हिंदी ब्लागर किस पोस्ट को ज़्यादा पढ़ते हैं ?-एक सर्वे जनहित में


एक बार एक कवि ने कहा था कि आपको पोस्ट लिखने की ज़रूरत ही नहीं है। बस वक्ष वक्ष वक्ष और ऐसे ही अल्फ़ाज़ लिख दीजिए। लोग पागलों की तरह उसे ऐसे पढ़ने के लिए टूट पड़ेंगे जैसे उन्होंने कभी वक्ष देखा ही न हो।
कुछ शरपसंद ब्लागर ऐसे हैं कि जब उनकी बात नहीं मानी जाती तो वे अपने निजी मुददे को सांप्रदायिकता से जोड़ देते हैं। कहते हैं कि फ़लां ब्लाग पर उस विशेष पार्टी की औरतों के नाम और फ़ोटो हैं और उस ब्लाग की पोस्ट में ऐसे वैसे अल्फ़ाज़ भी हैं और ऐसे वैसे अल्फ़ाज़ वाली पोस्ट उस ब्लाग पर सबसे ज़्यादा पसंद की जा रही हैं।
भाई पढ़ने वाले भी तुम्हारी पार्टी के ही हैं। इस तरह तो तुम ख़ुद यह बता रहे हो कि हमारे लोग उन पोस्टों पर टूट कर पड़ते हैं जिनमें ऐसे वैसे अल्फ़ाज़ हों।
उसी ब्लाग पर सैकड़ों दूसरी पोस्टें भी हैं जिनमें ये अल्फ़ाज़ नहीं हैं। उन्हें पढ़ा होता तो ‘लाइक‘ के कालम में वे दूसरी पोस्टें आ जातीं जिनमें टेक्नीकल जानकारी या दूसरी बातें बताई गई हैं।
‘लाइक‘ कालम में ऐसी वैसी पोस्टों को लाया कौन ?
हिंदी ब्लागर ही लाए हैं और कौन लाया है !!!
इसी विशेष ब्लाग पर नहीं हर ब्लाग पर ऐसी पोस्टों के पाठक सबसे ज़्यादा मिलेंगे।
अपने ब्लाग का स्टैट चेक करो तो पता चलता है कि हिंदी ब्लागर कैसे कैसे घिनौने अल्फ़ाज़ लिखकर पढ़ने का मसौदा तलाश करते हैं।
यह देखा तो कुछ औरतों ने तो औरतपने ही हदें पार करके ही लिखना शुरू कर दिया। बाद में ये ऐसे लजाती हैं जैसे कि , जैसे कि ...
शीर्षक में प्यार, बोल्ड और वासना अल्फ़ाज़ का इस्तेमाल कीजिए और फिर देखिए कि आपके पाठक कितने ज़्यादा बढ़ जाते हैं। हिंदी ब्लागरों को यही सब पसंद है।
दीन धर्म की बात बताने वाले ब्लाग पर ब्लागर जाते ही कहां हैं ?
ब्लागर अच्छी चीज़ें पढ़ना शुरू करें तो हरेक ब्लाग का ‘लाइक‘ कालम अपने आप बदल जाएगा।
जो भी कविता करने वाली बोल्ड होकर लिखे, उसे पढ़ो ही मत और वह लिखे और ब्लागर पढ़ें तो फिर उछल कूद मत मचाओ कि हाय ! हमारा पढ़ा हुआ सबसे ज़्यादा पढ़ा हुआ क्यों बन गया ?
ज़्यादा उछल कूद मचाओगे तो पर्दा तुम्हारा ही खुलेगा कि तुम इंटरनेट पर बीवी बच्चों को छोड़कर दिन रात पढ़ते क्या हो ?
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विज्ञान ने खोजा गॉड पार्टिकल

बह्मांड की उत्पत्ति और जीवन के सृजन संबंधी कई प्रश्नों का जवाब देने में सक्षम गॉड पार्टिकल को बुधवार को खोज लिया गया।

स्विटजरलैंड और फ्रांस की सीमा पर स्थित 27 किलोमीटर लंबी एक भूमिगत सुरंग में हिग्स बोसोन पर वर्ष 2009 से दिन-रात शोध कर रही यूरोपीय परमाणु शोध संगठन (सर्न) की दो टीमों (एटलस) और (सीएमएस) ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट में इससे मिलते-जुलते कण के अस्तित्व की बात स्वीकार की।

