मुझे जन्म दो


(यह कविता मेरे द्वारा लिखी हुई नहीं है, पर एक डॉक्टर के क्लिनिक में मैंने इसे देखा तो सोचा कि सबके साथ साझा करना चाहिए और मैंने इसे लिख लिया | कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के लिए सबको जागरूक करने हेतु इस रचना का प्रयोग किया जाता है |)


हुमक हुमक गाने दो मुझको,
यूँ मत मर जाने दो मुझको,
जीवन भर आभार करुँगी,
माँ मैं तुमसे प्यार करुँगी,
मैं तेरी ही बेटी हूँ माँ,
मुझे जन्म दो, मुझे जन्म दो |

मैं भी तो हूँ अंश तुम्हारा,
मैं भी तो हूँ वंश तुम्हारा,
पापा को समझाकर देखो,
सारी बात बताकर देखो,
बिगड़ा है अनुपात बताओ,
क्या होंगे हालात बताओ,
फिर भी अगर न माने पापा,
रोउंगी मनुहार करुँगी,
जीवन भर आभार करुँगी,

मुझे जन्म दो, मुझे जन्म दो |


लक्ष्मी बाई, मदर टेरेसा,
क्या कोई बन पाया वैसा,
मत कहना एक धाय है पन्ना,
ममता का अध्याय है पन्ना,
ये बातें बतलाओ अम्मा,
दादी को समझाओ अम्मा,
सब गुण अंगीकार करुँगी,
जीवन भा आभार करुँगी,

मुझे जन्म दो, मुझे जन्म दो |

अन्तरिक्ष में जाकर के माँ,
रोशन तेरा नाम करुँगी,
जो-जो बेटे कर सकते हैं,
हर वो अच्छा काम करुँगी,
नाम से तेरी जानी जाऊं,
ये मैं बारम्बार करुँगी |
माँ मैं तुमसे प्यार करुँगी,
मुझे जन्म दो, मुझे जन्म दो |
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बाजारवाद का हिस्सा है,प्रलय का भय

यह आश्चर्य में डालने वाली बात है कि प्रलय के भय को अंगूठा दिखाते हुए सैलानी प्रलय के मुहाने पर नये साल का जश्न मनाने पहुंच गए। जी हां, यह सत्य है कि मैक्सिको में माया सभ्यता के जिन मंदिरों पर दर्ज तारीख को प्रलय का दिन बताया जा रहा है, उन मंदिरों को देखने के लिए दुनियाभर के पर्यटक उमड़ पडे़ माया सभ्यता के अनुसार दुनिया 21 दिसम्बर 2012 को समाप्त हो जाएगी। करीब 2000 साल पहले तक माया सभ्यता का विस्तार केंद्रीय अमेरिका और उसके आसपास के भू-खण्डों में फैला हुआ था। किंतु धीरे-धीरे ये मंदिर वर्षा वनों की चपेट में आकर अपना अस्तित्व खोते चले गए। लेकिन प्रलय की जिस मंदिर पर तारीख खुदी है, वह मंदिर आज भी मौजूद है। भ्रमवश इसी तारीख को कुछ भविष्यवक्ता प्रलय की तारीख बता रहे हैं। जबकि वास्तव में प्रलय का यह भय बाजारवाद का हिस्सा है, जिसे बाजारू मीडिया भुनाने में लगा है।
-प्रमोद भर्गव
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अमेरिका का प्रयास यह रहा है कि वह भारत समेत दूसरे देशों को ईरान से विमुख कर सके, दुर्भाग्य से भारत इस जाल में फंस चुका है India and Iran

