मेरी बात


दोस्तों और हिंदी ब्लॉग जगत के गणमान्य ब्लोग्गर्स...

आज कुछ भी लिखने से पहले मैं आप सभी को प्रणाम करता हूँ और आप सबसे ये कहना चाहता हूँ कि अगर मेरे इस लेख में मैंने कुछ भी ऐसा लिखा हो जिससे आपको दुःख हो तो कृपया मुझे क्षमा करें.

दोस्तों, मैंने हमेशा से चाहा है कि मैं यहाँ जो भी कहूं विनम्रता पूर्वक ही कहूं पर फिर भी कभी कभी गलती हो ही जाती है... आखिर मैं भी उस ईश्वर का बनाया हुआ एक आम इंसानी बच्चा हूँ जिसके एक कारण मैं, आप और ये सारी कायनात आज तक अस्तित्व में हैं. जैसा कि आप सभी जानते हैं कि इन्सान गलतियों का पुतला है अगर वो गलती नहीं करेगा तो और कौन करेगा ? और मैं तो अब भी बच्चा ही हूँ और हमेशा बच्चा ही रहना पसंद करता हूँ.

कल मैंने एक लेख लिखा था "सुझाव : Blogging के बेहतर कल के लिए" और इस बार मुझे आशा से भी ज्यादा कमेंट्स मिले ये जान कर मुझे ख़ुशी और दुःख दोनों हुआ... ख़ुशी इस बात की कि ब्लॉग जगत के कुछ बड़े दिग्गजों ने मेरा लेख पढ़ा और गम इस बात का कि उनमे से कुछ ने मेरे सुझावों पर ध्यान न देते हुए मेरे लेख के एक शब्द को कुछ इस तरह से पकड़ लिया कि मैं जैसे कुछ जानता ही नहीं हूँ. हाँ मैं सब कुछ तो आज तक नहीं जानता पर ऐसा भी नहीं है कि वर्तमान को मैं देख के समझ भी नहीं सकता. और तब भी मैंने सबके कमेंट्स में पूछे अप्रत्यक्ष शंकाओं व प्रश्नों का अपनी क्षमतापूर्वक जवाब देने का प्रयास भी किया है. आशा करता हूँ कि सबको मेरा सुझाव तथा मेरे उत्तर पसंद आये होंगे...

मैं इस ब्लॉग्गिंग जगत में आज भी नया ही हूँ. पर बहुत कम समय में मैंने ब्लॉग जगत को जानना शुरू कर दिया है. पहले जब मैं कवितायेँ, ग़ज़ल वगैरह अपने ब्लॉग पे लिखा करता था तो सबने मेरे कार्य की प्रशंसा की. और आज जब मैंने अपने दिल में उठे कुछ सुझाओं को ब्लॉग जगत को देना चाहा ताकि ब्लॉग जगत के द्वार का पता उन लोगों को भी चले जो लिखना तो जानते हैं पर सही मार्गदर्शन, इन्टरनेट की कम जानकारी तथा अपने बड़ों के दबाव के चलते वो अपना ब्लॉग बना नहीं पाते... क्षमा करें पर ये बात सच है, मेरे कॉलेज कुछ ऐसे दोस्त थे जो मुझसे कहीं ज्यादा बेहतर लिखते थे पर सही मार्गदर्शन, इन्टरनेट की कम जानकारी तथा कुछ के अभिभावकों की नासमझी के चलते या तो उन्होंने लिखना बंद कर दिया या वो अपनी लेखन कला को गुमनामी के अंधेरों के पीछे छिपा दिया और कुछ ने आज तक अपने दोस्तों के अलावा और किसी को बताया ही नहीं कि वे भी लिखते हैं.

मैंने ऐसे भी कुछ लोगों को देखा है जो अपनी मन की व्यथा को अपने अन्दर ही छिपा ली है और घुट घुट के मरने पर मजबूर हैं क्योंकि भारत में ऐसे कई छोटे शहर (गाँव और कसबे भी) हैं जहां की बातों को लिख कर व्यक्त करने की कला को हर वक्त कुचला जाता है. और ये सब सहने वाले अधिकांश किशोर (१३ से १९ वर्ष) वर्ग के लोग ही होते हैं. क्योंकि हमारे यहाँ बच्चों की अपनी ज़िन्दगी मेरा मतलब है कि उनकी प्राइवेट लाइफ है ही नहीं. डायरी राइटिंग के बारे में तो किशोर वर्ग सोचता ही नहीं क्योंकि हमारे यहाँ किशोरों कि अपनी कोई गोपनीयता होती ही नहीं.

