अगर गुनहगार का साथ देना भी गुनाह है तो गुनाह साबित हो जाने पर वकीलों को सजा देने का प्रावधान क्यों नहीं है, जो सबकुछ जानते हुए भी अपने मुवक्किल को बेगुनाह बताता है और गुनाह साबित हो जाने पर तरह तरह के बहाने बनाके सजा न देने की भीख माँगता है । अगर ये उनके प्रोफेशन का हिस्सा है तो ये कैसा प्रोफेशन है-चंद फीस के लिए गुनाह का साथ दो ?क्या ज़मीर नाम की जो चीज़ होती है वो वकीलों के लिए नहीं है ? उनका दिल ये कैसे गवाही देता है कि सबकुछ जानते...
"बैन" (प्रतिबंध) के मायने
क्या हमारे देश में हर बात का उल्टा अर्थ होता है ? जहां लिखा हो "थूकना माना है" वहीं सबसे ज्यादा थूका जाता है | "यहाँ पेशाब करना माना है" यह लिखा हुआ भी प्रायः दिख जाता है, पर कोई पालन नहीं करता | हाँ, कुछ बुद्धिजीवी इसका हल निकाल लेते हैं | सीधे शब्दों में लिखने के बजाय ये लिख देते हैं -"देखो कुत्ता पेशाब कर रहा है" | और इसका असर भी होता है |
खैर, मेरे इस पोस्ट का केंद्र कई पदार्थों पर आए दिन लगने वाले "बैन या प्रतिबंध" है | आखिर इस बैन...
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