Read More...
अरब लोग केवल शून्य को ही भारत की देन नहीं मानते बल्कि वे सारे अंकों को ही भारत की देन मानते हैं इसीलिए उन्होंने गिनती के सभी अंकों को ‘हिन्दसा‘ का नाम दिया है
अजित जी ! आपकी पोस्ट 'शून्य में समृद्धि है…' निश्चय ही अच्छी है।
आपने बताया है कि भारत ने शून्य की खोज की और अरबी भाषा में इसे सिफ़र कहा गया है।
यह सही है।
अब हम आपको बताते हैं कि अरब लोग केवल शून्य को ही भारत की देन नहीं मानते बल्कि वे सारे अंकों को ही भारत की देन मानते हैं इसीलिए उन्होंने गिनती के सभी अंकों को ‘हिन्दसा‘ का नाम दिया है।
भारतीय दर्शन ने ईश्वर के नाम-रूप-गुण के साथ ही सृष्टि रहस्य पर विचार किया और उसके सभी संभावित पक्षों पर बात की है।
पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद साहब सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने भारतीय ज्ञान की तारीफ़ करते हुए कहा है कि
‘मुझे हिन्द की तरफ़ से रब्बानी ख़ुश्बूएं (अर्थात दिव्य ज्ञान की सुगंध) आती हैं।
आप शब्दों पर ग़ौर करने वाले आदमी हैं।
इसीलिए ‘हिन्दसा‘ शब्द आपके सुपुर्द किया जाता है।
शुक्रिया !
आपने बताया है कि भारत ने शून्य की खोज की और अरबी भाषा में इसे सिफ़र कहा गया है।
यह सही है।
अब हम आपको बताते हैं कि अरब लोग केवल शून्य को ही भारत की देन नहीं मानते बल्कि वे सारे अंकों को ही भारत की देन मानते हैं इसीलिए उन्होंने गिनती के सभी अंकों को ‘हिन्दसा‘ का नाम दिया है।
भारतीय दर्शन ने ईश्वर के नाम-रूप-गुण के साथ ही सृष्टि रहस्य पर विचार किया और उसके सभी संभावित पक्षों पर बात की है।
पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद साहब सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने भारतीय ज्ञान की तारीफ़ करते हुए कहा है कि
‘मुझे हिन्द की तरफ़ से रब्बानी ख़ुश्बूएं (अर्थात दिव्य ज्ञान की सुगंध) आती हैं।
आप शब्दों पर ग़ौर करने वाले आदमी हैं।
इसीलिए ‘हिन्दसा‘ शब्द आपके सुपुर्द किया जाता है।
शुक्रिया !
अजित वडनेरकर जी अपनी पोस्ट में कहते हैं कि-
भारतीयों की ही तरह गणित और खगोलशास्त्र में अरब के विद्वानों की भी गहन रुचि थी। भारतीय विद्वानों की शून्य खोज का जब अरबों को पता चला तो उन्होंने अरबी भाषा में इसके मायने तलाशे। उन्हें मिला सिफ्र (sifr) जिसका मतलब भी रिक्त ही होता है। बारहवीं तेरहवीं सदी के आसपास योरप को जब दाशमिक प्रणाली का पता चला तो अरबी के सिफ्र ने यहां दो रूप ले लिए। पुरानी फ्रेंच में इसे शिफ्रे ( chiffre ) के रूप में जगह मिली जबकि अंग्रेजी में आने से पहले इसका लैटिनीकरण हुआ। पुरानी लैटिन में सिफ्र ने जे़फिरम का रूप लिया। बाद में यही zephirum या zephyrum > zeuero> zepiro> zero छोटा होकर ज़ीरो बन गया। बाद में फ्रेंच के रास्ते से अरबी के cifra को cifre के रूप में एक नए लफ्ज सिफर के रूप में जगह मिल गई। गौरतलब है कि हिंदी में हम अंग्रेजी के सिफ़र cipher का उच्चारण करते हैं न कि अरबी, उर्दू के सिफ्र का। वैसे सिफ्र की व्युत्पत्ति सेमिटिक धातु sfr से भी मानी जाती है जिसका मतलब होता है उत्कीर्ण करना, लिखना, अंकन करना, गणितीय गणना आदि।
पूरी पोस्ट देखें-
भारत देश की मांओं और बहनों के नाम एक अपील
मेरी बहनों/मांओं ! क्या नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, शहीद भगत सिंह आदि किसी के भाई और बेटे नहीं थें ?
क्या
भारत देश में देश पर कुर्बान होने वाले लड़के/लड़कियाँ मांओं ने पैदा करने
बंद कर दिए हैं ? जो भविष्य में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, शहीद भगत सिंह,
राजगुरु, सुखदेव और झाँसी की रानी आदि बन सकें. अगर पैदा किये है तब उन्हें
कहाँ अपने आँचल की छाँव में छुपाए बैठी हो ?
उन्हें निकालो ! अपने आँचल की
छाँव से भारत देश को भ्रष्टाचार से मुक्त करके देश को "सोने की चिड़िया"
बनाकर "रामराज्य" लाने के लिए देश को आज उनकी जरूरत है. मौत एक अटल सत्य
है. इसका डर निकालकर भारत देश के प्रति अपना प्रेम और ईमानदारी दिखाए. क्या
तुमने देश पर कुर्बान होने के लिए बेटे/बेटियां पैदा नहीं की. अपने
स्वार्थ के लिए पैदा किये है. क्या तुमको मौत से डर लगता है कि कहीं मेरे
बेटे/बेटी को कुछ हो गया तो मेरी कोख सूनी हो जायेगी और फिर मुझे रोटी कौन
खिलाएगा. क्या नेताजी सुभाष चन्द्र बोस आदि की मांओं की कोख सूनी नहीं
हुई, उन्हें आज तक कौन रोटी खिलता है ? क्या उनकी मांएं स्वार्थी थी ?