हाल ही में ईरान ने मध्यम दूरी तक मार करने वाले प्रक्षेपास्त्र का परीक्षण कर यह प्रदर्शित कर दिया है कि वह अमेरिका द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों से घबराया हुआ नहीं है और न ही शस्त्रास्त्रों की विकास परियोजनाओं को बाधित करने में अमेरिका सफल हो सका है। एक बार फिर अमेरिका ने नए प्रतिबंधों की घोषणा की है। उसके पास दूसरा कोई चारा भी नहीं। यह राष्ट्रपति चुनाव का वर्ष है और चौतरफा घिरे, मंदी से पिटे ओबामा के लिए विदेश नीति के मोरचे पर नाटकीय सफलता दर्ज कराना प्राथमिकता है। अफ-पाक रणक्षेत्र से अमेरिकी फौज लगभग दुम दबाकर लौटने को है और इराक में भी गतिरोध खत्म करने में वह असमर्थ रही है। जो कुछ आशा बची है, वह ईरान में ही है।
अमेरिका की कुल चिंता ईरान के एटमी हथियारों तथा प्रक्षेपास्त्रों को लेकर है। ईरान विपुल तेल भंडार का स्वामी है और अमेरिकी राजनय तैल-गैस ऊर्जा वाली धुरी के इर्द-गिर्द ही घूमता रहा है। शीतयुद्ध के शुरुआती दिनों में ईरान में सत्ता परिवर्तन के लिए सीआईए का निर्मम हस्तक्षेप हुआ था। तत्कालीन सोवियत संघ की घेराबंदी के लिए शाह की अत्याचारी हुकूमत को ताकतवर बनाने में भी अमेरिका ही जिम्मेदार था।
ईरान-इराक युद्ध की लपटों को लगभग एक दशक तक दहकाने का काम भी उसी ने किया। बाद के वर्षों में रजा शाह पहलवी की तानाशाही भी अमेरिकी समर्थन के बूते ही कायम रह सकी थी। अयातुल्ला खोमैनी ने जिस इसलामी क्रांति का सूत्रपात किया था, कहने को उसे ही अमेरिका बैर की शुरुआत के रूप में पेश करता है। यह सच भी है कि अमेरिकी दूतावास की घेरेबंदी तथा राजनयिकों को बंधक बनाने वाले प्रसंग ने खासा अंतरराष्ट्रीय संकट पैदा कर दिया था। पर इस वैमनस्य की जड़ें कहीं अधिक गहरी हैं।
पश्चिम एशिया में अमेरिका ने सुन्नी अरबों को गले लगाया है, जिनकी दुश्मनी शिया फारसियों तथा ईरानियों से चली आ रही है। ईरानियों की नजर में अरब बर्बर हैं, जिनकी बराबरी हजारों साल पुरानी संस्कृति के उत्तराधिकारी ईरानियों के साथ नहीं की जा सकती। यह सच है कि ईरान में हुए वैज्ञानिक शोध तथा तकनीकी विकास का मुकाबला अरब दुनिया नहीं कर सकता। हां, कभी मिस्र यह दंभ पाल सकता था। ईरान एक साथ दक्षिण एशिया, मध्य एशिया और पश्चिम एशिया की भू-राजनीतिक सचाई से जुड़ा है। इसके अलावा विश्व भर के शिया मुसलमानों की सांस्कृतिक राजधानी के रूप में उसकी पहचान है। अमेरिका की दिक्कत यह है कि इस जटिल गुत्थी को उतावले में सुलझाने के चक्कर में वह लगातार अति सरलीकरण की भूल करता आया है।
एक और भ्रांति से छुटकारा पाने की जरूरत है। अमेरिकी माध्यम बार-बार यह याद दिलाते रहते हैं कि शाह के शासनकाल में ईरान प्रगतिशील था, मुल्लाओं ने उसे मध्ययुगीन दकियानूसी के दौर में लौटा दिया है। इसे भूला नहीं जा सकता कि उस दौर में पश्चिमी नमूने की आधुनिकता में आम ईरानी की हिस्सेदारी बहुत सीमित थी। शिक्षा हो या खर्चीली फैशनपरस्ती, इसका सुख शासक वर्ग ही भोगता था। अगर ईरान का आधुनिकीकरण जनसाधारण तक पहुंच चुका होता, तो रजा शाह के विरुद्ध बगावत का नेतृत्व अयातुल्ला खोमैनी को आसानी से हासिल नहीं होता। आज का ईरान शाह के युग से कहीं ज्यादा जनतांत्रिक है। अगर किसी ने वहां जिहादी मानसिकता को हवा दी है, तो वह अमेरिका है, जिसने देश को विदेशी आक्रमण का सामना करने के लिए मजहबी नारे के जरिये एकजुट किया है।
अमेरिका की गलतफहमी की जड़ यह है कि वह दुनिया में कहीं भी घटनाक्रम को मनचाहे ढंग से प्रभावित कर सकता है-या तो सीधे हस्तक्षेप से या किसी मोहरे के माध्यम से। ईरान में दोनों ही तरीके आजमाए जा चुके हैं। कभी किसी ‘हादसे’ में उस देश के परमाणु कार्यक्रम से जुड़े वैज्ञानिक का देहांत हो जाता है या वह पागल हत्यारे का निशाना बनता है, ईरान पर नित नए प्रतिबंध लगाए जाते हैं या उसे धमकी दी जाती है कि इस्राइल उसके परमाणु ठिकानों पर हमला कर उन्हें ध्वस्त कर देगा। चुनाव के वक्त नए सामाजिक माध्यमों का भरपूर उपयोग वैधानिक तरीके से चुनी सरकार को अस्थिर करने के लिए किया गया।
अमेरिका का प्रयास यह भी रहा है कि वह भारत समेत दूसरे देशों को ईरान से विमुख कर सके। दुर्भाग्य से भारत इस जाल में फंस चुका है। अपने ऐतिहासिक संबंधों की अनदेखी कर अमेरिका के कहे अनुसार ईरान के पक्ष में मत न देकर उसने नाहक ईरान को खिन्न किया है। यह सुझाना बेमानी है कि उसने ऐसा अपने विवेक से या राष्ट्रहित में किया है, क्योंकि ईरान पाकिस्तान के एटमी कार्यक्रम को मदद देता रहा है। सच तो यह है कि इस खतरनाक तस्करी में हमारा अव्वल नंबर का आर्थिक साझीदार चीन और खुद अमेरिका भागीदार रहे हैं। रही बात इसलामी कट्टरपंथ और दहशतगर्दी की, तो इसके लिए अमेरिका का मित्र सऊदी अरब जिम्मेदार है। उसी ने आक्रामक वहाबी इसलाम के उस अवतार का निर्यात किया है, जो हमारी जान का जंजाल बना है।

