'आख़िर ये रचना का लफ़ड़ा है क्या ?' अलबेला जी आप ही बता दें होली के हुल्लड़ में शुभकामनाएं लेने के बाद

ब्लॉग जगत में हर तरफ आज होली के रंग बिखरे हुए हैं । ऐसे में आज जो पहला ईमेल मुझे मिला वह भी होली की शुभकामनाएँ लिए था :
आज सोचा कि क्या किया जाए दिन का पहला काम
तब दिलो दिमाग की सतह पर उभरा आपका नाम

आपको होली की शुभकामनाएँ
प्रहलाद की भावना अपनाएँ
एक मालिक के गुण गाएँ
उसी को अपना शीश नवाएँ

यह ईमेल मुझे डा. अनवर जमाल साहब की तरफ़ से मौसूल हुआ।

कुछ ब्लॉगों पर जापान में फटते एटमी रिएक्टर्स पर भी चिंता व्यक्त की गई और
मोहतरम सलीम ख़ान साहब बता रहे हैं कि जापान ने इसलाम को प्रतिबंधित कर दिया था । यह एक नई जानकारी है ।
जापान ने लगाया इसलाम पर प्रतिबंध

रश्मि प्रभा जी द्वारा रचित
'माँ'
पर आप एक सुंदर सी कविता देख सकते हैं उनके ब्लॉग वटवृक्ष पर जाकर।
ZEAL दिव्या जी के ब्लॉग
http://zealzen.blogspot.com
पर भी आप कई अछूती पोस्टें देखेंगे और उनके
Paradise
ब्लॉग को हमने देखा है जो कि अच्छा है ।
होली के हुल्लड़ में
शेख़चिल्ली के बाप भी अपना गधा दौड़ाते हुए अलबेला जी से ईनाम माँग रहे हैं -
shekhchillykabaap.blogspot.com
पर वे कह क्या रहे हैं ?
अपनी समझ से तो बाहर है। जो समझदार हैं वे समझ जाएं तो हमें भी समझा दें कि आख़िर ये रचना का लफ़ड़ा है क्या ?

मौसम बदलने पर होली की ख़शियों की मुबारकबाद
सभी को .
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aese bhi mnaayi jaa skti hen khushiya

