उतरा मेरा प्लेन तो जनता उछल रही ,
भाषण मेरा सुनने को
वो थी मचल रही ,
मोबाईल केमरा से
फोटो रहे थे खीच ,
प्यासी जनता बहा पसीना
धरती रही थी सीच,
मैं ज्यों ही स्टेज पर
देने लगा भाषण,
तब घटी घटना ;
पर मैं हूँ विलक्षण ,
तेजी से एक जूता
मेरी तरफ आया ,
मैंने भी अपनी फुर्ती का
कमाल दिखाया ,
कर लिया जूते...
मुसलमान होने के लिए इतना काफ़ी नहीं है कि उनसे किसी को नुक्सान न पहुंचे बल्कि लाज़िमी है कि उनके संपर्क में आने वालों को उनसे नफ़ा भी पहुंचे The real muslim

ईमानदारी की मिसाल
अमेरिका। ईमानदारी की यह मिसाल अमेरिका में क़ायम हुई है। न्यूयॉर्क के जॉन जेम्स टैक्सी में क़रीब एक लाख डॉलर के गहने और कैश भूल गए थे। उन्होंने सोचा कि वे अब अपना माल कभी प्राप्त नहीं कर पाएंगे। फिर भी टैक्सी ड्राइवर की ईमानदारी की बदौलत उन्हें उनका माल वापस मिल गया है।
न्यूयॉर्क के 42 वर्षीय टैक्सी ड्राइवर जूबिरा जालोह ने...
कुशल रणनीति की जरूरत है विश्व कप के लिए --- दिलबाग विर्क

10 वें विश्व कप का विधिवत उदघाटन हो चुका है . भारतीय टीम बंगलादेश के खिलाफ अपने अभियान की शुरुआत करेगी . इस मैच को बदले के मैच के रूप में प्रचारित किया जा रहा है क्योंकि बंगलादेश ने 2007 के विश्व कप में भारत को हराकर विश्व कप से बाहर करवा दिया था . अब ऐसी स्थिति नहीं है . जीत-हार से विशेष अंतर नहीं पड़ने वाला क्योंकि दोनों टीमों...
क्या कुछ कर सकोगे ..
मेरा दर्द ... देखो में हिन्दुस्तान हूँ .......... . Friday, February 18, 2011 देख लोआज मेंफिर दर्द सेछटपटा रहा हूँमझे मेरे अपनेलूट रहे हेंबस इसी दर्द सेकराह रहा हूँ मेंरोज़ रोज़ कीइन भ्रस्ताचार की शिकायतों सेतडपने लगा हूँ मेंनेत्ताओं के महमूद गजनवी बनकररोज़ मुझे लुटने सेघबरा गया हूँ मेंजिसे अपना बनायाजिसके हाथ में दोर दी मेनेवोह भी देखोखुद मजबूर लाचार बन करमेरी लूट में शामिल होकरसमझोतों में लगा हेइतना होता तो ठीक थाबस अब बेशर्मों...
कौन जीतेगा दसवां विश्व कप ?-----दिलबाग विर्क

अब तक क्रिकेट के नौ विश्व कप हुए हैं . आस्ट्रेलिया ने सवार्धिक चार बार इस ख़िताब को जीता है , वेस्टइंडीज ने दो बार और भारतीय उपमहाद्वीप की तीनों प्रमुख टीमें भारत , पाकिस्तान और श्रीलंका ने इसे एक-एक बार जीता है . दसवां विश्व कप भारतीय उपमहाद्वीप में हो रहा है , इसलिए भारत के क्रिकेट प्रेमी उम्मीद लगाए बैठें हैं कि भारतीय टीम इस बार विश्व...

