किसी अच्छे काम के लिए पीसफ़ुल एक्टिविटी करना जिहाद है . True Jihad - Mawlana Wahiduddin Khan

Dr. Ayaz Ahmad  with Maulana Wahiduddin Khan
 मौलाना साहब से मिलने के लिए और उनका लेक्चर सुनने के लिए निज़ामुद्दीन , नई दिल्ली गए थे। हमारे साथ अनस ख़ान और डा. अयाज़ अहमद भी थे। अब उनके बायीं तरफ़ भाई रजत मल्होत्रा जी आकर बैठ गए। लोगों ने एक स्लिप पर अपने सवाल लिखकर पूछने शुरू कर दिए और रजत भाई की गोद में रखे हुए लैपटॉप दुनिया के अलग अलग मुल्कों से सवाल और कॉम्पलीमेंट्स आने लगे।
एक सवाल जिहाद के बारे में आया।
मौलाना ने कहा कि जिहाद के माअना कोशिश के हैं। किसी अच्छे काम के लिए पीसफ़ुल एक्टिविटी करना जिहाद है।
जिहाद का मतलब क़िताल (युद्ध) नहीं है। क़ुरआन में आया है कि ‘ व-जाहिद बिहिम जिहादन कबीरा‘ यानि ‘और इस (क़ुरआन) के ज़रिये से उनके साथ जिहाद ए कबीर करो।
क़ुरआन कोई हथियार नहीं है। क़ुरआन कोई तलवार या बम नहीं है।
इस बारे में आप हमारी दो किताबें देखें,
1. ट्रू जिहाद
2. प्रॉफ़ेट ऑफ़ पीस
मौलाना की किताब ‘प्रॉफ़ेट ऑफ़ पीस‘ को पेंग्विन ने पब्लिश किया है।

एक सवाल आया कि कुछ लोग फ़िक्री ताक़त को कम और असलहे की ताक़त को ज़्यादा समझते हैं। क्या यह सही है ?
मौलाना ने फ़रमाया कि यह ग़लत बात है। असलहे की ताक़त से बड़ी कामयाबी मिलने की कोई मिसाल तारीख़ (इतिहास) में नहीं है। रूस अफ़ग़ानिस्तान में और अमेरिका इराक़ में नाकाम हुआ।
पीसफ़ुल एक्टिविटी का तरीक़ा अख्तियार करना फ़िक्री ताक़त का इस्तेमाल करना है।
एक है पीसफ़ुल एक्टिविज़्म और दूसरा है वॉयलेंट एक्टिविज़्म।
1857 में आज़ादी के लिए वॉयलेंट एक्टिविटी की गई लेकिन आज़ादी नहीं मिली जबकि महात्मा गांधी ने 1947 में पीसफ़ुल एक्टिविटी की और आज़ादी मिल गई।
तशद्दुद (हिंसा) सें मक़सद हासिल नहीं होता बल्कि बात और बिगड़ जाती है।
फ़िक्र की ताक़त को इस्तेमाल करने का मतलब है नज़रिये की ताक़त को इस्तेमाल करना।

सैटेनिक वर्सेज़ के बारे में एक सवाल आया कि इस्लमी तारीख़ में इसका क्या मक़ाम है ?
मौलाना ने कहा कि इस्लामी तारीख़ में सैटेनिक वर्सेज़ का कोई मक़ाम ही नहीं है। ख़ुशवंत सिंह ने जब इसे पढ़ा था तो उन्होंने इसके प्लॉट को रद्दी क़रार दिया था। यह फ़ेल हो जाएगा लेकिन मुसलमानों ने इसे लेकर शोर मचाया तो इसकी ख़ूब सेल हुई।