होली के खुशनुमा रंगों में डूबेगी ब्लोगिंग की दुनिया

होली के रंगा रंग कार्यक्रम की शुरुआत कल यहाँ हुई एक छोटे से कुए में बुरा ना मानो होली हे के नारे के साथ यह कार्यक्रम शुरू हुआ इस कार्यक्रम के पूर्व अंधे कुए को जब देखा तो किसी ने जले हटाने की बात कही कुए में थोड़ा बहुत कीचड़ था इसलियें साफ करना मुनासिब नहीं समझा उसी में गुलाल मिला दिया और खाने का इन्तिज़ाम भी वहीं कर दिया . 
खाने की शुरुआत में सबसे पहले भाई उड़नतश्तरी ब्लोगर का इन्तिज़ार था खेर वोह आये उन्होंने अपनी उड़ने वाली तश्तरी ली और ब्लॉग ४ वार्ता के लियें भाई ललित जी शर्मा के पास चले गये लाली जी शर्मा तो ठहरे घुमक्कड़ भाई वोह इधर उधर घूम रहे थे के कुंवर जी ने उन्हें घेर लिया बस भाई ललित जी साइड में हो गये और वकील दिनेश राय जी द्विवेदी की अदालत की बात करने लगे ब्लोगरों का होली कुआ था इसलियें इस कुए को तीसरे खम्बे की खड़े रहने की जरूरत थी सो इस तीसरे खम्बे पर यह कुआ खड़ा रहा . हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट की बात चली तो सब इधर उधर बगलें झाँक रहे थे के बहन शालिनी कोशिक एडवोकेट दोध कर आयीं और ब्लोगिंग के महिला अत्याचारों को खत्म करवा कर उनकी हुकूमत कायम करने के लियें श्रीमती वन्दना गुप्ता और रश्मि प्रभा से गुपचुप बातें करने लगीं इस बीच ब्लोगर होली मिलन का खाना कम पढ़ गया था बस में अख्तर खान अकेला बावर्ची बन कर खाना बनाने लगा इसी बीच पी एस पावला जी ने एक सुझाव दिया के बाई जहां इतना कर रहे हो वहां कुछ साल गिराहें और शादी की साल गिरहें हें उन्हें भी निपटा डालो पावला जी हाकम हे स्टील के आदमी हे सो उनकी बात टाल कर हम मुसीबत में नहीं पढना चाहते थे इसीलियें चुपचाप बर्थ डे केक बनाने में लग गये . 
अतुल श्रीवास्तव जी खाना खत्म हो जाने के कारण मुकेश जी सिन्हा के साथ प्रेषण घूम रहे थे कुए के लियें सीडिया मंगा रहे थे लेकिन ब्लोगिंग की होली का कुआ था यहाँ आदमी आता तो अपनी मर्जी से हें लेकिन जाता भाई ब्लोगरों की मर्जी से हे सो वोह नाकाम नज़र आ रहे थे इसी बीच के पी सक्सेना साहब ने तीसरी आँख दिखाई तो एक कोने में एक प्लेट में समोसा दिखा वोह आगे बढ़ते के मदन गोपाल गर्ग ने प्लेट झपट ली इस घटना  को देख कर भाई हरीश भट्ट आशुतोष और अनामिका को देख कर दायें बिखेर रहे थे ,मुकेश सिन्हा हकीम युनुस खान से ब्लोगर्स की टिप्पणियों से पेट में दर्द ना हो इसकी दवा लिखवाना चाह रहे थे के अचानक अंधे कुए में रौशनी जगमगा गयी हमने देखा के आखिर यह किसका जमाल हे तो देखा तो भाई हाकिम साहब के सामने एक डोक्टर की रौशनी का जमाल थे किसी ने कहा के यह चमक अनवर जमाल की हे सब बा अदब बा मुलायेज़ा हो गये और सलीम भाई और अनवर भाई साथ बेठ कर ब्लोगिंग पर चर्चा करने लगे ब्लोगिं का भविष्य देखने के लियें पामिस्ट भी वहां मोजूद थे और डॉक्टर अशोक जी पामिस्ट डोक्टर राजेंदर तेला जी का हाथ निरंतर देख रहे थे यह नजारा देख कर में सोच रहा था के यह हिंदी ब्लॉग फोरम इंटर नेशनल बन गया हे . 
      होली की इस हुडदंग में एक बार फिर गरम पूरी बन कर आई भगदड़ मची और फिर पूरी खत्म अली सोहराब ने सोहराब जी ने सुचना के अधिकार के तहत हसन साहब के साथ ब्लोगिंग खाने पीने का हिसाब किताब मांग लिया , बस खुशदीप जी ने कहा केसा हिसाब जो भी था हमारा अपना था इसलियें इसका हिसाब महक ,पूजा और फिरदोस से पूंछो ,अतुल कनक जी थे वोह जब अपनी कविता कह रहे थे तो डोक्टर रुप्चंदर शाश्त्री जी इस मामले को गम्भीरता से देख रहे थे सुनने का तो सवाल इसलियें नहीं था के खाने में जो मिर्चियाँ तरहीं उसका धुंआ कानों और ना जाने कहाँ कहाँ से निकल रहा था . 
इसी बीच अस्त व्यस्त ब्लोगिंग की इस पार्टी को सजाने संवारने का काम भाई शाह नवाज़ करने लगे और लोग इनसे डरने लगे इनके हाथ में केंची थी दुसरे हाथ में खुद का दामन था सब इनके इस हाल को देख कर अंधे कुए में बनाये गये दुसरे हाल में घुस गये वहां तारेक्श्वर गिरी बादाम की गिरी अकेले खा रहे थे और दूसरी तरफ संजय सेन सागर में नहा रहे थे जाकिर अली रजनीश के ध्यान में मगन थे तो उपदेश सक्सेना जी ब्लोगिंग के हालत पर उद्प्देश सुना रहे थे .हरीश जी इन सब को देख कर भूख से कुलबुला रहे थे इसलियें वोह तुरंत अपना लेब्तोब खोल कर खाना बाचने लगे .उनकी इस हालत पर आज समाज ने कहा यही हे आज का समाज झना लोग एकत्रित हें और ब्लोगिंग हो रही हे . 
डोक्टर निरुपमा वर्मा ने दिलबाग विर्क से कहा के हम तो आपको देख कर ब्लोगरों की बरता न मानो इस होली में बाग़ बाग़ हो गये इस बात चीत को सलीम खान सुन रहे थे और लखनऊ ब्लोगर एसोसिएशन को गुपचुप खाना खिला रहे थे एक जीशान जेडी थे जिन्हें अफसाना तनवीर ब्लोगिंग के होली के इन हालातों पर अफसाना सुना रही थीं .मीनाक्षी पन्त ,सुरेश भट्ट मिल कर अपने अपने पांतों के बारे इमं सोच कर सुरेश भट जी के साथ तंदूर की भट्टी जला रहे थे जिसे फूंक से भाई ललित जी शर्मा बुझा रहे थे ,मार्कंड दावे , नील प्रदीप आपस में कोई बात कर रहे थे के बीच में साधना वेध ने वेध बन कर एक ब्लोगिंग दवा लिख डाली जिसे लेने दी पी मिश्रा और मनोज और अनुरण लेने जाने की कोशिशों का ताना बाना बुन रहे थे के जसवंत धरु ने उन्हें रास्ते में ही धर लिया निरुपमा वर्मा जी ने जब वोह देखा तो उन्होंने भूखे पेट अन्ताक्षरी शुरू की और प्रतिभा ने इस प्रतिभा पर उन्हें इरफ़ान से एक रोटी छीन कर देने की कोशिश की तो के एस कन्हय्या नाराज़ हो गये एक दुसरे की शिकायत हुई सब झूंठ बोल रहे थे तो इंजिनियर ने सत्यम शिवम का संदेश दिया मिथलेश दुबे ने कवि सुधीर गुप्ता पन्त से कविता कहने को कहा तो उन्होंने लिखी लिखाई कविता ब्लॉग पर दे डाली . गजेंदर सिंह जी अपने गज को लेकर ब्लोगर होली मिलन समारोह स्थल के कुए में थे लेकिन अरविन्द शुक्ल ने स्वराज करुण की बात की तो बहन शिखा कोशिक ने हस्तक्षेप किया और डॉक्टर अजमल खान ने भूखे पेट भजन करने के लिए सभी ब्लोगरों को गोलियां खिलायीं ,गगन शर्मा ने गगन की तरफ रंग बिरंगे इंद्र धनुष की तरफ देखा तो एक महर दिख रही थी ,जनोक्ति ने लोक्संघर्ष की बात की तो एल के गांधी जी हंसने लगे बस फिर क्या थी सभी के चेहरों पर से हंसी गायब गुस्सा दिखने लगा सब अपने अपने गुट बनाने लगे एक दुसरे को टिप्पणियों का दुःख दर्द सुनाने लगे पहले तो भाई डंडा लखनवी ने डंडा दिखाया लेकिन मास्टर जी का डंडा छोटा था इसलियें पाठ काम नहीं आया और इसी बीच एक मासूम सा आदमी एस एम मासूम सभी के बीच एक देवता बन कर अमन का पैगाम लाया इस पैगाम को देख कर दुसरे भाई जिन्होंने हिन्दुस्तान का दर्द देखा था सहा था वोह प्रगतिशील ब्लॉग लेखक संघ के साथ हो लिए और सभी को साथ जोड़ने के लियें आल इण्डिया ब्लोगर एसोसिएशन का खुशनुमा पैगाम दिया सभी ने महिला वर्ष होने से महिलाओं को आदरणीय होने का पैगाम दिया बस फिर किया था सबकी खबर ले सबकी खबर दे के नारे के साथ एक खुबसुरत ब्लॉग ब्लॉग की खबरें सबके सामने था सभी ब्लोगर इतिहास देख रहे थे और सोच रहे थे हमारी नादानी ही थी जो ब्लोग्वानी बंद हुई हमारी कमजोरी थी जो चिट्ठाजगत पाबन्द हुआ अब हमारी वाणी हे जो सिर्फ और सिर्फ हमारी वाणी हे यह ना तेरी हे ना मेरी हे यह तो बस ब्लोगर्स की अपनी हमारी हे , एक दम ब्लोगिंग के इस अंधे कुए में एक नई रौशनी दिखी और खाना बन कर आ गया डोक्टर अनवर जमाल थे के हाथ में खाना लिए भाई दिनेश द्विवेदी जी को परोसे  जा रहे थे और भाई दिनेश द्विवेदी जी थे के उनसे एक एक लड्डू लिए बढ़े आराम से मुस्कुराते हुए खाए जा रहे थे थोड़ी देर में खाने का दोर खत्म हुआ मिलने मिलाने और गुलाल रंग लगाने का दोर शुरू हुआ तो सभी ने पानी बर्बाद ना हो इसलियें केवल तिलक लगाकर तिलक होली मनाई और जब सभी भाइयों ने पीछे मूढ़ कर देखा तो एक सपना जो सुबह देखा था सच होते हुए देखा भाई शाहनवाज़ और दिनेश द्विवेदी जी अनवर जमाल से गले मिल मिल कर आपसी गिले शिकवे अपने आंसुओं में बहा रहे थे ब्लोगिंग की इस दुनिया का इस काल्पनिक होली मिलन समारोह का यह हाल देख कर मेरा मन करा यह हाल तो सभी ब्लोगर भाइयों को सुनाया जाए सभी को पढाया जाए वेसे तो बुरा ना मानो होली हे और फिर अगर कोई बुरा मानता हे तो माने क्योंकि फिर भी तो बुरा ना मानों तो होली हे बस ऐसी खुशनुमा होली का सपना पूरा हो एकता अखंडता धर्मनिरपेक्षता वक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रा सुरक्षा मान सम्मान लिंग जाती धर्म के आधार पर कोई भेदभाव नहीं हमारे देश के संविधान की भावना के नारे के साथ मेरी ब्लोगिंग की दुनिया बने यही होलिका से मेरी दुआ हे मेरी दुआ हे ,.......... अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
होली के खुशनुमा रंगों में डूबेगी ब्लोगिंग की दुनिया
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ब्लॉग की दुनिया को होली का राम राम