जहां तक ईरान का प्रश्न है, वहां इसलाम का स्वरूप सदियों से उदार, समन्वयात्मक और आध्यात्मिक-रहस्यवादी रहा है। हमारी संस्कृति को समृद्ध बनाने वाले तमाम सूफी ईरान से ही भारत आए थे। भाषा, भोजन, वेश-भूषा, भवन निर्माण जाने कहां-कहां ईरान के दर्शन अनायास भारत में होते हैं। हमारे लिए अपने राष्ट्रहित की हिफाजत के लिए अमेरिकी चश्मे से तत्काल निजात पाना बेहद जरूरी है।
- पुष्पेश पंत
अमर उजाला, हिंदी दैनिक अंक 12 जनवरी 2012 से साभार 
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दुनिया की सोच

  दुनिया की सोच  
  जिंदगी की तन्हाइयों से डर लगता है 
भीड़ में भी जब अकेले हो जाते हैं हम 
तो अपनी ही परछाइयों से डर लगता है 
दुनिया की सोच निराली हो रही है 
अब तो अपनी ही सोच से भी डर लगता है 
खून के रिश्ते भी स्वार्थी हो रहे है 
अब तो अपने खून से भी डर लगता है 
दुनिया की भीड़ में एक अपने को तरसते  हैं हम 
अब तो अपने को अपनाने से भी डर लगता है 
सब कुछ करने के बाद भी कुछ नहीं मिलता 
अब तो किसी के लिए कुछ करने से भी डर लगता है 
अच्छाई में भी बुराई देखते हैं लोग
अब तो अच्छाई करने से भी डर लगता है 
जन संख्या ज्यादा और इन्सानो की संख्या कम हो रही है 
अब तो इंसानों को इंसानों से भी डर लगता है 
हर तरफ अच्छाई पर बुराई की जीत हो रही है 
अब तो भगवान् पे विस्वास करने से भी मन डरने लगता है
ये दुनिया और इंसानों की सोच इतनी दूषित हो रही है 
की अब तो इस दुनिया में रहने में भी डर लगता है 
इंसानों के विचार और वातावरण इतना ख़राब हो रहा है 
की अब तो दुनिया के सर्वनाश होने का डर लगने लगता है  
  
