नेता-जूता-मैच

उतरा मेरा प्लेन तो
जनता उछल रही ,
भाषण मेरा सुनने को
वो थी मचल रही ,
मोबाईल केमरा से     
फोटो रहे थे खीच ,
प्यासी जनता बहा पसीना 
धरती रही थी सीच,
मैं ज्यों ही स्टेज पर 
देने लगा भाषण,
तब     घटी  घटना  ;
पर मैं हूँ विलक्षण ,
तेजी से  एक जूता 
मेरी तरफ आया ,
मैंने भी अपनी फुर्ती का 
कमाल दिखाया ,
कर लिया जूते को
जल्दी से   मैंने कैच ,
तालियाँ बजी ,मैं 
जीत गया मैच .
http://netajikyakahtehain.blogspot.com/
Read More...

मुसलमान होने के लिए इतना काफ़ी नहीं है कि उनसे किसी को नुक्सान न पहुंचे बल्कि लाज़िमी है कि उनके संपर्क में आने वालों को उनसे नफ़ा भी पहुंचे The real muslim

ईमानदारी की मिसाल
अमेरिका। ईमानदारी की यह मिसाल अमेरिका में क़ायम हुई है। न्यूयॉर्क के जॉन जेम्स टैक्सी में क़रीब एक लाख डॉलर के गहने और कैश भूल गए थे। उन्होंने सोचा कि वे अब अपना माल कभी प्राप्त नहीं कर पाएंगे। फिर भी टैक्सी ड्राइवर की ईमानदारी की बदौलत उन्हें उनका माल वापस मिल गया है।
न्यूयॉर्क के 42 वर्षीय टैक्सी ड्राइवर जूबिरा जालोह ने जेम्स को नेशनल आर्ट्स क्लब पर छोड़ा था। जेम्स अपना बैग टैक्सी में ही भूल गए। अगली सवारी को बैठाते समय जूबिरा की नज़र बैग पर पड़ी और वे उसे संभालकर घर ले गए। घर में उन्होंने अपनी पत्नी को क़िस्सा बताया और बच्चों की पहुंच से दूर बैग को अलमारी में रख दिया।
बैग में जेम्स का कुछ मशहूर लोगों के साथ फ़ोटो भी था। इसलिए उन्हें भरोसा था कि नेशनल आर्ट्स क्लब और न्यूयॉर्क टैक्सी कमीशन की मदद से वे जेम्स को तलाश लेंगे। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि मैं मुसलमान हूं और अमानत में ख़यानत करना मेरे ईमान के खि़लाफ़ है। इस्लाम के अनुसार यह दूसरे इंसान के मांस खाने जैसा है। उन्होंने जेम्स को तलाशा और उनका सामान लौटाया। जूबिरा को एक हज़ार डॉलर का ईनाम दिया गया, जो उन्होंने स्वीकार किया। उन्हें वैलेंटाइन डे पार्टी में शामिल होने का क्लब ने न्योता दिया, जो उन्होंने अस्वीकार कर दिया, क्योंकि इस मौक़े पर वहां शराब परोसी जाती है और मदिरा सेवन उनके उसूलों के खि़लाफ़ है।
कल्पतरू एक्सप्रेस, मथुरा, दिनांक 19 फ़रवरी 2011, पृ. 15
इस्लाम की तालीम को सही तौर पर समझा जाए तो समाज में ईमानदार लोग वुजूद में आते हैं जिनकी ज़रूरत हरेक ज़माने में हरेक इलाक़े के लोगों को रही है और जो चीज़ ज़माने की ज़रूरत होती है उसे ज़माने की कोई ताक़त कभी मिटा नहीं सकती। मुसलमानों को चाहिए कि वे अपने कुरआन को समझें , पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद साहब स. की ज़िंदगी को आदर्श और कसौटी बनाकर खुद को जांचें और निखारें। तब उनकी ज़िदगी निखरती और संवरती चली जाएगी, उनकी ज़िंदगी खुद उनके लिए भी आसान हो जाएगी और वे दूसरों के लिए भी नफ़ा पहंचाने वाले बन जाएंगे। मुसलमान होने के लिए इतना काफ़ी नहीं है कि उनसे किसी को नुक्सान न पहुंचे बल्कि लाज़िमी है कि उनके संपर्क में आने वालों को उनसे नफ़ा भी पहुंचे। यह एक अच्छी ख़बर है और उस देश से आई है जहां राजनैतिक खुदग़र्ज़ियों की ख़ातिर इस्लाम को बदनाम करने और मुसलमानों पर डेज़ी कटर जैसे छोटे परमाणु बम छोड़ने वालों का राज है लेकिन ईमान की ताक़त परमाणु बम की ताक़त से ज़्यादा होती है। वह समय क़रीब है कि जब अमेरिका के प्रपंच का बेअसर हो चुका होगा और लोग जान लेंगे कि ईमानदारी और सच्चरित्रता के लिए अपने पालनहार की सृष्टि योजना को जानना बेहद ज़रूरी है जो कि आज ठीक तरह से कुरआन के अलावा कहीं भी मौजूद नहीं है।
Read More...