मित्रों होली मुबारक हो यूँ आसानी से एक दुसरे से इतनी दूर रहकर भी कह आना सम्भव हो सकेगा येह हमें आज से ३० साल पहले कल्पना भी नहीं की थी लेकिन आज होली के इन रंगों को हम और आप इस तरह से मिलजुलकर बाँट रहे हें और इसके लियें सभी को मुबारकबाद .
इक्कीसवीं सदी के इंटरनेट भारत का सपना देखने  वाले जब एक हवाई जहाज़ के पायलेट राजिव गाँधी ने इसकी घोषणा की इसकी प्रस्तावित योजनायें तय्यार की तो विपक्षी लोगों सहित कोंग्रेस के कुछ पुराने ख्यालात के नेताओं ने उनका खूब जम कर मजाक उढ़ाया, राजीव गांधी हवाई जहाज़ के सेट अप को समझते थे वोह इलेक्ट्रोनिक तकनीक को जानते थे इसलियें उन्होंने विरोधियों की प्रवाह नहीं की और सेम पित्रोसा को अपना सलाहकार बनाया उस वक्त सेम पित्रोसा को भी सभी विपक्षी लोगों ने कोसा और विरोध किया खेर पहले सेटेलाईट, फिर टी वी, फिर डी डी टू , फिर फोन फिर मोबाइल और फिर इंटरनेट की दुनिया चलती गयी चलती गये इंटरनेट की इस दुनिया में आज हमारा देश भी आगे बढ़ रहा हे लेकिन गूगल को धन्यवाद दें जो उसने साहित्य्य्कारों पत्रकारों को अपनी सूचनाएं रचनाएँ और जानकारियाँ आदान प्रदान करने के लियें ब्लॉग के रूप में मुफ्त में जगह दी. कहते हें मुफ्त में अगर कुछ मिल जाए तो उसकी कद्र नहीं होती खेर इस जगह की वजह से इंटरनेट की दुनिया बनी साइबर कानून बना केफे खुले और अब घर घर में लेब्तोप या कम्प्यूटर जरूरत बन गया हे , फेसबुक की दोस्ती के आज चर्चे हें ऑरकुट के चर्चे आम हे और इंटरनेट मित्रता पर कई प्रेम कई शादियाँ रोज़ होना आम बात हें . 
लेकिन दोस्तों कोई भी आविष्कार अच्छों के लियें अच्छा और बुरों के लियें बुरा होता हे अच्छे किसी भी आविष्कार का जनहित में इस्तेमाल करते हें तो बुरे इस अविष्कार से तबाही और नफरत फेलाना चाहते हें आज हमारे देश में ब्लोगिंग की दुनिया में भी कुछ गिनती के लोग हे जो बेबाकी से बुरे काम को अंजाम दे रहे हें वोह नफरत और गालियाँ बाँट रहे हें लेकिन यह सभी लोग अपनी हर कोशिश के बाद भी सदमे में इसलियें हें के ब्लोगर्स ने इनकी कोशिश को नकार दिया हे आज नफरत फेलाने वालों की कोशिशें डस्टबीन पढ़ी हें और इसके लियें सभी भाई और बहने बधाई की पात्र हें ब्लोगिंग की दुनिया में नयी दोस्ती नई जानकारी नया प्यार नया दुलार भाईचारा और सद्भावना बढ़ा रहा हे आज ब्लोगर्स जाती धर्म उंच नीच भेदभाव भुला कर एक दुसरे की मदद कर रहे हें बहनों और माताओं का सम्मान कर रहे हें कुल मिलाकर ब्लोगिंग की इस दुनिया ने भी विज्ञानं के एक चमत्कार को साक्षात् किया हे . ब्लोगिंग को संचारित करने के लियें एक जुट करने के लियें ब्लॉग वाणी एग्रीगेटर चला लेकिन उसकी गंदगी सब जानते हें ब्लोग्वानी को कई लोगों ने सुधारने की कोशिश की लेकिन गुट बाज़ी जातिवादी धर्मान्धता कट्टरता और नफरत के भाव फेलाने वाले कुछ लोगों ने इस ब्लोग्वानी को ब्लोक कर दी और अब यह एक इतिहास बन गयी हे इसके बाद चिट्ठा जगत वहां भी अपना प्राय भेदभाव चला और वोह भी बंद कर दिया गया अब हमारी वाणी यानि हमारी वाणी पर भी कुछ गिनती के लोग भारी पढना चाह रहे हें कुछ लोग हे जो हमारी वाणी की बुनियाद से जुड़े लोगों को दरकिनार कर रहे हें लेकिन क्या इससे हमारी वाणी सांस ले सकेगी कोई भी लेखन जिसके खिलाफ हम और आप बात चीत करके समाधान कर सकते हें उस लेखन को उस हमारिवानी को आप हमारी की जगह मेरी या तेरी बना दें तो फिर काहे की हमारी वाणी अब दोस्तों अगर इस वाणी को जो सिर्फ और सिर्फ हमारी हे हम लोगों ने प्यार और सद्भाव अपनेपन की खाद से नहीं सींचा तो वोह दिन दूर नहीं के हम ब्लोगिंग एग्रीगेटर्स को  ढूंढते रह जायेंगे नये एग्रीगेटर होंगे कई आयेंगे कई जायेंगे लेकिन वहां भी आप होंगे हम होंगे फिर जब वहां भी हम होंगे तो यहाँ जो आज हे यहाँ भी हम क्यूँ नहीं रहे और इस दुनिया को सजायें सवारें इसलियें दोस्तों ब्लोगिंग की इस पहली होली को खुबसूरत रंगों से भर दो रंग बिरंगी कर इसे इन्द्रधनुष जेसी खुबसूरत बना दो और ब्लोगिंग की इस नफरत को गुरुर को तकब्बुर को होली के साथ दहन कर दो और फिर कह दो ब्लोगर्स भाइयों ब्लोगर्स बहनों होली मुबारक हो होली मुबारक हो हे न सही बात तो फिर कर लो अप भी प्यार की बात ........... अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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गज़ल..आज होली है...डा श्याम गुप्त.....

चहुँ और लहर थी कि आज होली है |
रंग उडाती घूमे टोली, कि आज होली है |

रंग बिखराए थे सभी और फिजाओं ने,
फगुनाई पवन बोली कि आज होली है |

ढोलक की थाप पर थिरकते थे सभी लोग,
 भीगे तन मन लगी रोली कि आज होली है |

उड़ता था हवाओं में अबीर-गुलाल का नशा,
सकुचाई महक ने पोल खोली कि आज होली है |

बौराई सी घूमे , वो नई-नवेली दुल्हन ,
घर भर को चढी ठिठोली कि आज होली है |
ख्यालों में उनके खोये थे हम तो इस कदर,
हम तक खबर न डोली कि आज होली है |

चुपके से बोले आज तो रंग लीजिये हुज़ूर,
 मिश्री से कानों घोली कि आज होली है |

इतरा के उसने मल दिया मुख पर गुलाल,श्याम 
तन मन खिली रंगोली कि आज होली है ||
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रोमांचक हुआ ग्रुप " बी "----- दिलबाग विर्क

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हसन साहब यहाँ कानून ज़िंदा हे

हमारे देश के अरबों खरबों रूपये घोड़े के व्यापार और सट्टे के नाम पर विदेश में जमा करने वाले हसन को शायद यह ता नहीं था के यहाँ कानून नाम की कोई चीज़ हे जिसकी लाठी जब चलती हे तो फिर उसके अपने नेता देश के गद्दार लोग भी उसे बचा नहीं पाते .
हसन अली घोड़े के व्यापारी देश के सभी राजनितिक दलों के नेताओं,व्यापारियों ,उद्द्योग्प्तियों और अधिकारीयों के हम राज़ हे आप देखिये महाराष्ट्र में हसन अली पकड़े जाए उन पर खरबों रूपये टेक्स चोरी का मामला हो और सो कोल्ड राष्ट्रीयता की बात करने वाली शिवसेना , मनसे, भाजपा, आर एस एस इस मामले में खामोश रहे सरकार बढ़े अखबार खामोश रहे अधिकारियों को इसके खिलाफ सबूत नहीं मिले हसन अली कहे के लाओ सबूत और अदालत सबूतों के अभाव में हसन अली को जमानत पर छोड़ दे तो फिर जनाब सोच लो इन हसन अली के इस हुस्न के देश में कितने दीवाने हें राष्ट्रीयता की बात करने वाले यह लोग कहाँ हे लेकिन कल सुप्रीम कोर्ट ने जब हसन अली को फिर से गिरफ्तार करवाकर उसकी जमानत ख़ारिज की और पूंछ तांछ के लियें अधिकारीयों को दिया तो लगा के देश में अभी कानून जिंदा हे सारे देश के सो कोल्ड राष्ट्र भक्तों की चुप्पी हसन अली की रिहाई और फिर गिरफ्तारी इस पुरे मामले में यह सच हे के देश का कानून ही इन सब लोगों पर भरी पढ़ा हे . 
इस मामले का नियंतरण अब अगर सुप्रीम कोर्ट अपने पास रखे तो देश की जनता का धन लुट कर हसन अली को सहारा बना कर विदेशों में धन एकत्रित करने वाले सफेद कोलर वाले चोरों का तो भंडा फोड़ निश्चित हे लेकिन हाँ यहाँ तो मनमोहन सिंह प्रधानमन्त्री हे जो कमजोर लाचार असहाय और मजबूर हे लेकिन उनकी यह कमजोरी भ्रस्ताचार नियंतरण और जनहित के कार्यों की क्रियान्विति के लियें हे अगर सुप्रीम कोर्ट उनसे खे के भ्र्स्ताचारियों और काले धन वालों की सूचि सार्वजनिक करो तो यकीन मानिये जनाब यह कमजोर असहाय से दिखने वाले प्रधानमंत्री इतने ताकतवर हो जाते हें के सुप्रीम कोर्ट के बारम्बार कहने और जनता की लगातार मांग के बाद  भी यह सुप्रीम कोर्ट  के आदेशों को रद्दी की टोकरी में डाल देते हें और एक दम एंग्री  यंग  बन जाते हें  लेकिन हसन अली के पकड़े जाने के बाद इन लोगों के चेहरों पर ही हवाइयां उढने लगती हे इसलियें कहते हे हसन साहब और उनके समर्थकों यहाँ मेरे इस देश में कानून अभी ज़िंदा हे . अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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हसन साहब यहाँ कानून ज़िंदा हे