यही सब देख कर, जान कर जब मैंने कुछ सुझाव ब्लॉग जगत को दिए तो कुछ ने मेरे सुझावों को सही माना और कुछ ने इसे छोटा मुंह व बड़ी बात ही समझी. अरे ! लोग ये क्यों भूल जाते हैं कि हम यूथ में जो जोश है उसे बस एक सटीक मार्गदर्शन की जरूरत है, बाकी तो हम दुनिया की काया ही बदलने का हौसला रखते हैं... अगर ऐसा न होता तो हिंदुस्तान के सफल मुग़ल सम्राट ज़िलालुद्दीन मोहम्मद अकबर महज १३ वर्ष की आयु में सम्राट न बनते. उनकी छोडो मैंने सुना है कि जिस वक्त अभिमन्यु कौरवों का चक्रव्यूह  तोड़ने निकले थे उस वक्त वो भी १३ वर्ष के थे.  आखिर जब एक १३ वर्षीय बालक जब चक्रव्यूह को तोड़ने का प्रयास कर सकता है (भले ही वह नाकाम हुआ हो) तो मैंने तो २२ वर्ष की उम्र में बस कुछ सुझाव देना चाहा. खैर छोडो मैं भी किनकी बात लेकर बैठ गया, ये तो हमारे देश में बहुत पहले से चला आ रहा है कि अपने से छोटो की बातों को नज़र-अंदाज कर दिया जाता है, हमारे बड़े हमसे सम्मान चाहते हैं पर हमे सम्मान कोई नहीं देना चाहता. वे अपनी बात हम पर लागु करना चाहते हैं पर हमारी बात सुनना नहीं चाहते.

क्योंकि वो जानते हैं कि हम में इतनी काबिलियत है कि हम उनके साथ कंधे से कन्धा मिला के चल सकते हैं पर ये बात हर बड़े को बुरी लगती है... इसीलिए आज मैं बस इतना कहना चाहता हूँ कि हमारी बातों को एक बार तो दिल से सुन के देखें, उन बातों पर ठन्डे दिमाग से गौर फरमाइए और फिर अगर आपको उसमे कहीं कोई गलती हो तो वो हमे बताएं, हमारा मार्ग दर्शन करें पर हमें उपेक्षित न करें... क्योंकि जिसे चोट लगती है उसे ही दर्द का सही मूल्य पता होता है... 

आज मुझे पता है कि मेरा ये पोस्ट पढने के बाद या तो लोग मुझे Ignore करना शुरू कर देंगे, या वो फिर मुझ पर कटाक्ष करते हुए (या मुझे बच्चा समझते हुए) मुझे समझाने की कोशिश जरूर करेंगे...

हे प्रभू ! मुझे माफ़ करें अगर मैंने किसी व्यक्ति विशेष के दिल को थोड़ी भी चोट पहुंचाई हो...

धन्यवाद !

महेश बारमाटे "माही"
30th April 2011

कृपया कर के एक नज़र यहाँ भी दौडाएँ -

Read More...

इंसान की फितरत....


http://atulshrivastavaa.blogspot.com

सेकंड,
मिनट,
घंटा,
दिन,
महीना,
और साल.....।
न जाने
कितने कैलेंडर
बदल गए
पर मेरे आंगन का
बरगद का पेड
वैसा ही खडा है
अपनी शाखाओं
और टहनियों के साथ
इस बीच
वक्‍त बदला
इंसान बदले
इंसानों की फितरत बदली
लेकिन
नहीं बदला  तो
वह बरगद का पेड....।
आज भी
लोगों को 
दे रहा है
ठंडी छांव
सुकून भरी हवाएं.....
कभी कभी
मैं सोचता हूं
काश इंसान भी न बदलते
लेकिन
फिर अचानक
हवा का एक  झोंका आता है
कल्‍पना से परे
हकीकत से सामना होता है
और आईने में
खुद के अक्‍श को देखकर
मैं शर्मिंदा हो जाता हूंhttp://atulshrivastavaa.blogspot.com

Read More...