कुशल रणनीति की जरूरत है विश्व कप के लिए --- दिलबाग विर्क

10 वें विश्व कप का विधिवत उदघाटन हो चुका है . भारतीय टीम बंगलादेश के खिलाफ अपने अभियान की शुरुआत करेगी . इस मैच को बदले के मैच के रूप में प्रचारित किया जा रहा है क्योंकि बंगलादेश ने 2007 के विश्व कप में भारत को हराकर विश्व कप से बाहर करवा दिया था . अब ऐसी स्थिति नहीं है . जीत-हार से विशेष अंतर नहीं पड़ने वाला क्योंकि दोनों टीमों के पास इसके बाद भी पाँच मैच होंगे और वापिसी का पूरा मौका होगा .
                    रैंकिंग के हिसाब से देखा जाए तो बंगलादेश विश्व की अन्य प्रमुख टीमों के मुकाबले में थोड़ी कमजोर टीम है .  हालाँकि उसने हाल ही में न्यूज़ीलैंड को 4 - 0 से हराकर अपनी मजबूती दिखाई है फिर भी वह भारत के मुकाबले की नहीं है . 10 में से 9 बार भारत के जीतने की संभावना है , ऐसे में भारतीय टीम के लिए डर की बात नहीं है . भारत को सिर्फ अपने स्तर के अनुकूल प्रदर्शन करना है . अभ्यास मैचों में भारत का प्रदर्शन अच्छा रहा है . अगर वे उसी प्रदर्शन को दोहरा पाए तो बंगलादेश को ही नहीं अन्य प्रमुख टीमों को भी मुश्किल होने वाली है . हाँ , अभ्यास मैचों की तरह सभी खिलाडी यहाँ नहीं खेल पाएँगे . अंतिम ग्यारह का चयन बड़ी चतुराई से करना होगा . रैना का अंतिम ग्यारह में आना मुश्किल लग रहा है . भारतीय टीम छह बल्लेबाज़, एक विकेटकीपर और चार गेंदबाज़ के साथ खेलना चाहेगी . ओपनिंग सचिन-सहवाग करेंगे . इसके बाद कोहली , धोनी , युवराज़ , पठान का क्रम होना चाहिए .गेंदबाजों के रूप में हरभजन , जहीर , नेहरा और मुनाफ को रखा जा सकता है .
               रणनीति के मामले में भी कुछ प्रयोग की जरूरत है , विशेषकर पावर प्ले को लेकर . दूसरा पावर प्ले फील्डिंग टीम ने लेना होता है . इसे सामान्यत: 11 से 15 ओवर तक ले लिया जाता है . यदि गेंदबाज़ विकेट ले रहे हों तो इसे इस समय ले लेने में कोई हर्ज़ नहीं लेकिन यदि बल्लेबाज़ जमे हुए हों तो उन्हें लाभ देने का कोई औचित्य नहीं . ऐसे में एक विकेट गिरने का इंतजार करना चाहिए . विकेट गिरते ही पावर प्ले लेने से नए बल्लेबाज़ को प्रहार करने का मौका नहीं मिलेगा . तीसरे पावर प्ले को भी कई बार बहुत पीछे खींच लिया जाता है . पहले बल्लेबाज़ी करते समय इसे उन ओवरों में लिया जाना चाहिए जब बल्लेबाज़ पूरी तरह से जमे हुए हों .
             1996 के विश्व कप में श्रीलंका का जयसूर्या से ओपन करवाना ऐसा फैसला था जिसने अन्य टीमों को बैकफुट पर ला दिया था . 2011 के विश्व कप में भारत को भी कुछ नया करना चाहिए . पावर प्ले का चतुराई से इस्तेमाल होना , बड़े स्कोर का पीछा करते समय हरभजन को पिंच हिटर के रूप में इस्तेमाल होना अन्य टीमों को अचंभित कर सकता है . कुशल रणनीति भी उतनी ही जरूरी होती है जितना की मैदान में प्रदर्शन . उम्मीद है बंगलादेश के खिलाफ भारतीय टीम इन दोनों क्षेत्रों में खरी उतरेगी . 

                    *****
                      ----- dilbagvirk.blogspot.com
Read More...

क्या कुछ कर सकोगे ..

मेरा दर्द ... देखो में हिन्दुस्तान हूँ .......... .