हमारे देश के अरबों खरबों रूपये घोड़े के व्यापार और सट्टे के नाम पर विदेश में जमा करने वाले हसन को शायद यह ता नहीं था के यहाँ कानून नाम की कोई चीज़ हे जिसकी लाठी जब चलती हे तो फिर उसके अपने नेता देश के गद्दार लोग भी उसे बचा नहीं पाते .
हसन अली घोड़े के व्यापारी देश के सभी राजनितिक दलों के नेताओं,व्यापारियों ,उद्द्योग्प्तियों और अधिकारीयों के हम राज़ हे आप देखिये महाराष्ट्र में हसन अली पकड़े जाए उन पर खरबों रूपये टेक्स चोरी का मामला हो और सो कोल्ड राष्ट्रीयता की बात करने वाली शिवसेना , मनसे, भाजपा, आर एस एस इस मामले में खामोश रहे सरकार बढ़े अखबार खामोश रहे अधिकारियों को इसके खिलाफ सबूत नहीं मिले हसन अली कहे के लाओ सबूत और अदालत सबूतों के अभाव में हसन अली को जमानत पर छोड़ दे तो फिर जनाब सोच लो इन हसन अली के इस हुस्न के देश में कितने दीवाने हें राष्ट्रीयता की बात करने वाले यह लोग कहाँ हे लेकिन कल सुप्रीम कोर्ट ने जब हसन अली को फिर से गिरफ्तार करवाकर उसकी जमानत ख़ारिज की और पूंछ तांछ के लियें अधिकारीयों को दिया तो लगा के देश में अभी कानून जिंदा हे सारे देश के सो कोल्ड राष्ट्र भक्तों की चुप्पी हसन अली की रिहाई और फिर गिरफ्तारी इस पुरे मामले में यह सच हे के देश का कानून ही इन सब लोगों पर भरी पढ़ा हे . 
इस मामले का नियंतरण अब अगर सुप्रीम कोर्ट अपने पास रखे तो देश की जनता का धन लुट कर हसन अली को सहारा बना कर विदेशों में धन एकत्रित करने वाले सफेद कोलर वाले चोरों का तो भंडा फोड़ निश्चित हे लेकिन हाँ यहाँ तो मनमोहन सिंह प्रधानमन्त्री हे जो कमजोर लाचार असहाय और मजबूर हे लेकिन उनकी यह कमजोरी भ्रस्ताचार नियंतरण और जनहित के कार्यों की क्रियान्विति के लियें हे अगर सुप्रीम कोर्ट उनसे खे के भ्र्स्ताचारियों और काले धन वालों की सूचि सार्वजनिक करो तो यकीन मानिये जनाब यह कमजोर असहाय से दिखने वाले प्रधानमंत्री इतने ताकतवर हो जाते हें के सुप्रीम कोर्ट के बारम्बार कहने और जनता की लगातार मांग के बाद  भी यह सुप्रीम कोर्ट  के आदेशों को रद्दी की टोकरी में डाल देते हें और एक दम एंग्री  यंग  बन जाते हें  लेकिन हसन अली के पकड़े जाने के बाद इन लोगों के चेहरों पर ही हवाइयां उढने लगती हे इसलियें कहते हे हसन साहब और उनके समर्थकों यहाँ मेरे इस देश में कानून अभी ज़िंदा हे . अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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विक्लिंक्स या एक जासूसी की शुरुआत

विक्लिंक्स या एक जासूसी की शुरुआत हे इस मामले में देश की सरकार और जनता को गम्भीरता से सोचने की जरूरत हे जो बात हमारे देश की जनता को पता नहीं अगर वही बात हमें विदेशी लोगों से पता चले तो या तो हमारे अपने मिडिया कर्मी बिके हुए हें या फिर कमज़ोर हें . 
जी हाँ दोस्तों कभी भी अगर कोई बात मेरे इस देश में हुई हे तो हमें बाहर के ही लोगों ने सूचित किया हे इन दिनों विश्व में विक्लिंक्स वेबसाईट का खुलासा हे और यह खुलासा सीधे साइड मेरे इस देश की जासूसी की पोल खोल रहा हे जो मेरे देश की सरकार इसके लियें खुली छुट देकर देश और देश वासियों की सुरक्षा के लियें खतरा पैदा कर रहे हें . 
हमारे देश में देश का कोई व्यक्ति अगर कुछ खबरे लेना चाहता हे सुचना के अधिकार के तहत सूचनाएं मग्नता हे तो सीधा जवाब होता हे के इस जवाब से देश की सुरक्षा को खतरा हे इसलियें यह सुचना दिया जाना सम्भव नहीं हे हमारी रक्षा प्रणाली , सुरक्षा प्रणाली. वैज्ञानिक प्रणाली सब कुछ विदेशों को पता हे लेकिन हमारे देश की इस जनता को जानने का हक नहीं अगर देश के लोग कोई सच नहीं जान सकते तो विदेश के लोगों को यह सच केसे पता चल जाता हे और अगर पता चलता हे तो फिर इन सुचना दाताओं की नादानी पर उनके खिलाफ कार्यवाही क्यूँ नहीं होती यह एक वाल हे हाल ही में विक्लिंक्स ने देश की सुरक्षा और आंतरिक मामलों को लेकर कई खुलासे किये हें हम हमारे देश के लोगों पर तो भरोसा नहीं करते लेकिन एक विदेशी जासूस की बात पर बिना अजांचे परखे विशवास कर बैठते हैं और बस संसद हो चाहे सडक हो आपस में लड़ बैठते हें दोस्तों दिखने में तो यह एक मामूली बात हे लेकिन जरा सोचो विचार करो हमारे देश की जानकारी अगर विदेशियों के पास हे और वोह ऐसी जानकारी हे के हमें सुचना के अधिकार के तहत नहीं दी जा सकती तो फिर बताओ इस देश का गुप्त सच कोन बाहर पहुंचा रहा हे कोन अधिकारी हे जो इस सच को पचा नहीं पा रहा हे यह एक ऐसा सवाल हे जिस पर विचार करना होगा और विक्लिंक्स के सभी सच के खुलासे के बाद किसके खिलाफ क्या कार्यवाही हो वोह बाद की बात हे लेकिन पहली कार्यवाही उन लोगों की खोज होना चाहिए जिनकी लापरवाही से विदेशी जासूसों को इस देश में सुचना एकत्रित करने का मोका मिल रहा हे और मेरे इस देश को विदेशी जासूसी से बचाने के लियें अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्यवाही करना चाहिए. अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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होली के रंग हजार

