अपने मन के विचारों को या अपनी रचनाओं को बिना किसी योजना के सहज भाव से ब्लॉग पर लिख देना सहज ब्लॉगिंग कहलाता है।
इसके विपरीत डिज़ायनर ब्लॉगिंग एक जटिल प्रक्रिया है। जिसमें ब्लॉगर किसी वांछित लक्ष्य के लिए योजनाबद्ध तरीक़े से पोस्ट लिखता है और उस पर आने वाली टिप्पणियों के जवाब देता है और जब वह दूसरे ब्लॉग पर टिप्पणी देता है तब भी वह अपने निहित उद्देश्य की पूर्ति ही कर रहा होता है।
यह वांछित लक्ष्य और निहित उद्देश्य किसी के लिए केवल निजी हित हो सकता है तो किसी के लिए मानव मात्र की भलाई। किसी का वांछित लक्ष्य और निहित उद्देश्य नकारात्मक हो सकता है और किसी का सकारात्मक। इसके स्तर और इसकी प्रकृति में अंतर के बावजूद इसका लक्ष्य और इसका उद्देश्य सुनिश्चित होता है और इसके भले बुरे नतीजों से ब्लॉगर अच्छी तरह परिचित भी होता है। इसका एक बड़ा लक्षण यह भी है कि डिज़ायनर ब्लॉगर बहुत कम समय में ही अपने ब्लॉग पर बहुत से ब्लॉगर्स को जोड़ लेता है।
अच्छे और बुरे, दोनों ही मक़सद के लिए डिज़ायनर ब्लॉगिंग आज हिंदी ब्लॉगिंग में धड़ल्ले से प्रचलित है। इसके अच्छे और बुरे नतीजे भी सामने आ रहे हैं लेकिन फिर भी यह निर्बाध रूप से चल रही है और चलती रहेगी क्योंकि ब्लॉगिंग की प्रकृति ही कुछ ऐसी है कि इसमें किसी भी ब्लॉगर को उसकी योजना, विचार और शैली बदलने पर मजबूर नहीं किया जा सकता।
डिज़ायनर ब्लॉगिंग का एक लक्षण यह भी है कि इसके अंतर्गत लिखी गई कोई भी पोस्ट प्रायः कमेंट से ख़ाली नहीं पाई जाती। प्रायः 10 कमेंट से लेकर 60 कमेंट तक इस तरह की पोस्ट पर अनिवार्य रूप से मिलते हैं। कभी कभी इन पर कमेंट की संख्या 100 से लेकर 400 तक भी पाई जाती है।
ऐसे हालात में जब एक नया ब्लॉगर हिंदी ब्लॉगिंग की दुनिया में अपना क़दम रखता है और ‘सहज ब्लॉगिंग‘ करता है तो कुछ समय बाद ही वह पाता है कि जहां दूसरों की पोस्ट्स पर 10 से लेकर 100 तक कमेंट मौजूद हैं वहीं उसकी पोस्ट पर एक दो कमेंट आना भी मुश्किल हो रहा है। ऐसे में वह समझता है कि शायद उसके लेखन में ही कोई कमी है और वह ग़लत जगह आ गया है। ऐसा समझकर वह निराश हो जाता है और हिंदी ब्लॉगिंग को अलविदा कह देता है या फिर हीन भावना का शिकार होकर रह जाता है।
हिंदी ब्लॉगिंग से इस पलायन को रोकने के लिए यह ज़रूरी है कि उन्हें सही सूरते हाल से आगाह किया जाए और उन्हें कुछ ऐसी बातें बताई जाएं जिन्हें अपनाने के बाद उनके ब्लॉग तक न केवल पाठक पहुंचें बल्कि वे वहां अपनी राय दर्ज करने पर भी मजबूर हो जाएं।
कोई भी ब्लॉगर अपनी रचना केवल इसीलिए सार्वजनिक करता है कि उसे ज़्यादा से ज़्यादा पाठक मिलें। पाठकों के सुझाव भी उसकी परफ़ॉर्मेंस को बेहतर बनाते हैं और उनकी सराहना भी उसका जोश बढ़ाती है। टिप्पणियों का कुल हासिल यही है। इस मक़सद के लिए अगर कोई समूह बन जाए तो उसमें भी कोई बुराई नहीं है लेकिन जब यह समूह किसी को उखाड़ फेंकने के लिए प्रतिबद्ध हो जाए तो वह देर सवेर निंदा और जगहंसाई का पात्र बनकर रह जाता है।
