भाई को राखी बांधने पाकिस्तान से आई बहन -हरदा (मप्र), एजेंसी

भारत-पाक के बीच सीमा पर तनाव को लेकर भले ही खटास हो पर भाई का प्रेम एक बहन को पाक से हिन्दुस्तान ले आया जो अपने हिन्दू भाई को राखी बांधने हरदा आई है।
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पाकिस्तान से 15 दिन के वीजा पर आई शाहिदा खलील ने अपने भाई पंकज बाफना को बुधवार को रक्षाबंधन के दिन राखी बांधी। राखी बांधते हुए शाहिदा की आंखे नम हो गयीं। पाक के कराची में रहने वाली शाहिदा खलील ने बताया कि हमारा परिवार मूलत: हरदा का रहने वाला है, लेकिन बाद में हम पाकिस्तान चले गये थे।
उन्होंने कहा कि हमारे परिवार के लोग आज भी हरदा में रहते हैं। मैं बचपन से पंकज बाफना को राखी बांधती थी। उसके बाद मेरा हिन्दुस्तान आना नहीं हुआ। शाहिदा ने बताया कि वह यहां आने के लिए वीजा मांगती थी, पर नहीं मिला। पांच वर्षों की मेहनत के बाद वीजा मिला, जिसके चलते वह तीन दिन पहले हरदा आयी। मेरी तमन्ना थी कि राखी पर मेरा हिन्दुस्तान जाना हो और मेरी तमन्ना पूरी हुई।
शाहिदा ने कहा कि आज वर्षों बाद मैंने भाई पंकज बाफना को राखी बांधी। मैं आज बहुत खुश हूं, अल्लाह से दुआ है मेरे भाई और उसके परिवार को खुश रखे तथा दोनों मुल्कों में अमन और भाईचारा रहे। पंकज बाफना ने राखी बंधवाते हुए कहा कि आज बचपन की याद ताजा हो गयी। वर्षों बाद मेरी बहन शाहिदा घर आई और उसने राखी बांधी, मुझे तोहफे में गणेश की प्रतिमा भी दी।
शाहिदा का मानना है कि भगवान गणेश हर दुखों को दूर करने वाले हैं। हमारे परिवार में सुख शांति रहे यही शाहिदा की दुआ है। पंकज बाफना की मां इन्दु बाला बाफना ने बताया कि आज का दिन मैं कभी नही भुला पाऊंगी। मेरे बेटे पंकज और बेटी शाहिदा का यह भाई-बहन का प्रेम समाज के लिए मिसाल है। ऐसा ही प्रेम दोनों देशों में बना रहना चाहिए।
Source: http://www.livehindustan.com/news/desh/mustread/article1-India-Pakistan-Sister-Rakshabandhan-332-332-356858.html
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देसी राखी से मनाएं रक्षा बन्धन Raksha Bandhan 2013

हम अपने सभी भाई बहनों को रक्षा बन्धन के मौक़े पर मुबारकबाद पेश करते हैं. आज हमारे बेटे ने हमें बताया कि उनके स्कूल में बच्चों ने राखी बनाई, एक्टीविटी के तौर पर. हमारे बेटे की बनाई राखी को उनकी क्लास के टीचर के अलावा दूसरी क्लास के टीचर्स ने भी सराहा. अपनी राखी बनाने में एक प्यार का ख़ास अहसास है लेकिन आजकल बाज़ार का चलन है और रिश्तों का अहसास ग़ायब सा हो चला है. लोग बाज़ार में जाकर यह भी नहीं देखते कि कौन सी राखी भारत में बनी है और कौन सी राखी चीन से आई है, जो हमारी सीमा पर क़ब्ज़ा किये बैठा है. ऐसे अवसरों पर सामूहिक रूप से चीनी माल का बहिष्कार किया जाये तो चीन कुछ दबाव महसूस करे. हमारा खयाल अच्छा लगे तो इस पर भी अमल करें.
बाज़ार हमारा है और वह चीनी राखियों से अटा पड़ा है. उन्हें वे दुकानदार बेच रहे हैं जो वंदे मातरम् कहते हैं और अक्सर दूसरों की देशभक्ति पर सवाल खड़े करते रहते हैं. ऐसे लोग देश का कोई भला नहीं कर सकते.
अपने बाज़ार से अपने देस का माल ही खरीदें.
देसी राखी से रक्षा बन्धन मनाएं.
बहन की रक्षा के साथ देश की रक्षा का फ़र्ज़ भी अदा करें.
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