होली के रंग हजार  नहीं लाख नहीं करोड़ों करोड़ होते हें आप भाइयों और बहनों की जिंदगी होली के इन खुबसुरत रंगों से सजी और संवरी हे और खुदा करे जिन लोगों की जिंदगी के रंग में जरा भी भंग पढ़ा हे उनकी जिंदगी फिर से खुशियों के रंग से भर जाए लेकिन इस त्यौहार को भी मिलावट की नजर लग गयी हे रंगों की इस दुनिया को मिलावट की दुनिया बनाने वाले एक व्यापारी का कोटा में वाट लगाई गयी हे . 
दोस्तों कोटा में एक व्यापारी उद्ध्योग के नाम पर कोटा स्टोन का चुरा मिला कर गुलाल बना रहा था जो लोगों की खाल चेहरे बिगाड़ने के लियें काफी हे यहाँ रसद अधिकारी ने जब एक सुचना पर छापा मारा तो वहां करीब सो क्विंटल कच्चा पाउडर और रंग बरामद किया गया पच्चीस पेसे प्रति किलो बनने वाले इस गुलाल को यह जनाब सरे राजस्थान में दस रूपये किलों में बेच चुके थे इनके रजिस्टर से पता चला के कुछ दिनों में ही दस लाख रूपये का जहर यह जनता में बेच चुके हें अब पुलिस और रसद अधिकारी जी इस पशोपेश में हें के इन जनाब के खिलाफ मुकदमा कोंसे कानून और धरा में किया जाए क्योंकि जो कानून कहता हे वोह तो यह करते नही राजनितिक पहुंच होने के कर्ण रस्मन कार्यवाही केसे हो अखबारों में खबर केसे बने और नतीजा ढ़ाक के तीन पात निकल कर मामला की रफा दफा किया जाए . 
तो दोस्तों यह तो एक सच्चाई हे हमारे देश में इन दिनों नकली सामानों की बिक्री नकली चेहरों की सजावट नकली अभिनय नकली रिश्तों की भरमार हे और इसी लियें सब कुछ बिगड़ता जा रहा हे जबकि होली के रंग खुबसुरत रंग लोगों के दिलों में नई उमंग नया प्यार अपनापन पैदा करते हें और इस होली को भी हम ऐसे ही नये दोर के साथ आदर्श आधुनिक होली बना कर मिसाल कायम करे सभी ब्लोगर भाई बहनों में अगर किसी तरह के कोई गिले शिकवे हों तो एक बार हाँ एक बार इस अवसर पर भुला कर गले लगे एक दुसरे को प्यार करे अपनापन दें बस देखो होली का यह रंग कितना खुबसूरत हो जाएगा तो दोस्तों पहल मेरी तरफ से हे निश्चित तोर पर इंसान गलतियों का पुतला होता हे और ब्लोगर की दुनिया में शायद सबसे गलत कोई हे तो वोह में नम्बर वन हूँ इसलियें भाइयों बहनों में सभी से हाथ जोड़ कर अपनी गलतियों के लियें माफ़ी मांगना चाहता हूँ और चाहता हूँ के आप भाई बहने मुझे मेरी सभी गलतियों के लियें मुझे माफ़ करें तो एक बार फिर रंगों की खूबसूरती बिखेर कर अपनेपन का अहसास दिलाने वाली होली और बुराइयों को जला देने वाली इस होली पर अपनी बुराइयों को जलाकर राख कर दें बुराई के रावण को ख़ाक कर दें और अच्छाई के प्रति  एक विश्वास एक सद्विश्वास को सभी के बीच बिखेर कर खुशियाँ और प्यार की खुशबु बिखेर दें में जानता हूँ यह मेरे लियें छोटा मुंह बढ़ी बात हे लेकिन क्या करें में ऐसा ही हूँ ........................ . अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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mujhe vaayrs se bchaaao

एक वायरस इंसान तो क्या ....... जी हाँ मशीन को भी ........बना देता हे

एक वायरस इंसान तो क्या ....... जी हाँ मशीन को भी ........बना देता हे यह बात फिल्म स्टार नाना पाटेकर के उस फिल्म डायलोग से सीधा समझा जा सकता हे जिसमें उन्होंने एक मच्छर आदमी को क्या बना सकता हे वोह बताया हे . 

जी हाँ दोस्तों इंसान तो क्या एक बेजान सी मशीन एक विचार भी अब वायरस से सुरक्षित नहीं हे हमारे कम्प्यूटर को ही लो एक वायरस घुस गया बेचारे कम्प्यूटर के जानकारों ने तिन दिनों तक वायरस की तलाश की लेकिन वायरस था के मिलने का नाम ही नही ले रहा था सोफ्टवेयर से हार्डवेयर में प्रवेश कर गया था इधर वायरस के कम्प्यूटर में आजान से हम बेबस और परेशान थे अपने भाइयों से अपने मार्गदर्शकों से बेबाकी से मिल नहीं पा रहे थे जेसे लोग अख़बार मांग के पढ़ते हें वेसी स्थिति हमारी थी और हम गुपचुप तो कभी किसी के लेब्तोप या कम्प्यूटर से अपना दिल भला रहे थे लेकिन अपना अपना होता हे इसलियें बस अपने कम्प्यूटर के वायरस के खत्म होने तक कसमसा रहे थे और आज दोस्तों आप सभी की दुआ से मेरा यह कम्प्यूटर एक बार फिर वायरस मुक्त हो गया हे . 

मेरा कम्प्यूटर तो वायरस मुक्त हो गया हे लेकिन कितने दिन ऐसा रहेगा कह नहीं सकता क्योंकि आजकल तो वायरस जी का जमाना हे मेने सोचा एक बेजान चीज़ को भी वायरस ............ बना देता हे तो फिर इंसान और इंसान की फितरत तो क्या चीज़ हे और आज ब्लोगिंग की दुनिया में जो भी लिखा जा रहा हे जो भी पढ़ा जा रहा हे शायद वोह वायरस से मुक्त तो नहीं हे सब अपनी अपनी ढपली अपना अपना राग लिए चल रहे हें एक ब्लोगर दुसरे ब्लोगर से नान्राज़ हे तो एक ब्लोगर दुसरे ब्लोगर की खिल्ली उढ़ा रहा हे कुछ गिनती के ऐसे चमकते हीरे हें जो शायद गुड नाईट लगाकर साथ चलते हें इसलियें वायरस उन तक नहीं पहुंच पा रहा हे और आज ब्लोगिंग की दुनिया की कुछ हस्तिया ऐसी भी  हें जो पूरी तरह से वायरस मुक्त हैं और ब्लोगिंग की दुनिया में वोह हर दिल अज़ीज़ बने हें हमारे यहाँ ब्लोगिंग की दुनिया में अच्छा लिखें वालों की कमी नहीं हे लेकिन अच्छा पढने वाले अच्छा देखने वालों की शायद कमी होती जा रही हे और अब इस वायरस को ढूंढ़ कर हमे सबको  मरना होगा और भाईचारे सद्भावना के वायरस से इस ब्लोगिंग की दुनिया को महकाना होगा चमकाना होगा और रंगों की इस होली के त्यौहार को खुबसुरत रंगीन बनाने के लियें खतरनाक वायरसों से खुद को बचाने के लियें अब खुद के दिमाग में एंटी वायरस डलवाना होगा क्या हम ऐसा कर सकेंगे अगर हां तो भैया मेने तो एंटी वायरस डलवा लिया हे मेरे ब्लॉग गुरुओं के तो पहले से ही एंटी वायरस दल हे और जो साथी हें जो टिप्पणीकार जो फोलोव्र्स हें ज़ाहिर हे उनके भी एंटीवायरस दला ही होगा इसलियें भाइयों एंटी वायरस जन्दाबाद करने की शुरुआत हो गयी हे . अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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माधोपुर में थानेदार फुल मोहम्मद को ज़िंदा जलाया