‘आदमी लाभ के लिए ही काम करता है।‘
यह इंसान की प्रवृत्ति है।
अगर आप एक नए ब्लॉगर हैं और आप विदेश में रहते हैं या आप मोटी सैलरी वाली नौकरी या बड़े टर्न ओवर वाला बिज़नेस करते हैं तो आपको टिप्पणियों की क़िल्लत का सामना कभी नहीं करना पड़ेगा। वास्तविक जगत की तरह यहां ब्लॉग जगत में भी आपका स्वागत गर्मजोशी से किया जाएगा।
हिंदी ब्लॉगिंग में डिज़ायनर ब्लॉगिंग का श्रेय भी इसी वर्ग को जाता है।
लेकिन अगर आपमें ये ख़ूबियां नहीं हैं और आप कम आमदनी पर संतोष करते हुए अपनी मातृभूमि की सेवा कर रहे हैं तो आपके लिए इस मार्ग में कठिनाईयां कम नहीं हैं।
ऐसे में कुछ बातों का ध्यान रखना आपके लिए अनिवार्य है जिससे आपको भरपूर पाठक भी मिलेंगे और टिप्पणियां भी इतनी तो ज़रूर ही मिल जाएंगी जितनी कि आपको हिंदी ब्लॉगिंग में स्थापित करने के लिए ज़रूरी हैं।
इस सिलसिले में हमने एक लंबे समय तक डिज़ायनर ब्लॉगिंग का अध्ययन किया और गहन अनुसंधान के बाद कुछ ऐसे अचूक टोटके भी खोज निकाले हैं, जिन पर बड़े ब्लॉगर्स की ब्लॉगिंग फल फूल रही है और जिनका इस्तेमाल करने के बाद आपका नाम भी निश्चय ही बुलंदी पर चमकने लगेगा।
इस विषय पर हमारे अलावा दूसरे हिंदी ब्लॉगर्स ने भी काम किया है और हम चाहते हैं कि अपने शोध परिणाम को सामने लाने से पहले उन भाईयों की मेहनत को भी सामने लाया जाए ताकि उनकी जो मेहनत भुला दी गई है। उसका उचित सम्मान किया जा सके और उनकी पुरानी पोस्ट को भी हमारे ज़रिये कुछ नए पाठक मिल सकें।
इस क्रम में हम भाई युगल मेहरा जी का नाम लेना चाहेंगे। अंग्रेज़ी के ब्लॉग्स पर घूमते हुए उन्हें कुछ काम की बातें पसंद आईं तो उन्होंने एक पोस्ट के माध्यम से वे बातें हिंदी ब्लॉगर्स तक पहुंचाना अपना फ़र्ज़ समझा और उनकी आवाज़ को आप तक पहुंचाना अब हम ज़रूरी मानते हैं क्योंकि उनकी बातें सभी हिंदी ब्लॉगर्स के लिए फ़ायदेमंद हैं और हमारे द्वारा खोजे गए कुछ तरीक़े भी उनकी सूची में दर्ज हैं।
...तो क्लिक कीजिए युगल मेहरा जी की पोस्ट के शीर्षक पर
ब्लॉग पोस्टिंग के 76 तरीक़े जो आपके ब्लॉग को चमका देंगे
इसके विपरीत डिज़ायनर ब्लॉगिंग एक जटिल प्रक्रिया है। जिसमें ब्लॉगर किसी वांछित लक्ष्य के लिए योजनाबद्ध तरीक़े से पोस्ट लिखता है और उस पर आने वाली टिप्पणियों के जवाब देता है और जब वह दूसरे ब्लॉग पर टिप्पणी देता है तब भी वह अपने निहित उद्देश्य की पूर्ति ही कर रहा होता है।
यह वांछित लक्ष्य और निहित उद्देश्य किसी के लिए केवल निजी हित हो सकता है तो किसी के लिए मानव मात्र की भलाई। किसी का वांछित लक्ष्य और निहित उद्देश्य नकारात्मक हो सकता है और किसी का सकारात्मक। इसके स्तर और इसकी प्रकृति में अंतर के बावजूद इसका लक्ष्य और इसका उद्देश्य सुनिश्चित होता है और इसके भले बुरे नतीजों से ब्लॉगर अच्छी तरह परिचित भी होता है। इसका एक बड़ा लक्षण यह भी है कि डिज़ायनर ब्लॉगर बहुत कम समय में ही अपने ब्लॉग पर बहुत से ब्लॉगर्स को जोड़ लेता है।
