हे ज्ञान की देवी शारदे

(मेरे ब्लॉग "मेरी कविता" पर ये सौवीं पोस्ट माता शारदे को समर्पित है । मुझे इस बात से अत्यंत हर्ष हो रहा है कि आज के ही शुभ दिन यह सुअवसर आया है जिस दिन सारा देश माँ की पूजा-अर्चना में लीन होगा ।)
हे ज्ञान की देवी शारदे,
इस अज्ञ जीवन को तार दे,
तम अज्ञान का दूर कर दे माँ,
तू प्रत्यय का उपहार दे ।

तू सर्वज्ञाता माँ वीणापाणि,
मैं जड़ मूरख ओ हंसवाहिनी,
चेतन कर दे,जड़ता हर ले,
मैं भृत्य तेरा हे विद्यादायिनी ।

जग को भी सीखलाना माँ,
सत्य का पाठ पढ़ाना माँ,
जो अकिञ्चन ज्ञान से भटके,
मति का दीप जलाना माँ ।

मैं दर पे तेरे आया माँ,
श्रद्धा सुमन भी लाया माँ,
सुध मेरी बस लेती रहना,
तेरे स्मरण से मन हर्षाया माँ ।

माँ कलम मेरी न थमने देना,
भावों को न जमने देना,
न लेखन में अकुलाऊँ माँ,
काव्य का धार बस बहने देना ।

माँ विनती मेरी स्वीकार कर,
मुझ मूरख का उद्धार कर,
कृपा-दृष्टि रखना सदैव,
निज शरण में अंगीकार कर ।

जय माँ शारदे ।
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रुश्दी घटिया और दोयम दर्जे के लेखक: काटजू

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सलमान रश्दी
नई दिल्ली।। भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष मार्कण्डेय काटजू ने बुधवार को कहा कि सलमान रुश्दी घटिया और दोयम दर्जे के लेखक हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि विवादस्पद किताब 'सैटेनिक वर्सेज' से पहले उन्हें बहुत कम लोग जानते थे।

कुछ समय पहले तक सुप्रीम के जस्टिस रहे काटजू ने भारत में जन्मे और ब्रिटेन में रहने वाले रुश्दी के प्रशंसकों की आलोचना की। काटजू ने कहा कि वे औपनिवेशिक हीनभावना से ग्रस्त है इसलिए विदेश में रहने वाले हर लेखक को महान मान लेते हैं।

भारतीय प्रेस परिषद (पीसीआई) के अध्यक्ष ने अपने बयान में कहा कि मैंने रुश्दी की कुछ पुस्तकें पढ़ी हैं और मेरा मानना है कि वह एक घटिया लेखक हैं और सैटेनिक वर्सेज से पहले उन्हें कम ही लोग जानते थे।

उन्होंने कहा कि यहां तक 'मिडनाइट्स चिल्ड्रन' को भी महान साहित्य कहना मुश्किल है। काटजू ने कहा कि समस्या यह है कि आज भारत के शिक्षित लोग औपनिवेशिक हीनभावना से ग्रस्त हैं। इसीलिए ऐसा है कि जो भी लंदन या न्यू यॉर्क में रहता है, वह महान लेखक हो जाता है, जबकि भारत में रहने वाले लेखक निम्न स्तर के माने जाते रहते हैं।
Source : http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/11629754.cms
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हमदर्दी के जज़्बात से ख़ाली होकर कविताएं गाने का मतलब क्या रह जाता है ?