जन्नत के बारे में किसी भाई ने नेट के ज़रिये दरयाफ़त किया कि मौलाना जन्नत पाने के लिए हमें क्या करना चाहिए ?
मौलाना ने सूरा ए ताहा की 76 वीं आयत पढ़ी ‘व-ज़ालिका जज़ाऊ मन तज़क्का‘ यानि यह बदला है उस शख्स का जो पाकीज़गी (पवित्रता) अख्तियार करे।
जो अपने आपको पाक करता है। उसके लिए जन्नत है। जितनी भी नेगेटिव थिंकिंग्स हैं, उनसे ख़ुद को पाक करना है। नफ़रत, हसद और ग़ुस्से से ख़ुद को पाक करना है।
मुकम्मल तफसील के लिए देखें -
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खबरगंगा: शाबाश! अभिनव प्रकाश!:

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ब्लॉगर्स मीट वीकली (26) Dargah Shaikh Saleem Chishti

                                                     Good Morning Dear Friend
ब्लॉगर्स मीट वीकली (26)
सबसे पहले मेरे सारे ब्लोगर साथियों को प्रेरणा अर्गल का प्रणाम और सलाम /इस मंच की २६वी पोस्ट पर मैं आप सभी ब्लोगर्स साथियों का स्वागत करती हूँ /और आप सबसे अनुरोध करती हूँ की मंच पर पधारें और अपने अनमोल सन्देश देकर हमें अनुग्रहित करिए /

आज सबसे पहले HBFI मंच की पोस्ट्स 

 अनवर जमाल जी की रचनाएँ 

अमेरिका का प्रयास यह रहा है कि वह भारत समेत दूसरे देशों को ईरान से विमुख कर सके, दुर्भाग्य से भारत इस जाल में फंस चुका है India and Iranहाल ही में ईरान ने मध्यम दूरी तक मार करने वाले प्रक्षेपास्त्र का परीक्षण कर यह प्रदर्शित कर दिया है कि वह अमेरिका द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों से घबराया हुआ नहीं है और न ही शस्त्रास्त्रों की विकास परियोजनाओं को बाधित करने में अमेरिका सफल हो सका है। एक बार फिर अमेरिका ने नए प्रतिबंधों की घोषणा की है। 

बाजारवाद का हिस्सा है,प्रलय का भय

यह आश्चर्य में डालने वाली बात है कि प्रलय के भय को अंगूठा दिखाते हुए सैलानी प्रलय के मुहाने पर नये साल का जश्न मनाने पहुंच गए।

मुझे जन्म दो

ई.  प्रदीप कुमार सहनी जी

ग़ज़लगंगा.dg: खून में डूबे हुए थे रास्ते सब इस नगर के

देवेन्द्र कुमार गौतम जी

कोई रावण ले गया सीता को हर के.अपने तलवे थामकर कहने लगा इक राहरौचांदनी रातों में भी सब जायके थे दोपहर के.शोहरत, दौलत और ताक़त, जिंदगी भर की सियासतगौर से देखा तो जाना सब छलावे हैं नज़र के 


ब्लॉगर्स मीट वीकली (25) Sufi culture

डॉ.अयाज अहमद जी की रचना 
गर्भवती, रजोनिवृत्त महिलाओं में 11 मछली के तेल के लाभमहिलाओं मछली के तेल से एक बहुत लाभ सकता है. पूर्व सिंड्रोम, भ्रूण विकास और गर्भावस्था की वृद्धि की संभावना के उपचार - हृदय काम करता है, डालो Femme: गर्भवती, रजोनिवृत्त महिलाओं में 11 मछली के तेल के लाभ         प्रेरणा अर्गल की रचना 

HBFI मंच के बाहर की पोस्ट   

आशा जी की रचना 
बिना जाने मन की बात कोई
चाहती नहीं की तुम से कुछ कहूँ 
कहा यदि मैंने कुछ तुमसे ,
और पूरा न हो सका तुमसे ,
यह सब नहीं होगा पसंद मुझे ,
कि मैं दंश अवमानना का सहूँ |
कैलाश सी.शर्मा जी की रचना 

नयन ताकते रहे

दिलबाग विर्कजी की रचना 
 

अनुपमा त्रिपाठी जी की रचना 

पिया गुनवंत आवन को हैं ...!!