अच्छे और बुरे, दोनों ही मक़सद के लिए डिज़ायनर ब्लॉगिंग आज हिंदी ब्लॉगिंग में धड़ल्ले से प्रचलित है। इसके अच्छे और बुरे नतीजे भी सामने आ रहे हैं लेकिन फिर भी यह निर्बाध रूप से चल रही है और चलती रहेगी क्योंकि ब्लॉगिंग की प्रकृति ही कुछ ऐसी है कि इसमें किसी भी ब्लॉगर को उसकी योजना, विचार और शैली बदलने पर मजबूर नहीं किया जा सकता।
डिज़ायनर ब्लॉगिंग का एक लक्षण यह भी है कि इसके अंतर्गत लिखी गई कोई भी पोस्ट प्रायः कमेंट से ख़ाली नहीं पाई जाती। प्रायः 10 कमेंट से लेकर 60 कमेंट तक इस तरह की पोस्ट पर अनिवार्य रूप से मिलते हैं। कभी कभी इन पर कमेंट की संख्या 100 से लेकर 400 तक भी पाई जाती है।
ऐसे हालात में जब एक नया ब्लॉगर हिंदी ब्लॉगिंग की दुनिया में अपना क़दम रखता है और ‘सहज ब्लॉगिंग‘ करता है तो कुछ समय बाद ही वह पाता है कि जहां दूसरों की पोस्ट्स पर 10 से लेकर 100 तक कमेंट मौजूद हैं वहीं उसकी पोस्ट पर एक दो कमेंट आना भी मुश्किल हो रहा है। ऐसे में वह समझता है कि शायद उसके लेखन में ही कोई कमी है और वह ग़लत जगह आ गया है। ऐसा समझकर वह निराश हो जाता है और हिंदी ब्लॉगिंग को अलविदा कह देता है या फिर हीन भावना का शिकार होकर रह जाता है।
हिंदी ब्लॉगिंग से इस पलायन को रोकने के लिए यह ज़रूरी है कि उन्हें सही सूरते हाल से आगाह किया जाए और उन्हें कुछ ऐसी बातें बताई जाएं जिन्हें अपनाने के बाद उनके ब्लॉग तक न केवल पाठक पहुंचें बल्कि वे वहां अपनी राय दर्ज करने पर भी मजबूर हो जाएं।
कोई भी ब्लॉगर अपनी रचना केवल इसीलिए सार्वजनिक करता है कि उसे ज़्यादा से ज़्यादा पाठक मिलें। पाठकों के सुझाव भी उसकी परफ़ॉर्मेंस को बेहतर बनाते हैं और उनकी सराहना भी उसका जोश बढ़ाती है। टिप्पणियों का कुल हासिल यही है। इस मक़सद के लिए अगर कोई समूह बन जाए तो उसमें भी कोई बुराई नहीं है लेकिन जब यह समूह किसी को उखाड़ फेंकने के लिए प्रतिबद्ध हो जाए तो वह देर सवेर निंदा और जगहंसाई का पात्र बनकर रह जाता है।
‘आदमी लाभ के लिए ही काम करता है।‘
यह इंसान की प्रवृत्ति है।
अगर आप एक नए ब्लॉगर हैं और आप विदेश में रहते हैं या आप मोटी सैलरी वाली नौकरी या बड़े टर्न ओवर वाला बिज़नेस करते हैं तो आपको टिप्पणियों की क़िल्लत का सामना कभी नहीं करना पड़ेगा। वास्तविक जगत की तरह यहां ब्लॉग जगत में भी आपका स्वागत गर्मजोशी से किया जाएगा।
हिंदी ब्लॉगिंग में डिज़ायनर ब्लॉगिंग का श्रेय भी इसी वर्ग को जाता है।
लेकिन अगर आपमें ये ख़ूबियां नहीं हैं और आप कम आमदनी पर संतोष करते हुए अपनी मातृभूमि की सेवा कर रहे हैं तो आपके लिए इस मार्ग में कठिनाईयां कम नहीं हैं।
