हिंदी ब्लॉगिंग का रूप पिछले कुछ अर्से से काफ़ी बदल गया है। कुछ नए लोग आ गए हैं और कुछ पुराने चले गए हैं। हम ख़ुद भी जीती जागती सच्ची दुनिया में लोगों के दुख-दर्द दूर करने में जुट गए थे और यहां आना ऐसा लगता था जैसे कि देना ज़्यादा और पाना कम।
इंसान के पास वक्त सबसे क़ीमती सरमाया है।
ब्लॉगिंग में वक्त बहुत लगता है।
हम हट गए और हमारे साथियों में से भी कुछ फ़ेसबुक वग़ैरह की तरफ़ मुड़ गए लेकिन हमारे एक साथी डा. अनवर जमाल साहब ब्लॉगर डॉट कॉम पर ही डटे और अपने ब्लॉग बढ़ाते रहे।
अब ‘ब्लॉगर्स मीट वीकली‘ के लिए हमें बार-बार ईमेल करके बुलाया कि आप भी ‘हिंदी ब्लॉगर्स फ़ोरम इंटरनेशनल‘ के सदस्य हो। इसलिए मीट में आओ और सक्रियता दिखलाओ।
एक दो टिप्पणी तक तो ठीक है लेकिन सक्रियता दिखाने का मतलब ?
बहुत लंबे अर्से बाद एक पोस्ट लिख रहा हूं और चाहता हूं कि आपसे सुझाव और मार्गदर्शन मांगू कि क्या हिंदी ब्लॉगिंग में वापसी करना ठीक रहेगा ?
क्या ब्लॉगर्स मीट वीकली सचमुच हिंदी ब्लॉगर्स को जोड़ पाने में कामयाब रहेगी ?
यदि आपका जवाब हां हो तो फिर इसमें वक्त लगाने का कुछ फ़ायदा है वर्ना तो सूखे तिलों को निचोड़ने से फ़ायदा क्या है ?
देखिए ब्लॉगर्स मीट वीकली की पहली नशिस्त
http://hbfint.blogspot.com/2011/07/1-virrtual-step-to-be-unite.html
और
ब्लॉगर्स मीट वीकली की दूसरी नशिस्त
http://hbfint.blogspot.com/2011/08/2-love-for-all.html
हिंदी ब्लॉगिंग में आना ऐसा लगता है जैसे कि देना ज़्यादा और पाना कम।
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1 comments:
अयाज़ जी,
आपके सारे सवालों का जवाब तो नहीं है मेरे पास,
पर इतना जरूर कहूँगा कि हिन्दी ब्लॉगिंग मे वापिस आने से आपका ही फायदा होगा।
पहली बार जब आप ने हिन्दी ब्लॉगिंग को अपनाया होगा तो आप खुद के लिए यहाँ आए होंगे। पर अब मैं चाहूँगा कि इस बार आप उनके लिए वापिस आयें जो इस ब्लॉग जगत मे बिलकुल नए हों या फिर उनके लिए जिन्होने हिन्दी ब्लॉगिंग को आपकी तरह ही छोड़ दिया...
इससे आप इस आभाषी दुनिया मे एक नया मुकाम पाएंगे, और दूसरों की मदद करने से जो सुख मिलेगा आपको, वह सारे सुखों से बढ़कर ही होगा॥
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