विधवा समस्या इस बार की मीट का ख़ास टॉपिक था। वृंदावन में बहुत सी विधवाएं रहती हैं। जो निर्धन विधवाएं हैं, उनके मरने पर उनके शरीर को स्वीपर छोटे छोट पीस में काटकर थैलियों में भरकर फेंक देते हैं।
अंतिम संस्कार क्यों नहीं हो पाता इन विधवाओं का ?
और इससे भी बढ़कर यह कि उन्हें विधवा रहने पर मजबूर कौन करता है ?
अगर उनके सामने विवाह का विकल्प हो तो क्या वे विधवा रहकर कीर्तन करते रहना पसंद करेंगी ?
लेकिन बात यह है कि समाज में तो कुंवारियों को ही वर मिलने मुश्किल हो रहे हैं फिर विधवा को स्वीकारेगा कौन ?
वह कौन सी विचारधारा है जो विधवा के विवाह को प्रमुखता देती है ?


वह कौन सी विचारधारा है जिसके आदर्श पुरूषों ने विधवाओं से विवाह किया है , इस पर ग़ौरो फ़िक्र ज़माने की ज़रूरत है लेकिन किया किसी ने भी नहीं।
कहीं से किसी ने नहीं बताया कि इसका हल क्या है ?
ब्लागर मीट कहीं जंगल में रख लो तो मंगल मनाने हंसने बतियाने वहां पहुंच जाएंगे सब के सब और वृंदावन में बदहाल विधवाओं की चिंता न किसी दक्खनपंथी को है और न किसी मक्खनपंथी को।
हमदर्दी के जज़्बात से ख़ाली होकर कविताएं गाने का मतलब क्या रह जाता है ?
बस हरेक अपनी आज़ादी और अपनी सहूलत का ख़याल रख रहा है और बस ख़ुद के लिए पाना चाहता है।
दूसरों के लिए सोचना जब आएगा तब ब्लागर सच में इंसान कहलाएगा।
सही सोच का यही नक्शा पेश किया था पिछली ब्लागर मीट वीकली में
और अब तो नई मीट का दिन भी आ पहुंचा है।
ब्लॉगर्स मीट वीकली (26) Dargah Shaikh Saleem Chishti
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राजनीति

चुनावी दंगल में डान

उत्तर प्रदेश का चन्दौली जनपद धान का कटोरा माना जाता था मगर राजनैतिक व प्रशासनिक उपेक्षा के चलते किसानों के कटोरे से धान सूख गया है। अब इसकी पहचान नक्सली जनपद के रूप में की जाती है। आखिर हो भी क्यों ना? चकिया व नौगढ़ के जंगलों में नक्सलियों के पदचाप की कोलाहल गाहे-बेगाहे सुनायी देती रही है। किसानों की बदहाली व युवाओं की बेरोजगारी के साथ संसाधनों का आभाव प्रमुख वजह है। अगर राजनैतिक परिदृष्य पर गौर फरमाये नतो चन्दौली पचास से सत्तर के दशक के बीच लोकतांत्रिक राजनीतिक चेतना का गढ़ रहा है। यहां से राजनीति की शुरूवात करने वालों ने प्रदेश की राजनीति व सरकार को जहां नेतृत्व प्रदान किया है वहीं यहां विपक्ष की राजनीति करने वाले राजनीतिज्ञ भी अपनी अलग पहचान रखते थें। चन्दौली से सन् 1952 में अपनी राजनीतिक पारी की शुरूवात करने वाले दो राजनीतिक दिग्गज त्रिभुवन नारायण सिंह व पं0 कमलापति त्रिपाठी ने उत्तर प्रदेष सरकार की बागडोर सम्भाली। समाजवादी आनदोलन के जनक डा0 राममनोहर लोहिया ने सन् 1957 में चन्दौली से चुनाव लड़े व हार गये बावजूद इसके वे क्षेत्र से अपना सम्बंध बनाए रखे।
वैस तो जनपद में चार विधानसभा सीटें हैं मगर परिसीमन के बाद धानापुर व चन्दौली सदर दो विधानसभा सीटों का वजूद समाप्त हो गया है जिसके बाद सैयदराजा व सकलडीहा दो नये विधानसभा सृजित हुए। अब चकिया सुरक्षित के अलावा मुगलसराय, सैयदराजा व सकलडीहा जनपद की चार विधानसभा सीटें हैं। चुनाव की तारीख जैसे-जैसे करीब आ रही है सूबे में तमाम सियासी पार्टियों का चुनावी अभियान जोर पकड़ता जा रहा है। आज पांच दषक बीतने के बाद नये परिसीमन के साथ जनपद की राजनीति भी बदली सी गयी है। तभी तो सैयदराजा विधानसभा में 2012 में होने जा रहे चुनाव में जहां एक तरफ कानून का रखवाला चुनाव लड़ रहा है वहीं दूसरी तरफ कानून तोड़ने वाला भी चुनावी समर में ताल ठोंकता नजर आ रहा है।


