अगर गुनहगार का साथ देना भी गुनाह है तो गुनाह साबित हो जाने पर वकीलों को सजा देने का प्रावधान क्यों नहीं है, जो सबकुछ जानते हुए भी अपने मुवक्किल को बेगुनाह बताता है और गुनाह साबित हो जाने पर तरह तरह के बहाने बनाके सजा न देने की भीख माँगता है । अगर ये उनके प्रोफेशन का हिस्सा है तो ये कैसा प्रोफेशन है-चंद फीस के लिए गुनाह का साथ दो ?
क्या ज़मीर नाम की जो चीज़ होती है वो वकीलों के लिए नहीं है ? उनका दिल ये कैसे गवाही देता है कि सबकुछ जानते हुए भी वो अंतिम समय तक गुनहगार को बचाने का प्रयास करते रहते हैं ?
आप भी सोचे ? अपराध दिन ब दिन इतना बढ़ता क्यों जा रहा है क्योंकि कानून को लेके किसी के मन में कुछ भय नहीं है | सब सोचते हैं कि कुछ भी कर लो, अगर पकड़े गए तो पैसों के दम पे अच्छा से अच्छा वकील रख लो; वो कानून को तोड़-मरोड़ कर, झूठ को सही साबित करके बचा ही लेगा | अगर कुछ ऐसा प्रावधान हो जाए कि मुजरिम साबित हो जाने पर मुजरिम के साथ-साथ उसका केस लड़ रहे वकील को भी सजा मिलेगी तो डर से वकील जान कर गलत लोगों का केस लेना बंद कर देंगे और इस से अपराध करने वाले के मन में भी भय बैठ जाएगा और आधे से ज्यादा जुर्म ऐसे ही कम हो जाएंगे |
क्या ज़मीर नाम की जो चीज़ होती है वो वकीलों के लिए नहीं है ? उनका दिल ये कैसे गवाही देता है कि सबकुछ जानते हुए भी वो अंतिम समय तक गुनहगार को बचाने का प्रयास करते रहते हैं ?
आप भी सोचे ? अपराध दिन ब दिन इतना बढ़ता क्यों जा रहा है क्योंकि कानून को लेके किसी के मन में कुछ भय नहीं है | सब सोचते हैं कि कुछ भी कर लो, अगर पकड़े गए तो पैसों के दम पे अच्छा से अच्छा वकील रख लो; वो कानून को तोड़-मरोड़ कर, झूठ को सही साबित करके बचा ही लेगा | अगर कुछ ऐसा प्रावधान हो जाए कि मुजरिम साबित हो जाने पर मुजरिम के साथ-साथ उसका केस लड़ रहे वकील को भी सजा मिलेगी तो डर से वकील जान कर गलत लोगों का केस लेना बंद कर देंगे और इस से अपराध करने वाले के मन में भी भय बैठ जाएगा और आधे से ज्यादा जुर्म ऐसे ही कम हो जाएंगे |
(संदर्भ-दिल्ली में गैंग रेप के आरोपियों का केस लड़ रहे वकील ने गुनाह साबित हो जाने के बाद भी मांग की है कि कम से कम सजा मिले)