  



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गर्भवती, रजोनिवृत्त महिलाओं में 11 मछली के तेल के लाभ


महिलाओं मछली के तेल से एक बहुत लाभ सकता है. पूर्व सिंड्रोम, भ्रूण विकास और गर्भावस्था की वृद्धि की संभावना के उपचार - हृदय काम करता है, मस्तिष्क स्वास्थ्य, मूड लाभ में वृद्धि, लक्षण आदि के उन्मूलन के विनियमन की तरह सामान्य स्वास्थ्य लाभ के अलावा, महिलाओं को भी अतिरिक्त लाभ का आनंद मिलता है. हाँ! मछली के तेल तुम्हें बाहर ले अपनी उदास और तुम उज्ज्वल, स्वस्थ और स्वस्थ बनाते हैं.
डालो Femme: गर्भवती, रजोनिवृत्त महिलाओं में 11 मछली के तेल के लाभ


महिलाओं के लिए तेल मछली: मछली के तेल प्रकार की समुद्री मछली और निकाले से सामन, अल्बकोर ट्यूना, लेक ट्राउट, सार्डिन हेरिंग, हलिबेट महिलाओं के लिए अच्छे हैं. मछली के तेल की आपूर्ति करता है EPA और DHA के रूप में दोनों स्वस्थ एसिड होता है जो उन्हें सहनशक्ति देना सामान्य और नियमित रूप से बीमारियों के खिलाफ लड़ने के लिए होते हैं. प्रमुख लाभ में से कुछ हैं:
1. सुरक्षा कैंसर से स्तन: स्तन कैंसर स्तन एक पूरे जीवन का बाजार कर सकते हैं महिला और सौंदर्य की हानि, जिसके परिणामस्वरूप. अनुसंधान दिखाया है कि मछली के तेल से फैटी एसिड की एक अच्छी आपूर्ति के साथ महिलाओं को स्तन कैंसर होने की संभावना कम है. DHA है एक प्राकृतिक विरोधी भड़काऊ है कि सेल परिवर्तन रोकता है और कोशिकाओं है कि स्तन कैंसर के मूल कारण हैं मारता है.
2. सुधार प्रजनन: reseach से पता चलता है कि मछली के तेल का सेवन आहार नियमित खुराक में प्रजनन की दर बढ़ जाएगी. मछली के तेल के दैनिक आहार में जोड़ा खुराक हार्मोन संतुलन होगा, हार्मोन के स्तर में सुधार लाने और गर्भाशय के लिए एक स्थिर रक्त के प्रवाह को बनाए रखने. ओमेगा -3 वसा गर्भावस्था के अवसरों में भी वृद्धि कर सकते हैं.
3. भ्रूण विकास: मछली के तेल से फैटी एसिड वितरण अवधि के पूर्व कम जोखिम के. यह सुनिश्चित करता है कि गर्भावस्था के चरणों पूरी तरह से शरीर के कुछ हिस्सों का गठन कर रहे हैं और सुनिश्चित करता है कि भ्रूण जन्म से पहले अच्छी तरह से होता है. 

4. शिशु के मस्तिष्क विकास: एक बच्चे के दिमाग से काम उचित इसके लिए महत्वपूर्ण है. ओमेगा -3 और DHA मछली के तेल में पाया मस्तिष्क के विकास और इस तरह, एक बच्चे की बुद्धि में वृद्धि की आपूर्ति करता है.

5. स्वस्थ शिशुओं: मछली का तेल बच्चे गर्भावस्था एक स्वस्थ की जानी चाहिए एक भाग के आहार के रूप में और माँ यह मदद करता है के बीच में ऑक्सीजन और पोषक तत्वों के आदान placental रक्त परिसंचरण और प्रभावी है.
6. मुफ्त postpartum अवसाद से: तेल मछली का सेवन उच्च महिलाओं के साथ postpartum अवसाद का खतरा कम है. इस माँ और बच्चे के लिए एक अच्छी खबर है.
7. राहत ऐंठन से मासिक धर्म: लक्षण के premenstruation अप्रिय एसिड के फैटी असंतुलन का परिणाम अक्सर.ओमेगा 3 मछली के तेल relieves दर्द और ऐंठन और ammenorrhea dysmenorrhea के कारण.
8. Preeclampsia से रोकथाम: एक्लंप्षण पूर्व रक्तचाप के रूप में जाना गर्भावस्था के दौरान, खतरनाक बहुत जा सकता है. ओमेगा 3 मछली के तेल फैटी एसिड मदद रक्तचाप को बनाए रखने और महत्वपूर्ण माँ और बच्चे के स्वास्थ्य के जोखिम को कम. 

