अरे भई साधो......: सितारों के आगे चलो घर बसायें

सितारों के आगे चलो घर बसायें
अलामा इकबाल की कल्पना साकार हुई. सितारों के आगे सचमुच और जहां निकल आये. हाल में नासा के वैज्ञानिकों ने मंगल ग्रह पर खारे पानी की मौजूदगी का पता लगा लिया है. जाहिर है कि जहां पानी होगा वहां हवा होगी और जहां यह दोनों होंगे वहां जीवन भी होगा या उसके विकसित होने की संभावना भी होगी. चांद पर भी पानी के संकेत मिले हैं.मंगल ग्रह पर पानी है यह सचमुच बहुत बड़ी खबर है. उसके खारा होने से कोई फर्क नहीं पड़ता. मीठे को खारा और खारे को मीठा बनाना तो हमारे बाएं हाथ का खेल है. अब बढती जनसंख्या कोई समस्या नहीं रह जाएगी. मानव आबादी के सरप्लस हिस्से को आराम से मंगल ग्रह पर शिफ्ट किया जा सकेगा. अब एक ग्रह पर पानी मिल गया तो यह बात साफ़ हो गयी कि अंतरिक्ष में पानी और हवा है. उसकी मात्रा कहीं कम कहीं ज्यादा हो सकती है. उसे घटाना बढ़ाना भी हमारे वैज्ञानिकों के लिए कोई मुश्किल काम नहीं है. अब समस्या यह आएगी कि आबादी का कौन सा हिस्सा दूसरे ग्रहों पर पहले शिफ्ट होगा. जाहिर है कि गरीब लोग दूसरे ग्रहों पर जाने या वहां बसने का खर्च अफोर्ट नहीं कर पाएंगे. उन्हें सरकारी खर्च पर भेजा जाये या कार्पोरेट सेक्टर स्पौंसर करे तो अलग बात है. पहले बैच में तो विश्व के 100 सबसे अमीर लोग ही जाना चाहेंगे और इसपर उनका पहला हक बनता भी है. शुरू में वे वहां अपने फार्म हॉउस या रेस्ट हॉउस बनायेंगे. अगर वहां का माहौल रास आ गया तो ऐश मौज के लिए उनका इस्तेमाल करेंगे लेकिन वहां के स्थाई नागरिक शायद ही बनें. हां व्यवसाय की संभावनाएं बनें तो वे इसपर विचार कर सकते हैं. इत्तेफाक से यदि उन्हें माहौल जमा नहीं तो उनकी कोशिश होगी कि विश्व के तमाम गरीब लोगों को वहां खदेड़ दें और धरती को सिर्फ अरबपतियों के लिए आरक्षित करा लें. अमीर लोग तो जिस ग्रह का माहौल दिलकश लगेगा और दौलत कमाने की गुंजाईश होगी वे वहीं बस सकते हैं. यदि सितारों के आगे की जहां बदसूरत होगी तो तीसरी दुनिया के देशों के लोगों को वहां भेजने की व्यवस्था पहली और दूसरी दुनिया के लोग करेंगे. ऐसे किसी ग्रह का इस्तेमाल जेल के रूप में भी किया जा सकेगा. एक अंतर्राष्ट्रीय समझौते के तहत विभिन्न देशों के जेलों में पड़े सजायाफ्ता कैदियों को वहां ले जाकर छोड़ दिया जा सकता है. ऐसे कैदियों के लिए किसी बिल्डिंग की भी जरूरत नहीं पड़ेगी. बस अंतरिक्ष यान से उन्हें वहां ड्रॉप करा देना होगा. वापस तो वे लौट नहीं सकेंगे. हांलाकि यह भी सच है कि इसमें भी कमजोर लोग ही भेजे जायेंगे. वीआइपी कैदियों को भेजने की हिम्मत भला कौन करेगा.
लेकिन सच्चाई यह है कि देर-शबेर पूरी मानव सभ्यता को दूसरे ग्रहों पर शिफ्ट करना ही पड़ेगा. प्रकृति का तांडव दिन ब दिन तेज़ होता जा रहा है. जापान में हाल के भूकंप और परमाणु विकिरण की घटना के बाद वैज्ञानिकों को भी समझ में आ चुका है कि प्रकृति के सामने मानव का सारा ज्ञान-विज्ञानं फेल है. महाप्रलय के पदचाप साफ़ सुनाई देने लगे हैं और उसे रोक पाने में हम पूरी तरह असमर्थ हैं. धरती विनाश के कगार पर खड़ी है. कहते हैं कि यह धरती पांच महाप्रलय झेल चुकी है अब छठे का इन्तजार है. यह अलग बात है कि धरती के अंत यानी महाप्रलय की कई भविष्यवक्ताओं की भविष्यवाणी की तिथि टल चुकी है. लेकिन उनकी आशंकाएं कहीं से गलत नहीं हैं. यह साफ़ दिखाई दे रहा है. यह एक कटु सत्य है कि पृथ्वी पर अब मानव सभ्यता के गिने-चुने दिन ही शेष बचे हैं. शायद यही कारण है कि दूसरे ग्रहों पर जीवन की संभावनाओं की तेज़ी से तलाश हो रही है. अब यदि इस जीवमंडल को बचाए रखना है तो दूसरे ग्रहों पर आशियाना ढूंढना ही होगा और धीरे-धीरे न सिर्फ मनुष्य बल्कि सभी जीव-जंतुओं को शिफ्ट करना होगा. इसके लिए नूह की कश्ती का इंतज़ार करना तो उचित नहीं है न.

देवेंद्र गौतम
अरे भई साधो......: सितारों के आगे चलो घर बसायें
Read More...

