बिटिया
"बेटी न कहो मुझे
मैं आपका बेटा हूँ पापा ."
- यह जिद्द
बिटिया करती है अक्सर
पता नहीं
क्यों और कैसे
लड़का होने की चाह
घर कर गई है
उसके मन में .
वैसे मान सकता हूँ मैं
बेटा - बेटी एक समान होते हैं
बेटी भी बेटा ही होती है
मगर नहीं मान पाता
बेटी को बेटा .
कैसे मानूं ?
क्यों मानूं ?
बेटी को बेटा
बेटा होना कोई महानता तो नहीं
बेटी होना कोई गुनाह तो नहीं
बेटी का बेटी होना ही
क्या काफी नहीं ?
क्यों पहनाऊँ मैं उसे
बेटे का आवरण ?
नासमझ
नन्हीं बिटिया को
जिद्द के चलते
भले ही मैं
कहता हूँ बेटा उसे
मगर मेरा अंतर्मन
मानता है उसे
सिर्फ और सिर्फ
प्यारी-सी बिटिया .....
*****
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2 comments:
निहायत सुन्दर। बेटी को बेटा बोल कर हम ऐसी ही ग्रन्थी को बढावा देंगे कि बेटा बेहतर होते हैं, इसके बजाए हम यह क्यों नही कहें कि मेरी बेटी बेटों से बढ कर है क्योंकि मेरी बेटी है बेटा नही।
एक गहरी सोच और समाज की कड़वी सच्चाई .
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