Friday, February 18, 2011

देख लो
आज में
फिर दर्द से
छटपटा रहा हूँ
मझे मेरे अपने
लूट रहे हें
बस इसी दर्द से
कराह रहा हूँ में
रोज़ रोज़ की
इन भ्रस्ताचार की शिकायतों से
तडपने लगा हूँ में
नेत्ताओं के महमूद गजनवी बनकर
रोज़ मुझे लुटने से
घबरा गया हूँ में
जिसे अपना बनाया
जिसके हाथ में दोर दी मेने
वोह भी देखो
खुद मजबूर लाचार बन कर
मेरी लूट में शामिल होकर
समझोतों में लगा हे
इतना होता तो ठीक था
बस अब बेशर्मों की
तरह से
इस कहानी को गढ़ कर
खुद को
बेहिसाब अपराधों से
बचाने में लगा हे
मुझे बताओं
में अब क्या करूं
में इतना बेबस ,इतना लाचार
इतिहास गवाह हे
कभी नहीं रहा
लेकिन आज
में चुप खामोश
सब सह रहा हूँ क्योंकि
मुझ में करोड़ों करोड़
लोग बसते हें
और यह सभी लोग
मुझे
तू हे हिन्दुस्तान
तू हे मेरा भारत महान
कह कह कर हंसते हें
क्या
तुम देख सकोगे
क्या तुम बाँट सकोगे
मेरा यह दर्द
क्या तुम
कोई मरहम लगाकर
कोई अलादीन का चिराग जलाकर
दूर कर सकोंगे मेरा यह दर्द
अगर हाँ तो उठों ना
उठो बदल दो
यह सत्ता बदल दो यह रस्मो रिवाज
खुदा के लियें
पोंछ दो मेरे आंसू
बना दो मुझे फिर से
१९४७ माँ भारत आज़ाद
ताकि में गर्व से कह सकूं
में हिंदुस्तान हूँ
में मेरे करोड़ों करोड़ लोगों का
भारत महान हूँ
क्या कर सकोंगे ऐसा ........ ?
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

Read More...

कौन जीतेगा दसवां विश्व कप ?-----दिलबाग विर्क

अब तक क्रिकेट के नौ विश्व कप हुए हैं . आस्ट्रेलिया ने सवार्धिक चार बार इस ख़िताब को जीता है , वेस्टइंडीज ने दो बार और भारतीय उपमहाद्वीप की तीनों प्रमुख टीमें भारत , पाकिस्तान और श्रीलंका ने इसे एक-एक बार जीता है . दसवां विश्व कप भारतीय उपमहाद्वीप में हो रहा है , इसलिए भारत के क्रिकेट प्रेमी उम्मीद लगाए बैठें हैं कि भारतीय टीम इस बार विश्व कप जीते . भारतीय टीम का प्रदर्शन भी उम्मीदों को जगाता है , लेकिन " सचिन के लिए विश्व कप जीतना है " के नाम पर पिछले कुछ दिनों से जो मुहिम शुरू हुई है , वो भारतीय टीम पर अतिरिक्त दवाब बनाएगी . पता नहीं क्यों भारतीय खिलाडी इसे लेकर प्रचार में लगे हुए हैं ?
                भारत के इलावा श्रीलंका की टीम भी घर में खेल रही है , हाल ही में उसने वेस्टइंडीज को हराया है . स्पिन आक्रमण उसकी ताकत है . भारतीय उपमहाद्वीप की पिचें उसकी मदद करेंगी . एशिया की तीसरी टीम पाकिस्तान भी हर बार की तरह छुपी रुस्तम साबित होगी . न्यूज़ीलैंड को हराकर वह जीत की पटरी पर लौट चुकी है . भले ही पाकिस्तान में कोई मैच नहीं हो रहा लेकिन भारत-श्रीलंका-बंगलादेश की पिचें उसे घर-सी लगेंगी . 
       अन्य टीमों में आस्ट्रेलिया सबसे प्रमुख दावेदार है . एशेज़ की हार से उसे कमजोर माना जा रहा था , लेकिन एकदिवसीय मैचों में उसने इंग्लैंड को बुरी तरह से रौंद दिया है . फिर वह पिछले तीन विश्व कपों का विजेता है और रैंकिंग में नम्बर एक है . द.अफ्रीका सदा से दुर्भाग्य की शिकार रही है , लेकिन उसकी क्षमता पर किसी को संदेह नहीं . इस बार भी वह दावेदार होगी .
           वेस्टइंडीज , इंग्लैंड , न्यूज़ीलैंड कुछ कमजोर तो हैं ,लेकिन क्वार्टर फाइनल में ये किसी पर भी भारी पड़ सकती हैं .संक्षेप में क्वार्टर फाइनल के बाद सभी टीमें बराबर की दावेदार हैं . जो मानसिक रूप से मजबूत होगी वही टीम जीतेगी . हाँ भारतीय होने के नाते टीम इंडिया जीते यह चाह सबकी है . 
                        --- dilbagvirk.blogspot.com
Read More...

में शमा हूँ तो क्या ............

Friday, February 18, 2011

में शमां हूँ
तो क्या
तुम परवाने हो
मेरा क्या
में तो बस
एक रात
में ही जल कर
बुझ जाउंगी
फिर नई रात आएगी
नई शमा आएगी
उढ़ते हुए परवानों को
पास बुलाएगी
और फिर
उन्हें
तडपा तडपा कर
जलायेगी
तुम तो खुदा हो
रोक सकते हो तो रोक लो
बरसों से
चल रहे इस सिलसिले को
नहीं ना
नहीं रुकता हे
यह सिलसिला
तो फिर क्यूँ
यूँ ही मुझे
दोष देते हो
रात के अंधेरों में
मुझे जला कर
जिंदगी खुद की रोशन यूँ क्यूँ करते हो ............ । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

तुम मेरे लियें .....