वोह नफरत करते इस जग में हम प्यार लुटाने बेठे है ..सतीश सक्सेना

वोह नफरत करते इस जग में हम प्यार लुटाने बेठे है ..सतीश सक्सेना

वोह नफरत करते इस जग में, हम प्यार लुटाने बेठे है ..नोयडा के ब्लोगिंग सितारे जनाब सतीश सक्सेना का मुस्कुराते चेहरे के साथ यह नारा, उन्हें और दुसरे ब्लोगरों से जुदा कर देता है , भाई सतीश सक्सेना वेसे तो एक अगस्त २००५ से ब्लोगिंग  की दुनिया में जोर आज्मायश कर रहे हैं लेकिन २० जुलाई २००८ को इन्होने मेरे गीत नाम से ब्लोगिंग शुरू की और फिर ब्लोगिंग की दुनिया में अपनी लेखनी ,अपने विचार और अपने स्वभाव के दम पर निरंतर आगे बढ़ते गये आगे बढ़ते गए ................
भाई सतीश सक्सेना ने २९ जलाई २००८ को पहली ब्लोगिंग ...भारत माँ के यह मुस्लिम बच्चे ...शीर्षक से की जिसमें एक भाव एक सच को उकेर कर रख दिया इसके बाद ..माँ ......के शीर्षक से माँ की भावनाएं उजागर की तो फिर प्यारी बिटिया पर ब्लोगिंग कर डाली ...भाई सतीश जी ने अब तक २४२ ब्लॉग लिखे हैं लेकिन सराहना के तोर पर इन्हें ७९८० लोगों की प्यारी प्यारी टिप्पणियाँ मिल चुकी हैं ..इनके ब्लॉग के २१६ फोलोवर्स हैं और इनके हर ब्लोगिंग आर इंसान उसे पढने के लियें मचल उठा है ,बस यही सतीश भाई की लेखनी की जीत है ..कहते हैं के एक अच्छा इंसान ही एक अछा लेखक बन सकता है एक अच्छा  विचारक बन सकता है , भाई सतीश जी ने जन्म से लेकर आज तक जो सहा है जो देखा है उसे उन्होंने अपनी रचनाओं में जिवंत चित्रित कर दिखाने का प्रयास किया है .
भाई सतीश जी कहते हैं जन्म से ही खुद को अकेला पाया इसीलियें संवेदन शील हूँ ,खुद अकेला रहा इसलियें सबका अकेलापन दूर करने के लियें कुछ भी कर गुजरने को तय्यार रहता हूँ ..अकेलेपन के कारण ही जीवन में अनुशासन ,संघर्ष,ज्ञान और अन्याय के खिलाफ लढना सीखा लोगों की मदद कर खुद सुकून तलाशने वाले सक्सेना साहब कहते हैं के उन्हें झुंट से नफरत है वोह कभी किसी से मांगने से चिड़ते हैं किसी से डरते नहीं और इसीलियें उन्हें अन्याय के खिलाफ लढना आ गया है उनकी इश्वर से प्रार्थना है के वोह कभी किसी का दिल न दुखायें और सभी के कम आ सके ऐसा कुछ करिश्मा हो जाए तो दोस्तों एक ऐसे गीतकार जिनके मेरे गीत ब्लॉग में एक दर्शन ,एक  साहित्य,एक रचना ,एक कविता ,एक गज़ल , एक नज़म .एक नसर, एक कसीदा, एक मर्सिया एक कहानी,एक लेख कुल मिलाकर एक साहित्य बन गया है और इस ब्लोगर का नाम इसीलियें ब्लोगिंग की दुनिया में एक अदब का नाम है ऐसे भाई सतीश को बहुत बहुत विनम्रता से नमस्कार ...............   अख्तर खान अकेला  कोटा राजस्थान
Read More...

Read Qur'an in Hindi

Read Qur'an in Hindi
Translation

Followers

Wievers

join india

गर्मियों की छुट्टियां

अनवर भाई आपकी गर्मियों की छुट्टियों की दास्तान पढ़ कर हमें आपकी किस्मत से रश्क हो रहा है...ऐसे बचपन का सपना तो हर बच्चा देखता है लेकिन उसके सच होने का नसीब आप जैसे किसी किसी को ही होता है...बहुत दिलचस्प वाकये बयां किये हैं आपने...मजा आ गया. - नीरज गोस्वामी

Check Page Rank of your blog

This page rank checking tool is powered by Page Rank Checker service

Promote Your Blog

Hindu Rituals and Practices

Technical Help

  • - कहीं भी अपनी भाषा में टंकण (Typing) करें - Google Input Toolsप्रयोगकर्ता को मात्र अंग्रेजी वर्णों में लिखना है जिसप्रकार से वह शब्द बोला जाता है और गूगल इन...
    12 years ago

हिन्दी लिखने के लिए

Transliteration by Microsoft

Host

Host
Prerna Argal, Host : Bloggers' Meet Weekly, प्रत्येक सोमवार
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

Popular Posts Weekly

Popular Posts

हिंदी ब्लॉगिंग गाइड Hindi Blogging Guide

हिंदी ब्लॉगिंग गाइड Hindi Blogging Guide
नए ब्लॉगर मैदान में आएंगे तो हिंदी ब्लॉगिंग को एक नई ऊर्जा मिलेगी।
Powered by Blogger.
 
Copyright (c) 2010 प्यारी माँ. All rights reserved.