कुल्लु नफ्सिन ज़ायक़तुल मौत -आल-क़ुर्'आन
हर जान को मौत का ज़ायक़ा चखना है.
हमारे वालिद जनाब मसूद अनवर ख़ान यूसुफ़ ज़ई साहब का इंतेक़ाल (देहावसान) हो गया है जुमा (26 अप्रैल 2014) और शनिवार (27 अप्रैल 2014)की दरमियानी रात मे 7:25 PM पर. उनकी उम्र तक़रीबन 69 साल थी. सब लोगों से दुआ और इसाले सवाब की दरख्वास्त है. उनकी नमाज़े जनाज़ा असगरिया मदरसा (न्यू बिल्डिंग) में मैने अदा करवाई जिसमे तक़रीबन 500 लोगों ने दुआ ए मगफ़िरत की 27 अप्रैल 2014 को 10:15 अम पर. उनकी तद्फीन हमारे ख़ानदानी क़ब्रिस्तान मे 10:30 AM पर हुई.
इन्ना लिल्लाही व इन्ना इलैहि राजिऊन.
हम सब अल्लाह के हैं और हमें उसी की तरफ लौट जाना है.
उन्होंने एक अच्छे बाप की सारी ज़िम्मेदारियाँ निभाई हैं. हम अल्लाह का शुक्र अदा करते हैं कि उसने हमें इतना अच्छा बाप दिया जिसने हमें शहज़ादों की तरह पाला और अपनी ताक़त की हद तक कभी किसी चीज़ की कमी महसूस न होने दी. इसी के साथ उन्होंने हमें हक़ीक़ी दुनिया में जिद्दोजहद करना भी सिखाया जो कि बेहतर मुस्तक़बिल के लिये एक लाज़िमी चीज़ है.
हम सब अल्लाह के हैं और हमें उसी की तरफ लौट जाना है.
उन्होंने एक अच्छे बाप की सारी ज़िम्मेदारियाँ निभाई हैं. हम अल्लाह का शुक्र अदा करते हैं कि उसने हमें इतना अच्छा बाप दिया जिसने हमें शहज़ादों की तरह पाला और अपनी ताक़त की हद तक कभी किसी चीज़ की कमी महसूस न होने दी. इसी के साथ उन्होंने हमें हक़ीक़ी दुनिया में जिद्दोजहद करना भी सिखाया जो कि बेहतर मुस्तक़बिल के लिये एक लाज़िमी चीज़ है.
अल्लाह हमारे वालिद साहब की मगफ़िरत फ़रमाये और उन्हें अपने दीदार से नवाज़े और हमारे नेक आमाल को उनकी राहत का सामान बनाये.
हम अल्लाह से अल्लाह की रिज़ा चाहते है. हमारे वालिद साहब की तालीमो तरबियत जो उन्होंने अपने बेटे बेटियों को दी है, उसका नफ़ा सारी इंसानियत को पहुंचे. सबको मुहब्बत और अम्नो अमान नसीब हो, जिसके लिये हमारे वालिद साहब ज़िंदगी भर मेहनत करते रहे.
आमीन.