हरदोई/एजेंसी ! बेटी के हाथ पीले करने की खातिर किसी बाप को अगर पहले अपने हाथ पीले करने पडे़ तो यह सुनने में ही अजीब लगेगा...
जानिये दिमाग क्या याद रखता है और क्या भूल जाता है ?
भागदोड़ और बेहद व्यस्तताओं से भरी हुई आधुनिक जीवनशैली ने इंसान को शारीरिक रूप से ही नहीं, मन-मस्तिष्क के स्तर पर भी अस्त-व्यस्त कर दिया है। वैसे भी मशीनी युग में इंसान के अधिकांश शारीरिक और मानसिक कामों को आधुनिक मशीनों द्वारा किया जाने लगा है। इस अति मशीनीकरण ने जिंदगी को ज्यादा सुविधाजनक तो बना दिया है, पर साथ ही इसका सबसे बुरा असर...
ग़ज़लगंगा.dg: खता क्या है मेरी इतना बता दे
खता क्या है मेरी इतना बता दे.फिर इसके बाद जो चाहे सजा दे.
अगर जिन्दा हूं तो जीने दे मुझकोअगर मुर्दा हूं तो कांधा लगा दे.
हरेक जानिब है चट्टानों का घेरानिकलने का कोई तो रास्ता दे.
न शोहरत चाहिए मुझको न दौलततू मेरा नाम मिट्टी में मिला दे.
अब अपने दिल के दरवाज़े लगाकरहमारे नाम की तख्ती हटा दे.
जरा आगे निकल आने दे मुझको मेरी रफ़्तार थोड़ी सी बढ़ा दे.
ठिकाना चाहिए हमको भी गौतम
ज़मीं गर वो नहीं देता, खला दे.
---देवेंद्र गौतम
ग़ज़लगंगा.dg:...
बढ़ चलो ए जिंदगी
बढ़ चलो ए जिंदगी
हर अँधेरे को मिटाकर बढ़ चलो ए जिंदगी
आगे बढ़कर ही तुम्हारा पूर्ण स्वप्न हो पायेगा.
गर उलझकर ही रहोगी उलझनों में इस कदर,
डूब जाओगी भंवर में कुछ न फिर हो पायेगा.
आगे बढ़ने से तुम्हारे चल पड़ेंगे काफिले,
कोई...
ब्लॉगर्स मीट वीकली (35) , पुरुष नारी सम्बन्ध तन मन और आत्मा तीनों स्तर पर
ब्लॉगर्स मीट वीकली (35)
का ख़ास मौज़ू है प्रेम .क्या प्रेम आदमी की रोग प्रतिरोध क्षमता को बढ़ा देता है ?साइको -सेक्स्युअलिति और ओब्सेसिव कम्पल्सिव दिस -ऑर्डर की संक्षिप्त और सुन्दर व्याख्या भी यहाँ पर है . http://hbfint.blogspot.in/2012/03/35-love-improves-immunity.htmlऔर साथ में एक चर्चित पोस्ट :दोगुना जीना चाहते हैं तो...
चाहत
लगे चुराने सपन हमारे, सुनहरे सपने सजाये रखनाख़तम तीरगी कभी तो होगी, चिराग दिल में जलाये रखनाखोज रहा हूँ बाजारों में, वो आशियाँ जो कभी था मेराअपना घर फिर से एक होगा, इसी आस को बचाये रखनामजहब के रखवालों ने मिल, लूट लिया है इंसानों कोबर्षों हमने झुकाया सर को, आज जरूरी उठाये रखनानहीं शेष अब सहनशीलता, ह्रदय में शोले सुलग रहे हैंहाथ मिले आपस में तबतक, उन शोलों को दबाये रखनाआग लगी है कई तरह की, हमें बचाना है उपवन कोसभी सुमन के मान बराबर, चाहत...
अश्क बनकर बह गए
भाव प्रायः जिन्दगी के, गीत मेरे कह गएअनकहे जो रह गए, वो अश्क बनकर बह गएख्वाब का सुन्दर महल हर आदमी का शौक है वैसे महलों की हकीकत, वक्त के संग ढह गए लोग खुश होते हैं अक्सर, दिन बुलंदी के तभी आदमी वो कीमती जो हँस के गम को सह गए वक्त के संग हर कदम को जो बढ़ाते वक्त पर लोग अक्सर वे बढ़े और शेष पीछे रह गए छूट जाते प्राण जब महबूब जाते दूर को है गलतफहमी सुमन को, यह गए कि वह गए...
चुनौती जिन्दगी की: संघर्ष भरे वे दिन (१६), यह एक दमदार पोस्ट है.
हिंदी ब्लॉगर्स फ़ोरम इंटरनेशनल ब्लॉगर्स मीट वीकली (36) Vajr aasanhttp://hbfint.blogspot.com/2012/03/36-vajr-aasan.html
पेशे खि़दमत है- प्रस्तुतकर्ता रेखा श्रीवास्तव
जीवन के अलग अलग रंग होते हें और सबके संघर्ष का रंग भी अलग अलग होता है किसी के लिए vah किस रूप में सामने आता है और उसको कौन कैसे अपने ढंग से अपने अनुकूल बना कर...
बात वो लिखना ज़रा
भावना का जोश दिल में सीख लो रूकना ज़राहो नजाकत वक्त की तो वक्त पे झुकना ज़राजो उठाते जिन्दगी में हर कदम को सोच करजिन्दगी आसान बनकर तब लगे अपना ज़रालोग तो मजबूर होकर मुस्कुराते आज कलहै सहज मुस्कान पाना क्यों कठिन कहना ज़रा टूटते तो टूट जाएँ पर सपन जिन्दा रहेजिन्दगी है तबतलक ही देख फिर सपना ज़रा दूरियाँ अपनों से प्रायः गैर से नजदीकियाँस्वार्थ अपनापन में हो तो दूर ही रहना ज़राखेल शब्दों का नहीं अनुभूतियों के संग मेंबात लोगों तक जो पहुंचे बात...
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