हाँ तुम मेरे लियें
झिलमिलाते
आसमां के तारे हों
उन्हें भी बस
टक टक निहारा जा सकता हे
तुम्हें भी बस यूँ ही
निहारा और देखा
जा सकता हे
जेसे तारे मुझे
कभी मिल नहीं सकते
वेसे ही
तुमने भी
मुझ से
नहीं मिलने की
ठान ली हे
तो बस
तुममें और आसमान के चमकते झिलमिलाते
तारों में क्या फर्क हे
तारे भी
रात में झिलमिलाते हें
तुम्हारी याद भी
बस रात को ही आती हे
तो फिर सही कहा ना मेने
तुम मेरे लियें
तारे सिर्फ तारे हो .................. । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

धारीवाल के कारतूसों पर धारीवाल का कारतुस

Thursday, February 17, 2011

राजस्थान के गृह मंत्री शान्ति कुमार धारीवाल हाल ही में एयरपोर्ट पर तलाशी के दोरान बेग से निकले कथित कारतूस प्रकरण में विपक्ष पर जमकर बरसे विपक्ष ने इस मामले को लेकर हंगामा किया तब धारीवाल ने विपक्ष को उनकी ओकात याद दिलाई ।
शांति कुमार धारीवाल ने सधी हुई भाषा में बार बार सद्भाविक भूल की चुटकी ली और चोर को ही थानेदार बना दिया आरोप लगा कर इस मामले में ६ माह की सजा का प्रावधान बताने वाले राजस्थान के पूर्व गुलाब चंद कटारिया से शांति धारीवाल ने कहा के चलो इस मामले की पूरी जांच आप ही कर डालो और इस जांच के अधिकारी भी आप बन जाओ फिर अगर आप मुझे दोषी मानते हें तो कार्यवाही करें नहीं तो इस मामले को शांत करे धारीवाल के इस कथन के बाद हंगामा करता विपक्ष एक दम खामोश हो गया और विधान सभा का शोर थम सा गया जब आरोप लगाने वाले को ही जांच की ज़िम्मेदारी दे गयी तो बस विपक्ष को सांप सूंघ गया क्योंकि विपक्ष भी जानता हे के वोह तुच्छ आरोपों को अनावश्यक तूल दे रहा था , धारीवाल के इस एलन के बाद विधान सभा का हंगामा खामोश और धारीवाल सभी झूंठे आरोपों से बरी कोटा में आज देनिक अख़बार कोटा ब्यूरों ने इस मामले में एक अख़बार सहित विपक्ष के खिलाफ सोदेबाज़ी का आरोप लगते हुए तल्ख टिप्पणी की हे और फिर इस मामले में ब्लेक मेल नहीं होने पर शांति धारीवाला की पीठ भी थपथपाई हे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

अमीन खान दास्ताँ अपनी कहते कहते रो पढ़े...

राजस्थान के एक मंत्री अमीन खान जो हाल ही में महा महीम राष्ट्रपति जी के खिलाफ कथित अपमानकारी टिप्पणी के लियें मंत्रिमंडल से निकाले गये हें वोह अब इचंस्भा में मोका मिलते ही फुट पढ़े ।
कोंग्रेस के विधायक के मामले में भाजपा के घनश्याम तिवारी ने पूंछा के अमीन खान ने कोनसी टिप्पणी की थी जिससे उन्हें निकलाना पढ़ा इसका जवाब देने खुद अमीन कहां खड़े हुए उन्होंने कहा में गाँव का शुद्ध गंवार आदमी मुझे बोलना नहीं आता गाँव का होने के नाते माननीय सोनिया जी और इंदिरा जी के प्रति में अपनी और कार्यकर्ताओं की वफादारी पली में अपने शब्दों में समझा रहा था और उस वक्त मेने राष्ट्रपति जी वाली बात कही मेरे मन में कभी कोई दुर्भावना नहीं रही लेकिन मेरे ही अपने लोगों ने इस बात को तूल दिया मुझे लगा की मेरी इस भावना का प्रदर्शन गलत किया गया हे और महामहिम राष्ट्रपति मुझ से नाराज़ हे इसलियें मेने खुद इस्तीफा दे दिया ।
अमीन खान ने गहलोत और गहलोत सरकार की जम कर तारीफ़ की लेकिन उनके चेहरे पर हंसी और नम आँखें उनके अंदर क्या गुजर रही हे उस भावना को झलका रही थी अमीन खान ने भाजपा के तस्करी के आरोपों के बारे में जवाब दिया के बाजपा विधायक गुलाब कटारिया की अध्यक्षता में एक समिति बना लें और वोह खुद जाँच कर लें अगर उन्हें लगे के वोह दोषी हें तो उन्हें फिर फांसी पर चढा दें । विधानसभा में अमीन खान के इस आक्रामक रुख से राजस्थान भाजपा सकते में हे और खुद विपक्ष के नेता घनश्याम तिवारी सदमे में हे के आखिर उन्होंने यह प्रश क्यूँ पूंछा । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