मन को मन की
चाह बना कर ...
तीव्र मध्यम को -
मार्ग विहाग का मार्ग दिखा कर ...
लो उड़ चली मैं ..
रविकर जी  की रचना 
मचा  बवंडर  पाक  में, रही दुर्दशा झाँक |
आधे जन जेहाद में, धूल अर्ध-जन फाँक |
Pak army chief Kayani (L) with PM Gilani

 अतुल श्रीवास्तव जी की रचना 
उमर बढ गई या कम हो गई.......?????
आज मन में यह ख्‍याल आ रहा है कि खुशियां मनाऊं या गम.... आज जन्‍मदिन है मेरा। उम्र एक साल बढ गई.... या कम हो गई....., क्‍या कहूं, क्‍या समझूं।
साधना वैद जी की रचना 
मुक्ताकाश में सजी
तारक मालिका से
प्रेरणा ले मैंने
आज अपनी
पलकों की डोर में
राजेश कुमारीजी की रचना 

जय भारत माता जयहिंद

मेरे देश वासियों दोनों आँखे खुली रखना 
एक आँख संसद पर दूजी सरहद पर रखना !
कुवंर कुसुमेश जी की रचना 

नया साल 2012 मुबारक

मालिक तू इत्मिनान से दैरो-हरम में है.
पर चाहने वाला तेरा दरिया-ए-ग़म में है.
मीनाक्षी पंतजी की रचना 

बहती नदिया

कब हुई विमुख मैं अपने किसी कर्तव्य से |
बह रही हूँ आज भी 
कल - कल के उसी वेग से |
बच - बच के आज भी चलती 
पत्थरों के प्रहार से ... 
दर्शन कौर दर्शी  जी की रचना

अनमोल -पल ....पिकनिक

उम्र का बदलाव तो दस्तूर -ऐ -जहाँ हैं !
अगर महसूस न करो तो, बुढ़ापा  कहाँ हैं !!
चन्द्र भूषण मिश्र "गाफिल "जी की रचना 
दिल से तस्वीर मिटायी न गयी।
याद तेरी थी भुलायी न गयी।।
ज़ीनते-गुफ़्तगू हो जाती बस
बात बाक़द्र चलायी न गयी।
कुमार राधारमण जी की रचना 
अक्सर माताओं को यह शिकायत रहती है कि उनका बच्चा दूध नहीं पीता। दूध का एक गिलास उसके गले से नीचे उतारने के लिए न जाने कितने जतन किए जाते हैं। कई माताएँ जबरदस्ती करती हैं और बच्चे के हाथ पैर जक़ड़कर दूध उसके मुँह में डालने का प्रयत्न तक करती हैं। 

  अख्तर  खान  "अकेला जी "   की रचनाएँ

दूध और चारोली का कारगर नुस्खा, कैसे भी हों मुहांसे गायब हो जाएंगे

| Email

सलमान रुश्दी तो इन्सान नहीं जानवर है लेकिन पक्षपाती खबर खाने वाले सम्पादक और पत्रकारों को क्या कहें जनाब ?

वेद कुर' आन ब्लॉग पर

हज़रत सलीम चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह की दरगाह पर फ़्रांस के राष्ट्रपति निकोलस सरकोज़ी अपनी बेगम कार्ला ब्रूनी के साथ


आज पुरानी फ़ाइल पलटते  हुए हिंदुस्तान अख़बार की एक कटिंग हाथ में आ गई। यह दिनांक 6 दिसंबर 2010 के अख़बार के पहले पेज पर छपी थी।





आधा सच पर महेंद्र श्रीवास्तव जी 

स्वाभिमान से समझौता नहीं करना जनरल ....

