सिलसिले इस पार से उस पार थे.
हम नदी थे या नदी की धार थे?
क्या हवेली की बुलंदी ढूंढ़ते
हम सभी ढहती हुई दीवार थे.
उसके चेहरे पर मुखौटे थे बहुत
मेरे अंदर भी कई किरदार थे.
मैं अकेला तो नहीं था शह्र में
मेरे जैसे और भी दो-चार थे.
खौफ दरिया का न तूफानों का था
नाव के अंदर कई पतवार थे.
तुम इबारत थे पुराने दौर के
हम बदलते वक़्त के अखबार थे.
-----देवेंद्र गौतम
ग़ज़लगंगा.dg: सिलसिले इस पार से उस पार...
अपनी मानसिक विकलांगता हमें खुद ही दूर करनी होगी
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कैसी यह मुहब्बत है और कैसा यह त्यौहार है ? Indian Holi
पिछले साल का एक यादगार वाक़या:-बच्चे ज़्यादा समझदार हैं बड़ों से, इस होली पर मुझे ऐसा ही लगा। Dr. Anwer Jamal शनिवार को मुझे अपने पेट में दर्द महसूस हुआ। दवाई ले ली। रविवार को सोचा कि अल्ट्रासाउंड करा लिया जाए ताकि पित्ताशय की पत्थरी के साइज़ का भी पता चल जाए। होली की वजह से सभी सेंटर्स मुझे बंद मिले। लौटते हुए एक मशहूर चैराहे पर मुझे...
बलोगर्स मीट वीकली (33) Happy Holi
बलोगर्स मीट वीकली (33)सबसे पहले मेरे सारे ब्लोगर साथियों को प्रेरणा अर्गल का प्रणाम और सलाम /आप सबके सहयोग से ब्लोगर्स मीट वीकली निरंतर अपने पथ पर अग्रसर है /प्रत्येक सोमवार को होने वाली इस मीट में आप सब शामिल होते हैं ,और हमारा उत्साह बढ़ाते हुए अच्छे -अच्छे...
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