राजस्थान सरकार और यहाँ की कानून व्यवस्था जिंदाबाद हे यहाँ हत्या के आरोपी पकड़े नहीं जाते हें और भीड़ द्वारा एक थानाधिकारी को जीप सहित ज़िंदा जला कर राख क्र दिया जाता हे लेकिन अधिकारी हैं के अपनी ज़िम्मेदारी ही नहीं लेते . 
राजस्थान में सवाईमाधोपुर में पिछले दिनों फरवरी में एक महिला दाखा बाई की निर्मम हत्या कर दी गयी थी इस हत्या का मुकदमा  मान टाउन थाने में दर्ज किया गया स्थानीय लोग अपराधियों की गिरफ्तारी की मांग करते रहे लेकिन सरकार के अधिकारी इस तरफ से बेखबर रहे दिखावटी कोशिशों में पुलिस नाकाम थी और आज सवाईमाधोपुर में इस मामले में भीड़ एकत्रित हुई एक युवक ने हत्या के आरोपियों को पुलिस द्वारा नहीं पकड़े जाने पर पहले आत्मदाह की चेतावनी दी और फिर उसने आत्मदाह कर डाली बस थोड़ी देर में इस युवक की मोंत से मामला और भडक गया यहाँ भीड़ उत्तेजित हो गयी पुलिस जवान बिना किसी तय्यारी के सीधे भीड़ को नियंत्रित करने जा पहुंचे बस भीड़ ने आव देखा ना ताव और पुलिस कर्मियों की जीप में बेठे मान टाउन थानाधिकारी फुल मोहम्मद को जीप सहित ज़िंदा जला दिया इन थानाधिकारी की हिफाजत के लियें साथ लाये गये सभी पुलिस कर्मियों ने दोड़ लगाई और पथराव से घायल होने के बाद अपनी जान बचाई लेकिन पुलिस कर्मियों ने इस तरह से खुद की मोजुदगी में खुद के थानाधिकारी को जिंदा जलता देख कर सरकार और पुलिस की इज्जत गवाई . राजस्थान का सवाईमाधोपुर इन दिनों राज्य का द्बसे संवेदन शील और चर्चित जिला हो गया हे यहाँ के केंद्र में मंत्री हे , सरकार में मंत्री हें और हालत यह हें के कई आई पीएस और कई आई ऐ एस अधिकारी बने बेठे हें अब राजस्थान सरकार इस मामले से केसे निपटे उसकी समझ में नहीं आ रहा हे . 
राजस्थान में इस हत्याकांड के बाद पुलिस हत्याकांड के किस्से ने राजनीति गरमा दी हे य्हना भाजपा ने राज्य में कानून व्यवस्था को मखोल बन देने का आरोप लगते हुए मुख्यमंत्री और गृहमंत्री से इस्तीफे की मांग की गयी हे जबकि मुस्लिम संगठनों ने एक मुस्लिम थानाधिकारी को धार्मिक परम्पराओं के खिलाफ जिंदा जला देने की घटना को  गंभीरता से लेते हुए इस पर अफ़सोस जताया हे अब कल तक तो यह घटा राजनीती का एक बढ़ा रूप ले लेगी इसीलियें बिना किसी लाग लपेट के यह घटना आपके सामने पेश हें . अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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भद्दा चेहरा अच्छे मेकअप से,विकृत शरीर सुन्दर कपड़ों से ढका है

पहले पहाड़ों में
छोटे से गाँव में रहता था 
छोटी छोटी कंकरीली
पगडंडियों से
आना जाना आफत
लगता था
कहीं भी जाना हो
समय बहुत लगता
निरंतर सोचता
शहर जैसी सडकें होती तो
कितना अच्छा होता
फौरन यहाँ से वहाँ पहुंचता
अब बरसों की इच्छा पूरी हुयी
शहर में नौकरी लग गयी
आज वो डामर की सड़क पर
मक्खन पर चाकू चले
ऐसे चल रहा
ऐसा लग रहा जैसे
उड़ कर जा रहा
बहुत खुश था
मगर ज्यादा वक़्त
ना रह सका
जब व्यस्त सड़क पर पहुंचा
आती जाती गाड़ियों के
धुएं से पाला पडा
नाक में धुएं को सूंघते सूंघते ,
दर्द से सर फटने लगा
सड़क के दोनों तरफ
पेड़ों का नामों निशाँ ना था
दोनों तरफ की झाड़ियाँ धुएं से
काली पड गयी थी
पोलीथीन की थैलियों,
गुटके के पाउचों से भरी थी
तभी चलती कार से
किसी ने पीक मारी
छींटों ने चेहरा और
कमीज़ खराब कर दी
चेहरा रुमाल से साफ़ किया
होर्न की आवाजों और धुएं ने
सर दर्द बढ़ा दिया
फौरन घर लौटने का
फैसला किया
लौटते हुए सोचने लगा ,
गाँव का रास्ता
पथरीला और छोटा सही
मगर गंदा ना था ,
ना धुंआ ना शोर था
पेड़ों की छाया से ढका था ,
झाड़ियों में फूलों का
मेला होता था
शोर की जगह
कोयल की कूंक और
बुलबुल की र्चीच्यू ,
मोर की पियाऊँ सुनायी देती
ठंडी बयार मन को
शांत रखती
समझ नहीं आता
क्यूं इंसान निरंतर गाँव से
शहर की ओर भागता
ज्यादा पैसे और
भौतिक सुखों के सिवा
सब कुछ खोता
ऐसा लगता जैसे
भद्दा चेहरा अच्छे
मेकअप से
विकृत शरीर सुन्दर
कपड़ों से ढका है

डा.राजेंद्र तेला"निरंतर",अजमेर
442—112-03-11
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मिस्र को विश्व सभ्यता का जनक बताया हिलेरी क्लिंटन ने

काहिरा। तानाशाह हुस्नी मुबारक की सत्ता के पतन के बाद पहली बार मिस्र के दौरे पर पहुँची अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने इस मुस्लिम राष्ट्र को 'नए मिस्र' की संज्ञा देते हुए कहा कि 'इतिहास का यह क्षण आपसे जुड़ा है।'
उन्होंने अपने समकक्ष नबील अल-अरबी के साथ संयुक्त प्रेस वार्ता में कहा , 'आज , मिस्र का उदय हो रहा है। विश्व सभ्यता का जनक यह राष्ट्र लोकतंत्र को जन्म दे रहा है।'
दैनिक जागरण, पृ. 18 दिनाँक 17 मार्च 2011 मेरठ संस्करण
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इंतजार है न्याय का ----- दिलबाग विर्क

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कुरआन सब के लिए

आज अधिकांश लोगों में जहाँ यह भ्रम प्रचलित है कि पवित्र क़ुरआन मुसलमानों का कोई धार्मिक ग्रन्थ है वहीं कुछ सज्जन यह भी मानते हैं कि क़ुरआन के लेखन मुहम्मद सल्ल0 हैं। यदि यही तथ्य होता तो चिंता की बात न थी हालाँकि यह वास्तविकता के बिल्कुल विरोद्ध है, न तो क़ुरआन के लेखक मुहम्मद सल्ल0 हैं और न ही यह मात्र मुसलमानों का ग्रन्थ है अपितु यह सम्पूर्ण संसार के स्वामी की ओर से सम्पूर्ण मानव-जाति को प्रदान किया गया एक महान उपहार है।
इसका सम्बोधन अरबों के लिए भी है, गैर-अरबों के लिए भी है। कालों के लिए भी है गोरों के लिए भी है। अमेरिकियों के लिए भी है फारसियों के लिए भी है। धनवानों के लिए भी है निर्धनों के लिए भी है। तात्पर्य यह कि क़ुरआन किसी विशेष जाति अथवा क्षेत्र के लिए नहीं अपितु पूरी दुनिया के लिए अवतरित हुआ है।
क़ुरआन “ऐ क़ुरैश” या “ऐ अरब वासियो” कह कर नहीं बल्कि “ऐ इनसानों” “ऐ मानवो” कह कर अपना आह्वान लोगों के सामने प्रस्तुत करता है। कुरआन कहता हैः
“बहुत बरकत वाला है वह जिसने यह फ़ुरक़ान (क़ुरआन) अपने बन्दे पर अवतरित किया ताकि सम्पूर्ण संसार के लिए सावधान कर देने वाला हो”। (सूरः 25 आयत 1)
और मुहम्मद सल्ल0 के सम्बन्ध में क़ुरआन कहता हैः
“हमने तुमको सभी इनसानों के लिए शुभसूचना सुनाने वाला और सचेत करने वाला बना कर भेजा।” (सूरः34 आयत 28)
परन्तु बड़े खेद की बात है कि अज्ञानता के कारण इसके सम्बन्ध में विभिन्न प्रकार के संदेह फैलाए गए, फलस्वरूप आज सबने इसे मुसलमानों का कोई धार्मिक ग्रन्थ समझ लिया है।
साभार 
http://ipcblogger.net/safat/?p=470
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नारी को कितना सहना होता,सिर्फ नारी ही जानती


