क्या इसी सभ्यता पर करेंगे हिंदी का सम्मान
रहिमन धागा प्रेम का मत तोड़ो चटकाय ,टूटे से फिर ना जुटे, जुटे गांठ पड़ जाय.मनुष्य जीवन इस सृष्टि की सर्वश्रेष्ठ रचना है. भगवन ने अपनी सारी कारीगरी समेट कर इसे बनाया है. जिन गुणों और विशेषताओं के साथ इसे भेजा गया है, वे किसी अन्य प्राणी को प्राप्त नहीं हैं. भगवान तो सबका पालनहार पिता है. उसे अपनी संताने एक सामान प्रिय हैं. और वह न्यायप्रिय है. स्वयं निराकार होने के कारण...
डा श्याम गुप्त की गज़ल....सिज़दे में..
ग़ज़ल...
थे बहुत तनहा से जब हम भीड़ में |सोचते अपना न कुछ तकदीर में |
आप जब से मिलगये जाने जहां ,ख़ास था हाथों की कुछ लकीर में |
आप जो आये तो कुछ एसा हुआ ,आ बसा हो खुद खुदा तस्वीह में |
अब खुदा में आप में अंतर नहीं ,बस गए हो यूं दिले तस्वीर में |
अब तो हरसू आप हैं या खुद खुदा,नीर घट में या की घट है नीर में |
श्याम 'सिज़दे में झुकें,किसके झुकें, आपके ,या खुदा की तासीर ...
Roshi: गरीबी है सबसे बड़ी बीमारी
Roshi: गरीबी है सबसे बड़ी बीमारी: "कल गई थीं चिकित्सक को दिखाने स्वयं का गला अचानक एक जर्जर काया वृद्ध सपत्निक आया था वहां वृद्ध ने लगभग रोते हुए डॉक्टर से फ़रमाया जरा&nb....
Roshi: अपनों और गैरो के समीकरण
Roshi: अपनों और गैरो के समीकरण: "हमने अपनों को चाह, उन्होंने की वेबफाई गैरो ने दिया साथ हमेशा और पीठ थपथपाई अपनों ने सदैव खोंपा खंजर और उफ़ भी न कर पाई ग....
अन्ना हज़ारे, जनतन्त्र की जीत व सरकार --कुछ विचारणीय बिन्दु---डा श्याम गुप्त ..
१-- " समाज और सरकार का हाथ मिलाना लोकतन्त्र के लिये शुभ ..."-- प्रधान मन्त्री ...
---क्या हमारे प्रधान मन्त्री व सरकार ....समाज व सरकार को अलग अलग समझते हैं ? क्या सरकार ( या वर्तमान सरकार ) समाज का प्रतिनिधित्व नहीं करती ? तो क्यों न इसे स्तीफ़ा देदेना चाहिये ! २-- "यह लोकतन्त्र की जीत है..." ---सभी कह रहे...
इंसानियत का जो जज्बा जगाए ऐसी हर चीज़ का तलबगार हूँ में ......खुश दीप
ब्लोगिंग की दुनिया में ख़ुशी के दीप जला रहे हैं खुश दीप जी
दोस्तों एक शख्स जिसके सीने में इंसानियत के जज्बात से
भरा हुआ एक दिल हो और जिसकी हर धडकन में ब्लोगिंग का संसार हो जो हरजगह हर कोने में खुशियों के दीप जला कर अंधेरों को उजालों में बदलने वाला हो, उसी...
मेरे जनाज़े को कितना प्यार मिला है ......... जिंदगी गुज़र गयी लेकिन कोई भी मेरे पास दो मिनट रूककर ना बेठा ................देखो आज सभी मेरे पास बेठे जा रहे हैं ............जिंदगी भर कोई तोहफा न मिला मुझे जिनसे आज वाही लोग देखो मुझे फूल दिए जा रहे हैं ................तरस गये थे हम जिनके हाथ से दिए एक कपड़े के रुमाल को आज देखो वही मुझे नये कपड़े उढ़ा...
नेता ह्रदय शूल ''अन्ना'

नेता ह्रदय शूल ''अन्ना' सत्ता-सुख का चूस रहे थे हम सब मिलकर गन्ना ,
भ्रष्ट आचरण से पूरी की हमने हरेक तमन्ना ,
लेकिन अब तो सारी जनता कहती हमें निकम्मा ,
हाय ह्रदय में शूल सा चुभता हमको तो ये ''अन्ना'.
...

अलबेला खत्री के अलबेला मिजाज़ ने देश को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर गोरवान्वित किया ब्लोगिंग की दुनिया का एक अंतर्राष्ट्रीय नाम ,एक प्यारा सा अलबेला नाम, जो साहित्य और हास्य बांटता है लोगों को हंसाता है ,लोगों को प्यार और अपनापन सिखाता है, जी हाँ आप सही समझ रहे हैं यह वही नाम है जो आपके दिलो दिमाग पर छाया हुआ और यह नाम हे अलबेला खत्री .
दोस्तों...
निराला युग से आगे : हिन्दी साहित्य की विकास यात्रा है ----"अगीत..." ....श्याम गुप्त का आलेख ---
कविता, पूर्व-वेदिकयुग, वैदिक युग, पश्च-वेदिक व पौराणिक काल में वस्तुतः मुक्त-छन्द ही थी। वह ब्रह्म की भांति स्वच्छंद व बन्धन मुक्त ही थी। आन्चलिक गीतों, रिचाओं , छन्दों, श्लोकों व विश्व भर की भाषाओं में अतुकान्त छन्द काव्य आज भी विद्यमान है। कालान्तर में मानव-सुविधा स्वभाव वश, चित्र प्रियता वश, ग्यानान्डंबर, सुखानुभूति-प्रीति हित;सन्स्थाओं, दरवारों,...
अगज़ल ----- दिलबाग विर्क

बहुत हो गई, अब छोडो यारो ये तकरार बे-बात की जिंदगी जन्नत बने, इसके लिए निभानी होगी दोस्ती .
ये वो शै है जो हर पल आमादा है लुप्त होने को जब मिले, जहाँ मिले, जी भरकर समेट लेना ख़ुशी .
प्यार के सब्ज़ खेत भला लहलहाएंगे तो कैसे, जब तक वफा की घटा, दिलों की जरखेज ज़मीं पर नहीं बरसती .
वहशियत नहीं मासूमियत हो, नफरत नहीं मुहब्बत हो ऐसे...
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