सामाजिक सुधार का द्वार आत्मिक सुधार ही है

आज बिगाड़ और सुधार की प्रक्रिया एक साथ चल रही है। हर आदमी ज़्यादा से ज़्यादा लाभ अपने लिए समेट लेना चाहता है। वोटों का लेनदेन और अपने प्रतिनिधि का चुनाव जनता इसी भावना से करती है। इसी भावना से चुनाव प्रत्याशी अपने चुनाव में जनता के लिए शराब से लेकर नाच रंग तक हर चीज़ मुहैया कराते हैं। व्यापारी वर्ग ज़्यादा लाभ समेटने की आशा में ही सब दलों को मोटा चंदा देते हैं। इसी आशा में मज़ार के मुजाविरों से लेकर आश्रमों के बाबा तक सभी अपना आशीर्वाद सप्लाई करते हैं। फिर चुनाव के नतीजे निकलते हैं और लाभ समेटने की जद्दोजहद शुरू हो जाती है।
एक वर्ग जो सदा से ही जागरूक है वह दूसरों को दबाये रखने की चालें चलता रहता है और जो अब जागरूक हो रहे हैं वे लोग पहले से जागरूकों से मुक्ति पाने का प्रयास करते रहते हैं। इस प्रयास में तब्दीलियां भी आ रही हैं और बहुत बार जागरूकता का यही प्रयास संघर्ष में भी बदल जाता है।
समय गुज़र रहा है लेकिन इंसान के अंदर ज़्यादा लाभ के लिए ज़ुल्म कर डालने की भावना क़ाबू में नहीं आ पा रही है। यही भावना इंसान की जागरूकता को मक्कारी में बदल कर रख देती है।
व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से इस भावना पर क़ाबू पाए बिना जागरूकता को रचनात्मकता में बदलना संभव नहीं है।
Read More...

हिंदी ब्लॉगिंग में आना ऐसा लगता है जैसे कि देना ज़्यादा और पाना कम।

हिंदी ब्लॉगिंग का रूप पिछले कुछ अर्से से काफ़ी बदल गया है। कुछ नए लोग आ गए हैं और कुछ पुराने चले गए हैं। हम ख़ुद भी जीती जागती सच्ची दुनिया में लोगों के दुख-दर्द दूर करने में जुट गए थे और यहां आना ऐसा लगता था जैसे कि देना ज़्यादा और पाना कम।
इंसान के पास वक्त सबसे क़ीमती सरमाया है।
ब्लॉगिंग में वक्त बहुत लगता है।
हम हट गए और हमारे साथियों में से भी कुछ फ़ेसबुक वग़ैरह की तरफ़ मुड़ गए लेकिन हमारे एक साथी डा. अनवर जमाल साहब ब्लॉगर डॉट कॉम पर ही डटे और अपने ब्लॉग बढ़ाते रहे।
अब ‘ब्लॉगर्स मीट वीकली‘ के लिए हमें बार-बार ईमेल करके बुलाया कि आप भी ‘हिंदी ब्लॉगर्स फ़ोरम इंटरनेशनल‘ के सदस्य हो। इसलिए मीट में आओ और सक्रियता दिखलाओ।
एक दो टिप्पणी तक तो ठीक है लेकिन सक्रियता दिखाने का मतलब ?
बहुत लंबे अर्से बाद एक पोस्ट लिख रहा हूं और चाहता हूं कि आपसे सुझाव और मार्गदर्शन मांगू कि क्या हिंदी ब्लॉगिंग में वापसी करना ठीक रहेगा ?
क्या ब्लॉगर्स मीट वीकली सचमुच हिंदी ब्लॉगर्स को जोड़ पाने में कामयाब रहेगी ?
यदि आपका जवाब हां हो तो फिर इसमें वक्त लगाने का कुछ फ़ायदा है वर्ना तो सूखे तिलों को निचोड़ने से फ़ायदा क्या है ?
देखिए ब्लॉगर्स मीट वीकली की पहली नशिस्त
http://hbfint.blogspot.com/2011/07/1-virrtual-step-to-be-unite.html
और
ब्लॉगर्स मीट वीकली की दूसरी नशिस्त
http://hbfint.blogspot.com/2011/08/2-love-for-all.html
Read More...

एक कतरा लहू का मेरे बस देश के काम आये

नहीं चाहता मखमल के गद्दे में मुझको आराम आये,
नहीं चाहता व्यापार में मेरा कोई बड़ा दाम आये,
चाहत मेरी बड़ी नहीं बस छोटी सी ही है,
एक कतरा लहू का मेरे बस देश के काम आये |
                                          
नहीं चाहता लाखों की लौटरी कोई मेरे नाम आये,
नहीं चाहता खुशियों भरा बहुत बड़ा कोई पैगाम आये,
ख्वाहिश मेरी ज्यादा नहीं बस थोड़ी सी ही है,
एक कतरा लहू का मेरे बस देश के काम आये |

नहीं चाहता मधुशाला में मेरे लिए अच्छा जाम आये,
नहीं चाहता फायदा भरा बहुत बड़ा कोई काम आये,
सपने  मेरे अनेक नहीं बस एक ही तो है,
एक कतरा लहू का मेरे बस देश के काम आये |

नहीं चाहता प्रसिद्धि हो, नाम मेरा हर जुबान आये,
नहीं चाहता जीवन में कोई अच्छा बड़ा उफान आये,
इश्वर से दुआ मेरी बस इतनी सी ही है,
एक कतरा लहू का मेरे बस देश के काम आये |

नहीं कोई देशभक्त बड़ा मैं, नहीं देश का लाल बड़ा,
पर दिल में एक ज्वाला सी है, देश हित करूँ कुछ  काम बड़ा,
भारत माँ के चरणों में नत एक बात मन में आये,
एक कतरा लहू का मेरे बस देश के काम आये |

www.pradip13m.blogspot.com
Read More...

अन्ना , कोंग्रेस ,भाजपा मिलकर देश में महंगाई और भ्रष्टाचार से ध्यान हटाना चाहते हैं ...........