वो डरती डरती
घर से बाहर निकलती,
मिठाई पर मक्खियाँ भिनकती
वैसे ही मनचलों की नज़रें
उसे घूरती
खाने को लपलपाती रहती
कहीं से सीटी बजती,
कभी कोई फब्ती सुनाई देती
हवस के दीवानों से बचती बचाती
सहमती हुयी,,किसी तरह बस पकडती
बस में भी बहुत कुछ सहती
उसके पास बैठे, उम्मीद में
हर निगाह गिद्ध सी द्रष्टि से देखती
कोई कोहनी शरीर को छूती
किसी हाथ की नापाक हरकत होती
वो निरंतर खून का घूँट पीती
किसी तरह बर्दाश्त करती  
उसे नारी क्यूं बनाया
परमात्मा से सवाल करती
सकुशल गंतव्य पर पहुँचने की
दुआ करती
निरंतर आशंकित सहमती
जीवन जीती जाती
खुश किस्मत अपने को मानती
जब तक किसी गिद्ध के चंगुल में
ना फंसती
नारी को कितना सहना होता
सिर्फ नारी ही जानती
15—03-2011
डा.राजेंद्र तेला"निरंतर",अजमेर
437—107-03-11
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बुरा ना मानो होली हे बुरा मानो तो मान जाओ फिर भी होली हे

बुरा ना मानो होली हे बुरा मानो तो मान जाओ फिर भी होली हे जी हाँ दोस्तों होली का रंगों का खुशिया और अपनापन बिखेरने वाला यह त्यौहार आपकी हमारी सभी की जिंदगी में खुशियों के रंग भर दे और सभी ब्लोगर भाइयों बहनों को होली मुबारक हो  , इस अवसर पर में थोड़ी गुस्ताखी कर रहा हूँ और कान भी पकड़ कर माफ़ी मांग रहा हूँ लेकिन मुझे माफ़ मत करना . 
सलीम खान ........... खतरनाक लेखन 
श्रीमती वन्दना गुप्ता ..लिखते रहो गृहणियों का नाम रोशन करो 
दिलबाग विर्क ... सबका दिल बाग़ बाग़ करते रहो 
डोक्टर निरुपमा वर्मा .. साहित्य का इलाज तो आपही को करना हे 
जीशान जेडी ...... ब्लोगर की दुनिया की शान बनना हे 
दीपा ..........दीपक की तरह रोशन होना हे 
अफसाना तनवीर ..... एक खुबसूरत सीख देने वाला अफसाना हूँ 
एस एम मासूम ...... हर दिल अज़ीज़ अमन का पैगाम मासूम बन गये हें आप 
मार्कंड दवे .......... लिख रहा हूँ कुछ जूनून में 
नील प्रदीप .............. कुछ तो लिख ही रहा हूँ 
सदा ............एक आवाज़ जो सदा बनी रहेगी 
डोक्टर श्याम गुप्ता .......ब्लोगर्स पर रिसर्च करना होगी 
डोक्टर अनवर जमाल ...प्यार दो प्यार लोचारों तरफ अनवर भाई का जमाल हे 
हरीश सिंह ...........कुछ मुझे भी तो बताओ यार 
साधना वेद ........ लेखन में वेदों की ही साधना हे 
सुरेश गुप्ता ..........में भी कुछ हूँ यार 
महफूज़ अली ..... अच्छे लेखन को महफूज़ करो यारों 
डी पी मिश्र ............. खुशबु बना हूँ में ब्लॉग की 
मनोज ........... मेरी चाहत कोन हे 
अनुराग अंत ....... मेरा राग अनंत हे 
जसवंत धरु ....... किस किस को धरना हे 
अनवारुल हसन .... मेरी पहचान मेरा लेखन 
अन्ताक्षरी ........सभी का मनोरंजन हूँ में 
प्रतिभा .......मेरी प्रतिभा का कोई मुकाबिल नहीं 
इरफ़ान ....में भी इक फुल हूँ यारों 
के एस कन्हय्या ...... ना बाबा ना में कृष्ण कन्हय्या नहीं 
इंजीनियर सत्यम शिवम ...सत्य का पुल बनाउंगा 
मिथलेश दुबे .......... ब्लोगिंग की सेवा कर रहा हूँ 
कवि सुधीर गुप्ता .......मेरी भी सुनो यारों 
डोक्टर डंडा लखनवी .......... मेरा भी डंडा चलता हे लेकिन आवाज़ नहीं होती यारों 
डोक्टर अजमल खान .... मेरा भी अपना जमाल हे 
अरविन्द्र शुक्ल ......... में भी सभी को पढ़ता हूँ 
गजेन्द्र सिंह ........हाथी और बरसात का संगम हूँ 
स्वराज करूँ ......... स्वराज ही मेरा जन्म सिद्ध अधिकार हे 
शिखा कोशिक .वकील साहिबा सभी का मुकदमा लड़ रही हें 
दिनेश द्विवेदी जी ...तीसरा खम्बा अदालत की दुनिया में अनवरत चल रहा हे 
ललित शर्मा ..........घुमक्कड़ ब्लोगर भाई साहब 
अतुल श्रीवास्तव .......... कुछ लिखता रहा हूँ प्यार में 
मुकेश सिन्हा ............. मेरी भी तो सूना यार 
रश्मि प्रभा ............... आज कल गाइड कर रही हूँ 
के पी सक्सेना ........मेरी सेंसर की छुरी बहुत तेज़ हे 
तीसरी आँख ..........मुझे सब दिख रहा हे 
मदन गोपाल गर्ग .... मेरा ब्लॉग सब का प्यारा ब्लॉग 
हरीश भट ............ सुधर जाओ यारों 
आशुतोष ............मिलजुल कर रहना हे 
अनामिकाएं सदायें ....... हमेशा याद रहेगी यह सदा 
हाकिम युनुस खान .... थोड़ा हिकमत भी चलाना हे दोस्तों 
डोक्टर अशोक पामिस्ट ..... सभी का हाथ देखना हे 
डोक्टर राजेन्द्र तेला निरंतर ........निरंतर लिखता रहा हूँ 
अली सोहराब ............ इंसाफ लेकर रहूंगा 
अफसर पठान ...........में वोह वाला पठान नहीं हूँ भाई 
हसन जावेद ........ सोचना का अधिकार दिलवा कर रहूंगा 
पूजा ...............ब्लोगिंग की पुजारन हूँ 
फिरदोस ..........विवादित लेखन 
खुश दीप ..............खुशियों के ही दीप जला रहा हूँ 
शाहनवाज़ .......... इंटीरियर ब्लॉग डेकोरेटर 
तारकेश्वर गिरी ..... सभी को जोड़ कर चलना हे यारों 
संजय सेन ............. लिखते रहो मुन्ना भाई 
हिंदुस्तान का दर्द ......... सभी का दर्द खुद समो रखा हे 
अतुल कनक ...........राजस्थान का लेखक कवि शेर हूँ 
जाकिर अली रजनीश ....आचार्य रजनीश नहीं जाकिर हूँ भाई 
डोक्टर रूपचन्द्र सशत्र मन्यंक ...... मेरे लेखन का रूप चाँद की तरह चमक रहा हे 
उपदेश सक्सेना .... में लिखता हूँ उपदेश नहीं देता हूँ 
अरविन्द सिसोदिया .....सोनिया को हटा कर रहूँगा 
हरीश ..................... में जो लिखता हूँ सभी के लियें हें  
रमेश सिरफिरा .........दिमाग फिरता हे सर नहीं पत्रकारिता से समाज बदल दूंगा
दोस्तों भाइयों बहनों होली के पूर्व सप्ताह के इस माहोल को में रंगीन बनाने की कोशिश कर रहा हूँ में नोसिखिया हूँ बहुत कुछ नहीं जानता हूँ बहुत ब्लोगर्स इसमें छुट गये हें में जानता हूँ में गलतियों का पुलंदा हूँ लेकिन थोड़ी थोड़ी धुल छांट कर अगर कोई बात कोई गलती हो तो जरुर सुधारने के निर्देश देना . अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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जाते जाते ...