सर्न की ओर से जारी बयान में कहा गया कि हमें अपने आंकड़ों में एक नए कण के पाए जाने के स्पष्ट संकेत मिले हैं। यह हमारे शोध संयंत्र लार्ज हेड्रोन कोलाइडर के 125 और 126 जीईवी क्षेत्र में स्थित है। यह एक अद्भुत क्षण हैं। हमने अब तक मिले सभी बोसोन कणों में से सबसे भारी बोसोन को खोज निकाला है। सर्न ने इन नए आंकड़ों को सिग्मा 05 श्रेणी में स्थान दिया है, जिसके मायने होतें हैं नए पदार्थ की खोज। सेर्न के महानिदेशक राल्फ ह्यूर ने कहा कि प्रकृति को लेकर हमारी समझ में इजाफा करने की दिशा में हमने एक मील का पत्थर हासिल कर लिया। सेर्न के शोध निदेशक सेर्गियो बर्तालुकी ने हिग्स बोसोन के आस्तित्व की दिशा में प्रबल संकेत मिलने पर गहरी खुशी जाहिर करते हुए कहा कि हमारे लिए इतने अद्भुत नतीजों को लेकर उत्साहित नहीं होना बेहद चुनौतीभरा काम है। हमने पिछले वर्ष ठान लिया था कि 2012 में या तो हम हिग्स बोसोन को खोज निकालेंगे अथवा हिग्स थ्योरी को ही खारिज कर देंगे। हम एक अहम पड़ाव पर पहुंच गए हैं और भविष्य में इन आंकड़ों पर और अधिक प्रकाश पड़ने से हमारी समझ में इजाफा होगा। हिग्स बोसोन पर आए मौजूदा नतीजे वर्ष 2011 के आंकड़ों पर आधारित हैं और इस वर्ष के आंकड़ों पर भी अभी भी अध्ययन चल रहा है। हिग्स बोसोन पर 2011 के आंकड़ों से जुड़ी सेर्न की विस्तृत रिपोर्ट के इस महीने के आखिर तक जारी होने की उम्मीद है। इन नतीजों के जारी होने के साथ ही ब्रह्म कण (गॉड पार्टिकल) अब एक रहस्य या परिकल्पना मात्र नहीं रह गया है। ब्रिटिश वैज्ञानिक पीटर हिग्स ने वर्ष 1964 में इस कण की परिकल्पना को जन्म दिया था। इस कण का नाम हिग्स और भारतीय वैग्यानिक सतरूद्रनाथ बसु के नाम पर रखा गया था। दुनिया भर के वैज्ञानिक पिछले चार दशकों के दौरान हिग्स बोसोन के आस्तित्व को प्रमाणित नहीं कर पाए। ऐसा माना जाता है कि 13.7 अरब वर्ष पहले जब बिग बैंग कहलाने वाले महाविस्फोट के जरिए ब्रह्मांड की उत्पत्ति हुई होगी तो हिग्स बोसोन आस्तित्व में आया होगा और इसी से पदार्थ तथा दूसरे कणों की रचना हुई होगी तथा आकाशगंगाओं नक्षत्रों तथा जीवन इत्यादि ने आकार लिया होगा। वैज्ञानिक इसी वजह से इसे ब्रह्माकण (गॉड पार्टिकल) का नाम देते हैं। सृष्टि में हर चीज को कार्य करने के लिए द्रव्यमान की आवश्यकता होती है। अगर इलेक्ट्रानों में द्रव्यमान नहीं होता तो परमाणु नहीं होते और परमाणुओं के बगैर दुनिया में किसी भी चीज का सृजन असंभव था। डा हिग्स ने इसे लेकर सिद्धांत की खोज की जिसे आगे चलकर (हिग्स सिद्धांत) के तौर पर जाना गया। इससे कणों का द्रव्यमान सुनिश्चित्त करना संभव हो सका। डा हिग्स ने कहा कि इस माडल को काम करने के लिए एक सबसे भारी कण की आवश्यकता थी जिसे हिग्स बोसोन का नाम दिया गया। हिग्स बोसोन अभी तक एक परिकल्पना मात्र ही था लेकिन वैज्ञानिकों को चूंकि इसके कुछ विशेष लक्षण ज्ञात थे इसलिए उन्हें पता था कि अगर वे इसे खोजने की मुहिम छेड़ते हैं तो यह कैसा दिखाई देगा। हिग्स बोसोन का द्रव्यमान बाकी सभी बोसोन कणों में सबसे अधिक था। सेर्न के वैज्ञानिकों के अनुसार ब्रह्म कण की खोज सुपर कणों और डार्क मैटर की खोज का मार्ग भी प्रशस्त करेगी।
दैनिक हिन्दुस्तान दिनांक 5 जुलाई 2012 में प्रकाशित
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Blog News: धर्म के नाम पर 'सेक्स' का खेल

अख्तर खान साहब ने वह पोस्ट ही मिटा डाली है जो उनके सचिव ने भास्कर डोट कॉम से एक अंश उठाकर उनके ब्लॉग  पर पोस्ट बना दी थी. जिन ब्लॉगर्स ने अख्तर साहब के ब्लॉग पर मात्र एक अंश पर आपत्ति प्रकट की , उनमें से किसी ने भास्कर डोट कॉम की पूरी पोस्ट  पर भी कोई आपत्ति प्रकट नहीं की जो कि 8 गुना ज़्यादा है , है न कमाल की बात ?
कुछ हिंदी ब्लॉगर्स ऐसी दोहरी सोच लेकर भी बुद्धिवादी कहलाते हैं.
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Blog News: धर्म के नाम पर 'सेक्स' का खेल
PHOTOS: धर्म के नाम पर कुछ यूं खेला जाता रहा है 'सेक्स' का खेल!

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अनवर भाई आपकी गर्मियों की छुट्टियों की दास्तान पढ़ कर हमें आपकी किस्मत से रश्क हो रहा है...ऐसे बचपन का सपना तो हर बच्चा देखता है लेकिन उसके सच होने का नसीब आप जैसे किसी किसी को ही होता है...बहुत दिलचस्प वाकये बयां किये हैं आपने...मजा आ गया. - नीरज गोस्वामी

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