सत्ता की हनक, विधायक की ठाट बाट और रूतबे को देखकर आज राजा से रंक तक को राजनीति का चस्का लग गया है। फिर जरायम जगत के चर्चित चेहरे सियासत का ताज पहनने से पीछे क्यों रहें? षायद यही वजह है कि जरायम की कालिख को सियासी लिबास में सफेद करने के लिए माफिया डान बृजेश सिंह भी सलाखों के पीछे से विधानसभा पहुंचने की जुगत में है। तभी तो वह चन्दौली के सैयदराजा विधानसभा सीट से प्रगतिषील मानव समाज पार्टी से चुनाव लड़ रहा है। डान के सामने पूर्व डिप्टी एसपी शैलेन्द्र सिंह भी कांग्रेस पर्टी से चुनाव लड़ रहें हैं। विदित हो कि शैलेन्द्र सिंह ने सपा सरकार में एक माफिया का एलएमजी पकड़े जाने वाले मामले में नौकरी छोड़ दी थी। लोगों में यह चर्चा आम है कि यहां मुकाबला कानून का रखवाला बनाम कानून तोड़ने वाले के बीच है। इसके अलावा सपा, बासपा, भाजपा व निर्दल उम्मीदवार भी चुनावी मैदान में हैं।
सैयदराजा विधानसभा में जातिगत आंकड़े पर गौर फरमाये तो यहां तकरीबन साठ हजार अनुसूचित जाति/जन जाति, पैतालिस हजार यादव, चालीस हजार राजपूत/भूमिहार, पच्चीस हजार मुसलमान, पच्चीस हजार बिन्द/मल्लाह, पन्द्र हजार ब्राहमण समेत अन्य बिरादरी के मतदाता हैं। ऐसे में वर्तमान पूर्व मंत्री व सदर बसपा विधायक शारदा प्रसाद को अपने कैडर वोट व ब्राहमण मतदाताओ का सहारा है तो सपा के रमाशंकर सिंह हिरन को परम्परागत मुस्लिम-यादव गठजोड, कांग्रेस को राहुल के जादू व शैलेन्द्र सिंह का साफ ईमानदार छवि तो भाजपा के हरेन्द्र राय का हंगाई व भ्रश्टाचार मुददा है। सपा के बागी व निर्दल उम्मीदवार मनोज कुमार सिंह डब्लू को यादव/मुस्लिम मतदाताओं का समर्थन व स्थानीय प्रतिनिधि व क्षेत्र की बदहाली के मुददे का सहारा, बृजेश सिंह को स्वजातीय मतों के अलावा बिन्द/मल्लाह के समर्थन से चुनावी नैया पार लगाने की जुगत में है। स्वाजातीय उम्मीदवारों से घिरे माफिया डान बृजेश सिंह का सियासी सफर आसान नहीं लग रहा है। इसके साथ भतीजे व धानापुर से बसपा विधायक सुशील सिंह की कारकरदगी का भी सामना इनको करना पड़ सकता है। सूत्रों की मानें तो डान का चुनवी कमान उनका साल, पत्नि व खास लोगों के कंधों पर है। इनके लोग कहीं जाति तो कहीं जान बचाने के नाम पर वोट मांग रहे हैं।