9. ऑस्टियोपोरोसिस के खिलाफ संरक्षण: तेल से मछली फैटी एसिड का स्तर उच्च होने ऑस्टियोपोरोसिस के जोखिम को कम करने के लिए है दिखाया गया है.

10. कम से कम रजोनिवृत्ति समस्याओं: संतुलन के द्वारा हार्मोनल नाटकीय रूप से सुधार, मछली के तेल में फैटी एसिड झूलों सकते मूड और कम करने में काफी चमक गर्म लक्षण रजोनिवृत्ति जैसे.
11. हृदय रोग के कम जोखिम: हृदय रोग की बीमारी को मारता है कई अन्य किसी भी समय की तुलना में महिलाओं को आगे की. ओमेगा EPA और DPA साथ 3 वसा अच्छा करने के लिए इस परिदृश्य लड़ाई है. मछली के तेल ट्राइग्लिसराइड्स, रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करती है, एक पूरी की और स्वस्थ जीवन के लिए जिस तरह फ़र्श.

असल  माखज़ - http://www.fish-oils.com/hi/uses-of-fish-oils_pour-femme-11-benefits-of-fish-oil-in-pregnant-menopausal-women_95.html

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ब्लॉगर्स मीट वीकली (25) Sufi culture



                                                   
                                                       
ब्लॉगर्स  मीट वीकली (25)
सबसे पहले मेरे सारे ब्लोगर साथियों को प्रेरणा अर्गल का प्रणाम और सलाम /लीजिये  देखते ही देखते इस मंच की 25वीं पोस्ट आप सबके सामने है /और यह सब आप सबके सहयोग के कारण ही संभव हो पाया जिसके लिए हम आप सभी के बहुत आभारी हैं /और इस 25वीं पोस्ट में भी शामिल होने  के लिए आप सभी का अभिनन्दन करते  हैं /आप जरुर पधारिये और अपने अमूल्य विचारों से हमे  अवगत करिए और हमारा उत्साह बढाइये /  

आज सबसे पहले मंच की पोस्ट्स 

 अनवर जमाल जी की रचनाएँ 

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Wishing you and your Family 
a Very Happy & Prosperous
New Year 2012.

अयाज अहमद जी की रचना 

वीडियो

रमेश कुमार जैन "उर्फ़"  सिरफिरा "  जी की रचनाएँ 

 तुम मुझे वोट दो, मैं तुम्हारे अधिकारों के लिए अपना खून बहा दूँगा!


HBFI मंच के बाहर की पोस्ट   

 "रंग-बिरंगी चिड़िया रानी" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")

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रंग-बिरंगी चिड़िया रानी। 
सबको लगती बहुत सुहानी।। 

दाना-दुनका चुग कर आती। 
फिर डाली पर है सुस्ताती। 

सत्यम शिवम जी की रचना 

दर्द की नायिका


आशा जी की रचना 
संग्रह यादों का
दीप्ती शर्मा जी की रचना 
डॉ.कुमारेन्द्र सिंह सेंगर जी की रचना 

राजेश कुमारी जी की रचना 
कैलाश शर्मा जी की रचना 

रश्मि प्रभा जी की रचना 
 हसरत -

-

संगीता स्वरुप जी की रचना 
अलबेला खत्री जी की रचना 

मिलो फ़क़त एहसास की तरह

चन्द्र मौलेश्वर प्रसाद  जी की रचना 
वाणी गीत जी की रचना 

रोज़ तुम फोटो न बदलो लिबास की तरह, फेस बुक पे 

प्रेरणा अर्गल जी,
आपको बख़ैर वापसी की मुबारकबाद।
आते ही आपको ब्लॉगर्स मीट वीकली की याद आई,
इसके लिए शुक्रिया !
हिंदी ब्लॉगिंग में ब्लॉग पत्रकारिता का सूत्रपात करने वाला 