मैंने हिंदी ब्लॉग जगत को अपनी ज़िन्दगी का बेहतरीन एक साल दिया. इसे कुछ नए ब्लॉग ऐसे दिए जो उन विषयों पर पहले नहीं थे . लोगों ने भी मुझे अपना भरपूर प्यार दिया और यह प्यार उन्होंने मुझे उस हाल में दिया जबकि मैंने उनकी मान्यताओं की धज्जियाँ उड़कर रख दीं . यह ठीक है कि मैंने ऐसा इसलिए किया की मैं उन्हें ग़लत मानता हूँ लेकिन ऐसा मेरा मानना है, न कि हरेक का. इस सब के बीच मुझे सभी ब्लॉगर्स ने अपने दिल में बिठाया . जो लोग मुझसे नफरत करते हैं , वास्तव में वे भी मुझे अपने दिल में जगह दिए हुए हैं . मैं उनकी भी क़द्र करता हूँ और उनसे भी प्यार ही करता हूँ . मैं एक जज़्बाती आदमी हूँ . ईश्वर और धर्म मेरे लिए पराये नहीं हैं. मैं धर्ममय हूँ , ईश्वरमय हूँ. जो इन्हें बुरा कहता है , वह मुझे बुरा कहता है . इसीलिये मुझसे बर्दाश्त नहीं होता . मैं अपनी हद तक विरोध करता हूँ .
लगातार बहुत सा वक़्त नेट पर देने की वजह से बच्चे मैथ में कम नंबर लेन लगे जबकि वे ९९ प्रतिशत लाया करते थे . मेरी आँखों में से भी पानी बहने लगा है . मैंने BIGPOND की जो नई डिवाइस ली है नेट के लिए उसकी सेटिंग में भी कुछ मुश्किल आ रही है. इस मुद्दत के दरमियान मेरे रूहानी मुराक़बों (सूफी साधना) में कमी आई है . मेरे पीर साहब का इन्तेक़ाल कुछ साल पहले हो चुका है और मैं अपने एक गुरुभाई की निगरानी में साधना कर रहा था कि नेट कि दुनिया में दाखिल हो गया और मेरी साधना को विराम लग गया . अब मैं कुछ समय जैतून के तेल में अंडे तलकर खाना चाहता हूँ , लेकिन सॉरी ताली हुई चीज़ें मैं खाता नहीं. खैर ताक़त के लिए आंवला और शहद जैसी चीज़ें भी काम देंगी . इस दरमियान मैं अपने आमाल का जायज़ा लूँगा कि कहीं खुदा की नज़र में मैं खुद ही तो मुजरिम नहीं ?

japan tsunami 2011

जो लोग मेरी मौजूदगी की वजह से कुछ परेशान थे उन्हें भी राहत मिलेगी और मिलनी भी चाहिए . चाहता तो मैं यही हूँ कि कुछ दिन नेट से पूरी तरह छुट्टी लेकर मुकम्मल आराम करूं लेकिन जो साझा ब्लॉग मैंने बनाये हैं उनसे जुड़े लोगों की सुविधा की ख़ातिर मैं पूरी तरह से चाहकर भी हट नहीं सकता. लेकिन इसके बावजूद ज़िन्दगी के जिन पहलुओं पर मेरा ध्यान कम हो गया है उन्हें मैं भरपूर तवज्जो देना मेरे लिए निहायत ज़रूरी है . सभी भाईयों और बहनों से मैं माफ़ी की दरख्वास्त करता हूँ और यह विनती भी कि   सभी भाई-बहन यह ज़रूर सोचें कि क्या वे वही काम कर रहे हैं जो कि करने के लिए उन्हें मालिक ने इस प्यारी धाती पर पैदा किया है ?

एक दिन वह इसका हिस्साब ज़रूर लेगा , इसका ध्यान रहे . हर समय उस मालिक को आप अपना साक्षी समझें क्योंकि वास्तव में वह हर समय आपके कर्मों को देख रहा है और अंत में वह आपको दंड या पुरस्कार अवश्य देगा . जापान का ज़लज़ला इसकी मिसाल है .

जाते जाते मैंने अपनी एक ताज़ा पोस्ट
http://paricharcha-rashmiprabha.blogspot.com/2011/03/blog-post_14.html
पर नज़र डाली तो बहन सोनल रस्तौगी जी के कमेन्ट पर नज़र पड़ी जोकि इमानदारी से भरा हुआ है . नेट जगत में ज़्यादातर  बहनें  गुटबंदी और नफरत से बहुत दूर हैं . मैं बहनों का शुक्रगुजार ख़ास तौर पर हूँ . जब कभी इंसानी शराफत से मेरा यकीन हिला तो उसे बहनों के सच्चे कमेंट्स ने ही बहाल किया है . मैं कुछ काम अधूरे छोड़े जा रहा हूँ जिनमें से एक यह नज़्म भी है :
'माँ' The mother
मैं इसे पूरा ज़रूर करूँगा , इंशा अल्लाह .
और इसे भी ...
औरत की हक़ीक़त
http://www.auratkihaqiqat.blogspot.com/

खुदा हाफिज़ , ॐ शांति ,

INTERMISSION
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लघु कथा ----- दिलबाग विर्क

         आज का सच            
अध्यापक ने बच्चों को ईमानदार लकडहारा कहानी याद करने के लिए दी थी . अगले दिन कहानी सुनी जा रही थी . सुनाते वक्त एक बच्चे की जवान लडखड़ाई ." लकडहारा ईमानदार आदमी था ", कहने की बजाए वह बोला -" ईमानदार आदमी लकडहारा था ."
          अध्यापक सोच रहा है कि यही तो आज के वक्त का सच है कि ईमानदार आदमी लकडहारा ही है , अर्थात मजदूर है , गरीब है , बेबस है , मामूली आदमी है और जो भ्रष्ट है वह मालिक है , अमीर है , शहंशाह है , मजे में है .

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जब तुम ही नहीं ज़माने से मुझे क्या ?


428—98-03-11

जब तुम ही नहीं ज़माने से मुझे क्या ?

किसी और के लिए वो जज्बात कहाँ ?

दिल टूट गया किसी को मतलब क्या ?

अश्क आँखों से बहते,अब रुकते कहाँ ?

खुदा के पास रहते हो,उस से मुझे क्या ?

ज़मीन पर लौट कर,अब आओगे कहाँ ?

निरंतर  ज़िन्दगी  यूँ  ही कटेगी क्या ?

रास्ता अब दूसरा मेरे पास बचा कहाँ ?
14—03-2011
डा.राजेंद्र तेला"निरंतर",अजमेर
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अनवर भाई आपकी गर्मियों की छुट्टियों की दास्तान पढ़ कर हमें आपकी किस्मत से रश्क हो रहा है...ऐसे बचपन का सपना तो हर बच्चा देखता है लेकिन उसके सच होने का नसीब आप जैसे किसी किसी को ही होता है...बहुत दिलचस्प वाकये बयां किये हैं आपने...मजा आ गया. - नीरज गोस्वामी

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