ब्लॉगर्स मीट वीकली (36) Vajr aasan

साथियों सबसे पहले
हिंदू नव संवत्सर 2069 की शुभकामनाएं स्वीकार कीजिए और पढ़िए एक उम्दा लेख
posted by DR. ANWER JAMAL at Blog News - 12 hours ago
होली आकर जा चुकी है और नया हिन्दू वर्ष आरम्भ हो गया है .

अब एक सूचना- प्रेरणा अर्गल जी फिर से कुछ दिनों के टूर पर हैं लिहाज़ा लिंक चयन हमें अकेले ही करना है। जिनका लिंक रह जाए वे ईमेल से भेज दें, मीट में लगा दिया जाएगा। मजबूरी भी है। कल सहारनपुर में एक अंतधार्मिक महासभा है। उसमें शामिल होना है।

हिंदी ब्लॉगर्स फ़ोरम इंटरनेशनल पर पेश की गई हफ़्ते पर की पोस्ट्स का ज़ख़ीरा पेशे खि़दमत है-

 ग़ज़लगंगा.dg: आदमी के भेष में शैतान था -Devendra Gautam


हे!माँ मेरे जिले के नेता को सी .एम् .बना दो.


  • शालिनी कौशिक



  • हे!माँ  मेरे जिले के नेता  को  सी .एम् .बना  दो.       

    अरे भई साधो......: गरीबी मिटाने का नायाब फार्मूला

    Devendra Gautam

    और काबा में राम देखिये



  • श्यामल सुमन 


  •  है साजिश, परिणाम देखिये

    ब्लॉग जगत में सैर करते हुए सबसे पहले श्री जी के ब्लॉग पर जाना हुआ तो पता चला कि वह आर्ट ऑफ़ लिविंग का वह कोर्स भी करने गए थे जिसे कराने वाले श्री श्री एक बार हमारे यहां आए थे।

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    लगता है बहक गए हैं श्री श्री ...

    मैने सोचा नहीं था कि कभी मुझे आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर को कटघरे में खड़ा करना पड़ेगा। मैं जानना चाहतां हूं कि श्री श्री को हो क्या गया है, आप कह क्या रहे हैं, इसका मतलब समझ रहे हैं। देश के सरकारी स्कूलों में पढने वाले बच्चे हिंसक और नक्सली हैं, कभी नहीं। मैं आपकी बात को सिरे से खारिज करता हूं। बहरहाल  मैं इस बात में नहीं जाना चाहता कि आप लोगों को जो जीवन जीने की कला ( यानि आर्ट आफ लीविंग) का ज्ञान दे रहे हैं, वो ठीक है या नहीं। लेकिन इतना जरूर कहूंगा कि ये सब देश के आम आदमी के लिए नहीं है, ये तथाकथित बड़े लोगों   (यानि पैसे से मजबूत) लोगों का चोचला भर है।

    जीवन के अलग अलग रंग होते हें और सबके संघर्ष का रंग भी अलग अलग होता है किसी के लिए vah किस रूप में सामने आता है और उसको कौन कैसे अपने ढंग से अपने अनुकूल बना कर आगे चलता है कि वह सारी चुनौती अपने पैर समेट कर पीछे हो जाती है। आज अपनी कहानी सुना रहे हें डॉ अनवर जमाल खान --

    चुनौती जिन्दगी की: संघर्ष भरे वे दिन (१६)



    सन 2020 तक भारत में काम करने लायक़ लोगों का प्रतिशत कुल आबादी का 64 प्रतिशत हो जाएगा। इनकी आयु 15-59 होगी । समाजशास्त्रियों को डर है कि रोज़गार के अवसर देकर इस ऊर्जा का रचनात्मक उपयोग न किया गया तो भारत एक भयंकर गृहयुद्ध में फंस जाएगा। भारत को विनाश से बचाना है तो हरेक हाथ को काम देना होगा




    मैं धरा हूँ
    रात्रि के गहन तिमिर के बाद
    भोर की बेला में


    पुस्तक परिचय-21
    08102009148_editedमनोज कुमार
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    अनवर भाई आपकी गर्मियों की छुट्टियों की दास्तान पढ़ कर हमें आपकी किस्मत से रश्क हो रहा है...ऐसे बचपन का सपना तो हर बच्चा देखता है लेकिन उसके सच होने का नसीब आप जैसे किसी किसी को ही होता है...बहुत दिलचस्प वाकये बयां किये हैं आपने...मजा आ गया. - नीरज गोस्वामी

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      12 years ago

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