‘ब्लॉग की ख़बरें‘ पर देखिए

Facebook पर जलवा लड़की का

 


Vinod Beniwal नेहा नाम की देवी ने Facebook पर एक Scrap पोस्ट किया जिसमे मात्र ये लिखा हुआ था "hello".... देखकर मुझे हसी आ गयी ,

 जागरण जंक्शन पर गाली गलौच के ख़िलाफ़ एक ब्लॉगर S. P. Singh

 


आदरणीय टीम जागरण जंक्शन, महोदय, मैंने काफी चिंतन करने के पश्चात यह महसूस किया कि जागरण फोरम पर अधिकतर पाठक बंधू या टिप्पणी करने वाले
संतुलित आहार का प्रचार करने वाले एकमात्र ब्लॉग‘आर्य भोजन‘ पर कुछ नायाब जानकारी 

मर्द को शक्तिशाली बनाता है आयुर्वेद Impotency

हम अपने पूर्वजों की महान विरासत की रक्षा ढंग से नहीं कर पा रहे हैं। हम तब जागते हैं जबकि दूसरा हमारी चीज़ों पर अपना क़ब्ज़ा जमा चुका होता है। हमारी कई जड़ी बूटियों को पश्चिमी वैज्ञानिक अपने नाम से पेटेंट करा चुके हैं। 

उड़ीसा हो या जापान, मछली को शाकाहार में ही गिना जाता है Vegetarianism

हमने  एक संस्कृत संभाषण वर्ग का आयोजन किया था। उसमें हमारे गुरु जी आचार्य श्री गजेंद्र कुमार पंडा तशरीफ़ लाए थे। वह तब तक 6 गोल्ड मेडल पा चुके थे और एक प्रसिद्ध यूनिवर्सिटी में प्रोफ़ेसर थे। वेदांत में उन्होंने पी. एचडी. की थी।

 मेरे ‘अहसास की परतें‘ पर

स्कूल की ड्राइंग


यह पेंटिंग हमारे साहबज़ादे ने बनाई है . 
पानी से ."पानी" लिखना पानी पर - रिश्ते बनाना उतना ही आसान है जितना कि ... मिटटी पर ..- मिटटी से ...- "मिटटी " लिख देना ,, और रिश्ते निभाना उतना ही कठिन, जितना कि .... पानी पर ...-पानी से ....
नास्तिक विचार इंसान को भ्रष्टाचार की प्रेरणा देता है। Atheist - @ भाई सुज्ञ जी ! वाक़ई आपने हक़ीक़त बयान की है। डर इंसान की प्रवृत्ति का अंग है। उसका सही इस्तेमाल किया जाए तो एक अच्छे चरित्र का निर्माण किया जा सकता है।
सूफ़ी साधना से आध्यात्मिक उन्नति आसान है Sufi silsila e naqshbandiya - *सूफ़ी दर्शन क्या है और सूफ़ी कौन होता है ?* सूफ़ी दर्शन को ‘तसव्वुफ़‘ कहा जाता है। सूफ़ी शब्द की उत्पत्ति को लेकर बहुत से मत हैं। कुछ विद्वानों का मत है कि सूफ़...
बाइबिल के बारे में देखिए हमारा एक ब्लॉग
एक दूसरे के अपराध क्षमा करो - *ईसा मसीह परमेश्वर की ओर से लोगों को मार्ग दिखाने के लिए भेजे गए थे। उन्होंने लोगों को जिन बातों की शिक्षा दी, उनमें ‘क्षमा‘ का प्रमुख स्थान है
क्या 2012 मे यैसा ही होना है ..?? - क्या 2012 मे यैसा ही होना है ..?? मोत कब आएगी किसको क्या पता ..?? क्या दुनिया ऐसे ही खत्म हो जाएगी ..?? किसको क्या पता किसने कब आना है किसको कब जाना है ... 
'सोने पे सुहागा ' ब्लॉग पर 