निगम हाउस टेक्स पर ओम बिरला बरसे

राजस्थान विधान सभा में कोटा के विधायक ओम बिरला कल अचानक नगर निगम कोटा द्वारा हाउस टेक्स वसूली के नाम पर सख्ती बरतने और व्यापारियों की उपेक्षा बरतने के मामले में खूब भडके और इस वसूली को रोकने की मांग की ।
कोटा में भाजपा के काल में जब जब हाउस टेक्स लगाने की कोशिश की तब तब कोंग्रेस ने इस हाउस टेक्स का विरोध कर इसकी वसूली रुकवा दी अब फिर कोंग्रेस की सरकार आई और कोंग्रेस की महापोर कुर्सी पर बेठी बस जिस बात का विरोध कोंग्रेस ने किया वही वसूली कोंग्रेस ने शुरू कर दी और वसूली भी ऐसी सख्ती जिसने टेक्स जमा नहीं कराया नगर निगम में उनके फ़ूड लाइसेंस अन्य स्विक्र्तिया बंद कर दीं बस निगम की इस कार्यवाही पर ओम बिरला खूब जम कर बरसे और उन्होंने इस अवेध वसूली को तुरंत रोकने की मांग की जिस पर विधान सभा में कई विधायकों ने खूब तालियाँ बजा कर स्वागत किया । । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

इंजीनियर से बने मुनि महाराज ..................... .

मध्य प्रदेश के बुढार के रहने वाले अमित जेन लाखों खर्च कर इंजीनियर बने और लाखों रूपये प्रतिमाह के पैकेज को तय कर मुनि महाराजों के सम्पर्क में आने के बाद वोह सब कुछ त्याग कर मुनि महाराज बन गये लेकिन कल कोटा में छात्रों को देखा तो उनकी जानकारी फिर से ताज़ी होगयी ।
मुनि महाराज अमित जेन जिनका समाज में अपना नाम अपनी प्रतिष्ठा हे समाज उनके पीछे उमढ रहा था लेकिन कुछ कोचिंग के बच्चों को देख कर महाराज ठिठके उन्होंने उन बच्चों के तोर तरीकों को देखा भाला जाना और फिर मुनि महाराज उन्हें इंजीनियर की पढाई के टिप्स देने लगे बस ऐसा लगा के मुनि महाराज अपने बचपन अपने पढाई के दिनों में खो गये लेकिन इधर कोचिंग के बच्चे सोचते रहे के आखिर एक इंजीनियर पढ़ कर भी अपना सब कुछ त्याग कर मुनि महाराज बन सकते हें तो फिर दुनिया में क्या रखा हे ............... सही हे ना दुनिया दरी से समाज सेवा भली और समाज सेवा से इश्वर सेवा भली लेकिन यह सब दुनिया दारी .समाजसेवा के साथ भी अगर की जाए तो आज आदमी के भेस में जो जानवर घूम रहे हें वोह खालिस इंसान बन जाएँ हमें इंसान भी अगर मिल जाएँ तो समाज का काम चल जाए फिर मुनि और अवतार तो बहुत बढ़ी बात हे शायद इसीलियें इंसान को इन्सान बनाने के लियें मुनि महाराज ने बच्चों को कोचिंग टिप्स के साथ साथ कुछ टिप्स दिए ............. । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

यह आग केसी केसी .........

मेरे दिल में
तेरे
प्यार की आग
क्या
तेरे मिलन की
ठंडक से मिटेगी
मेरे तन की
यह आग
क्या
तेरे मिलन से
मिटेगी
लेकिन
मेरे जज्बात की आग
जो तुने भड़काई हें
न तेरे मिलन से
ना तेरे अश्कों से मिटेगी
बस सोच लो
इसके लियें तो
जो सियासत हे
मेरे देश की
जो बदली कहावत हे
मेरे देश की
जिसमे लिखते थे
मजबूरी का नाम महात्मा गाँधी
अब लिखना पढ़ रहा हे
मजबूरी का नाम मनमोहन सिंह
यह नई मजबूरी
इस देश से
हब हटेगी
बस अब तो
दिल में लगी यह आग
तब ही बुझेगी ................ ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

Read More...

सपनों की नदी और मछली



उसकी आँखों में सपनों की
एक नदी बहती थी
रंगबिरंगी मछलियाँ डुबकियां लेतीं
कोई अनचाहा मछुआरा मछलियाँ न पकड़ ले
जब तब वह अपनी आँखें
कसके मींच लेती...
....
एक दिन -
किसी ने बन्द पलकों पर उंगलियाँ घुमायीं
और बड़ी बड़ी आँखों ने देखना चाहा
कौन है .....
और पलक झपकते
सपनों की नदी से
छप से एक मछली बाहर निकली
मछुआरे ने उसे अपनी आँखों की झील में डाला
और अनजानी राहों पर चल पड़ा....
....
अनजानी राहों के लौटने के इंतज़ार में
सपनों की नदी
कभी सूखी नहीं
ना ही फिर किसी मछुआरे से
अपनी रंगीन मछलियों का सौदा किया
हर अजनबी आहट पर
कसके अपनी आँखें मींच लीं ...
...
यशोधरा के मान से कम उसका मान नहीं
मानिनी सी करती है इंतज़ार
उस मछुआरे का
जिसकी आँखों में
उसकी एक मछली आज भी तैर रही है !
Read More...

