एक महिला ब्लॉगर शुरू से ही 50 टिप्पणियां लेने के लिए जानी जाती हैं। ऐसा इस वजह से है कि वह ब्लॉगर्स की टिप्पणियों को कबूतर की तरह पकड़ती हैं। टिप्पणी पाने की उनकी यह तकनीन डिज़ायनर ब्लॉगिंग में ‘पीजन तकनीक‘ के नाम से जानी जाती है।
कबूतर पालने के शौक़ीन दूसरों के कबूतर कैसे पकड़ते हैं ?
दूसरों के उड़ते हुए कबूतरों को वह लाख पुकार कर बुलायें लेकिन वह पुकार सुनकर आने वाले नहीं हैं। इसके लिए कबूतरबाज़ पहले अपने कुछ कबूतर हवा में उड़ाता है। वे कबूतर ऊपर हवा में चक्कर काटने लगते हैं। अजनबी कबूतर भी उनमें आकर शामिल हो जाता है। फिर वे कबूतर जब अपने ठिकाने पर लौटते हैं तो नया कबूतर भी उनके साथ ही आ जाता है। ठीक ऐसे ही दूसरों की टिप्पणियां पाने के लिए कुछ ब्लॉगर्स अलग अलग आई डी से अपने ब्लॉग पर ख़ुद ही सहमति-असहमति और ऐतराज़ की टिप्पणियां करके एक बहस का माहौल क्रिएट कर देते हैं और ब्लॉग पर बहस और चर्चा का माहौल बना देखकर दूसरे ब्लॉगर सचमुच ही उसमें बहस लेने के लिए शामिल हो जाते हैं। इस तरह उन्हें ब्लॉग पर आने की आदत पड़ जाती है और डिज़ायनर ब्लॉगर अपनी टिप्पणियां कम करता चला जाता है और एक समय ऐसा भी होता है जब उसे अपने ब्लॉग पर टिप्पणी करने से ‘विरक्ति‘ सी हो जाती है।
डिज़ायनर ब्लॉगिंग के लिए जानी जाने वाली एक महिला ब्लॉगर के ब्लॉग की स्कैनिंग के बाद पाया गया कि उसने 15 आई डी बना रखी हैं और उनसे उसने ब्लॉग भी बना रखे हैं। वह इन सब को समय समय पर अपडेट भी करती रहती है। यह वाक़ई एक मेहनत का काम है। मेहनत हमेशा रंग लाती है और अगर उसे एक अच्छे प्लान के साथ किया जाए तो मेहनत बहुत कम समय में ही बहुत ज़्यादा रंग ले आती है।
जो ब्लॉगर चाहते हैं कि उनके ब्लॉग पर टिप्पणियों की संख्या बढ़ जाए तो उनके लिए ‘पीजन तकनीक‘ एक बेहतरीन तरीक़ा है। इसका सबसे बड़ा गुण यह है कि यह ब्लॉगर को तुरंत रिज़ल्ट देता है और उसके अंदर आत्मविश्वास का संचार करता है।
हिंदी ब्लॉग जगत में अपनी सेवाओं के लिए पुरस्कृत बहुत से ऊंचे नाम इस ‘पीजन तकनीक‘ का इस्तेमाल करते हुए देखे जा सकते हैं। इस विधि के कारगर होने के लिए यह एक उम्दा सुबूत है।
इस तकनीक के कारगर होने के बावजूद इसका एक नकारात्मक पक्ष भी है और वह यह है कि ऐसा करने वाला ब्लॉगर यदि इस तकनीक का प्रयोग करते हुए पकड़ा गया तो उसकी छवि पर आंच आ सकती है।
कबूतर पालने के शौक़ीन दूसरों के कबूतर कैसे पकड़ते हैं ?