पूरा लेख यहाँ पर क्लिक करके पढ़ें : भारत देश की मांओं और बहनों के नाम एक अपीलकुंड़लिया ----- दिलबाग विर्क
दफ्तर लगते दस बजे, औ ' आठ बजे स्कूल ।
अजब नीति सरकार की , टेढ़े बहुत असूल ।
टेढ़े बहुत असूल , फ़िक्र ना मासूमों की
ए.सी. में बैठकर , बात हो कानूनों की ।
न सुनें हैं फरियाद , न दर्द जानते अफ़सर
जमीं के साथ विर्क , कब जुड़ेंगे ये दफ्तर ?
ब्लॉगर्स मीट वीकली (22) Ramayana
ब्लॉगर्स मीट वीकली (22)
सबसे पहले मेरे सारे ब्लॉगर साथियों को प्रेरणा अर्गल का प्रणाम और सलाम /आप सभी का स्वागत करती हूँ /और निवेदन करती हूँ की इस मंच पर पधारें और अपने अनमोल सन्देश देकर हमारा उत्साह बढायें /आभार
आज सबसे पहले मंच की पोस्ट्स |
अनवर जमाल जी की रचनाएँ |
अख्तर खान "अकेला जी " की रचनाएँअयाज अहमद जी की रचना ख़ंज़र की क्या मजाल जो इक ज़ख़्म कर सके ? - Swami रामतीर्थख़ंज़र की क्या मजाल जो इक ज़ख़्म कर सके। तेरा ही है ख़याल कि घायल हुआ है तू।। स्वामी लक्ष्मीशंकराचार्य जी का नायाब वीडियो देखा ब्लॉगर्स मीट वीकली 21 मेंरमेश कुमार जैन उर्फ़ "सिरफिराजी "की रचना दोस्तों की संख्या में विश्वास करते हो या उनकी गुणवत्ता पर ? |
मंच के बाहर की पोस्टरत्नेश कुमार मौर्याजी की रचना चर्चित ब्लागर आकांक्षा यादव को ‘डा. अम्बेडकर फेलोशिप राष्ट्रीय सम्मान-2011 अशोक कुमार शुक्ल जी की रचना तय तो यह था... विनम्र श्रद्वांजलि डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' जी की रचना "नारी की व्यथा " राजेश कुमारीजी की रचना पर का बोझ नीरज द्विवेदी जी की रचना अब उठो भारत मोनिका शर्माजी की रचना धन-बल को मिलने वाला मान है भ्रष्टाचार की जड़ .... ! ऍन .बी .नजील जी की रचना या खुदा! बस उनको अदा बख्श दे| पी.सी.गोदियाल "परचेत" जी की रचना वाट जोहता हूँ नई भोर की ! |
मुकेश कुमार तिवारीजी की रचना कुछ रिश्तों के बहाने से ऋता शेखर 'मधु' जी देवानंदजी को अनोखे ढंग से श्रद्धांजलि दे रही हैं खोया खोया चाँद- हाइगा मेंफ़िल्म-जगत के सदाबहार हीरो 'देव आनंद' जी को विनम्र श्रद्धांजलिसंगीता स्वरुपजी की रचना रतन सिंह शेखावतजी की रचना हमारी भूलें : आहार व्यवहार की अपवित्रता - १ समीर लाल " समीरजी " की रचना पत्थर दिल इंसान....सुरेश शर्माजी " कार्टूनिस्ट" हाजिर जवाब ...कुवर कुशुमेश्जी की रचना |
प्रशासन के जूता तले दब चला है पूरा देश, |
किसी भी विद्वान और विशेषकर वकील को अपने किसी भी मामले में सफल होने के लिए उसे अपने लक्ष्य को नही भूलना चाहिए। सबसे अच्छा रास्ता वही होता है, जिससे लक्ष्य तक पहुंचा जा सके। किसी भी रमणीय सुन्दर रास्ते को अच्छा नही कहा जा सकता यदि वह लक्ष्य तक नही पहुंचाता है। |
साधना वैद जी सपनेरफ्ता-रफ्ता सारे सपने पलकों पर ही सो गये , कुछ टूटे कुछ आँसू बन कर ग़म का दरिया हो गये ! "उच्चारण भी थम जाता है" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') रिश्तों-नातों को ठुकरा कर, पंछी इक दिन उड़ जाता है।। जब धड़कन रुकने लगती है, उच्चारण भी थम जाता है।। इस्लाम धर्म पर वीडियो Shankaracharya speaks about इस्लाममनोज कुमार जी बता रहे हैं किसूफ़ियों ने विश्व-प्रेम का पाठ पढ़ाया अंक-१भक्ति और प्रेम की भावना पर आधारित जिस पंथ ने इसलाम धर्म में लोकप्रियता प्राप्त की उसे सूफ़ी पंथ कहते हैं। सूफ़ी संप्रदाय का उदय इसलाम के उदय के साथ ही हुआ, किन्तु एक आन्दोलन के रूप में इसलाम की नीतिगत ढांचे के तहत इसे मध्य काल में बहुत लोकप्रियता मिली। ...वह व्यक्ति जो प्रेम के वास्ते मुसफ़्फ़ा होता है साफ़ी है और जो व्यक्ति ईश्वर के प्रेम में डूबा हो, वही सूफ़ी होता है। |
Subscribe to:
Posts (Atom)