 जी हाँ जनाब बात बड़ी अजीब सी है लेकिन सच यही है ....अन्ना , कोंग्रेस ,भाजपा मिलकर देश में महंगाई और भ्रष्टाचार से ध्यान हटाना चाहते हैं ...........देश में जब कोंग्रेस सरकार का भ्रस्ताचार चरम सीमा पर था और महंगाई ने सारे रिकोर्ड तोड़ दिए थे जनता त्राहि त्राहि कर रही थी ..भाजपा और कोंग्रेस की सुनारी लड़ाई चल रही थी मनमोहन की भाजपा नेता तारीफ करने में लगे थे और मनमोहन सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद भी काले धन के जमाखोरों की सूचि सार्वजनिक करने को तय्यार नहीं थे तब अचानक अन्ना हजारे का लोकपाल विधेयक का संघर्ष छिड़ा ..मिडिया ने महंगाई से मरते हुए लोगों की खबरों को छोड़ कर ..भ्रष्टाचार से सिसकते देश की हालत को छोड़ कर अन्ना के बिल को प्रमुख खबर बनाया  फिर अन्ना और बाबा रामदेव  के टुकड़े किये अन्ना ने बाबा रामदेव से अलग होकर उन्हें कमज़ोर किया और सरे आम कोंग्रेस ने लाठी के बल पर बाबा रामदेव का गला घोंट कर उनकी बोलती बंद कर दी फिर भ्रष्टाचार और महगाई का जेसे ही बोलबाला शुरू हुआ अन्ना का फिर लोकपाल आ गया ...में कहता हूँ आखिर लोकपाल आ भी गया तो क्या फर्क पढ़ेगा जनता को क्या फायदा मिलेगा सरकार जो लोकपाल लाना चाहती है या अन्ना जो लोकपाल लाना चाहते  हैं अगर वोह आ भी जाए तो देश या देश की जनता को क्या फायदा मिलेगा कुछ नहीं तो फिर जनाब यह हो हल्ला यह सुनारी लड़ाई किस्लियें संसद में भाजपा के सांसद लोकपाल बिल के लियें कुछ नहीं बोलते हैं और बाहर चीखते चिल्लाते हैं तो यह तो सिर्फ एक मजाक ही कहा जा सकता है ..........तो जनाब समझ गए ना यह सब मिडिया मेनेजमेंट के साथ खुले आम डंके की चोट पर किये गए भ्रष्टाचार और मूल्यवृद्धि की काली करतूतों को दबाने के लियें कोंग्रेस , भाजपा,अन्ना का मिला जुला खेल है और जनता इस झांसे में आकर अपने दो वर्ष से भी अधिक समय को बर्बाद कर चुकी है ........
अब हम बात करे देश के भ्रष्ट लोगों को सजा देने की तो जनाब हमारे देश में भ्रष्टाचार निरोधक कानून है उसे कारगर बनाया जाए .हमारे पास भारतीय दंड संहिता है जिसमे दंड के सभी प्रावधान है केवल लोकसेवकों को अपराध किये जाने पर सजा से बचाने के लियें अंग्रेजों के इस कानून में जो दंड प्रक्रिया संहिता की धरा १९७ में बिना सरकार की स्वीक्रति के सरकारी चोरों के खिलाफ मुकदमा चलाने की पाबंदी है उसे हटा दिया जाए फिर चाहे प्रधानमन्त्री हो चाहे सुप्रीमकोर्ट का जज हो चाहे चपरासी हो ,चाहे संत्री हो चाहे मंत्री हो सभी को दंड मिलने लग जाएगा आप सभी को पता है के देश में आज तक जिस भी भ्रष्टाचार का भंडाफोड़ हुआ है वोह खुद सरकार या सरकार के किसी अधिकारी ने नहीं किया है इसके लियें जनहित याचिकाएं दायर हुईं और सभी जनहित याचिकाओं पर जब सुप्रीमकोर्ट ने अपनी निगरानी में जांच करवाई तब कहीं बेईमान लोगों को पकड़ा जा सका है लेकिन सरकार ऐसे न जाने कितने अपराधों को छुपा कर बेठी है कोंग्रेस , भाजपा और दुसरे दल सभी तू मेरी मत कह में तेरी नहीं खून और मिल जुल कर जनता का शोषण करे इसी पर लगे हैं .तो दोस्तों दंड प्रक्रिया संहिता की धरा १९७ जो सरकारी बेईमान और अपराधियों के खिलाफ कार्यवाही में अडंगा है उसे हत्वा दो और देश के सभी भ्रष्टों को जेल भिजवा दो फिर ना लोकपाल चाहिए ना जोक्पाल चाहिए .......अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
Read More...

ग़ज़लगंगा.dg: हर वक़्त कोई रंग हवा में.......

हर वक़्त कोई रंग हवा में उछाल रख.
दुनिया के सामने युहीं अपना कमाल रख.

अपनी अकीदतों का जरा सा खयाल रख.
आना है मेरे दर पे तो सर पे रुमाल रख.

मैं डूबता हूं और उभरता हूं खुद-ब-खुद
तू मेरी फिक्र छोड़ दे अपना खयाल रख.

जो भी शिकायतें हैं उन्हें खुल के बोल दे
अच्छा नहीं कि दिल में तू कोई मलाल रख.

अब तू खुदा-परस्त नहीं खुद-परस्त बन
जीने के वास्ते यहां खुद को निहाल रख.

जिसकी मिसाल ढूँढनी मुमकिन न हो सके
हम सब के सामने कोई ऐसी मिसाल रख.

अपना बचाव करने का हक हर किसी को है
तलवार रख म्यान में, हाथों में ढाल रख.

----देवेंद्र गौतम

Read More...

टिप्पणी देते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ? Hindi Blogging Guide (23)



कई मित्र टिप्पणियाँ अक्सर, सब रचनाओं पर देते हैं।
सुन्दर-बढ़िया लिख करके, निज जान छुड़ा भर लेते हैं।।

कुछ तो बिना पढ़े ही, केवल कॉपी-पेस्ट किया करते हैं।
खुश करने को बदले में, हमको प्रतिदान दिया करते हैं।।

रचना के बारे में भी तो, कुछ ना कुछ लिख दिया करो।
आँख मूँद कर, एक तरह की, नहीं टिप्पणी किया करो।।

पोस्ट अगर मन को ना भाये, पढ़ो और आगे बढ़ जाओ।
बिल्कुल नहीं जरूरी, तुम बदले में उसको टिपियाओ।।

यदि ज्ञानी, विद्वान-सुभट हो, प्रेम-भाव से समझाओ।
अपमानित करने वाली, दूजों को सीख न सिखलाओ।।

श्रेष्ठ लेख या रचनाओं को, टिप्पणियों से मत मापो।
सत्संग और प्रवचनों को, घटिया गानों से मत नापो।।

जालजगत पर जबसे आये, तबसे ही यह मान रहे हैं।
टिप्पणियों के भूखे गुणवानों को भी पहचान रहे हैं।।

दुर्बल पौधों को ही ज्यादा, पानी खाद मिला करती है।
चालू शेरों पर ही अक्सर, ज्यादा दाद मिला करती है।।

 -डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 
--------------------------
इस पोस्ट को आप उच्चारण पर भी देख सकते हैं :

"टिप्पणियों से मत मापो" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")

Read More...