दूसरों के उड़ते हुए कबूतरों को वह लाख पुकार कर बुलायें लेकिन वह पुकार सुनकर आने वाले नहीं हैं। इसके लिए कबूतरबाज़ पहले अपने कुछ कबूतर हवा में उड़ाता है। वे कबूतर ऊपर हवा में चक्कर काटने लगते हैं। अजनबी कबूतर भी उनमें आकर शामिल हो जाता है। फिर वे कबूतर जब अपने ठिकाने पर लौटते हैं तो नया कबूतर भी उनके साथ ही आ जाता है। ठीक ऐसे ही दूसरों की टिप्पणियां पाने के लिए कुछ ब्लॉगर्स अलग अलग आई डी से अपने ब्लॉग पर ख़ुद ही सहमति-असहमति और ऐतराज़ की टिप्पणियां करके एक बहस का माहौल क्रिएट कर देते हैं और ब्लॉग पर बहस और चर्चा का माहौल बना देखकर दूसरे ब्लॉगर सचमुच ही उसमें बहस लेने के लिए शामिल हो जाते हैं। इस तरह उन्हें ब्लॉग पर आने की आदत पड़ जाती है और डिज़ायनर ब्लॉगर अपनी टिप्पणियां कम करता चला जाता है और एक समय ऐसा भी होता है जब उसे अपने ब्लॉग पर टिप्पणी करने से ‘विरक्ति‘ सी हो जाती है।
डिज़ायनर ब्लॉगिंग के लिए जानी जाने वाली एक महिला ब्लॉगर के ब्लॉग की स्कैनिंग के बाद पाया गया कि उसने 15 आई डी बना रखी हैं और उनसे उसने ब्लॉग भी बना रखे हैं। वह इन सब को समय समय पर अपडेट भी करती रहती है। यह वाक़ई एक मेहनत का काम है। मेहनत हमेशा रंग लाती है और अगर उसे एक अच्छे प्लान के साथ किया जाए तो मेहनत बहुत कम समय में ही बहुत ज़्यादा रंग ले आती है।
जो ब्लॉगर चाहते हैं कि उनके ब्लॉग पर टिप्पणियों की संख्या बढ़ जाए तो उनके लिए ‘पीजन तकनीक‘ एक बेहतरीन तरीक़ा है। इसका सबसे बड़ा गुण यह है कि यह ब्लॉगर को तुरंत रिज़ल्ट देता है और उसके अंदर आत्मविश्वास का संचार करता है।
हिंदी ब्लॉग जगत में अपनी सेवाओं के लिए पुरस्कृत बहुत से ऊंचे नाम इस ‘पीजन तकनीक‘ का इस्तेमाल करते हुए देखे जा सकते हैं। इस विधि के कारगर होने के लिए यह एक उम्दा सुबूत है।
इस तकनीक के कारगर होने के बावजूद इसका एक नकारात्मक पक्ष भी है और वह यह है कि ऐसा करने वाला ब्लॉगर यदि इस तकनीक का प्रयोग करते हुए पकड़ा गया तो उसकी छवि पर आंच आ सकती है।
एक ही ब्लॉगर जब बहुत सी आई डी बनाकर कमेंट करता है तो वह अगर होशियार नहीं है तो उससे कुछ ऐसी ग़लतियां हो जाती हैं, जिनके ज़रिये वह पहचान लिया जाता है। ऐसे में थिंक टैंक टाइप डिज़ायनर ब्लॉगर्स ने कुछ टिप्स दिए हैं जिन्हें अपनाने के बाद पकड़ में आना मुश्किल हो जाता है। उन टिप्स की चर्चा भी किसी पोस्ट में अवश्य की जाएगी।
29 comments:
un mahan mahila blogar ka naam to bata dijiye .
anwar ji,
kahne vale kah gaye ki jung aur pyar me sab kuchh jayaj hai aur yahan tippaniyon se pyar aur doosron ke mukable jyada tippani lene ki jang me sab kuchh sahi kar rahi hain ve.tippani hai hi aisa maya jal ki sab kuchh karke bhi tippani lee hi jati hain .ab sab to aapke jaise maya moh rahit nahi hote hain.sarthak v shandar post.
आ....आ...आ...आ...आ....आ...आ...आ...
जय हिंद...
