कुरआन सब के लिए
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इसका सम्बोधन अरबों के लिए भी है, गैर-अरबों के लिए भी है। कालों के लिए भी है गोरों के लिए भी है। अमेरिकियों के लिए भी है फारसियों के लिए भी है। धनवानों के लिए भी है निर्धनों के लिए भी है। तात्पर्य यह कि क़ुरआन किसी विशेष जाति अथवा क्षेत्र के लिए नहीं अपितु पूरी दुनिया के लिए अवतरित हुआ है।
क़ुरआन “ऐ क़ुरैश” या “ऐ अरब वासियो” कह कर नहीं बल्कि “ऐ इनसानों” “ऐ मानवो” कह कर अपना आह्वान लोगों के सामने प्रस्तुत करता है। कुरआन कहता हैः
“बहुत बरकत वाला है वह जिसने यह फ़ुरक़ान (क़ुरआन) अपने बन्दे पर अवतरित किया ताकि सम्पूर्ण संसार के लिए सावधान कर देने वाला हो”। (सूरः 25 आयत 1)
और मुहम्मद सल्ल0 के सम्बन्ध में क़ुरआन कहता हैः
“हमने तुमको सभी इनसानों के लिए शुभसूचना सुनाने वाला और सचेत करने वाला बना कर भेजा।” (सूरः34 आयत 28)
परन्तु बड़े खेद की बात है कि अज्ञानता के कारण इसके सम्बन्ध में विभिन्न प्रकार के संदेह फैलाए गए, फलस्वरूप आज सबने इसे मुसलमानों का कोई धार्मिक ग्रन्थ समझ लिया है।
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