एक नारी के रूप अनेक




कभी मात बन जनम ये देती,
कभी बहन बन दुलराती;
पत्नी बन कभी साथ निभाती,
कभी पुत्री बन इतराती;

कहने वाले अबला कहते,
पर भई इनका तेज तो देख;
काकी, दादी सब बनती ये,
एक नारी के रूप अनेक |

कभी शारदा बन गुण देती,
कभी लक्ष्मी बन धन देती;
कभी काली बन दुष्ट संहारती,
कभी सीता बन वर देती;

ममता भी ये, देवी भी ये,
नत करो सर इनको देख;
दुर्गा, चंडी सब बन जाती,
एक नारी के रूप अनेक |

कभी कृष्णा बन प्यास बुझाती,
यमुना बन निच्छल करती;
गंगा बन कभी पाप धुलाती,
सरयू बन निर्मल करती;

नदियाँ बन बहती जाती,
न रोक पाओगे बांध तो देख,
कावेरी भी, गोदावरी भी ये,
एक नारी के रूप अनेक |

कभी अश्रु बन नेत्र भिगोती,
कभी पुष्प बन मुस्काती;
कभी मेघ बन बरस हैं पड़ती,
कभी पवन बन उड़ जाती;

पल-पल व्याप्त कई रूप में ये,
न जीवन है बिन इनको देख;
जल भी ये, पावक भी ये,
एक नारी के रूप अनेक |

Read More...

Kuchh Dil Se...: हिंदी ब्लॉग्गिंग गाइड : मेरी नज़र से (भाग 5)

वो देखो मेरा ख्वाब चला आ रहा है "माही"

के ज़मीन पे पैर अब पड़ते नहीं मेरे...


आज हिंदी ब्लॉग्गिंग गाइड के अन्य लेखों व लेखकों के बारे में चर्चा करने से पहले मैं आपको एक नयी खुशखबरी देना पसंद करूँगा. वैसे खुश खबरी एक नहीं दो - दो हैं, एक हमारी प्यारी हिंदी ब्लॉग्गिंग गाइड की तरफ से और दूसरी मेरी तरफ से...

तो पहले कौन सी सुनाऊं ?


चलिए हिंदी ब्लॉग्गिंग गाइड के बारे में ही खुशखबरी दे देता हूँ सबसे पहले...


तो वह खुशखबर ये है कि हमारी "हिंदी ब्लॉग्गिंग गाइड" के फेसबुक पेज के २ अगस्त २०११ को ३० प्रसंशक होने की ख़ुशी में फेसबुक ने हमें एक नया तोहफा दिया है और वो ये कि अब हिंदी ब्लॉग्गिंग गाइड का खुद का एक नया यूज़र नेम मिल गया है, आसान शब्दों में अगर कहूँ तो हिंदी ब्लॉग्गिंग गाइड को एक नया परमानेंट लिंक मिल गया है. मैं इस लिंक को यहाँ साझा कर रहा हूँ...

वैसे शायद ये सूचना आपको मेरे द्वारा फेसबुक पे मिल ही गई होगी. फिर भी ख़ुशी को जितना बांटो उतना ही कम होता है, और ख़ुशी तो बांटने से हमेशा बढ़ती ही जाती है.


फेसबुक किसी भी पेज को ३० प्रसंशक होने पर ही नया यूज़र नेम प्रदान करता है, कल ही ४ नए प्रसंशक शामिल हुए हैं इसके फैन लिस्ट में... और दिन - प्रतिदिन यह संख्या बढ़ती ही जा रही है. अब बस चाहत है कि यह संख्या ३० से बढ़ कर तीस करोड़ तक पहुंचे... बस इसके लिए आप सभी के प्रयास की जरूरत है... आप सभी से मैं तहे-दिल से अनुरोध करता हूँ कि हिंदी ब्लॉग्गिंग गाइड को बढ़ावा दें और नए हिंदी ब्लॉगर निर्माण में हमारी सहायता करें...


तो हुई न ये सच में एक खुशखबरी... ?


चलिए अब हिंदी ब्लॉग्गिंग गाइड के बारे में चर्चा शुरू की जाए...


क्या... ?


दूसरी खुशखबरी ?


हा हा हा !

व.. वो.. वो मैं... सोच रहा था कि...

तब बताऊँ जब

उसकी पुष्टि पूरी तरह हो जाए...


मेरा मतलब है... कि कुछ दिनों का इंतजार और करें फिर सार्वजानिक रूप से एक नए लेख में मैं अपनी उस खुशखबरी के बारे में आपको बताऊंगा... वो क्या है न... इंतजार का अपना ही मज़ा है... :)


अब शुरू करते हैं चर्चा - "हिंदी ब्लॉग्गिंग गाइड : मेरी नज़र से" का सातवाँ अध्याय...


मैंने अपने पिछले लेख में आपको श्री रूपचंद शास्त्री जी, डॉ० अयाज़ अहमद जी, श्री देवेन्द्र गौतम जी के परिचय के साथ उनके लिखे लेखों की जानकारी दी थी.

मेरा पिछला लेख पढ़ने के लिए क्लिक करें -


आज मैं आपको डॉ० अनवर जमाल खान जी, सलीम के बारे में तथा उनके हिंदी ब्लॉग्गिंग गाइड के लिए योगदान के बारे में जानकारी दूँगा..


आगे पढ़ने के लिए क्लिक करें...


और जानें - कौन है वे लोग जिन्होने ब्लॉग जगत में मुझे बहुत प्रभावित किया है....


Kuchh Dil Se...: हिंदी ब्लॉग्गिंग गाइड : मेरी नज़र से (भाग 5)

- महेश बारमाटे "माही"
4 अगस्त 2011
Read More...

हरे राम का तोता

आग, पानी से दूर ही रहो,
एक जलाती, एक डुबाती  है;
मत मोलो खतरा,
बोले, हरे राम का तोता।

डर, आलस के पास न जाओ,
एक रोकती, एक रुकवाती है;
आए खतरा तो लडो,
बोले, हरे राम का तोता।

पैसा, लड़की को समझ से झेलो,
एक भागती, एक भगाती है;
जानकारी ही बचाव,
बोले, हरे राम का तोता।

प्यार, दोस्ती को मिक्स मत करो,
एक सवांरता, एक बचाता है;
दोनों का दरकार,
बोले, हरे राम का तोता।

नशा, पढ़ाई के अंत को जानो,
एक गिराती, एक उबारती है;
नशा नहीं थोड़ा भी,
बोले, हरे राम का तोता।

गम, खुशी के भेद को समझो,
 एक रुलाती, एक हँसाती है;
मस्ती ही हो फितरत,
 बोले, हरे राम का तोता।



www.pradip13m.blogspot.com
Read More...