गर्भवती, रजोनिवृत्त महिलाओं में मछली के तेल के 11 लाभ

महिलाओं मछली के तेल से एक बहुत लाभ सकता है. पूर्व सिंड्रोम, भ्रूण विकास और गर्भावस्था की वृद्धि की संभावना के उपचार - हृदय काम करता है, मस्तिष्क स्वास्थ्य, मूड लाभ में वृद्धि, लक्षण आदि के उन्मूलन के विनियमन की तरह सामान्य स्वास्थ्य लाभ के अलावा, महिलाओं को भी अतिरिक्त लाभ का आनंद मिलता है. हाँ! मछली के तेल तुम्हें बाहर ले अपनी उदास और तुम उज्ज्वल, स्वस्थ और स्वस्थ बनाते हैं.
डालो Femme: गर्भवती, रजोनिवृत्त महिलाओं में 11 मछली के तेल के लाभ
साधना वैद जी 

समाचार पत्र अपना दायित्व पहचानें

चुनाव आयोग के कुछ निर्णयों पर तो आश्चर्य होता है कि महात्मा गाँधी को छोड़ कर सभी नेताओं की मूर्तियों को ढक दिया जाये ! अब ज़रा सोचिये क्या मतदाताओं की याददाश्त भी खराब हो जायेगी !
माही....
हर रोज का राही... - रोज - रोज, हजारों लोग, मिलते हैं मुझको... कुछ अनजाने से, कुछ जाने पहचाने से चहरे, दिखते हैं मुझको... कुछ से होती है बस मुलाकात, और कुछ से होती है बस इशारों ... 
‘मुशायरा‘ ब्लॉग पर

वस्ल के लिए पागल वो भी है और मैं भी हूँ


मुहब्बत में घायल वो भी है और मैं भी हूँ,
वस्ल के लिए पागल वो भी है और मैं भी हूँ,
तोड़ तो सकते हैं सारी बंदिशें ज़माने की,
लेकिन घर की इज्जत वो भी है और मैं भी हूँ,
 इन्सान आदमखोर है

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पत्थरों के देश में, हर आइना कमजोर है
आदमी के वेश में, इन्सान आदमखोर है
इस्लाम धर्म ही क्यों आवश्यक - Sharif Khan - धर्म ऐसी चीज़ नहीं है कि उस से बचा जाए। धर्म तो जीवन पद्धति सिखाने का साधन है जिसके बिना आदर्श समाज का निर्माण सम्भव नहीं है। उदाहरणार्थ वैवाहिक व्यवस्था आद...

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Square Cut: घर के शेर

Square Cut: घर के शेर: बाहर घिग्घी बंधती , हम हैं घर के शेर । कंगारू भारी पड़े , किया हमें यूं ढेर ।। किया हमें यूं ढेर , नहीं चल पाया कोई । एक के बाद एक , दनादन व...
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ग़ज़लगंगा.dg: तमन्नाओं की नगरी को कहीं फिर से बसा लूंगा

तमन्नाओं की नगरी को कहीं फिर से बसा लूंगा.

यही दस्तूरे-दुनिया है तो खुद को बेच डालूंगा.


तुझे खंदक में जाने से मैं रोकूंगा नहीं लेकिन

जहां तक तू संभल पाए वहां तक तो संभालूंगा.


उसे मैं ढूंढ़ लाऊंगा जहां भी छुप के बैठा हो

मैं हर सहरा को छानूंगा, समंदर को खंगालूंगा


दिखाऊंगा कि कैसे आसमान में छेद होता है

मैं एक पत्थर तबीयत से हवाओं में उछालूंगा .


मिलेगी कामयाबी हर कदम पर देखना गौतम

खुदा का खौफ मैं जिस रोज भी दिल से निकालूंगा.


----देवेंद्र गौतम

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गर्मियों की छुट्टियां

अनवर भाई आपकी गर्मियों की छुट्टियों की दास्तान पढ़ कर हमें आपकी किस्मत से रश्क हो रहा है...ऐसे बचपन का सपना तो हर बच्चा देखता है लेकिन उसके सच होने का नसीब आप जैसे किसी किसी को ही होता है...बहुत दिलचस्प वाकये बयां किये हैं आपने...मजा आ गया. - नीरज गोस्वामी

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