कोई हमें भी प्यार करे------- ----- तारकेश्वर गिरी.

कोई हमें भी प्यार करे
हौले से धीरे से आकर
मेरे कंधो पे अपना हाथ रखे.

प्यारी से हंसी हो ,
धीमी सी मुश्कुराहट हो,
जब भी वो मेरे सामने हो.

सोच रही थी वो चौराहे पर
खड़ी हो करके
हाथो में गुलाब का फुल लिए.

तभी एक कार रुकी
खिड़की खुली
गुलाब का फुल खरीदने के लिए.

पैसा बटुए में रखने के बाद
फिर सोचती हैं,
मैं तो फुल बेचने वाली हूँ.

Read More...

कोई भी आदमी आख़िर खुद को क्यों सुधारे ? Positive changes for what ?

नर हो या नारी, वह स्वकेंद्रित होता है। वह अपने अनुभवों से सीखता है और हर चीज़ को अपने उन्हीं अनुभवों की रौशनी में देखता है जो कि उसके अवचेतन मन में बैठ चुके होते हैं। जो अपने अवचेतन मन की वृत्तियों का विश्लेषण करके उसके नकारात्मक पक्ष से खुद को मुक्त कर लेते हैं, वे सत्पुरूष और सूफ़ी-संत कहलाते हैं। वास्तव में समाज के सच्चे सुधारक भी यही होते हैं। अपना जायज़ा लेने का, निष्पक्ष होकर उसपर विचार करने और लेने का और फिर समाज को सुधारने के लिए सद्-विचारों के प्रसार का काम आसान नहीं होता। अक्सर लोग दौलत-शोहरत और इज़्ज़त को ही सब कुछ मानते हैं। इन चीज़ों को पाने का नाम कामयाबी और इन चीज़ों को न पा सकने का नाम नाकामी समझा जाता है। ऐसे लोगों की नज़र में अपना जायज़ा लेना, खुद को और समाज को सुधारने की कोशिश करना सरासर घाटे का सौदा है। इस कोशिश में दौलत-शोहरत और इज़्ज़त तो मिलती नहीं है, उल्टे पहले से जो कुछ कमा रखा होता है। वह भी सब चला जाता है और समाज की अक्सरियत दुश्मन अलग से हो जाती है। एक सुधारक के रहन-सहन का स्टैंडर्ड इतना नीचे पहुंच जाता है कि न तो वह अपने बच्चों को शहर के सबसे महंगे स्कूल में पढ़ा सकता है और न ही शहर के सबसे ज़्यादा तालीमयाफ़्ता लड़के से अपनी लड़की ही ब्याह पाता है। सुधारक अपने लिए भी ग़रीबी को दावत देता है और अपने बच्चों के लिए भी चाहे वह उसूलपसंद जीवन साथी भले ही ढूंढ ले लेकिन प्रायः होते वे ग़रीब ही हैं।
ग़रीबी कष्ट लाती है, दुख देती है और इंसान सदा से जिस चीज़ से डरता आया है, वह एकमात्र दुख ही तो है। जो दुख उठाने के लिए तैयार नहीं है, वह न तो कभी खुद ही सुधर सकता है और न ही कभी अपने समाज को सुधारने के लिए ही कुछ कर सकता है।
आज समाज में हर तरफ़ बिगाड़ आम है। आम लोग इस बिगाड़ का ठीकरा अपने समाज के ख़ास लोगों पर फोड़कर यह समझते हैं कि अगर हमारे नेता, पूंजीपति और नौकरशाह सुधर जाएं तो फिर सब कुछ ठीक हो जाएगा। वे चाहते हैं कि दूसरे सुधर जाएं और हमारे नेता, पूंजीपति और नौकरशाह खुद भी देश की जनता से यही उम्मीद पाले बैठे हैं कि जनता सुधर जाए तो देश सुधर जाए और सुधरने से हरेक डरता है क्योंकि सभी इस बात को जानते हैं कि सुधरने की कोशिश ग़रीबी, दुख और ज़िल्लत के सिवा कुछ भी नहीं देगी।
तब कोई भी आदमी खुद को आखि़र क्यों सुधारे ?
Read More...