एक तरफ जहां क्षेत्र में बिलजी, पानी, सड़क व स्वास्थ सेवाओं की बदहाली तो दूसरी तरफ गंगा कटान में समाती किसानों के मकान व कास्त की जमीने भी चुनाव के प्रमुख मुददें होंगे। बदहाल किसान, बेरोजगार युवा, बदहाल षिक्षा व्यवस्था भी नेताओं के सामने होगा। पांच साल तक उपेक्षित जनता बदलाव के मूड में है। सियासी जानकारों की मानें तो ऐसे में जबर्दस्त सियासी घमास की उम्मीद है। कडाके की ठण्ड में भी सैयदराजा में सियासी पारा गर्म है। चैराहों-चैपालों में जितनी मुंह उतनी बातों का सिलसिला जारी है। आटकलों और आकलनों बाजार गर्म है। सियासी दंगल में उंट किस करवट बैठेगा लोगों में कयासों का दौर जारी है।

एम. अफसर खान सागर
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ब्लॉगर्स मीट वीकली (27) Frequently Asked Questions






ब्लॉगर्स मीट वीकली (27)
प्रेरणा अर्गल का सलाम और प्रणाम उन सभी ब्लॉगर्स को जो यहां आते हैं.
सार्थक लेखन को सामने लाना इस मीट का एक उद्देश्य है ताकि हिंदी ब्लॉगर्स के चिंतन को सकारात्मक दिशा दी जा सके. मात्र मनोरंजन ही इस फ़ोरम का उददेश्य नहीं है. लोकप्रिय कॉलम में हरेक मीट का उच्च स्थान पाना इसके पाठकों की संख्या का प्रमाण है.

आज सबसे पहले मंच की पोस्ट्स

डा. अनवर जमाल जी की रचनाएं

गांधी जी की अहिंसा पर उठाए सवाल Gandhi


ब्लॉगर्स मीट वीकली (26) Dargah Shaikh Saleem ChishtiGood Morning Dear Friend

देवेन्द्र गौतम जी

अयाज़ अहमद जी की रचना

किसी अच्छे काम के लिए पीसफ़ुल एक्टिविटी करना जिहाद है . True Jihad - Mawlana Wahiduddin खान

मंच के बाहर की पोस्ट

"घूम रहे शैतान" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंकजी")

सज्जनता का ओढ़ लबादा,
घूम रहे शैतान!
संकट में है हिन्दुस्तान!

साधना वैदजी की रचना

ओपरा विनफ्रे और हमारा आगरा

कल अमेरिका की मशहूर टी वी होस्ट ओपरा विनफ्रे आगरा आईं ! उन्होंने ताजमहल देखा और उस पर अपने शो के लिये डॉक्यूमेंट्री फिल्म भी बनाई !

सुमन "मीत'"जी की रचना

दर्द

कुछ रोज पहले ही
जिया था मैंने तुझको
अपनी साँसों को कर दिया था
नाम तेरे
वंदनाजी की रचना

कैसा चलन आया ज़माने ये सुनता है घुटती हुई का

फिर भी सांस लेता

चंद्र मौलेश्वर प्रसाद जी की रचना
ये घुटने है या बला!

" इन्सान में बुढ़ापा सबसे पहले घुटनों में ही आता है । इसीलिए :
* ४० + होते होते आपके घुटनों की व्यथा एक्स रेज समझने लगते हैं
महेंद्र श्रीवास्तव जी की रचना

बदबू आती है यूपी की राजनीति से ..

.