मेरे बोरिंग ब्लॉग पर टिप्पणियाँ बहुत कम आती हैं. ये टिप्स देकर आपने अच्छा नहीं किया :))
ऐसा भी होता है ??
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा आज शनिवार के चर्चा मंच पर भी की गई है!
यदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल इसी उद्देश्य से दी जा रही है! अधिक से अधिक लोग आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो
चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।
हा हा हा
वाह ...
@ भूषण जी ! आपकी टिप्पणी मुझे बहुत प्रिय है
इसीलिए आपको सबके साथ लिंक भेजने के बाद ख़ास लोगों के साथ दुबारा भी लिंक भेज देता हूँ .
शुक्रिया .
हा हा हा ...
@ खुशदीप जी ! आपकी टिप्पणी भी खूब है .
ऐसी टिप्पणी शायद आपने भी पहली बार ही दी होगी .
शुक्रिया .
ye sab to theek hai , pr wo sab bhi to bataiye jo perde ke peechehai naam na sahi techiniq to bataiye
bap re bap
yesa bhi hotha hai keya??
बहुत अच्छी जानकारी दी आपने /ऐसा भी होता है ये पहली बार पता चला /चलिए इस ब्लॉग की दुनिया के बारे में नई नई बातें पता चल रही हैं/धन्यवाद आपका /
pigeon technic.......achchha laga:)
ब्लोगावतरण आपका इधर भी हो ,नज़रे इनायत इधर भी हो तो बात बन जाए ......आपकी "कबूतर प्रोद्योगिकी और टेलर मेड चिठ्ठी /चिठ्ठे की जितनी तारीफ़ की जाए ,कम है ,जहां गुड होता हैं वहां चींटियाँ आती ही हैं आभार आपका ,आपकी धुरंधर शैली का ... .जय अन्ना !जय श्री अन्ना !आभार बेहतरीन पोस्ट के लिए आपकी ब्लोगियाई आवाजाही के लिए;
बृहस्पतिवार, १८ अगस्त २०११
उनके एहंकार के गुब्बारे जनता के आकाश में ऊंचाई पकड़ते ही फट गए ...
http://veerubhai1947.blogspot.com/
Friday, August 19, 2011
संसद में चेहरा बनके आओ माइक बनके नहीं .
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/
INTRESTING
duniya rang-birangi re
is rang ke logon se vakif karvane ke lie shukriya
रोचक...
शोधपूर्ण.
काफी नयी जानकारी मिली ...
वाह क्या बात है !
yae kaam bahut hi vaahiyat hae ki bina naam liyae sab mahila blogger par aakshep kar diyaa jaaye
himmat hae to naam lae
disgusting and clearly shows how anti woman the writer is
he has no proof
@ रचना जी ! आप लेख में वह चीज़ क्यों तलाश कर लेती हैं जो कि उसमें होती नहीं है। इसमें सारी महिलाओं का तो ज़िक्र ही नहीं है और आरोप एक महिला पर भी नहीं है बल्कि एक महिला ब्लॉगर की तारीफ़ की जा रही है कि उसने हतोत्साहित होकर ब्लॉग जगत छोड़ने के बजाय ब्लॉगर्स को आकर्षित करने के लिए ‘पीजन तकनीक‘ का विकास किया और ख़ुद को हिंदी ब्लॉग जगत में स्थापित किया। नाम लेने की ज़रूरत कोई है नहीं तो नाम लिया नहीं और रही हिम्मत की बात तो यहां कोई जंग तो चल नहीं रही है कि हिम्मत और बहादुरी दिखाई जाए।
लेकिन बाइ द वे आप मेरी चीज़ें चेक क्यों करना चाहती हैं ?