हरियाली तीज


हरियाली तीज

हरियाली तीज के शुभअवसर पर 
आप सभी को बहुत बहुत शुभकामनायें /
 हरियाली तीज

सावन की बहार छाई है ,चले आइये 
अपने प्रिय के साथ, इस मोसम का लुत्फ उठाइए 
रिमझिम फुहारों में भीग जाइये
इन्द्रधनुष के रंगों में खो जाइये 
प्रकृति ने अद्धभुत छटा बिखराई है 
हमारी धरा को नई दुल्हन सी सजाई है
बादल पहाड़ों पर झूक रहे हैं
पेड-पोधे भी उमंग से झूम रहे हैं
नदियाँ अपने पूरे उफान 
पर बह रही हैं 
सागर से मिलने को बेकरार हो रही हैं 
मदहोश करता एक अजब खुमार छाया है 
लो सावन का महीना आया है 
रूत सुहानी आई है 
 चारों और हरियाली छाई है 
औरतें सोलह श्रंगार करके धानी चुनरिया पहन के 
ढोलक पर कजरी,सावन के गीत गा रही हैं 
फूलों और पत्तों से झूले खूब सजा कर 
अपने प्रियतम के साथ खूब ऊँचे पेंच लड़ा रही हैं 
ये सब पर कैसी मस्ती छाई हुई है 
देखो सावन की हरियाली तीज आई है    
 
Read More...

..... ना हम खाली ना तुम खाली

हिंदी व्लागर्स फोरम इंटरनेशनल पर जब भी मैं आता हूं, तो सच कहूं मुझे दिल्ली के अपने अपार्टमेंट की याद आ जाती है, जहां मैं पिछले छह साल से रह रहा हूं। हमारे अपार्टमेंट में कुल आठ ब्लाक हैं, जिसमें लगभग दो सौ फ्लैट हैं। दस मंजिले वाली इस इमारत के हर फ्लोर पर चार फ्लैट हैं। हां ये पत्रकारों की सोसायटी है, इसमें पत्रकारों के अलावा कोई बाहरी आदमी नहीं रहता है। यहां सभी चैनलों, अखबारों के साथ ही न्यूज एजेंसी के लोग रहते हैं। एक बात और तमाम लोग ऐसे भी हैं जो एक ही चैनल और अखबार में काम करते हैं। आप सोच रहे होंगे कि आखिर ये सब बातें मैं क्यों बता रहा हूं। सिर्फ इसलिए कि लोगों को एक दूसरे से बिल्कुल मतलब नहीं हैं। मैं खुद सातवीं फ्लोर पर रहता हूं, मुझे नहीं पता कि मेरे साथ वाले वाकी तीन फ्लैट में और कौन लोग रहते हैं। मैं जिस टीवी चैनल में हूं, यहां के चार और लोग भी अपार्टमेंट में रहते हैं, लेकिन हममें से किसी को एक दूसरे का फ्लैट नंबर नही मालूम है।
वैसे ऐसा कई बार होता है कि हम लोग काम खत्म करने के बाद एक साथ कारोबार करते हैं। शायद आप कारोबार का मतलब ना समझ पाएं इसलिए बता देता हूं। मतलब कार में बार... यानि गाड़ी में पीना पिलाना हो जाता है। फिर सब अपनी अपनी कार में सवार हो जाते हैं और अपार्टमेंट पहुंचते पहुंचते तो भूल जाते हैं कि हम सब एक दूसरे को जानते भी हैं। एक बात और बता दूं, त्यौहार हम सब साथ मनाते हैं। कोई भी त्यौहार हो सब लोग चंदा करते हैं और अपार्टमेंट के गार्डेन एरिया में खाना सभी का एक साथ होता है। बहुत कम ऐसा होता है कि हम सब एक दूसरे के घर जाएं। ऐसा नहीं है कि कोई लडाई, झगडा है, आपस में कोई मन मुटाव भी नहीं है, बस मन ही नहीं होता कहीं जाने का। यहां एक शेर याद आ रहा है......
तुम्हें गैरों से कब फुर्सत, हम अपने गम से कब खाली,
चलो बस हो चुका मिलना, ना तुम खाली ना हम खाली।
अब आप सोच रहे होगे कि कहां हिंदी ब्लागर्स फोरम इंटरनेशनल और कहां श्रीवास्तव जी का अपार्टमेंट, दोनों की ये क्या तुलना है। लेकिन मेरे ख्याल से है। जैसे हम अपार्टमेंट में बाकी लोगों से मतलब नहीं ऱखते, यहां भी किसी को किसी से कोई मतलब नहीं है। हम किसी के लेख पर कभी नहीं जाते, अगर चले भी गए, तो वहां एक मिनट रुक कर कमेंट नहीं देते हैं। जैसे अपार्टमेंट के लोगों ने अपने को सीमित कर लिया है, वैसे ही यहां भी लोगों ने खुद को अपने तक समेट लिया है। लेकिन एक अच्छी बात यहां भी है, जैसे हम अपार्टमेंट में त्यौहारों पर खाना साथ खाते हैं, यहां वीकली मीट में कितने लोग एक साथ जमा होते हैं। मित्रों मैं कोशिश करुंगा कि अपने अपार्टमेंट के इस रवैये को बदूलूं और आप एक कोशिश कीजिए करें कि एक दूसरे की रचनाओं का ख्याल रखें। एक कवि का नाम तो मुझे याद नहीं आ रहा, लेकिन उनकी एक लाइन जरूर याद आ रही है।
तुम भले मुझे कवि मत मानों,
पर वाह वाह की ताली दो।
तो मित्रों मुझे लगता है कि जो बात मैं कहना चाहता था, आप तक पहुंच गई होगी। वाह वाह की ताली ना भी सही गाली ही दो लेकिन मित्रों दीजिए जरूर। इससे हम सबका उत्साह बढता है और लिखने की इच्छा जागृत होती है। वैसे मैं जानता हूं कि ये बात लिखने का मुझे कोई अधिकार नहीं है, लेकिन भाई अनवर से यहीं पर इसके लिए माफी भी मांग लेता हूं।


Read More...