चुनाव जीतना है मकसद, तरीका कुछ भी और कैसा भी हो। सच कहूं तो इस समय नेताओं की बातों में इतनी गंदगी भरी हुई है कि इनका नाम भर सुनकर बदबू आने लगती है।
देवेन्द्र गौतमजी की रचना
हाल के वर्षों में बिहार झारखंड के कस्बाईइलाकों की कईप्रतिभाओं ने राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बड़ीउपलब्धियां हासिल करयह साबित किया है किऊंची उड़ान कहीं से भीलगाई जा सकती है.
शालिनी पांडेजी की रचना
दोस्तों! आजकल टीवी के लगभग सभी चैनलों पर किसी न किसी बाबा की उपस्थिति अनिवार्य सी हो गयी है।
सुमनजी की रचना
बहुत बार ऐसा होता है कि, नकारात्मक विचारों से भरा हमारा यह मन अक्सर जीवन में थोड़ी देर के लिये ही सही पर, काफी उथल-पुथल मचा देता है !
अनामिका की सदायें

हमें नींद क्यों आती है? - *हमें नींद क्यों आती है? और ये अधिकतर रात में ही क्यों आती है? * * -अतुल कुमार जरारिया, एमपी * * * वास्तव में इस सवाल ने पुराने जमाने से अब तक वैज्ञानिकों...

Islam and sexual orientation In this, Islam resembles socially conservative interpretations of other Abrahamic religions such as Judaism and Christianity.

दूल्हा बिकता है.....

जातिप्रथा ओर दहेज प्रथा हमारे सस्माज के आदि दुषण है... दूल्हा हमारे यहा बिकते है॥ एसए तो ये प्रथा अब धीरे धीरे ख़तम होने पर है... ओर आने वाले दिनो मे कुछ साल पासचात देशसे खत्मा होगी ये आशावाद ग़लत नही.. दहेज प्रथा के खिलाफ हमारा पुराना अभियान है...
<span title=Writer : चौला कुरुवा
पवित्र प्रेम ही सारी समस्याओं का एकमात्र हल है Divine Love - चरम सुख के शीर्ष पर औरत का प्राकृतिक अधिकार है और उसे यह उपलब्ध कराना उसके पति की नैतिक और धार्मिक ज़िम्मेदारी है. प्रेम को पवित्र होना चाहिए और प्रेम त्याग भ...

'Love Jihad' उर्फ़ नाच न जाने आंगन टेढ़ा

डा. दिव्या श्रीवास्तव उर्फ़ ZEAL: लव-जेहाद के जवाब में
लव जिहाद का चर्चा फिर उठाया जा रहा है और इसके नाम पर इस्लाम और मुसलमान को बदनाम किया जा रहा है.
ऐसे भी हैं जो उनसे ऊपर होकर ख़ुद अपनी शादी कर लेते हैं या फिर लिव इन रिलेशन में रहने लगते हैं।
क्या दूसरे समुदाय के लड़के और लड़कियों को ‘लिव इन रिलेशन‘ में रहने की प्रेरणा भी मुसलमान युवक ही देते हैं ?
इसमें इस्लाम और जिहाद कहां से आ गया ?
इस्लाम तो यह कहता है कि अजनबी औरत मर्द तन्हाई में आपस में इकठ्ठे ही न हों कि जज़्बात में उबाल आए और क़दम बहक जाएं.

जिहाद का मतलब क्या है और जन्नत का हक़दार कौन है ? Jihad and Jannat

Dr. Anwer Jamal with Maulana Wahiduddin Khan
जो अपने आपको पाक करता है। उसके लिए जन्नत है। जितनी भी नेगेटिव थिंकिंग्स हैं, उनसे ख़ुद को पाक करना है। नफ़रत, हसद और ग़ुस्से से ख़ुद को पाक करना है।

एक Interview तेजेन्द्र शर्मा से


तेजेन्द्र शर्मा ब्रिटेन में हिदी के महत्वपूर्ण रचनाकार हैं। बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी तेजेन्द्र शर्मा का प्रीत अरोड़ा द्वारा लिया Interview

नाबालिग लड़की के साथ रेप Father arrested


विशेष संवाददाता ।। नई दिल्ली साउथ दिल्ली के सरोजनी नगर थाना इलाके में 16 साल की नाबालिग लड़की के साथ