हमारी हिम्मत चेक करने के लिए हमारी वाइफ़ ही बहुत है।
...ब्लॉगिंग में लगे देखकर वह हमें नसीहतें करती रहती हैं और कभी कभी तो इतना ज़्यादा कह देती हैं कि हमारी हिम्मत ही जवाब दे देती है।
हिम्मत चेक करने के लिए एक ब्लॉगर्स के पास सबसे अच्छा टूल उसकी अपनी निजी बीवी है।
अब आप बताइये कि आप अपनी हिम्मत अपने घर में ही चेक कर लेती हैं या फिर आपका तरीक़ा कुछ अलग है, जैसा कि आप स्लट वॉक की हिमायती हैं और हम नहीं हैं।
हम दोनों के नज़रिये में फ़र्क़ है तो तरीक़े में भी ज़रूर होगा।
आपके जवाब की प्रतीक्षा में...
अपनी पत्नी का पति
अनवर जमाल
हा हा हा ,इस तकनीक से रूबरू कराने के लिये शुक्रिया । पर हमारे जैसे लोग क्या करें जो हफ्ते में सिर्फ दो दिन ( sat. & Sun.) ही दे पाते हैं ब्लाग जगत को ।
एक एकदम नई जानकारी.समय तकनीक और दिमाग का ही खेल है इससे अवगत करने के लिए आभार
aapki post to bahut pasand aai . padhte hue muskurahat khili rahi chehre par. lekin aapne jo rachna ko uttar diya hai vah shaleen uttar nhi tha.. halanki rchna bhi akramak thi lekin akramak hone aur maryada todne me antar hota hai.. mahilao ka aadar hamesha purush hi badhate hain yah aapse vinamr nivedan hai dhyaan rahe.
मेरे लिए तो मुश्किल है इस पर अमल कर पाना. :-)
वैसे लीना जी की बात पर भी ध्यान दें.
@ लीना जी ! आपका निवेदन विनम्र है, इसलिए स्वीकार है लेकिन हमारी टिप्पणी में कोई भी शब्द अशालीन नहीं है।
जो हमसे प्यार से बोलता है, हम उससे प्यार से ही बात करते हैं और जो हमसे तीन पांच करता है, हम उसे नौ दो ग्यारह कर देते हैं।
अगर हम ऐसा न करते तो आज यहां हिंदी ब्लॉगिंग में न होते।
क्या आप नहीं जानतीं कि हमें उखाड़ने के लिए कितने कितने सौ ब्लॉगर्स ने मिलकर ज़ोर लगाए हैं ?
...और इक्का दुक्का अभी भी बाज़ नहीं आ रहे हैं।
जो आदमी किसी के सम्मान से खेलता है तो फिर वह अपने लिए भी सम्मान पाने का हक़दार नहीं रह जाता और फिर भी कोई दे दे तो यह उस देने वाले का अहसान है।
क्या हमारी बात ग़लत है ?
अब आप बताएं .
रचना जी हमें अंग्रेज़ी में गालियां तक दे चुकी हैं लेकिन हमने जवाब में उन्हें गालियां नहीं दीं।
क्या यह हमारी शराफ़त नहीं है ?
लेकिन किसी की शराफ़त का यह मतलब तो नहीं होना चाहिए कि उसके सिर पर ही सवार हो जाओ।
आप देखिए निम्न लिंक पर उनकी यह टिप्पणी
before you make a post at least understand the issue other wise you make a fool of your self nothing more
and here who so ever will read your post will laugh and go away because you not sounding like a fool but a stupid as well
http://blogkikhabren.blogspot.com/2011/07/against-dress-code-for-women.html?showComment=1311239155201#c6380040200511168865
अजय कुमार जी ! आप जैसे लोगों के लिए हम इससे पहले ‘हनी बी तकनीक‘ बता चुके हैं। आप उसे आज़मा सकते हैं।
@ अभिषेक जी ! आपके लिए भी यही सलाह है जो कि अजय कुमार जी के लिए है।
आप दोनों का शुक्रिया !
देर से आने के लिए क्षमा चाहता हूँ...
बहुत सही तकनीक है पर इतना टाइम किसके पास होता है, खासकर वे लोग जो सिर्फ हफ्ते मे 1 या 2 बार ही ब्लॉग जगत मे आ पाते हैं।
कमाल है,
नई जानकारी.
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