चेहरा क्यूँ दिखता कमजोर।
देखो फिर से नभ की ओर।।
तारे जहाँ सदा हँसते हैं,
और चमकता चंदा।
जी सकते तो जी लो ऐसे,
छूटेगा हर फंदा।
आग उगलता सूरज फिर भी,
लेकर आता नूतन भोर।।
देखो फिर से नभ की ओर।।
नदियों की खुशियाँ तो देखो,
गीत हमेशा गाती है।
हर विरोध के पत्थर को भी,
सँग बहा ले जाती है।
तब उसकी मस्ती बढ़ती जब,
घटा घिरे घनघोर
देखो फिर से नभ की ओर।।
भले तोड़ ले कोई सुमन को,
फिर भी वह तो हँसता है।
और सुगंध भी कैद नहीं है,
हवा के सँग सँग बहता है।
चिड़ियों की कलरव में धुन है,
मत कहना तू शोर।।
देखो फिर से नभ की ओर।।
देखो फिर से नभ की ओर।।
तारे जहाँ सदा हँसते हैं,
और चमकता चंदा।
जी सकते तो जी लो ऐसे,
छूटेगा हर फंदा।
आग उगलता सूरज फिर भी,
लेकर आता नूतन भोर।।
देखो फिर से नभ की ओर।।
नदियों की खुशियाँ तो देखो,
गीत हमेशा गाती है।
हर विरोध के पत्थर को भी,
सँग बहा ले जाती है।
तब उसकी मस्ती बढ़ती जब,
घटा घिरे घनघोर
देखो फिर से नभ की ओर।।
भले तोड़ ले कोई सुमन को,
फिर भी वह तो हँसता है।
और सुगंध भी कैद नहीं है,
हवा के सँग सँग बहता है।
चिड़ियों की कलरव में धुन है,
मत कहना तू शोर।।
देखो फिर से नभ की ओर।।