क्या रोमांचक होगा विश्व कप ?-----दिलबाग विर्क

देश क्रिकेटमय हो चुका है क्योंकि क्रिकेट का महाकुंभ भारतीय उपमहाद्वीप में शुरू होने जा रहा है . असली मुकाबले अब बहुत दूर नहीं हैं. क्रिकेट का यह महाकुंभ जितना रोमांचक होना चाहिए उतना रोमांचक हो पाएगा या नहीं , यह भविष्य के गर्भ में है .वैसे पहली नजर में यह शंका उचित प्रतीत नहीं होती क्योंकि क्रिकेट के मुकाबले में रोमांच तो होगा ही और जब बात विश्व कप की हो तो शंका की कोई बात हो ही नहीं सकती , लेकिन इस दसवें विश्व कप का प्रारूप शंकित करता है . इसमें 14 टीमें दो ग्रुपों में विभाजित हैं . प्रत्येक ग्रुप की प्रथम चार टीमें नॉक आउट दौर में पहुंचेगी . यदि संख्या को देखा जाए तो सात में से चार का दूसरे दौर में पहुंचना संघर्ष पैदा करने वाला होना चाहिए , लेकिन जब ग्रुप में नीदरलैंड , आयरलैंड , कनाडा , केन्या जैसी टीमें हो तब यह मुश्किल काम नहीं रह जाता . क्रिकेट में सिर्फ आठ टीमें ही एक-दूसरे को टक्कर देने वाली हैं . बंगलादेश और ज़िम्बाव्बे कभी कभार टक्कर देती हैं . केन्या ने शुरुआत में जो संघर्ष क्षमता दिखाई थी उसमें अब वो नदारद है .कनाडा , आयरलैंड , नीदरलैंड तो नौसिखिया ठहरी . अत: एक ग्रुप में पाँच टीमें टक्कर की हैं जिनमें से चार दूसरे दौर में होंगी . जो पांचवी टीम बाहर होगी उसका नाम लगभग निश्चित है . संक्षेप में कहें तो ग्रुप A में श्रीलंका , पाकिस्तान , आस्ट्रेलिया , न्यूजीलैंड और ग्रुप B में भारत , द.अफ्रीका , इंग्लैण्ड , वेस्टइंडीज़ की टीमें दूसरे दौर में होंगी .
       जिस खेल के बारे में कहा जाता है कि अंतिम गेंद से पहले भविष्यवाणी नहीं की जा सकती उसके महाकुंभ की शुरुआत में ही यदि यह कहा जाए कि ये आठ टीमें दूसरे दौर में होंगी तो रोमांच कहाँ रह जाता है  . यही इस विश्व कप की सबसे बड़ी खामी है . यदि दूसरा दौर सुपर सिक्स का होता और एक ग्रप की सिर्फ तीन टीमें दूसरे दौर में पहुंचती तो पहले दौर का हर मुकाबला महत्वपूर्ण हो जाना था जो अब नहीं है .इसके अतिरिक्त दूसरे दौर में हर टीम के पास एक मौका है . एक हार उन्हें विदा कर देगी ,जो निराशाजनक है . यदि सुपर सिक्स होता तो अंतिम चार में पहुंचने के लिए सबके पास तीन मौके होते . फिर सुपर सिक्स रखने से सिर्फ पाँच मैच बढ़ते जो बहुत ज्यादा नहीं थे .
           अब कुछ नहीं हो सकता सिवाए इंतजार के . अब तो उम्मीद करनी चाहिए कि बंगलादेश और जिम्बाव्बे की टीमें अच्छा खेलें ताकि प्रथम दौर रोमांचक हो सके . यदि ये टीमें अच्छा नहीं खेली तो पहला दौर विश्व कप के मैच न लगकर साधारण अंतर्राष्ट्रीय मैच बन जाएँगे जिनका कोई अलग-से महत्व नही होगा .
                          *****-----
Read More...

मेरी भावनाएँ,कितनी निरर्थक…….(सत्यम शिवम)

कैसी है मेरी भावनाएँ,तुमने जानने कि कोशिश कि है कभी।बस कह दिया इक पल में निरर्थक है तुम्हारी भावनाएँ।बड़ा वक्त लगता है ह्रदय की सरिता में इक भावना के कमल खिलाने में।इंसान अपनी भावनाएँ व्यक्त करता है,पर कैसे उसकी सार्थकता का दावा कर सकता है वो?वो खुद नहीं जानता कि उसकी भावनाएँ कौन सा रँग ले लेगी किस क्षण।

भावना मनुष्य के सद्विचारों का इक ऐसा उन्नत बीज होता है,जो इक सच्चे इंसान को जन्म देता है।भावों से भरा दिल हर किसी का नहीं होता।ये तो मिल जाता है,हजारो लाखों में किसी एक को।भावनाएँ ना सीखी जा सकती है,और ना दिखाई जा सकती है।ये तो उद्गार होता है,इक सच्चे इंसान के दिल का।छलकता है उसकी बातों से,महकता है उसके व्यक्तित्व में।

कहते है बिन भाव के आदमी शव होता है।बिन इंसानियत के एक उत्कृष्ट समाज,परिवार और राष्ट्र की कल्पना ही नहीं की जा सकती।भावनाएँ ना तो हमें विरासत में मिलती है और ना सिखते है हम देख कर इसे।ये तो एक सच्चे इंसान में इंसानियत की पहली और आखिरी निशानी होती है।

