आज यह सवाल वे लोग भी पूछ रहे हैं जो कि ख़ुद भारतीय मुसलमानों के स्वाभिमान पर और उनकी धार्मिक परंपराओं पर चोट करते रहते हैं।इसे कहते हैं घड़ियाली आंसू बहाना।जिनके पास खुद स्वाभिमान नहीं है, वे भी स्वाभिमान की चिंता करते दिखते हैं और वह भी उन लोगों के स्वाभिमान की जिन्हें वे मांसाहार के कारण विदेश चले जाने का सुझाव देते हैं।पता नहीं ये किसे धोखा देते हैं...
इनका एजेंडा हिडेन बिलकुल नहीं है ...
सुज्ञ जी ने भी कुर्बानी के विरोध में पोस्ट लगाई है मगर एक फ़र्क़ है. शिल्पा जी अपने लिए जो अधिकार चाहती हैं , ठीक वही अधिकार दूसरे के लिए वह नहीं मानतीं मगर सुज्ञ जी के ब्लॉग पर ऐसा नहीं है, मुलाहिज़ा कीजिये -
पशु-बलि : प्रतीकात्मक कुरीति पर आधारित हिंसक प्रवृतिhttp://niraamish.blogspot.com/2011/11/mass-animal-sacrifice-on-eid.ht...
सिरफिरा पर विश्वास रखें

फ़ेसबुक
के कई हजार अकाउंट्स हैक हुए हैं (अधिकांश ID बंगलोर के हैं), जिनसे
अश्लील और अभद्र वीडियो और फोटो भेजे जा रहे हैं…। किसी मित्र को यदि मेरे
नाम या आई डी (ID) से ऐसा कोई अश्लील क्लिप अथवा फ़ोटो मिलता है तब उसे
तुरन्त डिलीट करें और मुझ पर विश्वास रखें कि ऐसी "घटिया हरकत" मैंने नहीं
की; न कभी भविष्य में कर सकता हूँ. जैसा आप...
अलग अलग है
अलग नहीं है किसी की दुनिया मगर जिन्दगी अलग अलग है भले हैं खोये वो रौनकों में मगर सादगी अलग अलग है यूँ मुस्कुराते मिलेंगे चेहरे कहीं खुलापन कहीं पे पहरेकई जो दिखते हैं मुतमईन पर वहाँ तिश्नगी अलग अलग है वो रोज मिलते हैं मुझसे आ के चले भी जाते हैं दिल जला केबहुत ही नाजुक खिंचाव उस पे नई ताज़गी अलग अलग है मकान जितने बड़े बड़े हैं बिना प्यार बेज़ान खड़े हैंइधर है कोशिश दिलों को जोड़ें उधर बानगी अलग अलग है धरम अलग पर है साथ जीना कभी खुशी और ग़मों...
अरे भई साधो......: आणविक सृष्टि बनाम रासायनिक सृष्टि
जीवन की उत्पत्ति के संदर्भ में कई अवधारणाएं प्रचलित रही हैं. भौतिक भी और आध्यात्मिक भी. भौतिकवाद की अवधारणा मुख्य रूप से डार्विन के विकासवाद पर टिकी है जिसमे पानी के बुलबुले में रासायनिक तत्वों के समन्वय से एककोशीय जीव अमीबा और फिर उससे तमाम जलचरों, उभयचरों, थलचरों और नभचरों की एक लंबी प्रक्रिया के तहत उत्पत्ति और विकास की बात कही गयी है. एक हद तक कोशा (सेल) विभाजन के बाद नर-मादा के अस्तित्व में आने और मैथुनी सृष्टि की बात कही गयी है. यह...
आलू टमाटर को पसंद है मांसाहार

आपको पता नहीं है कि ये दोनों मांसाहारी पौधे हैं। आपको ही नहीं बल्कि ज़्यादातर शाकाहारी यह बात नहीं जानते।
यह बात अजीब सी लगती है कि मांसाहारी व्यक्ति तो शाकाहारी जीव खाए और शाकाहारी भाई बहन मसाले लगाकर मांसाहारी पौधों के अंग खाएं।
हज़ारों साल से खाते आ रहे हैं अज्ञानवश।
चलिए पहले तो पता नहीं था लेकिन क्या अब शाकाहारी लोग इन दोनों मांसाहारी...
ब्लॉगर्स मीट वीकली (17) Happy Children's Day
ब्लॉगर्स मीट वीकली (17) बाल दिवस की शुभकामनाएं सबसे पहले मेरे सभी ब्लॉगर साथियों को प्रेरणा अर्गल का प्रणाम और सलाम /बाल दिवस के मोके पर हमें अपने बच्चों को ये शिक्षा देनी है की आने वाले समय में भारत देश भ्रष्टाचार से मुक्त हो /जिससे हमारा देश उन्नति के पथ पर अग्रसर हो /
सबसे पहले में ब्लोगर्स मीट वीकली (१७)...
अंदाज ए मेरा: माथे पर लिख दिया- दत्तक बालिका....!!!!!
अंदाज ए मेरा: माथे पर लिख दिया- दत्तक बालिका....!!!!!: सरकारी योजनाएं जनता के भले के लिए होती हैं लेकिन जब सरकारी योजनाओं के माध्यम से जनता का मजाक बनने लग जाए या फिर मासूम बचपन को सरकारी योजन...
सर क़लम होंगे कल यहाँ उनके, जिनके मुंह में ज़बान बाक़ी है

जितनी बंटनी थी बंट चुकी ये ज़मीं,
अब तो बस आसमान बाकी है |
सर क़लम होंगे कल यहाँ उनके,
जिनके मुंह में ज़बान बाक़ी है ||http://blogkikhabren.blogspot.com/2011/11/blog-post_7018.ht...
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