पतंजलि के योग दर्शन में सूर्य नमस्कार नहीं है। सूर्य नमस्कार तो क्या उसमें सुखासन के सिवा और कोई दूसरा आसन ही नहीं है। योग करने के लिए सुखासन काफ़ी है। योग है चित्त की नकारात्मक वृत्ति का निरोध करना। सुखासन में बैठो और अपने चित्त की वृत्ति का निरोध करते रहो। इसमें किसी मुसलमान को कोई आपत्ति नहीं होगी लेकिन जब योग के नाम पर शिर्क और कुफ्र (मिश्रकपन और नास्तिकता) थोपा जाएगा तो उसे वही क़ुबूल करेगा जिसे सत्य, तथ्य और अध्यात्म का ख़ाक पता नहीं है। ऐसे ही गुरू आज विश्व में योग के प्रचारक बने घूम रहे हैं।
हमने योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा में डिप्लोमा किया है, जो इस बात का सुबूत है कि मुसलमानों योग का नहीं बल्कि कूटनीतिक हथकंडों का विरोध करते हैं।
आओ सब मिलकर नमाज़ अदा करें, जो कि संतुलित और पूर्ण योग है, सरल है।
हमने योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा में डिप्लोमा किया है, जो इस बात का सुबूत है कि मुसलमानों योग का नहीं बल्कि कूटनीतिक हथकंडों का विरोध करते हैं।
आओ सब मिलकर नमाज़ अदा करें, जो कि संतुलित और पूर्ण योग है, सरल है।