दीवाली हर साल आती है। इस साल भी आ रही है। दीवाली क्यों मनाई जाती है?
इस बात को लेकर कई बातें कही जाती हैं। दीवाली मनाने का कारण जो भी हो, हमें उसकी आलोचना नहीं करनी है।
दीवाली को रौशनी का त्यौहार कहा जाता है। इस त्यौहार को मनाने वाले अपने घरों से पुराना कचरा साफ़ करते हैं। नया रंग-रोग़न करते हैं। उसे नए सामान से सजाते हैं और फूलों से महकाते हैं।
घर के साथ अपने मन का ध्यान भी रखना ज़रूरी है। इसमें भी रौशनी हो। यह रौशनी ज्ञान की रौशनी होनी चाहिए। अपने मन से भी कचरा विचार को निकाल देना चाहिए। इसमें नए विचार हों और फिर उन्हें दूसरों तक पहुंचाना चाहिए जैसे कि फूलों की महक दूसरों तक पहुंचती है।
त्यौहार की बाहरी रस्में जो भी हों लेकिन इस मौक़े पर उनकी हक़ीक़त को भी अपने अंदर जगाने की ज़रूरत है।
त्यौहार की बाहरी रस्मों को चाहे केवल हिन्दू भाई मनाएं लेकिन अपने मन की सफ़ाई सुथराई सब साथ मिलकर कर सकते हैं।
इस साल दीवाली ऐसे मनाई जाए तो यह सबके लिए शुभ होगी।
सभी दीवाली मनाने वालों को शुभ दीवाली!
इस बात को लेकर कई बातें कही जाती हैं। दीवाली मनाने का कारण जो भी हो, हमें उसकी आलोचना नहीं करनी है।
दीवाली को रौशनी का त्यौहार कहा जाता है। इस त्यौहार को मनाने वाले अपने घरों से पुराना कचरा साफ़ करते हैं। नया रंग-रोग़न करते हैं। उसे नए सामान से सजाते हैं और फूलों से महकाते हैं।
घर के साथ अपने मन का ध्यान भी रखना ज़रूरी है। इसमें भी रौशनी हो। यह रौशनी ज्ञान की रौशनी होनी चाहिए। अपने मन से भी कचरा विचार को निकाल देना चाहिए। इसमें नए विचार हों और फिर उन्हें दूसरों तक पहुंचाना चाहिए जैसे कि फूलों की महक दूसरों तक पहुंचती है।
त्यौहार की बाहरी रस्में जो भी हों लेकिन इस मौक़े पर उनकी हक़ीक़त को भी अपने अंदर जगाने की ज़रूरत है।
त्यौहार की बाहरी रस्मों को चाहे केवल हिन्दू भाई मनाएं लेकिन अपने मन की सफ़ाई सुथराई सब साथ मिलकर कर सकते हैं।
इस साल दीवाली ऐसे मनाई जाए तो यह सबके लिए शुभ होगी।
सभी दीवाली मनाने वालों को शुभ दीवाली!