अच्छी टिप्पणियाँ ही ला सकती हैं प्यार की बहार Hindi Blogging Guide (22)

ब्लॉगिंग से सम्बद्ध हिंदी से प्यार करने वालों के लिए पहली हिंदी गाइड का प्रकाशन वास्तव में सुखद है. बड़ी ही स्वाभाविक-सी बात है कि हर इन्सान की अपनी समझ, अनुभूति, अनुभव और अभिव्यक्ति होती है.परन्तु प्रायः देखा जाता रहा है कि कई कारणों से, मसलन, संकोचवश, अज्ञानतावश अथवा आत्मविश्वास की कमी के कारण आदमी अपने अन्दर उमड़ते-घुमडते विचारों को अभिव्यक्त नहीं कर पाता था . कई बार वो अपने विचार पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से कहने में कामयाब हो जाता था परन्तु कई बार उसके लेख/आलेख/निबंध/कविता और कहानी इत्यादि संपादक के नज़रिए से उनकी पत्र-पत्रिका के लिए उपयुक्त नहीं पाई जाती थी और उनकी अभिव्यक्ति के पंख कतर दिये जाते थे. कंप्यूटर युग आया.सम्प्रेषण आसान हुआ,दूरियां सिमट गईं. ब्लॉगिंग की सुविधा ने अंततः अभिव्यक्ति के रास्ते का हर रोड़ा हटा दिया.आप अपना ब्लॉग बनाकर अपने विचार किसी भी विधा में अपने ब्लॉग पर लगाने के लिए और उसे देश-दुनिया के पाठको के सामने प्रस्तुत करने के लिए स्वतंत्र हो गए.
ज़रा सोचये ,अब क्या हमारी ज़िम्मेदारी यह नहीं बन जाती कि हम निष्पक्ष और स्वस्थ विचार के लिए ही अपने ब्लॉग का इस्तेमाल करें.अगर एक ब्लोगर अपनी रचना अथवा लेख/आलेख के माध्यम से मानवता और समाज की बेहतरी को ध्यान में रखते हुए लेखन करता है तो उसकी क़लम और उसका लेखन सार्थक और प्रणम्य है.
ब्लॉग के ज़रिये आपकी अभिव्यक्ति तुरन्त देश-दुनिया के पाठकों का ध्यान आकर्षित करती है.ज़ाहिर है,समाज में व्याप्त बुराइयों को, ब्लॉग का सही इस्तेमाल करते हुए, हम आसानी से और जल्द दूर कर सकते हैं और एक स्वस्थ समाज की परिकल्पना को मूर्त रूप दे सकते हैं. 
अब अहम् सवाल ये उठता है कि क्या ब्लोगर उपर्युक्त नज़रिए से ब्लोगिंग का सही इस्तेमाल कर रहा है ?.कहीं ऐसा तो नहीं कि हम इसे महज़ एक सुविधा मानते हुए  बरसों से दबी अपनी भड़ास निकालने का टूल (tool) समझ बैठे हैं ? 
प्रायः देखने में आता है कि विवादित विषय को ब्लॉग पर ब्लॉगर उछाल देते हैं और टिप्पणियों के माध्यम से बहस होते देख मन ही मन प्रसन्न होते हैं और गौरवान्वित महसूस करते हैं. हाज़िर है मेरी एक ग़ज़ल का कुछ अंश  :-

अजब ब्लॉग दुनिया के भी हैं झमेले,
धड़ा-धड़ यहाँ पोस्टों के हैं रेले.
कहीं बात अम्नो-अमाँ की भी देखी,
कई धर्म की आड़ ले ले के खेले.

क्या ऐसा करना ब्लोगर की साफ़-सुथरी और स्वस्थ मानसिकता को दर्शाता है ?
ये सारे सवाल टिप्पणीकर्ताओं पर एक बड़ी और निम्न महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी डालते हैं,मसलन :-
  • हमें अच्छे समाज की संरचना के लिए ब्लॉग को सावधानी से पढ़ते हुए निष्पक्ष टिप्पणी देनी होगी.
  • हमें सही को सही और ग़लत को ग़लत कहने का साहस जुटाना होगा.
  • हमें गुणवत्तापरक टिप्पणियों पर ध्यान देना होगा.
ब्लोगिंग सही अर्थों में तभी तो सार्थक होगी. है ना.
और अंत में अपने प्यारे ब्लोगर साथियों को समर्पित मेरे निम्न अशआर:-
आप मेरे हमसफ़र हैं,हमक़दम,हम ख्वाब हैं.
हम उसी दर्ज़ा यक़ीनन आपके अहबाब है.
आप मंजिल की तरफ बेताब हो के देखिये,
मंजिलें भी पास आने के लिए बेताब हैं.

            कुँवर कुसुमेश
4/738, विकास नगर ,लखनऊ-226022
मोबा :- 09415518546
Blog : kunwarkusumesh.blogspot.com
E-Mail : kunwar.kusumesh@gmail.कॉम
Read More...