ऐसे में कुछ बातों का ध्यान रखना आपके लिए अनिवार्य है जिससे आपको भरपूर पाठक भी मिलेंगे और टिप्पणियां भी इतनी तो ज़रूर ही मिल जाएंगी जितनी कि आपको हिंदी ब्लॉगिंग में स्थापित करने के लिए ज़रूरी हैं।
इस सिलसिले में हमने एक लंबे समय तक डिज़ायनर ब्लॉगिंग का अध्ययन किया और गहन अनुसंधान के बाद कुछ ऐसे अचूक टोटके भी खोज निकाले हैं, जिन पर बड़े ब्लॉगर्स की ब्लॉगिंग फल फूल रही है और जिनका इस्तेमाल करने के बाद आपका नाम भी निश्चय ही बुलंदी पर चमकने लगेगा।
इस विषय पर हमारे अलावा दूसरे हिंदी ब्लॉगर्स ने भी काम किया है और हम चाहते हैं कि अपने शोध परिणाम को सामने लाने से पहले उन भाईयों की मेहनत को भी सामने लाया जाए ताकि उनकी जो मेहनत भुला दी गई है। उसका उचित सम्मान किया जा सके और उनकी पुरानी पोस्ट को भी हमारे ज़रिये कुछ नए पाठक मिल सकें।
इस क्रम में हम भाई युगल मेहरा जी का नाम लेना चाहेंगे। अंग्रेज़ी के ब्लॉग्स पर घूमते हुए उन्हें कुछ काम की बातें पसंद आईं तो उन्होंने एक पोस्ट के माध्यम से वे बातें हिंदी ब्लॉगर्स तक पहुंचाना अपना फ़र्ज़ समझा और उनकी आवाज़ को आप तक पहुंचाना अब हम ज़रूरी मानते हैं क्योंकि उनकी बातें सभी हिंदी ब्लॉगर्स के लिए फ़ायदेमंद हैं और हमारे द्वारा खोजे गए कुछ तरीक़े भी उनकी सूची में दर्ज हैं।
...तो क्लिक कीजिए युगल मेहरा जी की पोस्ट के शीर्षक पर
ब्लॉग पोस्टिंग के 76 तरीक़े जो आपके ब्लॉग को चमका देंगे
इन तरीक़ों को इस्तेमाल करने के बाद आपके ब्लॉग की वैल्यू बढ़ना यक़ीनी है।
अभी हालात चाहे जो हों लेकिन आने वाला समय वह है जबकि हिंदी ब्लॉग केवल अपने मन की तसल्ली के लिए ही न लिखे जाएंगे बल्कि उनसे आमदनी भी होगी और दूसरी प्रॉपर्टी की तरह उन्हें ख़रीदा और बेचा भी जाएगा।
यह बात हिंदी ब्लॉगिंग के लिए अभी भले ही सपना हो लेकिन इंग्लिश ब्लॉगिंग में यह एक सामान्य व्यवहार है। निम्न लिंक पर जाकर आप हमारी बात की तस्दीक़ भी कर सकते हैं :
9 comments:
उपयोगी आलेख!
आपके दिए हिंट्स उपयोगी हैं.
blogging ki duniya ke trends ko samajhne ke baad apni jagah talashna men aasani hoti hai. is lihaz se naye logon ke liye aapne bahut hi upyogi jaankari dee hai.
उपयोगी जानकारी ...
कोशिश करते हैं ब्लॉग को चमकाने की ...
आभार !
bahut bahut aabhar itni acchi jankari uplabdh karane ke liye ....shayed mai bhi kuch chamnka saku pane blog ko aapke is puneet prayas se
upayukt jankari
thank you so much kuchh sacchi jaankariyon ke liye... aapke is post mein likhi kuch baatein mujhe mere entrance-days yaad dila rahe the...
आभार।
------
लो जी, मैं तो डॉक्टर बन गया..
क्या साहित्यकार आउट ऑफ डेट हो गये हैं ?
आपका बहुत बहुत आभार
Post a Comment