में शमा हूँ तो क्या ............ Friday, February 18, 2011 में शमां हूँतो क्यातुम परवाने होमेरा क्यामें तो बसएक रातमें ही जल करबुझ जाउंगीफिर नई रात आएगीनई शमा आएगीउढ़ते हुए परवानों कोपास बुलाएगीऔर फिरउन्हेंतडपा तडपा करजलायेगीतुम तो खुदा होरोक सकते हो तो रोक लोबरसों सेचल रहे इस सिलसिले कोनहीं नानहीं रुकता हेयह सिलसिलातो फिर क्यूँयूँ...
सपनों की नदी और मछली

उसकी आँखों में सपनों कीएक नदी बहती थीरंगबिरंगी मछलियाँ डुबकियां लेतींकोई अनचाहा मछुआरा मछलियाँ न पकड़ लेजब तब वह अपनी आँखेंकसके मींच लेती.......एक दिन -किसी ने बन्द पलकों पर उंगलियाँ घुमायींऔर बड़ी बड़ी आँखों ने देखना चाहाकौन है .....और पलक झपकतेसपनों की नदी सेछप से एक मछली बाहर निकलीमछुआरे ने उसे अपनी आँखों की झील में डालाऔर अनजानी राहों...
कोई हमें भी प्यार करे------- ----- तारकेश्वर गिरी.
कोई हमें भी प्यार करेहौले से धीरे से आकरमेरे कंधो पे अपना हाथ रखे.प्यारी से हंसी हो ,धीमी सी मुश्कुराहट हो,जब भी वो मेरे सामने हो.सोच रही थी वो चौराहे परखड़ी हो करकेहाथो में गुलाब का फुल लिए.तभी एक कार रुकीखिड़की खुलीगुलाब का फुल खरीदने के लिए.पैसा बटुए में रखने के बादफिर सोचती हैं,मैं तो फुल बेचने वाली ह...
कोई भी आदमी आख़िर खुद को क्यों सुधारे ? Positive changes for what ?

नर हो या नारी, वह स्वकेंद्रित होता है। वह अपने अनुभवों से सीखता है और हर चीज़ को अपने उन्हीं अनुभवों की रौशनी में देखता है जो कि उसके अवचेतन मन में बैठ चुके होते हैं। जो अपने अवचेतन मन की वृत्तियों का विश्लेषण करके उसके नकारात्मक पक्ष से खुद को मुक्त कर लेते हैं, वे सत्पुरूष और सूफ़ी-संत कहलाते हैं। वास्तव में समाज के सच्चे सुधारक भी यही होते...
क्या रोमांचक होगा विश्व कप ?-----दिलबाग विर्क

देश क्रिकेटमय हो चुका है क्योंकि क्रिकेट का महाकुंभ भारतीय उपमहाद्वीप में शुरू होने जा रहा है . असली मुकाबले अब बहुत दूर नहीं हैं. क्रिकेट का यह महाकुंभ जितना रोमांचक होना चाहिए उतना रोमांचक हो पाएगा या नहीं , यह भविष्य के गर्भ में है .वैसे पहली नजर में यह शंका उचित प्रतीत नहीं होती क्योंकि क्रिकेट के मुकाबले में रोमांच तो होगा ही और...
मेरी भावनाएँ,कितनी निरर्थक…….(सत्यम शिवम)
कैसी है मेरी भावनाएँ,तुमने जानने कि कोशिश कि है कभी।बस कह दिया इक पल में निरर्थक है तुम्हारी भावनाएँ।बड़ा वक्त लगता है ह्रदय की सरिता में इक भावना के कमल खिलाने में।इंसान अपनी भावनाएँ व्यक्त करता है,पर कैसे उसकी सार्थकता का दावा कर सकता है वो?वो खुद नहीं जानता कि उसकी भावनाएँ कौन सा रँग ले लेगी किस क्षण।
भावना मनुष्य के सद्विचारों का इक ऐसा उन्नत बीज होता है,जो इक सच्चे इंसान को जन्म देता है।भावों से भरा दिल हर किसी का नहीं होता।ये तो...
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