औरत हया है और हया ही सिखाती है , ‘स्लट वॉक‘ के संदर्भ में

औरत हया है और हया ही सिखाती है , ‘स्लट वॉक‘ के संदर्भ में
औरत हमारी मां है, हमारी बहन है और हमारी बेटी है।
एक औरत ही हमारी अर्धांगिनी होती है। बचपन में जब हम नंगे घूमते हैं तो एक औरत ही हमें सिखाती है कि बेटा नंगे मत घूमो। एक औरत ही यह बात मर्द बच्चे को बताती है और अपना हक़ मानती है। वह कभी नहीं सोचती कि यह तो नर बच्चा है, हम तो औरत हैं इसे क्यों बतायें कि इसे क्या पहनना है और क्या नहीं ? एक औरत ही अपनी बेटी को तन के साथ सिर ढकना भी सिखाती है। एक औरत ही बताती है कि लड़की के कपड़े लड़कों के कपड़ों से अलग होने चाहिएं। इसी को हम सभ्यता और संस्कृति कहते हैं। यह हमें मां सिखाती है जो कि एक औरत होती है। बच्चे की पहली पाठशाला उसकी मां होती है। बचपन में एक मां अपने बच्चे को जो कुछ सिखा देती है वह उसके दिलो-दिमाग़ से कभी निकल नहीं पाता। आज लोग कपड़े पहनते हैं और सार्वजनिक रूप से उतारने को बेशर्मी मानते हैं और यह लोगों के मन में इतनी गहराई तक जमा हुआ है कि जो लोग प्रचार पाने के लिए ऐसा फूहड़पन करते भी हैं तो इसे वे भी ‘बेशर्मी‘ ही मानते हैं और ऐसी वॉक को ‘बेशर्मी की चाल ‘ ही कहते हैं। भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी इसे बेशर्मी ही माना जाता है जिसे ‘स्लट वॉक‘ का नाम दिया गया है। नंगापन पश्चिमी संस्कृति नहीं है। नंगेपन को पश्चिम में भी बुरा ही माना जाता है। नंगापन बाज़ारवाद की देन है। मुनाफ़ाख़ोर व्यापारियों ने अपना माल बेचने के लिए ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए नारी देह का इस्तेमाल किया और फिर उसे सुनियोजित ढंग से जीवन के एक दर्शन के तौर पर पेश किया। नादान लोग उसकी चपेट में आ गए। जीवन और जगत को सतही ढंग से लेने वाले इन्हीं बाज़ारवादी पूंजीपतियों के हित साधन करने के लिए पश्चिमी सभ्यता का नाश करने के बाद अब भारतीय नैतिकता पर प्रहार कर रहे हैं। हरेक धर्म-मत के नर-नारी इन्हें एक आवाज़ होकर धिक्कार रहे हैं। इन्हें धिक्कार तो रही है ख़ुद इनकी आत्मा भी लेकिन सवाल है कॉन्ट्रेक्ट का। लोग पेट की ख़ातिर जुर्म तक कर डालते हैं, हो सकता है कि इन्हें भी इनकी मजबूरियां और इनकी ज़रूरतें या फिर इनकी हवस तन के कपड़े उतारने के लिए मजबूर कर रही हो। औरत बहरहाल साक्षात हया होती है। किसी मजबूरी में ही वह बेहया होती है। जैसे हम वेश्याओं के बारे में सहानुभूतिपूर्वक विचार करते हैं, ऐसे ही ‘स्लट वॉक‘ में शामिल औरतों के बारे में भी हमें हमदर्दी के साथ उनकी पृष्ठभूमि जानने की ज़रूरत है।
जल्दी में हमें औरतों को कुछ भी बुरा नहीं कहना चाहिए।
हमें संयम से काम लेना चाहिए।
रमज़ान का यह महीना भी हमें संयम की ही शिक्षा देता है।


Read More...

हाइकु गीत ----- दिलबाग विर्क


                 
                                                                 * * * * *
Read More...

मुस्कुरा दिया करना


जिन्दगी रुठी भी रही तो शिकवा नहीं कोई,
बस जब तुझे देखुँ, मुस्कुरा दिया करना;
घाव भर जायेंगे देख कर ही तुझको,
जब पास तेरे आऊँ खिलखिला दिया करना ।

वर्षों की थकान यूँ ही मिट जायेगी,
नींद बनकर थोड़ा सुला दिया करना;
कभी-भी मन जब काठ बन जाये,
इतना एहसान करना,रुला दिया करना ।

समझ न पाऊँ गर दुनिया की रीत,
हौले से बस थोड़ा समझा दिया करना;
नफरत भरी दुनिया में झुलस जाऊँ थोड़ा,
द्वेष की आग को बुझा दिया करना ।

भाग तो रहा हूँ मंजिल की खोज में,
बैठ जाऊँ थककर, उठा दिया करना;
भाग-दौड़ की दुनिया में,जब भागता ही जाऊँ,
प्यार की छाँव में बिठा दिया करना ।

भुल जाऊँ हर जख्म, भुल जाऊँ हर गम,
सर पर बस हाथ फिरा दिया करना;
जुड़ा है तुझसे,हर श्वास, हर खुशियाँ,
बस जब तुझे देखुँ, मुस्कुरा दिया करना ।

www.pradip13m.blogspot.com
Read More...

ये हैं क्रिकेट के बद्तमीज़


मित्रों काफी दिनों से सोच रहा था कि ब्लाग जगत में खेलों की चर्चा बहुत ही कम हो रही है, जबकि देश का एक बडा तपका इससे जुड़ा हुआ है। इसलिए खेल और खिलाड़ियों के बारे में भी कुछ बात कर ली जाए। सच कहूं तो हिम्मत नहीं हो रही है, कि पता नहीं इस लेख को कितना समर्थन मिलेगा, लेकिन अब चर्चा करना जरूरी हो गया है, क्योंकि पानी सिर के ऊपर हो चुकाहै। बहरहाल छोटी छोटी सिर्फ दो चार बातें कर लेते हैं। बात खेल की हो तो इसकी शुरुआत क्रिकेट से होती है और क्रिकेट से ही खत्म हो जाती है। इसलिए मैं भी क्रिकेट पर ही ज्यादा बात करूंगा, लेकिन दूसरे खिलाड़ियों को यहां याद करना जरूरी है, जिन्होंने देश का नाम रोशन किया है।बैडमिंटन- सायना नेहवाल, गोपीचंद फुलेला, मुक्केबाजी- विजेन्दर सिंह, कुश्ती, डिस्कस थ्रो- कृष्णा पूनिया, एथलीट- आशीष कुमार, टेनिस- साइना मिर्जा, शूटिंग- गगन नारंग, अभिनव बिन्द्रा के साथ तमाम और लोग भी हैं, जिन्होंने अपने अपने क्षेत्र में देश का नाम रोशन किया है। इनके प्रयासों को मैं सलाम करता हूं।
चलिए अब बात करते हैं भारतीय क्रिक्रेट और उसके बद्तमीज़ों की...। विश्वकप में जब भारत ने जीत हासिल की तो देश ने क्रिकेटरों को सिर पर बैठा लिया और कई दिन तक उनके जयकारे लगाए। क्रिकेटर जहां भी जाते उनके फैंस उन्हें घेर लेते। क्योंकि इस टीम ने देश का नाम रोशन किया था। लेकिन ये क्रिकेटर बद्तमीज़ होते जा रहे हैं। आज हालत ये हो गई है कि पैसे के लिए ये देश के मान सम्मान की भी चिंता नहीं करते। इसके लिए एक हद तक तो बीसीसीआई भी कम जिम्मेदार नहीं है। आइये देश को शर्मशार करने वाली कुछ घटनाओं की याद दिलाते हैं।
पिछले साल खेल में बेहतर प्रदर्शन करने के लिए महेन्द्र सिंह धोनी और हरभजन सिंह को पदमश्री से सम्मानित करने का फैसला किया गया, लेकिन गृह मंत्रालय से मिली जानकारी के मुताबिक धोनी और हरभजन ने राष्ट्रीय सम्मान पद्मश्री लेने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई थी। इसके बाद भी जब उनको पुरस्कार दिया गया तो वे इसे लेने नहीं पहुंचे। आपको हैरत होगी कि इन दोनों ने इस पुरस्कार को इतना असम्मानित किया कि इन्होंने अपना बायोडाटा तक गृहमंत्रालय को नहीं भेजा। यहां तक कि धोनी ने तीन महीने तक गृहमंत्रालय के फोन का जवाब तक नहीं दिया। सम्मान समारोह के कुछ दिन पहले हरभजन ने एसएमएस किया कि वो पद्मश्री लेने नहीं आ सकते, लेकिन धोनी ने तो आखिरी समय तक कोई जवाब नहीं दिया। गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने जब इन दोनों को आठ-दस बार फोन किया तो इनके घरवालों से ये जवाब सुनने को मिला कि वो सो रहे हैं।
धोनी के बारे में एक और जानकारी दे दूं, पिछली बार उन्हें खेल जगत का सर्वोच्च सम्मान राजीव गांधी खेल रत्न अवॉर्ड दिया गया। उस दौरान वे श्रीलंका में सीरीज खेल रहे थे। केंद्र सरकार ने उन्हें ऑफर दिया गया कि यदि वे आने को तैयार हों तो उनके लिए विशेष विमान की व्यवस्था की जा सकती है, लेकिन धोनी से आने से मना कर दिया।