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सरकार के मुंह पर इतनी कालिख पोत कर जाएंगे कि आने वाले दो तीन प्रधानमंत्रियों को कुछ नया करने के बजाए मनमोहन सिह की कारनामों को दुरुस्त करने में ज्यादा समय देना होगा। 

 

ब्लोगेर्स मीट में शामिल करने हेतु

कर देती है दूर हर मुश्किल मेरी,बस एक मीठी सी  मुस्कुराहट  तेरी |
थक-हार कर संध्या जब घर आता हूँ,बस देख कर तुझको मैं चहक जाता हूँ | 
उन्मुक्त से गगन में,
पूर्ण चन्द्र की रात में,
निखार पर है होती
ये धवल चाँदनी । 
- प्रदीप कुमार साहनी


A reseaerch about human race -

 फोटो फ़ीचर : हमारे पूर्वज होमो रूडोलफेनियस 

(20 लाख साल पूर्व)।


टिप्पणियों का जवाब देने की सुविधा ब्लॉगर पर भी शुरू 

'मुशायरा' ब्लॉग पर

मर्द की ख़ूबसूरती के बारे में औरत ने कभी कुछ बयान नहीं किया, यह कहना ग़लत है। 

फिर मेरे शहर से गुज़रा है वो बादल की तरह
दस्ते-गुल फैला हुआ है मेरे आँचल की तरह ।


कह रहा है किसी मौसम की कहानी अब तक
जिस्म बरसात मे भीगे हुये जंगल की तरह ।


जिस्म के तीरओ -आसेबज़दा मंदिर में
दिल सरे शाम सुलग उठता है संदल की तरह ।


Parvin Shakir

 चर्चाशाली  मंच पर 

इस्लाम आ चुका है आपके जीवन में Islam means

एक साहब ने घोषित कर दिया कि इस्लाम हिंदू धर्म की छाया प्रति है।
आज कहना सबके लिए आसान हो गया है। इसीलिए कोई कुछ भी कह सकता है।
अगर कुछ साधारण सी बातों पर भी विचार कर लिया जाए तो उन्हें अपनी ग़लती आसानी से समझ में आ सकती है 

Blog News पर 
विधवाओं के मरने के बाद उनके शरीर के टुकड़े -टुकड़े करके स्वीपरों द्वारा जूट की थैलियों में भर कर यूं ही फेंक दिया जाता है वृन्दावन में

 










स्वराज करूँ अपने ब्लॉग दिल की बात पर  कृष्ण कन्हैया की धरती पर यह कैसा कलंक ?खबर  आयी है कि भगवान कृष्ण कन्हैया की पवित्र भूमि



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ग़ज़लगंगा.dg: खून में डूबे हुए थे रास्ते सब इस नगर के

खून में डूबे हुए थे रास्ते सब इस नगर के.

हम जो गलियों में छुपे थे, घाट के थे और न घर के.


ठीक था सबकुछ यहां तो लोग अपनी हांकते थे

खतरा मंडराने लगा तो चल दिए इक-एक कर के.


हादिसा जब कोई गुज़रा या लुटा जब दिल का चैन

यूं लगा कि कोई रावण ले गया सीता को हर के.


अपने तलवे थामकर कहने लगा इक राहरौ

चांदनी रातों में भी सब जायके थे दोपहर के.


शोहरत, दौलत और ताक़त, जिंदगी भर की सियासत

गौर से देखा तो जाना सब छलावे हैं नज़र के.


----देवेंद्र गौतम


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गर्मियों की छुट्टियां

अनवर भाई आपकी गर्मियों की छुट्टियों की दास्तान पढ़ कर हमें आपकी किस्मत से रश्क हो रहा है...ऐसे बचपन का सपना तो हर बच्चा देखता है लेकिन उसके सच होने का नसीब आप जैसे किसी किसी को ही होता है...बहुत दिलचस्प वाकये बयां किये हैं आपने...मजा आ गया. - नीरज गोस्वामी

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