12 लोगों को फांसी दी गई ईरान में Punishment for rape in Islam



तेहरान।। ईरान के अधिकारियों का कहना है कि दक्षिणी शहर शीराज में 12 लोगों को फांसी दी गई है। समाचार एजेंसी महर के मुताबिक फांसी
मुशायरा ब्लॉग पर

बहार हो कि खिज़ां मुस्कुराए जाते हैं Bahaar


बहार हो कि खिज़ां मुस्कुराए जाते हैं,
हयात हम तेरा एहसाँ उठाए जाते हैं |
सुलगती रेत हो बारिश हो या हवाएं हों,
ये बच्चे फिर भ़ी घरौंदे बनाए जाते हैं |

आम बीमारी, खास इलाज - [image: woman] *यूटराइन फाइब्रॉइड महिलाओं के यूटरस से जुड़ी बीमारी है* यूटराइन फाइब्रॉइड महिलाओं के यूटरस से जुड़ी बीमारी है। यह एक तरह का गैर कैंसरस ट्यूम...

हिन्दू मुस्लिम की यह नफरत चुनाव में ही क्यूँ फेलाती है पार्टी और पार्टी के लोग ..दोस्तों देश में अमन विकास अगर चाहिए तो नफरत फेलाने वालों को नंगा करो - दोस्तों पांच राज्यों में चुनाव प्रचार चल रहा है ..संविधान के धर्मनिरपेक्ष और राष्ट्रीयता का दम भरने वाले सियासी लोगों ने देश को हिन्दू मुस्लिम सिक्ख दलित औ...

आधुनिक महिला और इस्लाम- 1

नकीबुल हक

Video Stream

Maulana has been addressing individuals, for decades, to re-engineer their minds and begin the process of constructing a positive personality in them Presently his addressals are held on a weekly basis at the Centre with an interactive session on Saturdays and Sundays.
हमने मौलाना वहीदुददीन ख़ान साहब का लेक्चर (15 जनवरी 2012) सुना तो हमने सोचा कि मौलाना के विचार नियमित रूप से हिंदी ब्लॉगर्स और हिंदी नेट यूज़र्स के सामने भी आने चाहिएं सो हमने उनका एक हिंदी ब्लॉग बना दिया है जो कि आपको सप्रेम भेंट है, देखिए
अल-रिसाला हिंदी
शांति और रूहानियत की उपलब्धि के लिए

A spiritual gift for you

और इसी के साथ इंसान को जिन सवालों की वजह से परेशान रहता है उन सबका जवाब भी वह पा सकता है उनकी वेबसाइट पर देखिए

Frequently Asked Questions


मौलाना अपनी बुढ़ापे की उम्र में भी इसी शांति और रूहानियत का संदेश लेकर पूरब से लेकर पश्चिम तक घूम रहे हैं, जो लोग दिल्ली या उसके आस पास रहते हैं वे मौलाना वहीदुददीन ख़ान साहब को रू ब रू सुनने की ख़ुशक़िस्मती पा सकते हैं उनके सेंटर पर जिसका पता है सीपीएस इंटरनेशनल 1 निज़ामुददीन वेस्ट नई दिल्ली 110013 एक फ़ोन नंबर भी है जिस पर आप उनके कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं- 01124357333

कैसी
लगी आपको आज की हमारी ख़ास पेशकश ?

शुभकामनाओं के साथ
अनवर जमाल
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अनवर भाई आपकी गर्मियों की छुट्टियों की दास्तान पढ़ कर हमें आपकी किस्मत से रश्क हो रहा है...ऐसे बचपन का सपना तो हर बच्चा देखता है लेकिन उसके सच होने का नसीब आप जैसे किसी किसी को ही होता है...बहुत दिलचस्प वाकये बयां किये हैं आपने...मजा आ गया. - नीरज गोस्वामी

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