ये तो कुछ पुरानी बातें हैं। अभी टीम इंडिया इंगलैंड में टेस्ट सीरीज खेल रही है। टीम के सम्मान में लंदन में भारतीय उच्चायोग ने एक डिनर पार्टी का आयोजन किया। इसमें इंगलैंड के साथ ही दुनिया के दूसरे देशों के राजदूतों को भी आमंत्रित किया गया था। प्रोटोकाल के अनुसार इस आयोजन मे शामिल होने से कोई इनकार नहीं कर सकता है। लेकिन बेहूदे क्रिकेटरों ने इस आयोजन में शामिल होने से साफ इनकार कर दिया। बाद में पता चला कि उच्चायोग के डिनर में जाने से क्रिकेटरों ने इस लिए इनकार किया कि धोनी की पत्नी के नाम वाले साक्षी फाउंडेशन का एक कार्यक्रम था। इसमें विश्वकप के दौरान जिस बल्ले से धोनी ने खेला था उसकी नीलामी थी। धोनी का बल्ला यहां 71 लाख रुपये में नीलाम हुआ। पैसा जब क्रिकेटरों के लिए देश से बडा हो जाए, तो हमें आपको इस पर जरूर सोचना चाहिए। सच तो ये है कि अगर बीसीसीआई ने समय रहते इन पर लगाम नहीं लगाया तो ये देश की साख को पैरों तले रौंद देंगे।
यहां आपको ये बताना जरूरी है देश का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न खिलाडियों को भी दिया जा सके, इसके लिए संविधान में संशोधन किया जा रहा है। देश भर से मांग उठ रही है कि सचिन तेंदुलकर को ये सम्मान मिलना चाहिए। इसके मद्देनजर सरकार इस सम्मान के प्रावधानों को बदलने भी जा रही है। लेकिन बडा सवाल ये कि क्रिकेट ये बदतमीज देश के सम्मान को कब तक ठोकर मारते रहेंगे।
बात खत्म करूं इसके पहले कल के मैच में हुई भारत की हार की चर्चा जरूरी है। खेल में हार जीत एक सामान्य बात है, होती रहती है, लेकिन इनके हास्यास्पद तर्क से कई सवाल खडे हो जाते हैं। टेस्ट मैंच में हार के बाद धोनी ने कहा कि वेस्टइंडीज के दौरे के बाद उनकी टीम को आराम नहीं मिला, जिसकी वजह से प्रदर्शन निराशाजनक रहा। अब धोनी से कौन पूछे कि विश्व कप के थकान भरे मैच के दो दिन बाद ही आईपीएल खेलने के समय ये शिकायत क्यों नहीं की। क्योंकि यहां उन्हें और खिलाडियों को पैसा दिख रहा था। इतना ही नहीं आईपीएल के बाद वेस्टइंडीज दौरे में तमाम खिलाडियों ने आराम के लिए टीम से नाम वापस ले लिया। अगर इन्हें देश की फिक्र होती तो ऐसा नहीं करते। आईपीएल में तो विरेंद्र सहवाग और गौतम गंभीर घायल होने के वाबजूद खेलते रहे।
खैर अब जरूरी हो गया है कि क्रिकेटरों पर लगाम लगाया जाए, क्योंकि देश के मान सम्मान से समझौता नहीं किया जाना चाहिए, चाहे वो कितना ही बडा खिलाडी क्यों ना हो। समय रहते ऐसा नहीं किया गया तो ये क्रिकेट के बद्तमीज देश की नाक कटवा देगें।
Read More...

Read Qur'an in Hindi

Read Qur'an in Hindi
Translation

Followers

Wievers

join india

गर्मियों की छुट्टियां

अनवर भाई आपकी गर्मियों की छुट्टियों की दास्तान पढ़ कर हमें आपकी किस्मत से रश्क हो रहा है...ऐसे बचपन का सपना तो हर बच्चा देखता है लेकिन उसके सच होने का नसीब आप जैसे किसी किसी को ही होता है...बहुत दिलचस्प वाकये बयां किये हैं आपने...मजा आ गया. - नीरज गोस्वामी

Check Page Rank of your blog

This page rank checking tool is powered by Page Rank Checker service

Promote Your Blog

Hindu Rituals and Practices

Technical Help

  • - कहीं भी अपनी भाषा में टंकण (Typing) करें - Google Input Toolsप्रयोगकर्ता को मात्र अंग्रेजी वर्णों में लिखना है जिसप्रकार से वह शब्द बोला जाता है और गूगल इन...
    11 years ago

हिन्दी लिखने के लिए

Transliteration by Microsoft

Host

Host
Prerna Argal, Host : Bloggers' Meet Weekly, प्रत्येक सोमवार
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

Popular Posts Weekly

Popular Posts

हिंदी ब्लॉगिंग गाइड Hindi Blogging Guide

हिंदी ब्लॉगिंग गाइड Hindi Blogging Guide
नए ब्लॉगर मैदान में आएंगे तो हिंदी ब्लॉगिंग को एक नई ऊर्जा मिलेगी।
Powered by Blogger.
 
Copyright (c) 2010 प्यारी माँ. All rights reserved.