इंसान की फितरत....

Posted on
  • Saturday, April 30, 2011
  • by
  • Atul Shrivastava
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  • http://atulshrivastavaa.blogspot.com

    सेकंड,
    मिनट,
    घंटा,
    दिन,
    महीना,
    और साल.....।
    न जाने
    कितने कैलेंडर
    बदल गए
    पर मेरे आंगन का
    बरगद का पेड
    वैसा ही खडा है
    अपनी शाखाओं
    और टहनियों के साथ
    इस बीच
    वक्‍त बदला
    इंसान बदले
    इंसानों की फितरत बदली
    लेकिन
    नहीं बदला  तो
    वह बरगद का पेड....।
    आज भी
    लोगों को 
    दे रहा है
    ठंडी छांव
    सुकून भरी हवाएं.....
    कभी कभी
    मैं सोचता हूं
    काश इंसान भी न बदलते
    लेकिन
    फिर अचानक
    हवा का एक  झोंका आता है
    कल्‍पना से परे
    हकीकत से सामना होता है
    और आईने में
    खुद के अक्‍श को देखकर
    मैं शर्मिंदा हो जाता हूंhttp://atulshrivastavaa.blogspot.com

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