जब भावनाओं का सागर उमरने लगता है और इंसान की आत्मा गोते  लगाने लगती है उसमें तो वही भावनाएँ दो बूँद बन कर हमारी आँखों से भी बह जाते है।खुशी के पल में प्रफुल्लित आँसू और दुख के क्षण में आह्लादित आँसू।आँसू एकमात्र वैसे संवेदना वाहक होते है,जो इंसान की भावनाओं का जीवंत रुप ले लेते है।ये एहसास सब ने किया होगा,आँखे जितना बरसती है मन हल्का होता जाता है।भावनाएँ पूर्ववत स्वरुप को धारण कर लेती है और मिलन विरह दोनों बस इक पल में दृष्टिगोचर होने लगता है।

आज के आधुनिक परिवेश में बस व्यवसायिक दृष्टि ही सफलता का आधार बन गया है,तो हमारी भावनाएँ कितनी निरर्थक है।भावनाओं की सार्थकता तो बस इक कलाकार जान सकता है,जो अपनी भावनाओं को ही संगीतबद्ध करता है,भावनाओं की ही लेखनी चलाता है,और उसे ही गुनगुना कर सफल होता है।

कैनवास पर जो आकृति इक चित्रकार बना देता है कल्पनाओं का आखिर वो क्या होता है,भावनाएँ ही तो होती है उस कलाकार की जो स्केच से कैनवास पर खुद खुद इक रुप में दिखने लगती है।भावनाएँ ही कला है,इक कलाकार का आजीवन मीत।

प्रेमी की भावनाएँ प्रेमिका के प्रतीक्षा की चँद घड़ियाँ ही बया कर देती है।कैसे इक युगल विरह वेदना को सहता है और कैसे दूर होकर भी बस भावनाओं के अनोखे तार से जुड़ा होता है।प्रेम भी इक भावना ही है,जो भावुक और हर्षित ह्रदय का परिचायक होता है।इक प्रकार का आकर्षण ही तो होता है प्रेम जिसमें सामने वाला हमें अतिसुंदर और प्यारा जान पड़ता है।अपना सर्वस्व न्योछावर कर के भी प्रेमी युगल क्यों समाज की कुंठित मानसिकता की बलि चढ़ जाते है।यह प्रेम के ही चरमोत्कर्ष की संवेदनात्मक भावनाओं को दर्शाता है।

निरर्थक नहीं है मेरी भावनाएँ जो तुमने समझा ही कहा कभी या यूँ कहे कोशिश ही ना कि समझने की।तुम्हारे इंतजार में पलक पावड़े बिछाएँ यूँ ही निहारता तेरी राह।आने पर तुम्हारे लिपट जाता तुमसे और फिर कुछ ना कहना और ना सुनना।जाने पर तुम्हारे फिर तुम्हारे आने का इंतजार करना और बस सोचना तेरे बारे में।क्यों लगता है इतना निरर्थक वो सब,जो कल तक तुम्हारे लिए मेरा प्यार था।वो मेरी भावनाएँ,क्यों लगती है तुम्हे निरर्थक अब?क्या मेरा प्रेम खत्म हो गया तुमसे आज,जो मेरी भावनाएँ इतनी निरर्थक लगती है अब तुम्हें............
Read More...

Read Qur'an in Hindi

Read Qur'an in Hindi
Translation

Followers

Wievers

join india

गर्मियों की छुट्टियां

अनवर भाई आपकी गर्मियों की छुट्टियों की दास्तान पढ़ कर हमें आपकी किस्मत से रश्क हो रहा है...ऐसे बचपन का सपना तो हर बच्चा देखता है लेकिन उसके सच होने का नसीब आप जैसे किसी किसी को ही होता है...बहुत दिलचस्प वाकये बयां किये हैं आपने...मजा आ गया. - नीरज गोस्वामी

Check Page Rank of your blog

This page rank checking tool is powered by Page Rank Checker service

Promote Your Blog

Hindu Rituals and Practices

Technical Help

  • - कहीं भी अपनी भाषा में टंकण (Typing) करें - Google Input Toolsप्रयोगकर्ता को मात्र अंग्रेजी वर्णों में लिखना है जिसप्रकार से वह शब्द बोला जाता है और गूगल इन...
    11 years ago

हिन्दी लिखने के लिए

Transliteration by Microsoft

Host

Host
Prerna Argal, Host : Bloggers' Meet Weekly, प्रत्येक सोमवार
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

Popular Posts Weekly

Popular Posts

हिंदी ब्लॉगिंग गाइड Hindi Blogging Guide

हिंदी ब्लॉगिंग गाइड Hindi Blogging Guide
नए ब्लॉगर मैदान में आएंगे तो हिंदी ब्लॉगिंग को एक नई ऊर्जा मिलेगी।
Powered by Blogger.
 
Copyright (c) 2010 प्यारी माँ. All rights reserved.