
(तेजाब हमले के पीड़िता की व्यथा)
कैसा तेरा प्यार था ?
कुंठित मन का वार था,
या बस तेरी जिद थी एक,
कैसा ये व्यवहार था ?
माना तेरा प्रेम निवेदन,
भाया नहीं जरा भी मुझको,
पर तू तो मुझे प्यार था करता,
समझा नहीं जरा भी मुझको ।
प्यार के बदले प्यार की जिद थी,
क्या ये कोई व्यापार था,
भड़क उठे यूँ आग की तरह,
कैसा तेरा प्यार था...