बहुत हो गई, अब छोडो यारो ये तकरार बे-बात की
जिंदगी जन्नत बने, इसके लिए निभानी होगी दोस्ती .
ये वो शै है जो हर पल आमादा है लुप्त होने को
जब मिले, जहाँ मिले, जी भरकर समेट लेना ख़ुशी .
प्यार के सब्ज़ खेत भला लहलहाएंगे तो कैसे, जब तक
वफा की घटा, दिलों की जरखेज ज़मीं पर नहीं बरसती .
वहशियत नहीं मासूमियत हो, नफरत नहीं मुहब्बत हो
ऐसे ख्वाबों को पूरा करने में तुम लगा दो जिंदगी .
माना दौर है तूफानों का, यहाँ नफरतों की आग है
फिर भी हिम्मत हारना, है तुम्हारी सबसे बड़ी बुजदिली .
न तो नफरत की बात कर 'विर्क', न उल्फत से गिला कर
किस्मत तेरी रंग लाएगी, तू खुद को बदल तो सही .
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2 comments:
वहशियत नहीं मासूमियत हो, नफरत नहीं मुहब्बत हो
ऐसे ख्वाबों को पूरा करने में तुम लगा दो जिंदगी .
Nice post .
Behad khubsurat baat ...behtareen tarike se kaha hai aapne..
aur kahi na kahi iski kami hin hame is mod par laa kar khada kar deti hai..
माना दौर है तूफानों का, यहाँ नफरतों की आग है
न तो नफरत की बात कर 'विर्क', न उल्फत से गिला कर
किस्मत तेरी रंग लाएगी, तू खुद को बदल तो सही .
Behtareen post
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