और ६ जनवरी २००९ को एक आदेश जारी कर कोटा में तेनात पुलिस अधीक्षक को एक आदेश जारी कर परिवाद साथ भेजा और मुकदमा दर्ज कर कार्यवाही के निर्देश दिए लेकिन पुलिस अधीक्षक विशाल बंसल ने मुकदमा तो दर्ज नहीं किया ओर न्यायाल्स से भेजा परिवाद बिना न्यायालय की अनुमति के आदेशों को अवेध बताते हें पुलिस अधीक्षक कोटा की तरफ से एक निगरानी याचिका जिला न्यायाधीश के समक्ष पेश कर दी गयी हमें पुलिस की शरारत का जब पता चला तो हमने एक दरख्वास्त अदालत में फिर से दोषी पुलिस अधिकारी को दंडित करने की लगाई .
अदालत ने हमारी बहस और कानूनी दलीलें सुनने के बाद पुलिस अधीक्षक की निगरानी खारिज कर निचली अदालत के आदेश को यथावत रखा बस हमें एक दरख्वास्त फिर कार्यवाही करने के लियें लगाई इस बीच में सुप्रीम कोर्ट ने एक मामला ललिता कुमारी बनाम उत्तर प्रदेश सरकार में न्यायालय के आदेश के बाद भी मुकदमा दर्ज नहीं करने वाले पुलिस अधिकारी के खिलाफ उसे निलम्बित कर अनुशासनात्मक कार्यवाही करने के लियें प्राधिक्र्ट अधिकारी को लिखने के निर्देश दिए साथ ही यह एक अपराध मानते हुए ऐसे अधिकारी को सजा दिलवाने और जेल भेजने के लियें मुख्य्न्यायिक मजिस्ट्रेट को लिखने के निर्देश हें हमने व्ही कानून अदालत में पेश किया अदालत ने खुद जांच की सभी पक्षों को पुलिस अधीक्षकों को नोटिस देकर जवाब तलब किया तात्कालिक पुलिस अधीक्षक जनाब विशाल बंसल आई पी  एस ने जवाब में ६ जनवरी के आदेश की पालना में ७ जनवरी को ही परिवाद पर मुकदमा दर्ज करने के आदेश देने बाबत कथन किया लेकिन थानाधिकारी चन्दन सिंह ने इसे अस्विकारी किया और फिर जब खुद पुलिस अधीक्षक की तरफ से न्यायालय के आदेश के खिलाफ निगरानी याचिका पेश की गयी थी तो फिर ७ जनवरी को आदेश देने वाली बात झूंठी हो जाती हे बस रिकोर्ड के आधार पर न्यायालय ने तात्कालिक कोटा पुलिस अधीक्षक विशाल बंसल को दोषी माना और उनके खिलाफ महानिदेशक राजस्थान सरकार को निलम्बित क्र अनुशासनात्मक कार्यवाही के लियें कथन किया गया साथ ही दंडात्मक कार्यवाही करवाने के लियें मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को पत्र भी लिखा हे . 
दोस्तों मेरी यह कार्यवाही कहने को तो पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही हे लेकिन मेरी इस कार्यवाही से हजारों उन पुलिस कर्मियों को सबक मिलेगा जो फरियादियों को थानों पर चक्कर लगवाती हें और अदालत से भी अगर आदेश आ जाएँ तो भी परिवाद महीनों थानों पर पढ़े रहते हें और मुकदमे दर्ज नहीं होते ऐसे लोगों को अबइस आदेश से सबक मिलेगा . अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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ज़िन्दगी इक खेल है,हार जीत की रेलम पेल है



401—71-03-11

ज़िन्दगी इक खेल है
हार जीत की रेलम पेल है
उम्मीद का मैदान है
हर शख्श खिलाड़ी है
उम्मीद जिसकी पूरी होती
वो जीता कहलाता
नाउम्मीद हारा बताया जाता
कोई खेल भावना से खेलता
नतीजे की परवाह ना करता
कोई जीतने के लिए खेलता
तरीके सब इस्तेमाल करता
किस को कैसे खेलना
फैसला ईमान खुद का
करता
मैदान के बाहर कभी
ना बैठना
ना कभी निराश होना
जन्म जब लिया दुनिया में 
निरंतर खेलते रहना
नाम खुदा का लेते
रहना
10—03-2011
डा.राजेंद्र तेला"निरंतर",अजमेर
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गर्मियों की छुट्टियां

अनवर भाई आपकी गर्मियों की छुट्टियों की दास्तान पढ़ कर हमें आपकी किस्मत से रश्क हो रहा है...ऐसे बचपन का सपना तो हर बच्चा देखता है लेकिन उसके सच होने का नसीब आप जैसे किसी किसी को ही होता है...बहुत दिलचस्प वाकये बयां किये हैं आपने...मजा आ गया. - नीरज गोस्वामी

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